*प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्* *भावार्थ : सूर्य का वह प्रशस्त रुप जिसका मण्डल ऋग्वेद, कलेवर यजुर्वेद
Read more![](https://www.breakinguttarakhand.com/wp-content/uploads/2024/03/IMG-20240303-WA0033-736x450.jpg)
*प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्* *भावार्थ : सूर्य का वह प्रशस्त रुप जिसका मण्डल ऋग्वेद, कलेवर यजुर्वेद
Read more*महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषमणम् विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रंसदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्*।।(शिवस्तव स्तोत्र)🌷 हे महेश्वर, सुरेश्वर, देवों (के भी) दु:खों का नाश करने वाले विभुं विश्वनाथ (आप) विभुति
Read more*श्री हरिहरौ* *विजयतेतराम* *आज का पञ्चाङ्ग* *_रविवार, ०३ सितम्बर २०२३_* सूर्योदय: 🌄 ०६:११ सूर्यास्त: 🌅 ०६:४२ चन्द्रोदय: 🌝 २०:५१ चन्द्रास्त:
Read moreविद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन्। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते॥२८॥ भावार्थ: राजत्व प्राप्ति और विद्वत्व प्राप्ति की किंचित मात्र भी तुलना नहीं
Read more*”गलत” लोग आपकी “अच्छाई” से भी घृणा करते हैं* *और* *”सही” लोग आपमें* *”बुराई” जानकर भी* *आपसे “प्यार” करते हैं।* *यही “सम्बन्ध” की परिभाषा” है
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