आज का पंचाग आपका राशि फल, बारह राशि और उनके शुभ रत्न और रुद्राक्ष और बारह राशियों का स्वभाव, रामकथा का बहुत ही मार्मिक प्रसंग जिसे कम ही लोग जानते हैं

बारह राशि और उनके शुभ रत्न और रुद्राक्ष और बारह राशियों का स्वभाव

🐑
मेष राशि

स्वामी – मंगल
अराध्य देव – श्री गणेशजी
तत्व – अग्नि
नाम के पहले अक्षर – अ, ल, इ
शुभ रत्न – मूंगा
शुभ रुद्राक्ष – तीन मुखी
मेष राशि के जातक जन्म से ही नेतृत्व में निपुण होते है. प्रायः ऊर्जा और अति- उत्साह से सभर रहते है. हालाँकि स्वच्छ प्रकृति के मगर अधिक आत्म केंद्रित रहते है. किसी भी कार्य को योजनापूर्वक करने में माहिर हैं. संघर्ष से उचित पद, इज्जत और नाम कमाते है. किसी को अपने पक्ष में खींचने में निपुण है. जो लोग आपके अनुसार कार्य नहीं करते उनके प्रति आपकी धारणा नकारात्मक रहती है. किन्तु मेष राशि के जातक जिन पर प्रसन्न हो जाते हैं उन पर जान भी न्योछावर कर देते हैं.

🐂
वृषभ राशि

स्वामी – शुक्र
अIराध्य देव – कुलस्वामिनी
तत्व – पृथ्वी
नाम के पहले अक्षर – ब, व और ऊ
शुभ रत्न – हीरा
शुभ रुद्राक्ष – छह मुखी रुद्राक्ष
वृषभ राशि के जातकों का स्वभाव गंभीर, स्थिर और व्यव्हार कुशल रहताहै. सौंदर्य से प्रेम करने वाले और शिष्टप्रिय होते है. पुराने विचारों में मानते है. धन और नाम हासिल करते हैं. अपने पुराने विचारों की वजह से लोगों से उंच नीच रहती है. प्रभावपूर्ण वाणी आपकी विेषेषता है. सफलता प्राप्त करने के बाद भी लोगों को साथ में रख कर चलना आपकी आदत है. आप भावुक और ह्रदय से सच्चे है. तत्काल लाभ की अभिलाष रखते हैं मगर उपेक्षा के पात्र बनते है.

💏
मिथुन राशि

स्वामी – बुध
अIराध्य देव – कुबेर
तत्व – हवा
नाम के पहले अक्षर – क, छ, घ
शुभ रत्न – पन्ना
शुभ रुद्राक्ष – चार मुखी रुद्राक्ष
मिथुन राशि के जातकों में दुसरो की प्रकृति तथा व्यवहार को तीव्रता से समझ लेते हैं. मिलनसार स्वभाव की वजह से बहुत मित्र होते हैं. किसी भी कठिन बात को बुद्धिपूर्वक आसानी से बोल लेते हैं. आकर्षक और मनोरंजक व्यक्तित्व इनकी विशेषता हैं.

किन्तु अंद्रोनी तौर पर शुभ आचार विचार वाले और एकाग्र होते हैं. किन्तु बुरी सांगत को ले कर अपनी प्रतिभा को नुक्सान करते हैं. साथ ही कुछ मित्रों की संगत से मदद भी मिलती हैं. मिथुन राशि के जातक अधिकतम उदार दिल, बलशाली, चतुर तथा भोग विलास में रस रखनेवाले होते हैं.

🦀
कर्क राशि

स्वामी – चन्द्रमा
अIराध्य देव – शंकर भगवान
तत्व – जल
नाम के पहले अक्षर – ड, ह
शुभ रत्न – मोती
शुभ रुद्राक्ष – दो मुखी रुद्राक्ष
इस राशि के लोग सौन्दर्यवान और घर परिवार से अत्यधिक मोह रखने वाले होते हैं. भावनात्मक रूप से अपने आप को सुरक्षित रहना चाहते है. इसी वजह से अपनी भावनाओं को सही मायने में प्रस्तुत करने से डरते है.

यह राशि वाले रिश्तों और परिवार में रचे रहते हैं. प्रकृति से लोगों को सुरक्षा देने वाले और अन्य लोगो को पालन पोषण देते हैं. जज्जबाती और देशभक्त तथा मातृभक्त रहते हैं. इनकी प्रकृति लोगों की समझ में जल्द नहीं आती. ऊपर से भावनाहीन मगर अंदर से मोम जैसा व्यक्तित्व और प्रेमी स्वभाव रहता हैं.

