आज का पंचाग आपका राशि फल, आज भी पूरे संसार में हैं प्राचीन भारतीय सांस्कृति व इतिहास के प्रमाण

#विशेष:-#पूरे_विश्व_मे_हिन्दू_धर्म_के_ऐतिहासिक__प्रमाण, आज भी विद्यमान …. 

#आस्ट्रेलिया_का_वैदिक_इतिहास

ऑस्ट्रेलिया भूखण्ड के उत्तर में Straits of Sunda नाम के कुछ द्वीप हैं । उनका उल्सेख रामायण में भी आता है । रावण के गढ़ का शोध करने निकले सुग्रीव की हवाई टुकड़ियों ने शुण्डा के द्वीपों पर से उड़ान करने का उल्लेख दिया है । अतः आजकल के भूगोल में उल्लेखित यह नाम वैदिक संस्कृति का दिया हुआ है । 

#चीन_का_महाभारत_में_वर्णन 

चीन देश का उल्लेख महाभारत में आया है । कौरव – पाण्डवों के महा भारतीय युद्ध की तैयारी हो रही थी तो विश्व की तत्कालीन समस्त जन जातियाँ उसके लपेट में आ गयीं । उस समय चीन , बर्बर , तार्तर आदि का उल्लेख महाभारत में आया है । अत : चीन का इतिहास केवल बौद्ध प्रणाली से आरम्भ करना सर्वथा अयोग्य है । तथापि आजकल के सारे ही विद्वान् और स्वयं चीन के लोग निजी इतिहास तीन सहस्र वर्षों से पूर्व जानते ही नहीं हैं ।

#जापान_का_वैदिक_अतीत 

जापान यह नाम विश्व के अन्य लोगों में प्रचलित है । स्वयं जापानी लोग निजी देश को ‘ निप्पॉन् ‘ कहते हैं जो निपुण शब्द का अपभ्रंश है । जापानी लोग भी बौद्धपूर्व निजी हिन्दू वैदिक इतिहास भूलकर लगभग ढाई हजार वर्ष का ही इतिहास किसी प्रकार कह पाते हैं । 

#शिविरीय_प्रदेश_का_वैदिक_अतीत रशिया देश का पूर्ववर्ती एक बड़ा विस्तीर्ण प्रदेश स्थानिक उच्चारण में शिविर कहलाता है । अन्य लोग उसे थोड़ा अलग उच्चार कर Siberia ( सायबेरिया ) कहते हैं । वह नाम पूर्णतया संस्कृत ‘ शिविरीय ‘ – ऐसा संस्कृत है । वहाँ बरफ जमी रहती है , ऋतु सदा ही अति शीत होती है । बड़ी तेज हवा चलती रहती है । इसी कारण वहाँ कोई स्थायी बस्ती नहीं है । वहां जो भी किसी संशोधन , निरीक्षण या योगध्यान के निमित्त जाया करते वे वहाँ अस्थायी शिविर बनाकर ही रहते थे । अतः उस प्रदेश का शिबिर या शिबिरीय नाम पड़ा । 

#ऋषियः_प्रदेश_या_रूस/Russia 

पूर्व का और पश्चिम का विस्तीर्ण प्रदेश मिलाकर रशिया देश बनता है । उसे प्रचलित योरोपीय प्रणाली में Russia लिखा जाता है । तथापि उसका मूल उच्चारण ‘ ऋषिय ‘ ऐसा संस्कृत है । सारे विश्व में बैदिक साम्राज्य के अन्तर्गत कार्यानुसार ऋषि – मुनियों का संचार सर्वत्र होता था । तथापि रशिया का ही प्रदेश ‘ ऋषिय ‘ इसलिए कहलाया कि एकान्त या योग समाधि के लिए शान्त , निर्जन और अतिशीत ऐसे इस प्रदेश में ऋषि – मुनि आया करते थे । पुनः जनसम्पर्क की आवश्यकता होने पर वहीं से वे देश – विदेश में घूमकर फिर एकान्त के लिए उसी प्रदेश में लौटते थे । सारे विश्व में एक ही विशिष्ट प्रदेश का ‘ ऋषिय ‘ नाम पड़ना यह सिद्ध करता है कि उस अतीत में सारी पृथ्वी पर ‘ वसुधैव कुटुम्बकम् ‘ वाली एक ही सार्वजनिक सनातन वैदिक जीवन – प्रणाली प्रचलित थी । 

