आज का पंचाग आपका राशि फल, जानें गुरु मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?, चौबीस देवों के गायत्री मंत्र, जाने छिन्नमस्ता मंदिर कहां है और वहां की सिद्धियां क्या हैं

‌‌  अयोध्या में रामलला का सूर्य तिलक🚩🚩

हमारा सौभाग्य कि हम सब ये देख पा रहे हैँ,,,अद्भुत अलौकिक जय सियाराम🚩🚩

*༺𝕝𝕝 卐 𝕝𝕝༻​​* *श्री हरिहरौ* *विजयतेतराम*

 *सुप्रभातम**आज का पञ्चाङ्ग*

   *_रविवार, २१ अप्रैल २०२४_*

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सूर्योदय: 🌄 ०५:५३, सूर्यास्त: 🌅 ०६:४६

चन्द्रोदय: 🌝 १६:३९, चन्द्रास्त: 🌜२८:४९

अयन 🌘 उत्तरायण, (उत्तरगोलीय)

ऋतु: 🍁 ग्रीष्म शक सम्वत:👉१९४६ (क्रॊधी)

विक्रम सम्वत:👉२०८१ (काल)

मास 👉 चैत्र, पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि 👉 त्रयोदशी (२५:११ से चतुर्दशी)

नक्षत्र 👉 उत्तराफाल्गुनी (१७:०८ से हस्त)

योग 👉 व्याघात (२७:४५ से हर्षण)

प्रथम करण👉कौलव(११:५७तक

द्वितीय करण 👉 तैतिल(२५:११ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

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सूर्य 🌟 मेष,   चंद्र 🌟 कन्या

मंगल🌟कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)

बुध🌟मीन (उदित, पूर्व, वक्री)

गुरु🌟मेष (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शुक्र🌟मीन(उदित,पश्चिम,मार्गी)

शनि 🌟 कुम्भ

 (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 मीन 

केतु 🌟 कन्या 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५४ से १२:४६

अमृत काल 👉 ०९:०१ से १०:४९

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 पूरे दिन

अमृतसिद्धि योग 👉 १७:०८ से २९:४८

रवियोग 👉 १७:०८ से २९:४८

विजय मुहूर्त 👉 १४:३० से १५:२२

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:४९ से १९:११

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:५१ से १९:५६

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५८ से २४:४१

राहुकाल 👉 १७:१३ से १८:५१

राहुवास 👉 उत्तर

यमगण्ड 👉 १२:२० से १३:५८

होमाहुति 👉 शनि (१७:०८ से चन्द्र)

दिशाशूल 👉 पश्चिम

नक्षत्र शूल 👉 उत्तर (१७:०८ तक)

अग्निवास 👉 पृथ्वी

चन्द्रवास 👉 दक्षिण

शिववास 👉 नन्दी पर (२५:११ से भोजन में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – उद्वेग २ – चर

३ – लाभ ४ – अमृत

५ – काल ६ – शुभ

७ – रोग ८ – उद्वेग

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – शुभ २ – अमृत

३ – चर ४ – रोग

५ – काल ६ – लाभ

७ – उद्वेग ८ – शुभ

नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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दक्षिण-पूर्व (पान का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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प्रदोष व्रत, अंनग त्रयोदशी, श्री महावीर जन्मोत्सव (जैन), विवाहादि मुहूर्त कन्या- मीन लग्न (सांय ०४:०३ से अंतरात्रि ०५:४०) तक, व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०७:३५ से दोपहर १२:३६ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज १७:०८ तक जन्मे शिशुओ का नाम उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (टो, प, पी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम हस्त नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय चरण अनुसार क्रमशः (पू, ष) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मेष – २९:३१ से ०७:०६