🦁
सिंह राशि

स्वामी – सूर्य
अIराध्य देव – सूर्य भगवान
तत्व – अग्नि
नाम के पहले अक्षर – म, ट
शुभ रत्न – माणिक्य
शुभ रुद्राक्ष – एक मुखी रुद्राक्ष
सिंह राशि के जातक किसी के सामने झुकना पसंद नहीं करते. स्वभाव से उत्साही, निर्भयी, क्रोधी, वीर, स्वतन्त्र और कठिन परिस्थितियों में भी विचलित न होने वाले व्यक्ति होते हैं. सन्तोषपूर्ण होने के कारन आर्थिक उन्नति नहीं कर पाते. अकेले रहना अधिक पसंद करते हैं जिसकी वजह से जीवन में कठिनाइयां रहती है. सिंह राशि के जातक अधिकतम अपने शोख़ को अपना पेश बनाते हैं. ह्रदय से आप दूसरों का भला हमेशा चाहते हैं मगर आपका अहंकार आपको दुसरो से जोड़ने में रुकावटें पैदा करता हैं. जन्म से ही आप संचालन और नेतृत्व की शक्तियां रखते हैं.

👱‍♀
कन्या राशि

स्वामी – बुध
अIराध्य देव – कुबेर
तत्व – पृथ्वी
नाम के पहले अक्षर – प, ठ, ण
शुभ रत्न – पन्ना
शुभ रुद्राक्ष – चार मुखी रुद्राक्ष
कन्या राशि के जातक स्वभाव से अधिक दृढ़ निश्चयी और कुछ अंश तक जिद्दी भी होते हों. एक बार जो सोच लेते है उसे पूरा कर के ही दम लेते हैं. सञ्चालन में कुशल, कलाओं में निपुण और धनी रहते हैं. वाणी में मधुरता, बुद्धिमता, विचारशीलता और व्यवहारिकता इनकी खासियतें हैं. स्वच्छता के अति आग्रही और हर कार्य को व्यवस्थापूर्ण करना चाहते हैं. मेहनती और सफलता को तीव्रता से पाने वाले व्यक्ति हैं. किन्तु सांसारिक जीवन में भाग्यशाली नहीं होते. ह्रदय से रोमांटिक रहते हैं किन्तु भावनाओं को प्रदर्शित करने में विश्वास नहीं रखते. इसकी वजह से प्रेम सम्बन्धो और वैवाहिक सम्बन्धो में सफलता नहीं मिलते.


तुला राशि

स्वामी – शुक्र
अIराध्य देव – कुल स्वामिनी
तत्व – वायु
नाम के पहले अक्षर – र, त
शुभ रत्न – पन्ना
शुभ रुद्राक्ष – छह मुखी रुद्राक्ष
तुला राशि के जातक जन्मजात कुशल राजनीतिज्ञ, विचारशील और चतुर होते हैं. स्वभाव संतुलित रहता है और हर वस्तु को सम्पूर्ण समीक्षा और परिक्षण के बाद समझते हैं. आज्ञा के पालक रहते हैं. सौंदर्य और सुघड़ता को बहुत पसंद करते हैं. दूरदर्शिता से भरपूर आपका स्वभाव कार्य क्षेत्र में अच्छी तरक्की करवाता हैं.

वाणी और स्वभाव आनंदित रहने की वजह से लोगों में प्रिय बने रहते हैं. सभी राशियों में अत्यधिक आकर्षण पैदा करने वाला व्यक्तित्व रखते हैं. किन्तु कुछ परिस्थितियों में अत्यधिक हताश हो जाते हैं. निर्णय लेने से पहले आयाम और अंजाम के विषय में अत्यधिक सोचते हैं.

🦂
वृश्चिक राशि

स्वामी – मंगल
अIराध्य देव – गणेशजी
तत्व – जल
नाम के पहले अक्षर – न, य
शुभ रत्न – माणिक्य
शुभ रुद्राक्ष – तीन मुखी रुद्राक्ष
वृश्चिक राशि के जातक तीक्ष्ण बुद्धि के मालिक होते है. बोले हुए वचन को दृढ़ता से पालनेवाले, थोड़े घमंडी, किसी भी विषय का बारीकी से निरिक्षण करने में निपुण और महत्वकांशी रहते हैं. धार्मिक विचार रखते हैं और हर कार्य को कुशलतापूर्वक करते हैं. अन्य लोगो के स्वभाव, शक्तियों और कमजोरियों को तीव्रता से समझने का गुण रखते हैं. मित्र बनाने के शौकीन और प्रशंसा पाने के अभिलाषी रहते हैं. इनकी दोस्ती जितनी लाभदायी रहती है उतनी ही इनकी दुश्मनी कष्टदायक रहती हैं. मन में जो विचार है उसे प्रस्तुत करने में हिचकिचाते नहीं. स्वभाव से ईर्ष्यालु भी रहते हैं.