#रूस_में_वाल्मीकि 

रशिया देश विविध प्रादेशिक राज्यों का एक संगठन है । उसमें एक राज्य का नाम काल्मीक है । वह वाल्मीकि का अपभ्रंश है । ऋषिय प्रदेश में प्राचीन महर्षि वाल्मीकि की स्मृति जुड़ी रहना कोई आश्चर्य की बात नहीं । रामायण के कई संस्करण त्रुटित , खण्डित , विकृत अवस्था में रशिया उर्फ ऋषिय प्रदेश में अभी भी पाए जाते हैं । काल्मीक ऐसे अपभ्रंश से ही क्यों न हो अजरामर कीर्ति के महर्षि वाल्मीकि के नाम की स्मृति रशिया में उत्कीर्ण रहते हुए भी आधुनिक विद्वज्जगत् को उसकी जरा भी जानकारी नहीं थी यह विद्यमान संशोधन प्रणाली की सदोषता का कितना प्रखर उदाहरण है ! प्रऋषिय रशिया उर्फ ऋषिय देश से जुड़े हुए जर्मनी के एक प्रदेश को Prussia या पर्शिया कहा जाता है , जो स्पष्टतया प्र – ऋषिय संस्कृत शब्द है । प्रऋषिय का अर्थ है ऋषिय देश से संलग्न प्रदेश ।

#दैत्यस्थान 

 जर्मन लोग निजी देश को जर्मनी न कहकर डाइट्शलण्ड ( Deuts_chland ) कहते हैं जो दैत्यस्थान का अपभ्रंश है । वैदिक पुराणों के अनुसार कश्यप ऋषि ही दैत्यक दानवों के पूर्वज थे । उनकी स्मृति में रशिया देश के एक सागर को काश्यपीय सागर उर्फ ‘ Caspian Sea ‘ कहते हैं । पुराणों मे वर्णित वह सारी प्राचीन परम्पराएँ आजकल के भूगोल में प्रचलित नामों से किस प्रकार खरी उतरती है — यह ऊपर दिए उदाहरणों से स्पष्ट है । यूरोप के प्रदेश में दैत्य जाति का ही अधिकार था । अतः हालैण्ड देश के निवासी भी ‘ उच् ‘ यानि दैत्य कहलाते हैं । ‘ त्य ‘ का अपभ्रंश ‘ च ‘ होता है । जैसे भारतवर्ष का बहराइच मूलतः ब्रह्मदित्य होता था । जिस तरह ब्रह्मदित्य का द्वित्य शब्द अपभ्रंस होकर इच बना, उसी तरह दैत्य् का त्य हटकर वह डाइट्स हो गया ।।

#रोमानिया_का_वैदिक_अतीत

रमणीय ( Romania ) यूरोप खण्ड के एक देश का नाम है Romania ( रोमेनिया ) जो ‘ रमणीय ‘ संस्कृत शब्द का विकृत उच्चारण है । उसी के निकट अस्त्रीय प्रदेश है जो यूरोप में ऑस्ट्रिया कहलाता है । 

#हंगरी_का_वैदिक_अतीत

हंगेरी( Hungary ) वहीं दूसरे एक प्रदेश का नाम है हंगेरी जो शृंगेरी शब्द का बिगड़ा उच्चारण है ; जैसे सिन्धु का हिन्दू उच्चारण होता है । उस देश में पहाड़ी , सरोवर , वन आदि का प्राकृतिक श्रृंगार बना हुआ है ।

