आज का पंचाग आपका राशि फल, हरितालिका तीज, बराह अवतार की कथा, दुखों के नाश हेतु रूद्र संहिता पार्वती खंड,

गौरखाली  महिला हरितालिका तीज उत्सव  मेला 2022 महिंद्रा ग्राउंड में  भव्य मेले के रूप में आयोजित किया गया । बिलासपुर कांडली में गोरखाली हरितालिका महोत्सव दर खाने कार्यक्रम 29 अगस्त को  धूमधाम से मनाया  गया सभी दीदी बहनों को तीज महोत्सव की हार्दिक हार्दिक बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं 

𝕝𝕝 🕉 𝕝𝕝

श्री हरिहरो

विजयतेतरामम्

*🌹।।सुप्रभातम्।।🌹*

 

🗓 आज का पञ्चाङ्ग 🗓

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*मंगलवार, ३० अगस्त २०२२*

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सूर्योदय: 🌄 ०६:०८

सूर्यास्त: 🌅 ०६:२८

चन्द्रोदय: 🌝 ०८:२४

चन्द्रास्त: 🌜२०:३५

अयन🌖दक्षिणायने(उत्तरगोलीय)

ऋतु: ❄️ शरद

शक सम्वत:👉१९४४ (शुभकृत)

विक्रम सम्वत:👉२०७९ (नल)

मास 👉 भाद्रपद

पक्ष 👉 शुक्ल

तिथि👉तृतीया(१५:३३से चतुर्थी

नक्षत्र👉हस्त(२३:५० से चित्रा

योग👉शुभ(२४:०५ से शुक्ल

प्रथम करण👉गर(१५:३३तक

द्वितीय करण 👉 वणिज

(२७:३० तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 सिंह

चंद्र 🌟 कन्या

मंगल🌟वृष(उदित,पश्चिम,मार्गी)

बुध🌟कन्या(उदित,पश्चिम,मार्गी)

गुरु🌟मीन(उदित,पूर्व,वक्री)

शुक्र 🌟 कर्क (उदित, पूर्व)

शनि🌟मकर(उदित,पूर्व,वक्री)

राहु 🌟 मेष

केतु 🌟 तुला

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५२ से १२:४३

अमृत काल 👉 १७:३८ से १९:१७

रवियोग 👉 ०५:५२ से २३:५०

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१७

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:२९ से १८:५३

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:४२ से १९:४९

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५५ से २४:४०

राहुकाल 👉 १५:३० से १७:०६

राहुवास 👉 पश्चिम

यमगण्ड 👉 ०९:०५ से १०:४१

होमाहुति 👉 बुध

दिशाशूल 👉 उत्तर

अग्निवास 👉 पृथ्वी

भद्रावास 👉 पाताल (२७:३० से)

चन्द्रवास 👉 दक्षिण

शिववास 👉 सभा में (१५:३३ से क्रीड़ा में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥

१ – रोग २ – उद्वेग

३ – चर ४ – लाभ

५ – अमृत ६ – काल

७ – शुभ ८ – रोग

॥रात्रि का चौघड़िया॥

१ – काल २ – लाभ

३ – उद्वेग ४ – शुभ

५ – अमृत ६ – चर

७ – रोग ८ – काल

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

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शुभ यात्रा दिशा

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दक्षिण-पूर्व (दलिया अथवा धनिया का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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हरितालिका तीज, केवड़ा तीज, सामवेदीय उपाकर्म, श्री वाराह अवतार जन्मोत्सव, विवाहादि मुहूर्त (हिमाचल-पंजाब -कश्मीर-हरियाणा) आदि प्रांतो के लिये धनु-कर्क ल. दोपहर ०३:३३ से अंतरात्रि ०४:०४ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण

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आज २३:५० तक जन्मे शिशुओ का नाम

हस्त नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (ष, ण, ठ) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (पे) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