🏹
धनु राशि

स्वामी – बृहस्पति
अIराध्य देव – दत्तोत्रय
तत्व – अग्नि
नाम के पहले अक्षर – भ, ध, फ, ढ
शुभ रत्न – पुखराज
शुभ रुद्राक्ष – पांच मुखी रुद्राक्ष
धनु राशि के लोग शांतिप्रिय, स्पष्टवक्ता, सत्य के आग्रही, मिलनसार, निडर, वफादार और जिज्ञासु रहते हैं. सत्य और ज्ञान की खोज आपकी प्रकृति है. नेतृत्व का कौशल रखते हैं. मौज शौख के शौकीन होते है और जहाँ जाते हैं लोगों के आकर्षण का केंद्र बनते हैं. अपने कौशल्य और स्वभाव से इन्हे दूसरों पर अधिकार जाताना काफी अच्छा लगता है. शौकीन और दूसरों का ख्याल रखने की प्रकृति निजी सम्बन्धो में सफलता दिलाती है. ह्रदय से बहुत दयालु और मदद करने की भावना रखते हैं.

🐊
मकर राशि

स्वामी – शनि
अIराध्य देव – शनिदेव, हनुमानजी
तत्व – पृथ्वी
नाम के पहले अक्षर – ख, ज
शुभ रत्न – नीलम
शुभ रुद्राक्ष – सात मुखी रुद्राक्ष
मकर राशि वाले धनि और सुन्दर होते हैं. कार्य को अपना जीवन मानते हैं और कार्यस्थल पर समय व्यतीत करना अधिक पसंद करते हैं. मौज शौख में काम रूचि रहती है. इस राशि के लोग दोहरे विचार रखते हैं. अपने लक्ष्य के प्रति सम्पूर्ण सम्भान और प्रयत्नशील रहते हैं. रहस्यों और आध्यात्मिक बातों में रूचि रखते हैं. कार्यों को स्वयं पूरा करने में विश्वास रखते हैं. दूसरों का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते. ऊँचे विचार वाले और धन कमाने का अच्छा सामर्थ्य रखते हैं. उपकारों को कभी भूलते नहीं.

🏺
कुम्भ राशि

स्वामी – शनि
अIराध्य देव – शनिदेव, हनुमानजी
तत्व – वायु
नाम के पहले अक्षर – ग, स, श, ष
शुभ रत्न – नीलम
शुभ रुद्राक्ष – सात मुखी रुद्राक्ष
कुम्भ राशि के लोग अधिकतर परोपकारी और प्रेमी स्वभाव के होते है. किसी पर जल्दी मोहित हो जाते है. परोपकारी होने पर भी किसी के विरुद्ध षड़यंत्र रच सकते है. ह्रदय की बातों को छुपाने में माहिर होते है. कला, संगीत, शिल्प और साहित्य में रूचि रखने वाले हैं. भावनाओं और बातों को गुप्त रखने की वजह से मानसिक और शारीरिक रूप से कष्ट उठाते है. सौंदर्य के पुजारी होते है और आगे बढ़ने की इच्छा हमेशा रखते हैं. जो भी कार्य करते है उसे पुरे दिल से संपन्न करते हैं. किन्तु तीव्र क्रोध आपका सबसे बड़ा अवगुण है.

🐬
मीन राशि

स्वामी – बृहस्पति
अIराध्य देव – दत्तोत्रय
तत्व – जल
नाम के पहले अक्षर – द, च, थ, झ
शुभ रत्न – पुखराज
शुभ रुद्राक्ष – पांच मुखी रुद्राक्ष
मीन राशि के लोग अत्यंत शांत, सौम्य, करुणामय स्वभाव के और आकर्षक व्यक्तित्य के मालिक हैं. अपनी हर गलती पर माफ़ी मांग लेते हैं. अध्यात्म और ईश्वर भक्ति में लीन रहते हैं. गंभीर और दोहरे स्वभाव के बावजूद भी आपके विचार हमेशा सरल और अच्छे रहते हैं. दूसरों के बारे में इतना अधिक सोचते हैं की दुसरो के दर्द को स्वयं बर्दाश्त कर लेते है. अन्य के लिए अपने खुशियों को त्यागना पसंद करते हैं. गलत और सही के बीच में निर्णय लेने में हमेशा मानसिक रूप से त्रस्त रहते हैं. किन्तु सहानुभूति, बेफिक्र और उदार स्वभाव की वजह से लोगों में प्रिय रहते हैं।

.पं वेद प्रकाश तिवारी ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ 9919242815 निशुल्क परामर्श उपलब्ध

*“रामायण” क्या है?*

अगर कभी पढ़ो और समझो
तो आंसुओ पे काबू रखना…….