वृषभ – ०७:०६ से ०९:०२

मिथुन – ०९:०२ से ११:१६

कर्क – ११:१६ से १३:३७

सिंह – १३:३७ से १५:५४

कन्या – १५:५४ से १८:१०

तुला – १८:१० से २०:३०

वृश्चिक – २०:३० से २२:४८

धनु – २२:४८ से २४:५२+

मकर – २४:५२+ से २६:३५+

कुम्भ – २६:३५+ से २८:०२+

मीन – २८:०२+ से २९:२७+

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०५:४९ से ०७:०६

मृत्यु पञ्चक – ०७:०६ से ०९:०२

अग्नि पञ्चक – ०९:०२ से ११:१६

शुभ मुहूर्त – ११:१६ से १३:३७

रज पञ्चक – १३:३७ से १५:५४

शुभ मुहूर्त – १५:५४ से १७:०८

चोर पञ्चक – १७:०८ से १८:१०

शुभ मुहूर्त – १८:१० से २०:३०

रोग पञ्चक – २०:३० से २२:४८

शुभ मुहूर्त – २२:४८ से २४:५२+

मृत्यु पञ्चक – २४:५२+ से २५:११+

अग्नि पञ्चक – २५:११+ से २६:३५+

शुभ मुहूर्त – २६:३५+ से २८:०२+

रज पञ्चक – २८:०२+ से २९:२७+

अग्नि पञ्चक – २९:२७+ से २९:४८+

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आज का राशिफल

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज के दिन आप नासमझी में किसी मुसीबत में फंस सकते है। दिन का आरंभिक भाग तो वैसे शांति पूर्वक ही बीतेगा लेकिन मध्यान भाग ने किसी से पुराने विवाद को लेकर कहासुनी बढ़ने पर हाथापाई अथवा कोर्ट कचहरी की अनुबत आने की संभावना है आपके अंदर विवेक भरपूर मात्रा में रहेगा लेकिन सामने वाले की उद्दण्डता के कारण अपना आपा खो देंगे आज के दिन धैर्य धारण करें अन्यथा बेवजह की मुसीबत आने वाले दिनों में भी परेशान करेगी। कार्य क्षेत्र पर आज प्रतिस्पर्धा अधिक रहेगी चाह कर भी अपनी योजनाओं को सिरे नही चढ़ा सकेंगे। धन की आमद से आज खर्चो की पूर्ति नही कर पाएंगे। परिवार कुटुम्ब में सुख शांति रहेगी लेकिन किसी गलतफहमी के कारण प्रतिष्ठा कम हो सकती है। पेट संबंधित व्याधि एवं कमजोरी परेशान करेंगी।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन भागदौड़ भरा रहेगा। दिन के आरंभ में घर मे किसी शुभ आयोजन के चलते कोई अन्य आवश्यक कार्य रद्द अथवा आगे सरकाना पड़ेगा। मध्यान के समय कार्य क्षेत्र पर काम कम होने पर भी किसी न किसी कारण से व्यस्तता रहेगी। आर्थिक रूप से संध्या का समय ठीक ठाक रहेगा। धन की आमद सहजता से हो जाएगी फिर भी मन अधिक पाने की लालसा में संतुष्ट नही होगा। आज दैनिक खर्च के अतिरिक्त खर्च आने से असहजता होगी। विदेश जाने के इच्छुक लोगों को सरकारी प्रक्रिया बढ़ने से निराश होना पड़ सकता है फिर भी थोड़े अधिक प्रयास से सफलता मिल जायेगी। आज घरेलू वातावरण आध्यात्मिक रहने से सकारत्मक ऊर्जा का संचार होगा फिर भी भाई बंधुओ में ईर्ष्या युक्त संबंध बने रहेंगे। माता अथवा ननिहाल पक्ष का सुख कम रहेगा इनसे संबंधित कोई अप्रिय समाचार मिल सकता है। रक्तचाप अथवा कमजोरी से घर का कोई न कोई सदस्य पीड़ित रहेगा।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन आपका आचरण अन्य लोगो को पसंद नही आएगा। स्वभाव से धार्मिक होते हुए भी वाणी में मिठास की कमी रहेगी। मन मे भी किसी न किसी के प्रति रागद्वेष की भावना रहने से आज जल्दी से किसी से पटेगी नही फिर भी अपने मे।ही मस्त रह लेंगे। कार्य क्षेत्र पर उछाल रहने पर भी आशानुकूल लाभ नही कमा सकेंगे फिर भी दैनिक खर्च निकालने में परेशानी नही आएगी। नौकरी पेशाओ को कार्य क्षेत्र पर भार बढ़ने से असहजता होगी धीमी गति से कार्य करने पर किसी की डांट सुनने को मिलेगी। मध्यान बाद तेजी से कार्य करने में हानि हो सकती है लेकिन आज आप अपनी गलती पर भी बड़ी सफाई से लीपा पोती कर बच निकलने में।सफल रहेंगे। संध्या के समय धार्मिक क्षेत्र की यात्रा के प्रसंग बनेंगे। घरेलू वातावरण थोड़ा उथल पुथल रहेगा सब अपने कार्यो में व्यस्त रहेंगे सहायता की उम्मीद ना रखें। अकस्मात बीमारियों का प्रकोप परेशान कर सकता है।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन आपके स्वभाव में परिवर्तन देखने को मिलेगा लेकिन इसके पीछे भी कुछ ना कुछ स्वार्थ अवश्य छुपा रहेगा। दिन के आरंभिक भाग में विवेकपूर्ण आचरण कर घरवालो को आश्चर्य में डालेंगे लेकिन मन का भेद अधिक देर तक ना छुप पाने पर शीघ्र ही पोल खुल जाएगी आज आपके अंदर स्वार्थ सिद्धि की भावना होने पर भी किसी का अहित नही होने देंगे। कार्य क्षेत्र पर आज अनुकूल परिस्थितियां मिलने का जमकर लाभ उठाएंगे लेकिन जितना भी कमाएंगे उसका अधिकांश भाग तुरंत कही न कही लग जायेगा। दोपहर के बाद कार्य क्षेत्र पर व्यस्तता होने के बाद भी आपका ध्यान वर्जित कर्मो के प्रति भटकेगा संध्या बाद टालने पर भी कोई समाज विरुद्ध कार्य करने की संभावना है बाद में भाग्य और स्वयं को दोष देना पड़े इसलिये इससे बचे अन्यथा घर का सुखी वातावरण खराब भी हो सकता है। नेत्र ज्योति अथवा हड्डी में चोट और सरदर्द से तकलीफ हो सकती है।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