सिंह – २८:५७ से ०७:१६

कन्या – ०७:१६ से ०९:३४

तुला – ०९:३४ से ११:५५

वृश्चिक – ११:५५ से १४:१४

धनु – १४:१४ से १६:१८

मकर – १६:१८ से १७:५९

कुम्भ – १७:५९ से १९:२५

मीन – १९:२५ से २०:४८

मेष – २०:४८ से २२:२२

वृषभ – २२:२२ से २४:१७

मिथुन – २४:१७ से २६:३२

कर्क – २६:३२ से २८:५३

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पञ्चक रहित मुहूर्त

चोर पञ्चक – ०५:५२ से ०७:१६

शुभ मुहूर्त – ०७:१६ से ०९:३४

रोग पञ्चक – ०९:३४ से ११:५५

शुभ मुहूर्त – ११:५५ से १४:१४

मृत्यु पञ्चक – १४:१४ से १५:३३

अग्नि पञ्चक – १५:३३ से १६:१८

शुभ मुहूर्त – १६:१८ से १७:५९

रज पञ्चक – १७:५९ से १९:२५

शुभ मुहूर्त – १९:२५ से २०:४८

शुभ मुहूर्त – २०:४८ से २२:२२

रज पञ्चक – २२:२२ से २३:५०

शुभ मुहूर्त – २३:५० से २४:१७

चोर पञ्चक – २४:१७ से २६:३२

शुभ मुहूर्त – २६:३२ से २८:५३

रोग पञ्चक – २८:५३ से २९:५३

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज आपके कार्यो में लचरता रहेगी। किसी भी निर्णय पर ज्यादा देर नही टिकेंगे। आप अपने ही गैरजिम्मेदार व्यवहार के कारण कष्ट उठाएंगे। कार्यो में लापरवाही भी अधिक रहेगी। हर कार्य में शक करने के कारण परिवार अथवा कार्य क्षेत्र पर तनातनी हो सकती है। व्यवसाय विपरीत रहने से धन लाभ आज मुश्किल से ही हो पायेगा। किसी दूर रहने वाले रिश्तेदार से सुखद समाचार मिलेगा। परिवार में किसी की बीमारी पर खर्च होगा। सरकारी कार्यो के पीछे व्यर्थ की भाग दौड़ करनी पड़ेगी। सेहत का विशेष ध्यान रखें।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन सेहत में थोड़ी गिरावट रह सकती है। परंतु बाकि सब कार्य एवं व्यवहार यथावत चलते रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर थोड़े समय में ही अधिक लाभ मिल जाएगा। समय निकाल कर पर्यटन की योजना बनाएंगे। पौरिणीक धार्मिक स्थलों की यात्रा हो सकती है। परिवार में भी आज भावनात्मकता अधिक रहने से एक दूसरे के विचारों की कद्र करेंगे। उगाही करने पर उधारी की वापसी हो सकेगी। संध्या के बाद स्थिति में परिवर्तन आने से क्रोध एवं नकारात्मक भावनाएं बढ़ेंगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आपका आज का दिन भी थोड़ा उतार चढ़ाव वाला रहेगा। संबंधो में चाह कर भी मधुरता नहीं रख पाएंगे। परिजनों से बात-बात पर मतभेद बनेंगे। गलतफहमियां भी आज अधिक परेशान करेंगी। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा अधिक रहने से अधिक ध्यान देना पड़ेगा। आज आपके हिस्से का लाभ कोई अन्य व्यक्ति ले सकता है। संभावित अनुबंध निरस्त होने से मन भारी रहेगा। धन लाभ के लिए किसी की मान गुहार करनी पड़ेगी फिर भी काम चलाऊ प्राप्ति हो जाएगी। लंबी यात्रा की योजना स्थगित करनी पड़ सकती है। पारिवारिक खर्च अधिक बढ़ने से परेशानी होगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन खर्च विशेष रहेंगे लेकिन धन लाभ के अवसर भी मिलने से तालमेल बना रहेगा। कार्य क्षेत्र के साथ साथ घरेलु कार्य अधिक रहने से व्यस्तता बढ़ेगी। मध्यान के समय धन लाभ के अवसर भी मिलेंगे परन्तु आशा के अनुसार सफलता नहीं मिल पाएगी। घर में सजावट एवं बदलाव लाने के लिए समय एवं धन खर्च होगा। सन्तानो की जिद के चलते थोड़े असहज रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा अधिक रहने का लाभ नही उठा पाएंगे। प्रतिष्ठा को लेकर आज आप अधिक संवेदनशील रहेंगे। नौकरी पेशा जातको को थोड़ी परेशानी रहेगी। संध्या का समय एकांत वास में बिताना पसंद करेंगे।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आपको आज का दिन मिश्रित फल देगा। दिन के पूर्वार्ध में पूर्व में बनाई योजनाये सही दिशा में आगे बढ़ेगी परन्तु कुछ समय बाद किसी के विरोध अथवा अन्य कारणों से इनमे बदलाव करना पड़ेगा। आयवश्यक कार्यो में विलम्ब होने से निराशा होगी। यात्रा की में भी विघ्न आने से स्थगित करनी पड़ सकती है। पारिवारिक वातावरण स्वार्थ पर आधारित रहेगा। स्त्री एवं संतान के मध्य तालमेल बनाना मुश्किल खड़ी करेगा। धन लाभ के लिए आज अधिक बौद्धिक परिश्रम करना पड़ेगा। खर्च आय से अधिक रहेंगे। सन्तानो से कष्ट होगा।