*रामायण में एक छोटा वृतांत है,*
उसी से शायद कुछ समझा सकूँ… 😊

*एक रात की बात हैं,*
माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी।
नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ?

मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं ।
माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया |

श्रुतकीर्ति जी आईं,
चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं!

माता कौशिल्या जी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बेटी ?
क्या नींद नहीं आ रही ?

शत्रुघ्न कहाँ है ?

श्रुतिकीर्ति की आँखें भर आईं,
माँ की छाती से चिपटी,
गोद में सिमट गईं, बोलीं-
माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए ।

उफ !
कौशल्या जी का ह्रदय काँप कर झटपटा गया ।

तुरंत आवाज लगाई, सेवक दौड़े आए ।
आधी रात ही पालकी तैयार हुई,
आज शत्रुघ्न जी की खोज होगी,
माँ चली ।

आपको मालूम है शत्रुघ्न जी कहाँ मिले ?

अयोध्या जी के जिस दरवाजे के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं,
उसी दरवाजे के भीतर एक पत्थर की शिला हैं, उसी शिला पर,
अपनी बाँह का तकिया बनाकर लेटे मिले !!

माँ सिराहने बैठ गईं,
बालों में हाथ फिराया तो
शत्रुघ्न जी नेआँखें खोलीं,

माँ !

उठे, चरणों में गिरे, माँ !
आपने क्यों कष्ट किया ?
मुझे बुलवा लिया होता ।

माँ ने कहा,
शत्रुघ्न ! यहाँ क्यों ?”

शत्रुघ्न जी की रुलाई फूट पड़ी,
बोले- माँ ! भैया राम जी पिताजी की आज्ञा
से वन चले गए,
भैया लक्ष्मण जी उनके पीछे चले गए,
भैया भरत जी भी नंदिग्राम में हैं,
क्या ये महल, ये रथ, ये राजसी वस्त्र,
विधाता ने मेरे ही लिए बनाए हैं ?

माता कौशल्या जी निरुत्तर रह गईं ।

देखो क्या है ये रामकथा…

यह भोग की नहीं….त्याग की कथा हैं..!!

यहाँ त्याग की ही प्रतियोगिता चल रही हैं और सभी प्रथम हैं, कोई पीछे नहीं रहा…
चारो भाइयों का प्रेम और त्याग एक दूसरे के प्रति अद्भुत-अभिनव और अलौकिक हैं ।

“रामायण” जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा देती हैं ।

भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी सीता माईया ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया..!!

परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी कैसे राम जी से दूर हो जाते!
माता सुमित्रा से तो उन्होंने आज्ञा ले ली थी, वन जाने की..

परन्तु जब पत्नी “उर्मिला” के कक्ष की ओर बढ़ रहे थे तो सोच रहे थे कि माँ ने तो आज्ञा दे दी,
परन्तु उर्मिला को कैसे समझाऊंगा.??

क्या बोलूँगा उनसे.?

यहीं सोच विचार करके लक्ष्मण जी जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे तो देखा कि उर्मिला जी आरती का थाल लेके खड़ी थीं और बोलीं-

“आप मेरी चिंता छोड़ प्रभु श्रीराम की सेवा में वन को जाओ…मैं आपको नहीं रोकूँगीं।
मेरे कारण आपकी सेवा में कोई बाधा न आये, इसलिये साथ जाने की जिद्द भी नहीं करूंगी।”

लक्ष्मण जी को कहने में संकोच हो रहा था.!!

परन्तु उनके कुछ कहने से पहले ही उर्मिला जी ने उन्हें संकोच से बाहर निकाल दिया..!!

वास्तव में यहीं पत्नी का धर्म है..पति संकोच में पड़े, उससे पहले ही पत्नी उसके मन की बात जानकर उसे संकोच से बाहर कर दे.!!

लक्ष्मण जी चले गये परन्तु 14 वर्ष तक उर्मिला ने एक तपस्विनी की भांति कठोर तप किया.!!