बीते दिन की अपेक्षा आज आपके स्वभाव में गंभीरता आएगी लेकिन पहले की लापरवाही आज कुछ ना कुछ अभाव अवश्य बनायेगीं। दिन की शुरुआत में जो भी योजना बनाएंगे उसे पूर्ण करने में धन अथवा अन्य किसी कारण से बाधा आएगी। कार्य क्षेत्र पर व्यवसाय उत्तम रहेगा परिश्रम करने पर धन की आमद संतोषजनक हो जाएगी फिर भी आज आपके मन मे कोई न कोई तिकडम लगी रहेगी कम समय मे ज्यादा लाभ पाने की योजना बनाएंगे। आज सट्टे लाटरी से अकस्मात लाभ हो सकता है। अपना हित साधने के लिये अन्य लोगो की अनदेखी करने में संकोच नही करेंगे स्वार्थी स्वभाव के चलते भाई बंधु के सुख में कमी रहेगी। माता से उत्तम सुख एवं लाभ मिलने की संभावना है। घर मे पूजा पाठ का आयोजन होगा धार्मिक और व्यावसायिक यात्रा के योग बन रहे है इससे ज्यादा लाभ की आशा न रखें। अकस्मात जलने चोट लगने का भय है महिलाए आज सेहत का विशेष खयाल रखें।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज का दिन बीते दिनों की तुलना में शुभ फलदायक रहेगा। लेकिन आज आप मन ही मन जले भुने से रहेंगे। किसी कामना की पूर्ति ना होने पर भाग्य के साथ परिजन को भी दोष देंगे। मध्यान तक अंतर्द्वंद लगा रहेगा परिजनों के ऊपर अनैतिक दबाव बनाने के चक्कर मे घर की सुख शांति बिगड़ेगी। कार्य क्षेत्र पर आज अनुकूल व्यवरण मिलेगा लेकिन आपका टालमटोल का रवइया होने वाले लाभ में कमी लाएगा। आज घरेलू समस्या को घ में एवं व्यावसायिक उलझनों को कार्य क्षेत्र तक ही सीमित रखें अन्यथा दोनो ही जगह से निराश होना पड़ेगा। धन की आमद आज अवश्य होगी जल्दबाजी ना करे ना ही आज किसी से आवेश में आकर कोई वादा करें बाद में अवश्य ही वादाखिलाफी का आरोप लगेगा। घर का वातावरण शांत ही रहेगा आपमे धैर्य की कमी रहेगी इसलिये परिजनों की चोटी मोटी बातो को अनदेखा करें। टांगो में चोट अथवा कोई अन्य गंभीर शारीरिक समस्या का भय रहेगा।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन आपकी आशाओं के विपरीत रहने वाला है दिन के आरंभिक भाग को छोड़ शेष भाग में कोई ना कोई परेशानी लगी रहेगी। आपका स्वभाव भी आज धार्मिक होते हुए भी अत्यंत स्वार्थी रहेगा जहां से कोई लाभ की उम्मीद रहेगी वहां अत्यंत मीठा व्यवहार करेंगे इसके विपरीत अन्य लोगो से बात करना भी पसंद नही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी आपका रूखा व्यवहार के कारण लाभ होते होते हाथ से निकल सकता है। धन लाभ के लिये इंतजार करना पड़ेगा विवशता में किसी विरोधी से भी सहयोग लेने की नौबत आ सकती है। घरेलू वातावरण मध्यान तक घर मे धार्मिक कार्य होने से शांत रहेगा लेकिन परिजनों के मध्य आज सहयोग और आपसी भावनाओ की कमी रहेगी परिजनों को शकि की दृष्टि से देखने पर आज धैर्य खो देने पर कलह हो सकती है। आर्थिक निवेश आज भूल कर भी ना करें। मूत्राशय अथवा गर्भाशय एवं हृदय संबंधित विकार उत्पन्न हो सकते है।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन आपको घरेलू और सार्वजिनक कार्यो के लिये अपनी दिनचार्य एवं आवश्यक कार्यो में बदलाव करना पड़ेगा। दिन के आरंभ से मध्यान तक का समय शुभ कार्यो में सम्मिलित होने से आत्मबल मिलेगा लेकिन मन मे कोई न कोई उठापटक लगी ही रहेगी। सामाजिक क्षेत्र से आज भी धन और प्रतिष्ठा तो मिलेगी ही साथ ही बड़बोलेपन के चलते कोई नई समस्या भी बना लेंगे। स्वभाव में भावुकता कम रहेगी लेकिन अपने कार्य निकालने के लिये छोटा बनने में संकोच नही करेंगे। नए कार्य की तुलना में पैतृक कार्य से धन की आमद अधिक होगी। कार्य क्षेत्र एवं घर की व्यवस्था सुधारने पर खर्च भी करेंगे। नौकरी पेशा अपनी योग्यता के बल पर सम्मानित होंगे साथ ही नया कार्य भर भी बढ़ेगा। घर का वातावरण आज सुख की अनुभूति कराएगा। नेत्र रोग अत्यधिक थकान एवं कमर से नीचे के भाग संबंधित समस्या रहेगीं। 