#स्कंदप्रदेश_भारत_मे_नही

स्कन्दनावीय ( Scandinavia ) यूरोप में नॉर्वे , स्वीडन , डेन्मार्क आदि देशों के भू – भाग को स्कैंडिनेह्विया कहते हैं । वह स्पष्टतया संस्कृत ‘ स्कन्दनावीय ‘ शब्द है । दैत्यों से किए युद्ध में देवों के सेनानायक शिवपुत्र स्कन्द थे । उनके नौका दल की छावनी जिस प्रदेश में रही उसका नाम स्कन्दनावीय उर्फ स्कैंडिनेह्विया पड़ना स्वाभाविक था । 

#पुराणों_के_दनु_मर्क_के_नाम_का_विदेशों_में_सम्मान

दनु और मर्क पुराणों में दनु तथा मर्क इस नाम के दो दानवों का उल्लेख आता है । इस प्रदेश में प्राचीन कालीन सुर – असुर विवाद में स्कन्द के सेनापतित्व में सुर सेनाओं का दैत्यों से संघर्ष होता रहता था । तब के दनु और मर्क इन दो दैत्य नामों की स्मृति Denmeark देश के नाम में अंकित दिखाई देती है । 

#स्वर्ग_ओर_नर्क_के_नाम_पर_यूरोपीय_देश

स्वर्ग और नर्क यूरोप के जो देश स्वीडन और नॉर्वे कहलाते हैं उनके निवासी उन्हें स्वेर्गे और नॉर्गे कहते हैं । इससे स्पष्ट है कि वे स्वर्ग और नर्क ऐसे दो वैदिक – संस्कृत नाम हैं ।

#यूरोप_का_लक्ष्मी_दुर्ग

लक्ष्मीदुर्ग बेल्जियम के निकट ही लक्षेम्बर्ग नाम का छोटा देश है जो लक्ष्मीदुर्ग का अपभ्रंश है । 

#गालव_मुनि_का_यूरोप_सम्बन्ध

गालव प्राचीनकाल में फ्रांस देश का अन्तर्भाव ‘ गाल ( Gaul ) प्रदेश में होता था । क्योंकि वह गालव मुनि का प्रदेश होता था । गालव मुनि के आश्रम , गुरुकुल मन्दिर आदि वहाँ हुआ करते थे । 

#ब्रिटेन_का_वैदिक_अतीत

बृहत्स्थान आजकल जिस प्रदेश को ‘ ब्रिटन ‘ कहा जाता है वह बृहत्स्थान का अपभ्रंश है । वे बड़े आकार के द्वीप यूरोप से कुछ हटकर होने के कारण उन्हें समुद्रान्तर्गत बृहत्स्थान कहा जाता है । उसी देश के एक भाग का नाम वस्तुत : इंग्लण्ड है । तथापि बोलचाल में ‘ इंग्लैण्ड ‘ नाम पूरे ‘ बिटन ‘ को लगाया जाता है । इंग्लैण्ड शब्द अंगुलिस्थान का अपभ्रंश है । यह बात कुछ विस्तार से किसी अगले अध्याय में स्पष्ट करेंगे ।