वन में “प्रभु श्री राम माता सीता” की सेवा में लक्ष्मण जी कभी सोये नहीं ,
परन्तु उर्मिला ने भी अपने महलों के द्वार कभी बंद नहीं किये और सारी रात जाग जागकर उस दीपक की लौ को बुझने नहीं दिया.!!

मेघनाथ से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को “शक्ति” लग जाती है और हनुमान जी उनके लिये संजीवनी का पर्वत लेके लौट रहे होते हैं,
तो बीच में जब हनुमान जी अयोध्या के ऊपर से गुजर रहे थे तो भरत जी उन्हें राक्षस समझकर बाण मारते हैं और हनुमान जी गिर जाते हैं.!!

तब हनुमान जी सारा वृत्तांत सुनाते हैं कि,
सीता जी को रावण हर ले गया,
लक्ष्मण जी युद्ध में मूर्छित हो गए हैं।

यह सुनते ही कौशल्या जी कहती हैं कि-
राम को कहना कि “लक्ष्मण” के बिना अयोध्या में पैर भी मत रखना।
राम वन में ही रहें.!

माता “सुमित्रा” कहती हैं कि राम से कहना कि कोई बात नहीं..अभी शत्रुघ्न है.!!
मैं उसे भेज दूंगी..
मेरे दोनों पुत्र “राम सेवा” के लिये ही तो
जन्मे हैं.!!

माताओं का प्रेम देखकर हनुमान जी की आँखों से अश्रुधारा बह रही थी।
परन्तु जब उन्होंने उर्मिला जी को देखा तो सोचने लगे कि, यह क्यों एकदम शांत और प्रसन्न खड़ी हैं?

क्या इन्हें अपनी पति के प्राणों की कोई चिंता नहीं?

हनुमान जी पूछते हैं- देवी!
आपकी प्रसन्नता का कारण क्या है?
आपके पति के प्राण संकट में हैं…
सूर्य उदित होते ही सूर्य कुल का दीपक
बुझ जायेगा।

उर्मिला जी का उत्तर सुनकर तीनों लोकों का कोई भी प्राणी उनकी वंदना किये बिना नहीं रह पाएगा.!!

उर्मिला बोलीं- “
मेरा दीपक संकट में नहीं है,
वो बुझ ही नहीं सकता.!!
रही सूर्योदय की बात तो आप चाहें तो
कुछ दिन अयोध्या में विश्राम कर लीजिये, क्योंकि आपके वहां पहुंचे बिना
सूर्य उदित हो ही नहीं सकता.!!
आपने कहा कि, प्रभु श्रीराम मेरे पति को अपनी गोद में लेकर बैठे हैं..!
जो “योगेश्वर प्रभु श्री राम” की गोदी में
लेटा हो, काल उसे छू भी नहीं सकता..!!
यह तो वो दोनों लीला कर रहे हैं..
मेरे पति जब से वन गये हैं, तबसे सोये नहीं हैं..
उन्होंने न सोने का प्रण लिया था..
इसलिए वे थोड़ी देर विश्राम कर रहे हैं..
और जब भगवान् की गोद मिल गयी तो थोड़ा विश्राम ज्यादा हो गया…
वे उठ जायेंगे..!!
और “शक्ति” मेरे पति को लगी ही नहीं,
शक्ति तो प्रभु श्री राम जी को लगी है.!!
मेरे पति की हर श्वास में राम हैं,
हर धड़कन में राम, उनके रोम रोम में राम हैं, उनके खून की बूंद बूंद में राम हैं,
और जब उनके शरीर और आत्मा में ही सिर्फ राम हैं, तो शक्ति राम जी को ही लगी,
दर्द राम जी को ही हो रहा.!!
इसलिये हे हनुमान जी !
आप निश्चिन्त होके जाएँ..
सूर्य उदित नहीं होगा।”

राम राज्य की नींव जनक जी की बेटियां ही थीं…
कभी “सीता” तो कभी “उर्मिला”..!!

भगवान् राम ने तो केवल राम राज्य का कलश स्थापित किया ..परन्तु वास्तव में राम राज्य इन सबके प्रेम, त्याग, समर्पण और बलिदान से ही आया .!!

जिस मनुष्य में प्रेम, त्याग, समर्पण की भावना हो उस मनुष्य में राम ही बसता है…
कभी समय मिले तो अपने वेद, पुराण, गीता, रामायण को पढ़ने और समझने का प्रयास कीजिएगा .,जीवन को एक अलग नज़रिए से देखने और जीने का शुभ अवसर मिलेगा .!!