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आप लाभ-हानि की परवाह नही करेंगे। सामाजिक एवं पारिवारिक क्षेत्र पर आज आप भाग्यशाली माने जाएंगे। आपके अधिकांश कार्य सरलता से बनते चले जाएंगे। जायदाद सम्बंधित कार्यो को आज करना शुभ रहेगा। सरकार की तरफ से लाभदायक समाचार मिल सकता है। विदेश सम्बंधित कार्यो में भी सफलता सुनिश्चित रहेगी। धार्मिक क्षेत्र पर योगदान के लिए सम्मानित किए जाएंगे। परिवार में भी आज आपको विशेष स्नेह एव सुविधा मिलेगी। स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा। धन लाभ के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आप किसी के बहकावे अथवा प्रलोभन में ना आये संवेदनशीलता अधिक रहने से आँख बंद करके किसी भी कार्य के लिए सहमति ना दें अन्यथा भारी हानि हो सकती है। पैतृक सम्पति सम्बंधित मामले उलझने से पारिवारिक वातावरण बिगड़ेगा। सरकारी कार्य भेंट पूजा के बिना करना संभव नहीं रहेगा। पुराने मित्रों से आकस्मिक भेंट आनंदित करेगी। कार्य क्षेत्र अधिक सतर्क रहें चोरी अथवा अन्य कारणों से नुक्सान हो सकता है। पारिवारिक समस्याओं की लापरवाही करने से स्थिति विकट हो सकती है। धार्मिक अनुष्ठानों पर खर्च करेंगे।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आपका आज का दिन सामान्य से अधिक शुभ फल देने वाला रहेगा। सामाजिक एवं व्यावसायिक क्षेत्र पर अपनी प्रतिभा दिखाने का सुअवसर मिलेगा फिर भी इससे आर्थिक लाभ की आशा ना रखे सम्बन्ध प्रगाढ़ होंगे। धन लाभ के लिए आज थोड़ा अधिक बौद्धिक एवं शारीरिक परिश्रम करना पड़ेगा। धार्मिक कार्यो में भी सहभागिता देंगे। मध्यान के समय कार्य व्यवसाय में गति रहने से व्यस्तता रहेगी। शारीरिक रूप से थका हुआ अनुभव होगा। परिजनो की इच्छा पूर्ती पर खर्च करेंगे। गृहस्थ सुख सामान्य रहेगा। ऊपरी आय की भी संभावना है।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज आपको सरकारी कार्यो से आकस्मिक लाभ होगा। पिता से संबंध बेहतर होने का लाभ मिलेगा। घर में मांगलिक कार्य के कारण अथवा अन्य घरेलु कार्यो में अधिक व्यस्त रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी आशा के अनुरूप व्यवसाय होने से धन लाभ होगा। सुख के ऊपर फिजूल खर्च भी अधिक रहेंगे। घर में मेहमानों के आने से चहल-पहल रहेगी। आज किसी के ऊपर अतिविश्वास ना करें। अतिक्रोध बने बनाये कार्य को चौपट कर सकता है ध्यान रहे। आय के नविन साधनों की प्राप्ति होगी। घर में आनंद का वातावरण रहेगा।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज आप पिछले कुछ दिनों की अपेक्षा बेहतर स्वास्थ्य अनुभव करेंगे। बड़े लोगो से व्यवहारिक ज्ञान मिलेगा। आज कुछ अलग करने का प्रयास करेंगे इसमें कुछ हद तक सफल भी रहेंगे परन्तु धन अथवा अन्य कारण से बाधा आएगी। सामाजिक कार्यो के प्रति रूचि लेने से प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। बड़बोलेपन के कारण मान हानि हो सकती है संयमित व्यवहार करें। किसी परिजन अथवा सहकर्मी का विपरीत व्यवहार रंग में भंग का कार्य करेगा क्रोध में आकर कोई गलत हरकत ना करें। संध्या के समय धन लाभ होने से आयवश्यक कार्य पूर्ण कर पाएंगे।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आपका आज का दिन शारीरिक रूप से अशुभ रहेगा। प्रातः काल से ही आँख में जलन अथवा अंगों में दर्द रहने से निष्क्रियता रहेगी। कार्यो में उत्साहहीनता रहने के कारण पूर्व निर्धारित योजनाएं टालनी पड़ सकती है। व्यवसायिक स्थल पर प्रतिस्पर्धा के कारण टकराव की स्थिति बनेगी। आज के दिन शालीनता के साथ व्यवहार करना फायदेमंद रहेगा। अधिक क्रोध एवं ईर्ष्या की प्रवृति धन के साथ-साथ प्रियजनों से आपसी व्यवहार बिगाड़ेगी। भाग्योन्नति में बाधाएं आएँगी।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आपका दिन आनंद से बीतेगा दिन के पूर्वार्ध में कार्य व्यवसाय बेहतर चलेगा इसमें व्यस्तता भी अधिक रहेगी मध्यान से पहले का समय घरेलू आवश्यकताओ की पूर्ति करने में बीतेगा। आज विपरीत लिंगीय आकर्षण से बच कर रहे अन्यथा धन एवं मान हानि भी होगी। सन्तानो के ऊपर आज गर्व होगा। लेकिन आपके किसी गलत आचरण के कारण सम्मान को ठेस पहुच सकती है। धन लाभ प्रचुर मात्रा में होगा परन्तु घरेलु खर्च अधिक रहने से बचत मुश्किल से ही कर पाएंगे। पुराने मित्रों एवं संबंधियों से मिलने पर खुशी होगी।