#ग्रीस_का_वैदिक_अतीत 

ग्रीस का दूसरा नाम यावन उर्फ यूनान भी है । उस प्रदेश के एक भाग को Ionia उर्फ यावनीय अभी भी कहते हैं । यह सारे संस्कृत नाम हैं । ‘ ग्रीस यह गिरीश शब्द का बिगड़ा उच्चार है । देवों का निवास जैसे वैदिक संस्कृति में कैलास पर्वत पर माना जाता है उसी प्रकार ग्रीस देश में भी Mount Olympus पहाड़ी पर सारे देवों का निवास माना जाता था । उस देवस्थान से ही उस प्रदेश का नाम गिरीश उर्फ ग्रीस पड़ा । उसी प्रदेश में पार्थिया नाम का भाग ‘ पार्थ ‘ यानि अर्जुन की स्मृति कायम रखता है । यवन शब्द का अर्थ है ‘ वन को जाना । प्राचीन वैदिक संस्कृति में कर्तव्यच्युति या धर्मबाह्य आचरण करने वाले को उन द्वीपों में भेजा जाता था जो आजकल ग्रीस कहलाते हैं । आधुनिक काल में भी विविध सरकारें अपराधी लोगों को सागर पार ऑट्रेलिया , पुलुकोंडॉर और अण्डमान जैसे द्वीपों में भेजा करती हैं । यह आधुनिक प्रथा उस प्राचीन वैदिक परम्परा पर आधारित है जिसके अनुसार अपराधी व्यक्तियों को आम समाज से सागर भेजा जाता था ताकि समाज न बिगड़े ।

#अमेरिका_का_वैदिक_इतिहास

 उत्तर और दक्षिण अमेरिका नाम के दो विस्तीर्ण भूखण्ड हैं । उनका उच्चार यद्यपि ‘ अमेरिका ‘ किया जाता है तथापि America इन अक्षरों से जाना जा सकता है कि उनका मूल नाम ‘ अमरीश ‘ होना चाहिए क्योंकि अन्तिम दो अक्षर ca का ‘ श ‘ उच्चारण बनता है । उत्तर अमेरिका खण्ड में Canada और USA नाम के दो स्वतंत्र देश हैं । उनमें Canada का उच्चारण यद्यपि ‘ कनाडा ‘ ऐसा किया जाता है तथापि वह वैदिक शास्त्रज्ञ कणाद के नाम से पड़ा है । हो सकता है कि बिसरे अतीत में कणाद उसी प्रदेश में रहते हों या वहाँ शास्त्रीय संशोधन के गुरुकुल चलाते रहे हों । दक्षिण अमेरिका खण्ड में ब्राजील , अर्जेंटीना , उरुग्वे , ग्वाटेमाला आदि कई देश हैं । उनमें ग्वाटेमाला गौतमालय का बिगड़ा उच्चार है । अर्जेंटीना नाम अर्जुनस्थान का अपभ्रंश है । उरुगाव : भगवान विष्णु का नाम है । उरुगाव : उसी का आधुनिक उच्चारण है । दक्षिण अमेरिका में स्थित ‘ ब्यूनस आइरिस ‘ ( Beunos Aires ) नगर मूलत : ‘ भुवनेश्वरम् ‘ ऐसा वैदिक नाम है । भुवनेश्वरी वैदिक देवता का नाम है ।

#सभी_सागरों_के_नाम_भी_वैदिक

● कश्यप सागर का नाम अब #कैस्पियन सागर हो गया।

● कश्यप ऋषि का जहां आश्रम था, उसका नाम #मोक्ष था, आजकल वह रूस की राजधानी #मॉस्को है, जो मोक्ष का ही अपभ्रंस है ।

● अफ्रीका तथा अरब के दक्षिण में अमेरिका से आस्ट्रेलिया तक फैले सागर का नाम #हिन्द_महासागर है। जो वैदिक इतिहास का जिंदा सबूत है ।

● रामायण का लाल सागर उर्फ लोहित सागर आजकल Red Sea है।

● यूरोप में व्हाइट सागर है, उसका संस्कृत नाम #शुभ्रसागर है । शुभ्र सागर का अंग्रेजी अर्थ व्हाइट सी ही होगा। 

● यूरोप और अमेरिका खण्ड में अटलांटिक महासागर है। वह अल-तक-अन्तिक संस्कृत शब्द का अपभ्रंस है। जिसका अर्थ है ऐसा तल जिसका कोई अंत ही नही।