“#लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो,
स्वामी तुम जैसा, मेरा रघुराइ हो..
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो,
चरण हो राघव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो..
हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो,
लव कुश के जैसी, संतान हमारी हो..
श्रद्धा हो श्रवण जैसी, सबरी सी भक्ति हो,
#हनुमत के जैसी निष्ठा और शक्ति हो… “
ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की।
*बच्चों को जरूर पढायें*
*!! जय जय श्रीसीताराम !!*
बहुत-बहुत नमस्कार

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻सोमवार, ११ अप्रैल २०२२🌻

 

सूर्योदय: 🌄 ०६:०४

सूर्यास्त: 🌅 ०६:३७

चन्द्रोदय: 🌝 १३:१९

चन्द्रास्त: 🌜२७:२६

अयन 🌕 उत्तरायने (उत्तरगोलीय

ऋतु: 🌿 बसंत

शक सम्वत: 👉 १९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०७९ (राक्षस)

मास 👉 चैत्र 

पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि 👉 दशमी (२८:३० तक)

नक्षत्र 👉 पुष्य (०६:५१ तक)

योग 👉 धृति (१२:१९ तक)

प्रथम करण 👉 तैतिल (१५:५७ तक)

द्वितीय करण 👉 गर (२८:३० तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 मीन 

चंद्र 🌟 कर्क 

मंगल 🌟 कुम्भ (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 मेष (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

गुरु 🌟 कुंम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)

शुक्र 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

शनि 🌟 मकर (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 वृष

केतु 🌟 वृश्चिक

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५३ से १२:४४

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०५:५५ से ०६:५१

रवियोग 👉 पूरे दिन

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१७

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:२९ से १८:५३

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:४१ से १९:४९

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५५ से २४:४०

राहुकाल 👉 ०७:३१ से ०९:०६

राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम

यमगण्ड 👉 १०:४२ से १२:१८

होमाहुति 👉 शुक्र (०६:५१ तक)

दिशाशूल 👉 पूर्व

अग्निवास 👉 आकाश 

चन्द्रवास 👉 उत्तर

शिववास 👉 सभा में (२८:३० से क्रीड़ा में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – अमृत २ – काल

३ – शुभ ४ – रोग

५ – उद्वेग ६ – चर

७ – लाभ ८ – अमृत

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – चर २ – रोग

३ – काल ४ – लाभ

५ – उद्वेग ६ – शुभ

७ – अमृत ८ – चर

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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उत्तर-पश्चिम (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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श्री धर्मराज दशमी, वाहन क्रय-विक्रय मुहूर्त दोपहर ०२:०३ से सायं ०६:४५ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज ०६:५१ तक जन्मे शिशुओ का नाम

पुष्य नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (डा) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम आश्लेषा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (डी, डू, डे, डो) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मीन – २८:४३ से ०६:०७