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*2– वराह अवतार :
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने दूसरा अवतार वराह रूप में लिया था। वराह अवतार से जुड़ी कथा इस प्रकार है- पुरातन समय में दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए। भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया। अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर वे पृथ्वी को बाहर ले आए।

जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो उसने भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ। अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया।
आप सभी को हार्दिक शुभकामनाए !श्री नारायण कृपा बनी रहे 🙏🙏

 

🕉 शिव-पुराण दर्शन 🕉

🌷रूद्र संहिता-पार्वती खण्ड-अ०-51🌷

ब्रह्मा जी कहते हैं- तदनन्तर मेरी आज्ञा से महेश्वर ने ब्राह्मणों से अग्नि की स्थापना कराई और पार्वती को अपने सामने बिठाकर वहाँ ऋग्वेद, यजुर्वेद तथा सामवेद के मन्त्रों द्वारा अग्नि में आहुतियाँ दीं। इसके पश्चात ब्राह्मणों की आज्ञा से शिव ने शिवा के सिर में सिन्दूर दान किया। उस समय हिमालय नगर की स्त्रियों ने शिव-शिवा से लोकाचार का सम्पादन कराया। और नवदम्पति को केलिगृह में पहुँचाया और जय ध्वनि करती हुई उनके गठबंधन की गाँठ खोलने आदि का कार्य सम्पन्न किया। उस समय नूतन दम्पत्ति को देखने के लिये सोलह दिव्य नारियाँ वहाँ आईं और उन्होंने शिव से नाना प्रकार की विनोदपूर्ण बातें कहीं। तदनन्तर प्रसन्न चित्त हुए महेश्वर ने अपनी पत्नी के साथ मिष्ठान भोजन और आचमन करके कपूर डाला हुआ पान खाया।दु:ख, दुर्भाग्य व दरिद्रता नाशक भगवान शिव का प्रदोष स्तोत्र!!!!!!!