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन आपके लिये कार्य सफलता वाला रहेगा पिछले कुछ दिनों से किसी विशेष कार्य में सफल होने की संभावना अधिक है साथ ही आज सार्वजिक एवं सरकारी क्षेत्र के उच्च प्रतिष्ठित लोगो से निकटता बढ़ने का लाभ भी निकट भविष्य में शीघ्र ही देखने को मिलेगा। दिन के आरंभ से मध्यान तक कि दिनचार्य अव्यवस्थित रहेगी घरेलू कार्यो की अधिकता के चलते अन्य कार्यो में फेरबदल करना पड़ेगा। दोपहर बाद किसी परिचित से शुभ समाचार मिलने से उत्साह वृद्धि होगी। कार्य क्षेत्र पर आज किसी परिजन की व्यवहारिकता लाभ दिलाएगी। धन की आमद सोच से अधिक होगी लेकिन आज के दैनिक खर्च भी अधिक रहने से बचत नही कर पाएंगे। व्यावसायिक अथवा पर्यटन यात्रा की योजना बनेगी इसके अन्त समय मे टालने की संभावना भी रहेगी। दाम्पत्य जीवन मे कुछ समय के लिये कटुता का अनुभव होगा फिर भी तालमेल बिठा ही लेंगे। अत्यधिक थकान और लापरवाही के कारण चोटादि एवं फेफड़े में संक्रमण का भय है।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन आपका चित धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत रहेगा। दिन का आरंभ अत्यंत सात्विक और सादगीपूर्ण रहेगा। घरेलू पूजा पाठ के साथ मित्र परिचितों के साथ धार्मिक क्षेत्र देवदर्शन के योग बनेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज अत्यधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा फिर भी अपने विवेक से आवश्यकता अनुसार लाभ अर्जित कर ही लेंगे धन के आने के साथ जाने के रास्ते भी स्वतः ही खुले रहने के कारण पैसे जोड़ने में मुश्किल होगी। आर्थिक अथवा सम्पति के कारणो से घर के ही किसी सदस्य से तीखी झड़प होने की संभावना है आप एकबार धैर्य विवेक से काम लेंगे लेकिन सामने वाला जबरदस्ती हावी होने पर अपना धैर्य भी खो सकते है समझदारी से काम ले अन्यथा उलझन सुलझने की जगह अधिक बढ़ सकती है। संध्या का समय अत्यंत थकान से भरा रहने के कारण कार्यो में उत्साह खत्म होगा। सर्दी जुखाम की शिकायत हो सकती है।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से आज का दिन प्रतिकूल रहेगा दिन के आरम्भ से ही शारीरिक शिथिलता मांसपेशियों में अकड़न रहने से दैनिक कार्यो को भी जबरदस्ती करना पड़ेगा साथ ही आज विशेष कर महिलाओ को घर मे किसी मांगलिक आयोजन के कारण अतिरिक्त भागदौड़ करनी पड़ेगी जिससे मध्यान बाद शारीरिक सामर्थ्य एकदम से घटेगा। कार्य क्षेत्र पर भी अनमने मन से काम करेंगे अधिकांश कार्य मे सहकर्मी अधीनस्थ के ऊपर निर्बहर रहना पड़ेगा जिसके फलस्वरूप गड़बड़ी होने की संभावना अधिक रहेगी और जितना मिले उसी से संतोष करना पड़ेगा। आज आप विरोधियो से हर क्षेत्र में आगे ही रहेंगे फिर भी आपकी कार्य आरंभ होते ही किसी न किसी उलझन में अवश्य पड़ेंगे। संतान अथवा किसी अन्य परिजन के कारण यात्रा हो सकती है संभव हो तो इसे टाले। वाहन से दुर्घटना अथवा अग्नि धारदार औजार से शारीरिक क्षति हो सकती है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन आपको मिला जुला फल देगा। दिन के आरंभिक भाग में किसी परिजन से आपके गलत आचरण को लेकर बहस होगी लेकिन बात गंभीर होने से पहले ही सुधार कर लेंगे। कार्य क्षेत्र अथवा किसी अन्य जगह से अकस्मात लाभ या शुभ समाचार मिलने से उत्साहित होंगे लेकिन उत्साह ज्यादा देर नही टिकेगा लापरवाही अथवा भाग्य का साथ कम मिलने से बने बनाये कार्य बिगड़ने की संभावना है फिर भी आज धन की आमद थोड़ी थोड़ी मात्रा में कई बार होने से राहत मिलेगी लेकिन यह भी कुछ समय के लिये ही सुख दे पाएगी आज खर्च अन्य दिनों की तुलना में अधिक होने पर धन संचय नही कर पाएंगे ऊपर से उधारी वालो के कारण मन अस्थिर रहेगा। पैतृक एवं कुटुम्ब के कार्य आज झंझट जैसे लगेंगे फिर भी व्यवहारिकता के लिये मन मारकर करने ही पड़ेंगे। दाम्पत्य जीवन मे भी आज चंचलता अधिक रहेगी। सेहत ठीक रहने पर भी मन मे कोई ना कोई भय बना रहेगा। यात्रा से खर्च करने पर भी कुछ आशा ना रखें।

*⋖⋗⋖⋗⋖⋗⋖⋗⋖⋗⋖⋗⋖⋗⋖⋗⋖⋗⋖⋗⋖⋗⋖⋗*जानें गुरु मंत्र को गुप्त क्यों रखा जाता है?

मंत्र दीक्षा का अर्थ है कि जब तुम समर्पण करते हो तो गुरु तुममें प्रवेश कर जाता है, वह तुम्हारे शरीर, मन, आत्मा में प्रविष्ट हो जाता है। गुरु तुम्हारे अंतस में जाकर तुम्हारे अनुकूल ध्वनि की खोज करेगा। वह तुम्हारा मंत्र होगा। और जब तुम उसका उच्चारण करोगे तो तुम एक भिन्न आयाम में एक भिन्न व्यक्ति होओगे।

जब तक समर्पण नहीं होता, मंत्र नहीं दिया जा सकता है। मंत्र देने का अर्थ है कि गुरु ने तुममें प्रवेश किया है, गुरु ने तुम्हारी गहरी लयबद्धता को, तुम्हारे प्राणों के संगीत को अनुभव किया है। और फिर वह तुम्हें प्रतीक रूप में एक मंत्र देता है जो तुम्हारे अंतस के संगीत से मेल खाता हो। और जब तुम उस मंत्र का उच्चार करते हो तो तुम आंतरिक संगीत के जगत में प्रवेश कर जाते हो, तब आंतरिक लयबद्धता उपलब्ध होती है।

मंत्र तो केवल चाबी है। और चाबी तब तक नहीं दी जा सकती जब तक ताले को न जान लिया जाए। मैं तुम्हें तभी चाबी दे सकता हूं जब तुम्हारे ताले को समझ लूं। चाबी तभी सार्थक है जब वह ताले को खोले। किसी भी चाबी से काम नहीं चलेगा। प्रत्येक आदमी विशेष ढंग का ताला है, उसके लिए विशेष ढंग की चाबी जरूरी है।