मेष – ०६:०७ से ०७:४०

वृषभ – ०७:४० से ०९:३५

मिथुन – ०९:३५ से ११:५०

कर्क – ११:५० से १४:१२

सिंह – १४:१२ से १६:३१

कन्या – १६:३१ से १८:४९

तुला – १८:४९ से २१:०९

वृश्चिक – २१:०९ से २३:२९

धनु – २३:२९ से २५:३२

मकर – २५:३२ से २७:१३

कुम्भ – २७:१३ से २८:३९

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०५:५५ से ०६:०७

शुभ मुहूर्त – ०६:०७ से ०६:५१

रज पञ्चक – ०६:५१ से ०७:४०

शुभ मुहूर्त – ०७:४० से ०९:३५

चोर पञ्चक – ०९:३५ से ११:५०

शुभ मुहूर्त – ११:५० से १४:१२

रोग पञ्चक – १४:१२ से १६:३१

शुभ मुहूर्त – १६:३१ से १८:४९

मृत्यु पञ्चक – १८:४९ से २१:०९

अग्नि पञ्चक – २१:०९ से २३:२९

शुभ मुहूर्त – २३:२९ से २५:३२

रज पञ्चक – २५:३२ से २७:१३

शुभ मुहूर्त – २७:१३ से २८:३०

चोर पञ्चक – २८:३० से २८:३९

शुभ मुहूर्त – २८:३९ से २९:५४

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज दिन के पूर्वार्ध में अशुभ समाचार मिलने से बेचैन रह सकते है। मध्यान तक आपसी व्यवहार में विशेष सावधानी रखें किसी से मामूली बात का बतंगड़ बन सकता है हास परिहास भी मर्यादा में रहकर ही करें आपकी बाते किसी को चुभने से माहौल गरम होने की सम्भावना है। मध्यान के बाद का समय परिस्थितियों में धीरे-धीरे सुधार लाएगा। धार्मिक भावनाएं आज बलवती रहेंगी। धर्म के कामो में समय एवं धन व्यय करेंगे। आर्थिक रूप से आज का दिन आपके बौद्धिक एवं शारीरिक परिश्रम पर ज्यादा निर्भर करेगा। आज परिजनों की समस्या का समाधान अवश्य करें।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन का आरंभिक भाग धन लाभ करेगा किसी अधूरे कार्य के पूर्ण होने से धनागम सुनिश्चित होगा परन्तु इसमे विलम्ब हो सकता है। आज आपके सामाजिक व्यवहारों में वृद्धि होगी प्रथम दृष्टया यह झंझट ही लगेगा परन्तु बाद में लाभ दायक सिद्ध होगा। व्यावसायिक अथवा किसी अन्य कार्य को लेकर उच्च प्रतिष्ठित लोगो के साथ भेंट होगी इसका परिणाम आपके पक्ष में परन्तु विलम्ब से आएगा। मध्यान के बाद परिस्थिति प्रतिकूल बनने लगेंगी सेहत के साथ साथ कार्य क्षेत्र पर भी अधिक ध्यान देना पड़ेगा। परिजनों से किसी विषय को लेकर मतभेद होंगे।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आपको आज का दिन मिला-जुला फल देगा दिन के आरंभ में आलस्य एवं किसी बात को लेकर चिड़चिड़े रहेंगे लेकिन अतिआवश्यक एवं धन संबंधित कार्य मध्यान से पहले पूर्ण करने का प्रयाद करें इसके बाद प्रत्येक कार्य मे उलझने बढ़ने से अधूरे रह सकते है। कार्य क्षेत्र पर किसी से विवाद होगा सहकर्मियों से भी मनमुटाव के कारण कार्य मे विलम्ब होगा। घरेलू वातावरण भी आज अस्त-व्यस्त ही रहेगा। आपकी बात आज कोई भी जल्दी से नही सुनेगा जिससे क्रोध में भरे रहेंगे। सेहत भी कुछ खास ठीक नही रहेगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज का दिन आपकी सुख शांति में वृद्धि करेगा परन्तु किसी के उकसावे में आकर कुछ समय के लिए विवेक पर नियंत्रण खो सकते है भ्रामक बातो में ना आये सुख शांति के लिए आज आवश्यक है। व्यापार व्यवसाय में आकस्मिक लाभ के सौदे मिलने से भविष्य की योजनाएं गति लेंगी। नौकरी पेशा जातको को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा जिससे सम्मान की प्राप्ति भी होगी। परिवारक दायित्वों की पूर्ति करने में थोड़े असहज रह सकते है लेकिन ले देकर इससे भी पर पा लेंगे। स्वास्थ्य आज सामान्य बना रहेगा।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन आपकी महात्त्वकांक्षाये बढ़ चढ़ कर रहेंगी दिखावे की प्रवृति रहने के कारण अन्य लोगो को अपने आगे तुच्छ मानेंगे जिससे स्नेहीजन आपसे दूरी बना कर रहेंगे। कार्य व्यवसाय में मनमानी एवं जल्दबाजी करने से हानि हो सकती है। आर्थिक रूप से दिन उठापटक वाला रहेगा। अचानक लाभ होता दिखाई देगा अगले पल निराशा मिलेगी लेकिन फिर भी मध्यान के बाद कही से अकस्मात लाभ होने की संभावना है। पारिवारिक सदस्य आज आपके स्वभाव से परेशान होने की जगह मजाक में लेंगे। सेहत थोड़ी गड़बड़ रहेगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज आप प्रातः काल से ही पूर्व नियोजित कार्य से लाभ की आशा लगा कर रखेंगे परन्तु इसके मध्यान तक पूर्ण ना होने से थोड़े अधीर रहेंगे। क्रोध में आकर आज कोई अनैतिक कार्य भी कर सकते है बाद में इसकी ग्लानि मन को दुखी करेगी। व्यवसायी वर्ग व्यवसाय सामान्य चलने से निश्चिन्त रहेंगे परन्तु धन लाभ में कोई ना कोई अड़चन अवश्य आएगी। नौकरी पेशा जातक स्वयं को बेहतर दिखाने के चक्कर मे कोई बड़ी गलती कर सकते है जिसका दुष्परिणाम शीघ्र देखने को मिलेगा। गृहस्थ जीवन मे आज धैर्य की कमी रहेगी फिर भी वातावरण काम निकालने लायक रहेगा।