 

दरिद्रता और ऋण के भार से दु:खी व संसार की पीड़ा से व्यथित मनुष्यों के लिए प्रदोष पूजा व व्रत पार लगाने वाली नौका के समान है । स्कन्दपुराण के अनुसार जो लोग प्रदोष काल में भक्तिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें धन-धान्य, स्त्री-पुत्र व सुख-सौभाग्य की प्राप्ति और उनकी हर प्रकार की उन्नति होती है ।

 

एक बार एक अत्यन्त गरीब ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर शाडिल्य मुनि के पास गयी और अपनी दरिद्रता दूर करने का उपाय पूछने लगी। शाडिल्य मुनि ने ब्राह्मणी से कहा—‘प्रदोषकाल में भगवान शिव की पूजा करने से इसी जन्म में मनुष्य धन-धान्य, कुल व सम्पत्ति से सम्पन्न हो जाता है । तुम्हारा पुत्र पूर्व-जन्म में ब्राह्मण था । इसने अपना सारा जीवन दान लेने में बिताया, इस कारण इस जन्म में इसे दारिद्रय मिला । इस दोष को दूर करने के लिए अब इसे भगवान शंकर की शरण में जाना चाहिए । 

 

दोनों पक्षों की त्रयोदशी को निराहार रहकर यह व्रत करे । प्रदोषकाल में भगवान शिव का पूजन आरम्भ करे । फिर हाथ जोड़कर मन-ही-मन उनका आह्वान करे—‘हे भगवन् ! आप ऋण, पातक, दुर्भाग्य, व दरिद्रता आदि के नाश के लिए मुझ पर प्रसन्न हों ।’

 

फिर दरिद्रतानाशक व सम्पत्तिदायक भगवान शिव के प्रदोष स्तोत्र का पाठ करते हुए प्रार्थना करें—

 

प्रदोष स्तोत्र

जय देव जगन्नाथ जय शंकर शाश्वत ।

जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ।।१।।

 

हे देव जगन्नाथ (समस्त जगत के स्वामिन्) ! हे देव ! आपकी जय हो । हे सनातन शंकर (सर्वदा कल्याण करने वाले) ! आपकी जय हो । हे सर्वसुराध्यक्ष (समस्त देवताओं के अध्यक्ष) ! आपकी जय हो तथा हे सर्वसुरार्चित (समस्त देवताओं द्वारा पूजित) ! आपकी जय हो ।

 

जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।

जय नित्यनिराधार जय विश्वम्भराव्यय ।।२।।

 

हे सर्वगुणातीत (सभी गुणों से अतीत) ! आपकी जय हो । हे सर्ववरप्रद (सबको वर प्रदान करने वाले) ! आपकी जय हो । नित्य, आधाररहित, अविनाशी विश्वम्भर ! आपकी जय हो ।

 

जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।

जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ।।३।।

 

हे विश्वैकवन्द्येश (समस्त विश्व के एकमात्र वन्दनीय परमात्मन्) ! आपकी जय हो। हे नागेन्द्रभूषण (नागेन्द्र को आभूषण के रूप में धारण करने वाले) ! आपकी जय हो। हे गौरीपते ! आपकी जय हो । हे चन्द्रार्धशेखर (अपने मस्तक पर अर्धचन्द्र को धारण करने वाले) शम्भो ! आपकी जय हो ।

 

जय कोट्यर्कसंकाश जयानन्तगुणाश्रय ।

जय भद्र विरुपाक्ष जयाचिन्त्य निरंजन ।।४।।

 