यही कारण है कि मंत्रों को गुप्त रखा जाता है। अगर तुम अपना मंत्र किसी और को बताते हो तो वह उसका प्रयोग कर सकता है । यही कारण है कि लोगों को अपने अपने मंत्र गुप्त रखने चाहिए, उन्हें सार्वजनिक बनाना ठीक नहीं है। वह खतरनाक है। तुम दीक्षित हुए हो तो तुम जानते हो, तुम उसका मूल्य जानते हो, तुम उसे बांटते नहीं फिर सकते। यह दूसरों के लिए हानिकर हो सकता है। यह तुम्हारे लिए भी हानिकर हो सकता है। इसके कई कारण हैं।

पहली बात कि तुम वचन तोड़ रहे हो। और जैसे ही वचन टूटता है, गुरु के साथ तुम्हारा संपर्क टूट जाता है। फिर तुम गुरु के संपर्क में नहीं रहोगे। वचन पालन करने से ही सतत संपर्क कायम रहता है। दूसरी बात, दूसरे को बताने से, दूसरे के साथ उसके संबंध में बातचीत करने से मंत्र मन की सतह पर चला आता है और उसकी गहरी जड़ें टूट जाती हैं। तब मंत्र गपशप का हिस्सा बन जाता है। और तीसरा कारण है कि गुप्त रखने से मंत्र गहराता है। जितना गुप्त रखोगे वह उतना ही गहरे जाएगा; उसे गहरे में जाना ही होगा।

मारपा के संबंध में खबर है कि जब उसके गुरु ने उसे गुह्य मंत्र दिया तो उससे वचन ले लिया कि वह उसे बिलकुल गुप्त रखेगा। उसे कहा गया कि तुम इसे किसी को भी नहीं बताओगे। फिर मारपा का गुरु उसके स्वप्न में प्रकट हुआ और उसने पूछा कि तुम्हारा मंत्र क्या है ?

और स्‍वप्‍न में भी मारपा ने वचन का पालन किया; उसने बताने से इनकार कर दिया। और कहा जाता है कि इस भय से कि कहीं स्वप्न में गुरु फिर प्रकट हों या किसी को भेजें और वह इतनी नींद में हो कि गुप्त मंत्र को प्रकट कर दे और वचन टूट जाए, मारपा ने बिलकुल सोना ही छोड़ दिया। वह सोता ही नहीं था।

ऐसे सोए बिना मारपा को सात आठ दिन हो गए थे। फिर जब उसके गुरु ने पूछा कि तुम सोते क्यों नहीं हो? मैं देखता हूं कि तुमने सोना छोड़ दिया है। बात क्या है? मारपा ने गुरु से कहा : आप मेरे साथ चालबाजी कर रहे हैं। आपने स्वप्न में आकर मुझसे मेरा मंत्र पूछा था। मैं आपको भी नहीं बताने वाला हूं। जब वचन दे दिया तो मैं उसका स्‍वप्‍न में भी पालन करूंगा। लेकिन फिर मैं डर गया। नींद में, कौन जाने, किसी दिन मैं भूल जा सकता हूं

अगर तुम अपने वचन के प्रति इतने सावधान हो कि स्‍वप्‍न में भी उसका स्मरण रहता है तो उसका अर्थ है कि वह गहराई में उतर रहा है। वह अंतस में उतर रहा है; वह अंतरस्थ प्रदेश में प्रवेश कर रहा है। और वह जितनी गहराई को छुएगा, वह उतना ही तुम्हारे लिए चाबी बनता जाएगा। क्योंकि ताला तो अंतर्तम में है।

किसी चीज के साथ भी प्रयोग करो। यदि तुम उसे गुप्त रख सके तो वह गहराई प्राप्त करेगा। और अगर तुम उसे गुप्त न रख सके तो वह बाहर निकल आएगा। तुम क्यों कोई बात दूसरे से कहना चाहते हो? तुम क्यों बातें करते रहते हो ?

सच तो यह है कि जिस कामना को तुम कह देते हो, उससे मुक्त हो जाते हो। एक बार तुमने किसी से कह दिया, तुम्हारा उससे छुटकारा हो जाता है। वह चीज बाहर निकल गई। मनोविश्लेषण का पूरा धंधा इसी पर खड़ा है। रोगी बोलता रहता है और मनोविश्लेषक सुनता रहता है। इससे रोगी को राहत मिलती है। वह अपनी समस्याओं के बारे में, अपने दुख के बारे में जितना ही बोलता है, वह उनसे उतनी ही छुट्टी पा लेता है।

और इसके ठीक विपरीत घटित होता है जब तुम किसी चीज को छिपाकर रखते हो, गुप्त रखते हो। इसीलिए तुम्हें कहा जाता है कि मंत्र को किसी से कभी मत कहो। तब वह गहरे से गहरे तल पर उतरता जाता है और किसी दिन ताले को खोल देता है।जय श्री राम 🙏🚩🙏

24 देव शक्ति गायत्री मंत्र
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इष्टसिद्धि मे मां गायत्री का ध्यान बहुत शुभ होता है। गायत्री उपासना के लिए गायत्री मंत्र बहुत ही चमत्कारी और शक्तिशाली माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र के 24 अक्षर 24 महाशक्तियों के प्रतीक हैं। एक गायत्री के महामंत्र द्वारा इन देवशक्तियों का स्मरण हो जाता है।
24 देव शक्तियों के ऐसे 24 चमत्कारी गायत्री मंत्र मे से, जो देवी-देवता आपके इष्ट है, उनका विशेष देव गायत्री मंत्र बोलने से चमत्कारी फल प्राप्त होता है। शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक व भौतिक शक्तियों की प्राप्ति के लिए गायत्री उपासना सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। गायत्री ही वह शक्ति है जो पूरी सृष्टि की रचना, स्थिति या पालन और संहार का कारण है। वेदों में गायत्री शक्ति ही प्राण, आयु, शक्ति, तेज, कीर्ति और धन देने वाली मानी गई है। गायत्री मंत्र को महामन्त्र पुकारा जाता है, जो शरीर की कई शक्तियों को जाग्रत करता है।