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन मध्यान से पहले आपको कोई लाभदायक समाचार मिलेगा धन कोष में भी आकस्मिक वृद्धि होगी। कार्य व्यवसाय से दिन के पहले भाग में अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक लाभ कमा लेंगे इसके बाद का समय उदासीन रहेगा। सरकारी कार्य आज करने से सफलता की संभावनाएं अधिक रहेंगी। परन्तु आज किसी से भी किसी भी प्रकार के उधारी व्यवहार ना करें बाद में पछतावा होगा। धर्म कर्म में रुचि लेंगे पौराणिक धार्मिक स्थल की यात्रा होगी। आज कोई मनोकामना घरेलू कारणों से पूर्ण नही होने पर दुख होगा। दाम्पत्य जीवन का सुख सामान्य रहेगा।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज दिन का पहला भाग शांति से बिताएंगे लेकिन इस अवधि में लाभ की आशा आलस्य-प्रमाद की भेंट चढ़ेगी। इसके बाद का समय कष्टकारी रहने वाला है। आज आपके स्वभाव में थोड़ी उद्दंडता रहेगी एवं आपको भी अन्य लोगो ऐसे ही व्यवहार का सामना करना पड़ेगा जिससे दिनचार्य खराब होगी। कार्य स्थल पर कोई भी काम मन के अनुसार नही होगा। नौकरी वाले जातक अधिकारी एवं सहकर्मियों के स्वभाव में अचानक परिवर्तन आने से परेशान होंगे। किसी से काम निकालना आज अत्यंत मुश्किल रहेगा। धन लाभ के लिये तरस सकते है।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज दिन के आरंभ में सेहत संबंधित समस्या रहेगी काम करने में उत्साह नही रहेगा घर के सदस्यों से किसी कारण ताने सुनने पड़ेंगे। लेकिन मध्यान के बाद स्थिति में सुधार आएगा विरोध करने वालो को अपनी गलती का अहसास होगा। परन्तु कार्य क्षेत्र पर आज अनमने मन से ही कार्य करेंगे। धन लाभ अल्प मात्रा में एवं आवश्यकता के समय नही होगा जिससे कार्य बाधित हो सकते है। संध्या के आस-पास अपने बुद्धि विवेक से कुछ रुके काम बना लेंगे जिससे निकट भविष्य में आय की संभावना बनेगी। अधिकारी एव परिजनों से आज सतर्क रहें।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन आप किसी सरकारी उलझन में पड़ सकते है। दो पक्षो के झगड़े में आपका ना बेवजह आने से व्यर्थ की भाग-दौड़ करनी पड़ सकती है। लेकिन मध्यान के बाद गलतफहमी दूर होने से राहत की सांस लेंगे। फिर भी मध्यान तक ज्यादा सावधानी रखें। स्वभाव से चंचल रहेंगे किसी की भी बातो को बिना तथ्य जाने सच मान लेंगे जिससे बाद में परेशानी होगी। बुरानी बीमारियों में आज थोड़ा सुधार आएगा फिर भी लापरवाही से बचें। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन सामान्य रहेगा। आय-व्यय लगभग समान ही रहेंगे।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन आप अधिक परिश्रम के कारण शारीरिक शिथिलता अनुभव करेंगे लेकिन परिश्रम का सकारात्मक फल मिलने से उत्साहित भी रहेंगे। कार्य व्यवसाय में आज थोड़े व्यवधान रहेंगे फिर भी आवश्यकता अनुसार धन की आमद हो ही जाएगी। आज किसी पारिवारिक सदस्य के विपरीत व्यवहार पर क्रोध आएगा जिससे कुछ समय के लिए वातावरण अशांत रहेगा। उधार दिए धन की वसूली की लिए समय उपयुक्त है परंतु आर्थिक व्यवहारों में आज गरमा गर्मी से बचे उधार आज किसी से ना लें।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज दिन के पूर्वार्ध में आप कार्यो को लेकर आलस्य दिखाएंगे परन्तु इसके बाद का समय पूरी निष्ठा एवं तैयारी के साथ अधूरे कार्य पूर्ण करने में लग जाएंगे सहकर्मियों का सहयोग अपेक्षा से कम ही रहेगा फिर भी धन लाभ में ज्यादा व्यवधान नही आएंगे। व्यवसायी वर्ग नगद व्यवहार को अधिक महत्त्व देंगे जिससे आर्थिक आयोजनों में स्पष्टता रहने के साथ ही ज्यादा मगजमारी नही करनी पड़ेगी। परिवार मे किसी बाहरी व्यक्ति के दखल देने से आपसी विश्वास की कमी रह सकती है। सुखोपभोग की वस्तु खरीदने की योजना बनेगी।

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ 🙏राधे राधे🙏