हे कोटि सूर्यों के समान तेजस्वी शिव ! आपकी जय हो । अनन्त गुणों के आश्रय परमात्मन् ! आपकी जय हो । हे विरुपाक्ष (तीन नेत्रों वाले कल्याणकारी शिव) ! आपकी जय हो । हे अचिन्त्य ! हे निरंजन ! आपकी जय हो ।

 

जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभंजन ।

जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ।।५।।

 

हे नाथ ! आपकी जय हो ! भक्तों की पीड़ा का नाश करने वाले कृपासिन्धो ! आपकी जय हो । हे दुस्तर संसार-सागर से पार उतारने वाले परमेश्वर ! आपकी जय हो ।

 

प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यत: ।

सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ।।६।।

 

हे महादेव ! मैं संसार के दु:खों से पीड़ित एवं खिन्न हूँ, मुझ पर प्रसन्न होइए । हे परमेश्वर ! मेरे सारे पापों का नाश करके मेरी रक्षा कीजिए ।

 

महादारिद्रयमग्नस्य महापापहतस्य च ।

महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ।।७।।

 

हे शंकर ! मैं घोर दारिद्रय के समुद्र में डूबा हुआ हूँ । बड़े-बड़े पापों से आहत हूँ, अनन्त चिन्ताएं मुझे घेरी हुई हैं, भयंकर रोगों से मैं दु:खी हूँ ।

 

ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभि: ।

ग्रहै: प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शंकर ।।८।।

 

सब ओर से ऋण के भार से लदा हुआ हूँ । पापकर्मों की आग में जल रहा हूँ और ग्रहों से अत्यन्त पीड़ित हो रहा हूँ । शंकर मुझ पर प्रसन्न होइये ।

 

स्तोत्रपाठ का फल

दरिद्र: प्रार्थयेद् देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् ।

अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद् देवमीश्वरम् ।।९।।

दीर्घमायु: सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नति: ।

ममस्तु नित्यमानन्द: प्रसादात्तव शंकर ।।१०।।

 

यदि दरिद्र व्यक्ति प्रदोषकाल में भगवान गिरिजापति की प्रार्थना करता है तो वह धनी हो जाता है और यदि राजा प्रदोषकाल में भगवान शंकर की प्रार्थना करता है तो उसे दीर्घायु की प्राप्ति होती है, वह सदा नीरोगी रहता है । उसके कोश की वृद्धि व सेना की अभिवृद्धि होती है । हे शंकर ! आपकी कृपा से मुझे भी नित्य आनन्द की प्राप्ति हो ।

 

शत्रव: संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजा: ।

नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जना: सन्तु निरापद: ।।११।।

 

मेरे शत्रु क्षीणता को प्राप्त हों तथा मेरी प्रजाएं सदा प्रसन्न रहें । चोर-डाकू नष्ट हो जाएं । राज्य में सारे लोग आपत्तिरहित हो जाएं ।

 

दुर्भिक्षमारिसंतापा: शमं यान्तु महीतले ।

सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात् सुखमया दिश: ।।१२।।

 

पृथ्वी पर दुर्भिक्ष, महामारी आदि का संताप (प्रकोप) शान्त हो जाए । सभी प्रकार की फसलों की वृद्धि हो । दिशाएं सुखमयी बन जाएं ।

 

एवमाराधयेद् देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् । 

ब्राह्मणान् भोजयेत् पश्चाद् दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ।।१३।।

 

इस प्रकार गिरिजापति की आराधना करनी चाहिए । आराधना के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए । इसके बाद दक्षिणा आदि देकर उनका पूजन करना चाहिए ।

 

सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारिणी ।

शिवपूजा मयाख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा ।।१४।।

 

भगवान शिव की पूजा सब पापों का नाश करने वाली, सब रोगों को दूर करने वाली और समस्त अभीष्ट फलों को देने वाली है ।नोट—यदि व्रत-पूजन आदि का कोई विधि-विधान न बन सके तो श्रद्धाविश्वासपूर्वक केवल प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ ही करें तो मनुष्य की जन्म-जन्मातर की दरिद्रता दूर हो जाती है ।