इष्टसिद्धी से मनोवांछित फ़ल के लिए गायत्री मंत्र के 24 अक्षरो के प्रतिनिधि देवता विशेष के मंत्रों का स्मरण करें।

1🔹 श्रीगणेश : मुश्किल कामों में सफलता, बाधाओं को दूर करने, बुद्धि लाभ के लिए इस गणेश गायत्री मंत्र का स्मरण करना चाहिए :

|| *ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्* ||

2🔹 नृसिंह : शत्रु को हराने, बहादुरी, भय व दहशत दूर करने, पुरुषार्थी बनने व किसी भी आक्रमण से बचने के लिए नृसिंह गायत्री असरदार साबित होता है |

|| *ॐ नृसिंहाय विद्महे, वज्रनखाय धीमहि। तन्नो नृसिंहः प्रचोदयात्* ||

3🔹 विष्णु : पालन-पोषण की क्षमता व काबिलियत बढ़ाने या किसी भी तरह से सबल बनने के लिए विष्णु गायत्री का महत्व है |

|| *नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्* ||

4🔹 शिव : दायित्वों व कर्तव्यों को लेकर दृढ़ बनने, अमंगल का नाश व शुभता को बढ़ाने के लिए शिव गायत्री मंत्र बड़ा ही प्रभावी माना गया है |

|| *ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्* ||

5🔹 कृष्ण : सक्रियता, समर्पण, निस्वार्थ व मोह से दूर रहकर काम करने, खूबसूरती व सरल स्वभाव की चाहत कृष्ण गायत्री मंत्र पूरी करता है |

|| *ॐ देवकीनन्दाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्*||

6🔹 राधा : प्रेम भाव को बढ़ाने व द्वेष या घृणा को दूर रखने के लिए राधा गायत्री मंत्र का स्मरण बढ़ा ही लाभ देता है |

|| *ॐ वृषभानुजायै विद्महे, कृष्णाप्रियायै धीमहि। तन्नो राधा प्रचोदयात्*||

7🔹 लक्ष्मी : रुतबा, पैसा, पद, यश व भौतिक सुख-सुविधाओं की चाहत लक्ष्मी गायत्री मंत्र शीघ्र पूरी कर देता है |

|| *ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे, विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्*||

8🔹 अग्रि : ताकत बढ़ाने, प्रभावशाल व होनहार बनने के लिए अग्निदेव का स्मरण अग्नि गायत्री मंत्र से करना शुभ होता है |

|| *ॐ महाज्वालाय विद्महे, अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्निः प्रचोदयात्*||

9🔹 इन्द्र : संयम के जरिए बीमारियों, हिंसा के भाव रोकने व भूत-प्रेत या अनिष्ट से रक्षा में इन्द्र गायत्री मंत्र प्रभावी माना गया है |

|| *ॐ सहस्त्रनेत्राय विद्महे, वज्रहस्ताय धीमहि। तन्नो इन्द्रः प्रचोदयात्*||

10🔹 सरस्वती : बुद्धि व विवेक, दूरदर्शिता, चतुराई से सफलता मां सरस्वती गायत्री मंत्र से फौरन मिलती है |

|| *ॐ सरस्वत्यै विद्महे, ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्*||

11🔹 दुर्गा : विघ्नों के नाश, दुर्जनों व शत्रुओं को मात व अहंकार के नाश के लिए दुर्गा गायत्री मंत्र का महत्व है |

|| *ॐ गिरिजायै विद्महे, शिव प्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्*||

12🔹 हनुमानजी : निष्ठावान, भरोसेमंद, संयमी, शक्तिशाली, निडर व दृढ़ संकल्पित होने के लिए हनुमान गायत्री मंत्र का अचूक माना गया है |

|| *ॐ अञ्जनीसुताय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुतिः प्रचोदयात्* ||

13🔹 पृथ्वी : पृथ्वी गायत्री मंत्र सहनशील बनाने वाला, इरादों को मजबूत करने वाला व क्षमाभाव बढ़ाने वाला होता है |

|| *ॐ पृथ्वी देव्यै विद्महे, सहस्त्र मूर्त्यै धीमहि। तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात्*||

14🔹 सूर्य : निरोगी बनने, लंबी आयु, तरक्की व दोषों का शमन करने के लिए सूर्य गायत्री मंत्र प्रभावी माना गया है |

|| *ॐ भास्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि। तन्नो सूर्य्यः प्रचोदयात्*||

15🔹 राम : धर्म पालन, मर्यादा, स्वभाव में विनम्रता, मैत्री भाव की चाहत राम गायत्री मंत्र से पूरी होती है |

|| *ॐ दाशरथये विद्महे, सीतावल्लभाय धीमहि। तन्नो रामः प्रचोदयात्*||

16🔹 सीता : सीता गायत्री मंत्र मन, वचन व कर्म से विकारों को दूर कर पवित्र करता है। साथ ही स्वभाव मे भी मिठास घोलता है |

|| *ॐ जनकनन्दिन्यै विद्महे, भूमिजायै धीमहि। तन्नो सीता प्रचोदयात्*||

17🔹चन्द्रमा : काम, क्रोध, लोभ, मोह, निराशा व शोक को दूर कर शांति व सुख की चाहत चन्द्र गायत्री मंत्र से पूरी होती है |

|| *ॐ क्षीरपुत्रायै विद्महे, अमृततत्वाय धीमहि।तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्*||

18🔹 यम : मृत्यु सहित हर भय से छुटकारा, वक्त को अनुकूल बनाने व आलस्य दूर करने के लिए यम गायत्री मंत्र असरदार होता है |

|| *ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि। तन्नो यमः प्रचोदयात्*||

19🔹 ब्रह्मा : किसी भी रूप में सृजन शक्ति व रचनात्कमता बढ़ाने के लिए ब्रह्मा गायत्री मंत्र मंगलकारी होता है |

|| *ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, हंसारुढ़ाय धीमहि।तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्*||

20🔹 वरुण : दया, करुणा, कला, प्रसन्नता, सौंदर्य व भावुकता की कामना वरुण गायत्री मंत्र पूरी करता है |

|| *ॐ जलबिम्बाय विद्महे, नीलपुरुषाय धीमहि। तन्नो वरुणः प्रचोदयात्*||

21🔹 नारायण : चरित्रवान बनने, महत्वकांक्षा पूरी करने, अनूठी खूबियां पैदा करने व प्रेरणास्त्रोत बनने के लिए नारायण गायत्री मंत्र शुभ होता है |

|| *ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो नारायणः प्रचोदयात्*||

22🔹 हयग्रीव : मुसीबतों को पछाड़ने, बुरे वक्त को टालने, साहसी बनने, उत्साह बढ़ाने व मेहनती बनने के कामना ह्यग्रीव गायत्री मंत्र पूरी करता है |

|| *ॐ वाणीश्वराय विद्महे, हयग्रीवाय धीमहि। तन्नो हयग्रीवः प्रचोदयात्*||

23🔹 हंस : यश, कीर्ति पीने के साथ संतोष व विवेक शक्ति जगाने के लिए हंस गायत्री मंत्र असरदार होता है |

|| *ॐ परमहंसाय विद्महे, महाहंसाय धीमहि। तन्नो हंसः प्रचोदयात्*||

24🔹 तुलसी : सेवा भावना, सच्चाई को अपनाने, सुखद दाम्पत्य, शांति व परोपकारी बनने की चाहत तुलसी गायत्री मंत्र पूरी करता है |

|| *ॐ श्री तुलस्यै विद्महे, विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्* ||

ये देवशक्तियां जाग्रत, आत्मिक और भौतिक शक्तियों से संपन्न मानी गई है। इष्टसिद्धि के नजरिए से मात्र एक गायत्री मंत्र जपने से ही 24 देवताओं का इष्ट और उनसे जुड़ी शक्ति पाना साधक को सिद्ध बना देता है।
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संसार का दूसरा बड़ा शक्तिपीठ मां छिन्नमस्तिका मंदिर..

झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर मां छिन्नमस्तिके का यह मंदिर है। रजरप्पा के भैरवी भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर आस्था की धरोहर है। असम के कामाख्या मंदिर के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में विख्यात मां छिन्नमस्तिके मंदिर काफी लोकप्रिय है। 

रजरप्पा का यह सिद्धपीठ केवल एक मंदिर के लिए ही विख्यात नहीं है। छिन्नमस्तिके मंदिर के अलावा यहां महाकाली मंदिर, सूर्य मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, बाबाधाम मंदिर, बजरंग बली मंदिर, शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर के नाम से कुल 7 मंदिर हैं। पश्चिम दिशा से दामोदर तथा दक्षिण दिशा से कल कल करती भैरवी नदी का दामोदर में मिलना मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है।

दामोदर और भैरवी के संगम स्थल के समीप ही मां छिन्नमस्तिके का मंदिर स्थित है। मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे एक शिलाखंड पर दक्षिण की ओर मुख किए माता छिन्नमस्तिके का दिव्य रूप अंकित है। 

मंदिर के निर्माण काल के बारे में पुरातात्विक विशेषज्ञों में मतभेद है। किसी के अनुसार मंदिर का निर्माण 6,000 वर्ष पहले हुआ था तो कोई इसे महाभारत युग का मानता है। यह दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। 

असम स्थित मां कामाख्या मंदिर को सबसे बड़ा शक्तिपीठ माना जाता है। मंदिर में बड़े पैमाने पर विवाह भी संपन्न कराए जाते हैं।

मंदिर में प्रातःकाल 4 बजे माता का दरबार सजना शुरू होता है। भक्तों की भीड़ भी सुबह से पंक्तिबद्ध खड़ी रहती है, खासकर शादी विवाह, मुंडन उपनयन के लगन और दशहरे के मौके पर भक्तों की 3-4 किलोमीटर लंबी लाइन लग जाती है। इस भीड़ को संभालने और माता के दर्शन को सुलभ बनाने के लिए कुछ माह पूर्व पर्यटन विभाग द्वारा गाइडों की नियुक्ति की गई है। आवश्यकता पड़ने पर स्थानीय पुलिस भी मदद करती है।

मंदिर के आसपास ही फल फूल, प्रसाद की कई छोटी छोटी दुकानें हैं। आमतौर पर लोग यहां सुबह आते हैं और दिनभर पूजा पाठ और मंदिरों के दर्शन करने के बाद शाम होने से पूर्व ही लौट जाते हैं। ठहरने की अच्छी सुविधा यहां अभी उपलब्ध नहीं हो पाई है।

मां छिन्नमस्तिके मंदिर के अंदर स्थित शिलाखंड में मां की 3 आंखें हैं। बायां पांव आगे की ओर बढ़ाए हुए वे कमल पुष्प पर खड़ी हैं। पांव के नीचे विपरीत रति मुद्रा में कामदेव और रति शयनावस्था में हैं। 

मां छिन्नमस्तिके का गला सर्पमाला तथा मुंडमाल से सुशोभित है। बिखरे और खुले केश, जिह्वा बाहर, आभूषणों से सुसज्जित मां नग्नावस्था में दिव्य रूप में हैं। दाएं हाथ में तलवार तथा बाएं हाथ में अपना ही कटा मस्तक है। इनके अगल बगल डाकिनी और शाकिनी खड़ी हैं जिन्हें वे रक्तपान करा रही हैं और स्वयं भी रक्तपान कर रही हैं। इनके गले से रक्त की 3 धाराएं बह रही हैं।

मंदिर का मुख्य द्वार पूरबमुखी है। मंदिर के सामने बलि का स्थान है। मंदिर की ओर मुंडन कुंड है। इसके दक्षिण में एक सुंदर निकेतन है जिसके पूर्व में भैरवी नदी के तट पर खुले आसमान के नीचे एक बरामदा है। इसके पश्चिम भाग में भंडारगृह है। 

रुद्र भैरव मंदिर के नजदीक एक कुंड है। मंदिर की भित्ति 18 फुट नीचे से खड़ी की गई है। नदियों के संगम के मध्य में एक अद्भुत पापनाशिनी कुंड है, जो रोगग्रस्त भक्तों को रोगमुक्त कर उनमें नवजीवन का संचार करता है।

यहां मुंडन कुंड, चेताल के समीप ईशान कोण का यज्ञ कुंड, वायु कोण कुंड, अग्निकोण कुंड जैसे कई कुंड हैं। दामोदर के द्वार पर एक सीढ़ी है। इसका निर्माण 22 मई 1972 को संपन्न हुआ था। इसे तांत्रिक घाट कहा जाता है, जो 20 फुट चौड़ा तथा 208 फुट लंबा है। यहां से भक्त दामोदर में स्नान कर मंदिर में जा सकते हैं। 

दामोदर और भैरवी नदी का संगम स्थल भी अत्यंत मनोहारी है। भैरवी नदी स्त्री नदी मानी जाती है जबकि दामोदर पुरुष। संगम स्थल पर भैरवी नदी ऊपर से नीचे की ओर दामोदर नदी के ऊपर गिरती है। कहा जाता है कि जहां भैरवी नदी दामोदर में गिरकर मिलती है उस स्थल की गहराई अब तक किसी को पता नहीं है।

मां छिन्नमस्तिके की महिमा की पौराणिक कथाएं…

प्राचीनकाल में छोटा नागपुर में रज नामक एक राजा राज करते थे। राजा की पत्नी का नाम रूपमा था। इन्हीं दोनों के नाम से इस स्थान का नाम रजरूपमा पड़ा, जो बाद में रजरप्पा हो गया। 

एक कथा के अनुसार एक बार पूर्णिमा की रात में शिकार की खोज में राजा दामोदर और भैरवी नदी के संगम स्थल पर पहुंचे। रात्रि विश्राम के दौरान राजा ने स्वप्न में लाल वस्त्र धारण किए तेज मुख मंडल वाली एक कन्या देखी।

उसने राजा से कहा: हे राजन, इस आयु में संतान न होने से तेरा जीवन सूना लग रहा है। मेरी आज्ञा मानोगे तो रानी की गोद भर जाएगी।

राजा की आंखें खुलीं तो वे इधर उधर भटकने लगे। इस बीच उनकी आंखें स्वप्न में दिखी कन्या से जा मिलीं। वह कन्या जल के भीतर से राजा के सामने प्रकट हुई। उसका रूप अलौकिक था। यह देख राजा भयभीत हो उठे।

राजा को देखकर देख वह कन्या कहने लगी:

 हे राजन, मैं छिन्नमस्तिके देवी हूं। कलियुग के मनुष्य मुझे नहीं जान सके हैं जबकि मैं इस वन में प्राचीनकाल से गुप्त रूप से निवास कर रही हूं। मैं तुम्हें वरदान देती हूं कि आज से ठीक नौवें महीने तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी।

देवी बोली: हे राजन, मिलन स्थल के समीप तुम्हें मेरा एक मंदिर दिखाई देगा। इस मंदिर के अंदर शिलाखंड पर मेरी प्रतिमा अंकित दिखेगी। तुम सुबह मेरी पूजा कर बलि चढ़ाओ। ऐसा कहकर छिन्नमस्तिके अंतर्ध्यान हो गईं। इसके बाद से ही यह पवित्र तीर्थ रजरप्पा के रूप में विख्यात हो गया।

एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवती भवानी अपनी सहेलियों जया और विजया के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान करने गईं। स्नान करने के बाद भूख से उनका शरीर काला पड़ गया। सहेलियों ने भी भोजन मांगा। देवी ने उनसे कुछ प्रतीक्षा करने को कहा।

बाद में सहेलियों के विनम्र आग्रह पर उन्होंने दोनों की भूख मिटाने के लिए अपना सिर काट लिया। कटा सिर देवी के हाथों में आ गिरा व गले से 3 धाराएं निकलीं। वह 2 धाराओं को अपनी सहेलियों की ओर प्रवाहित करने लगीं। तभी से ये छिन्नमस्तिके कही जाने लगीं।

रजरप्पा के स्वरूप में अब बहुत परिवर्तन आ चुका है। तीर्थस्थल के अलावा यह पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो चुका है।

आदिवासियों के लिए यह त्रिवेणी है। मकर संक्रांति के मौके पर लाखों श्रद्धालु आदिवासी और भक्तजन यहां स्नान व चौडाल प्रवाहित करने तथा चरण स्पर्श के लिए आते हैं। अब यह पर्यटन स्थल का मुख्य केंद्र है।

झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर मां छिन्नमस्तिके मंदिर के निकट ठहरने के लिए उत्तम व्यवस्था है। मंदिर तक जाने के लिए पक्की सड़क है। यह पर्यटन स्थल का मुख्य केंद्र है। सुबह से शाम तक मंदिर पहुंचने के लिए बस, टैक्सियां एवं ट्रैकर उपलब्ध हैं!!

जय मां छिन्नमस्तिके।