स्रोत – वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास Wesupporthindutavaunity

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻शनिवार, २९ जनवरी २०२२🌻

 

सूर्योदय: 🌄 ०७:११

सूर्यास्त: 🌅 ०५:५३

चन्द्रोदय: 🌝 २९:२८

चन्द्रास्त: 🌜१४:३७

अयन 🌕 उत्तरायने (दक्षिणगोलीय

ऋतु: 🌫️ शिशिर

शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)

विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)

मास 👉 माघ

पक्ष 👉 कृष्ण

तिथि 👉 द्वादशी (२०:३७ तक)

नक्षत्र 👉 मूल (२६:४९ तक)

योग 👉 व्याघात (१८:०३ तक)

प्रथम करण 👉 कौलव (१०:०८ तक)

द्वितीय करण 👉 तैतिल (२०:३७ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 मकर

चंद्र 🌟 धनु

मंगल 🌟 धनु (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 मकर (अस्त, पश्चिम, वक्री)

गुरु 🌟 कुंम्भ (उदय, पूर्व, मार्गी)

शुक्र 🌟 धनु (उदित, पूर्व, वक्री)

शनि 🌟 मकर (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

राहु 🌟 वृष

केतु 🌟 वृश्चिक

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 १२:०९ से १२:५२

अमृत काल 👉 २१:०२ से २२:२९

विजय मुहूर्त 👉 १४:१७ से १५:००

गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:४० से १८:०४

निशिता मुहूर्त 👉 २४:०३ से २४:५६

राहुकाल 👉 ०९:५० से ११:१०

राहुवास 👉 पूर्व

यमगण्ड 👉 १३:५० से १५:११

होमाहुति 👉 केतु

दिशाशूल 👉 पूर्व

अग्निवास 👉 पृथ्वी

चन्द्रवास 👉 पूर्व

शिववास 👉 नन्दी पर (२०:३७ से भोजन में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥

१ – काल २ – शुभ

३ – रोग ४ – उद्वेग

५ – चर ६ – लाभ

७ – अमृत ८ – काल

॥रात्रि का चौघड़िया॥

१ – लाभ २ – उद्वेग

३ – शुभ ४ – अमृत

५ – चर ६ – रोग

७ – काल ८ – लाभ

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।

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शुभ यात्रा दिशा

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पूर्व-उत्तर (वायविन्डिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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षटतिला एकादशी (निम्बार्क), शनि प्रदोष व्रत, शुक्र मार्गी १४:२७ से, बुध पूर्व मे उदय १८:१९ से, विवाहादि मुहूर्त सिंह लग्न सायं ०७:१२ से रात्रि ०९:२६ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण

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आज २६:४९ तक जन्मे शिशुओ का नाम

मूल नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (ये, यो, भ, भी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमश: (भू) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मकर – ३०:१९ से ०८:००

कुम्भ – ०८:०० से ०९:२६

मीन – ०९:२६ से १०:५०

मेष – १०:५० से १२:२४

वृषभ – १२:२४ से १४:१८

मिथुन – १४:१८ से १६:३३

कर्क – १६:३३ से १८:५५

सिंह – १८:५५ से २१:१४

कन्या – २१:१४ से २३:३२

तुला – २३:३२ से २५:५२

वृश्चिक – २५:५२ से २८:१२

धनु – २८:१२ से ३०:१५

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०७:०९ से ०८:००

मृत्यु पञ्चक – ०८:०० से ०९:२६

अग्नि पञ्चक – ०९:२६ से १०:५०

शुभ मुहूर्त – १०:५० से १२:२४

मृत्यु पञ्चक – १२:२४ से १४:१८

अग्नि पञ्चक – १४:१८ से १६:३३

शुभ मुहूर्त – १६:३३ से १८:५५

रज पञ्चक – १८:५५ से २०:३७

शुभ मुहूर्त – २०:३७ से २१:१४

चोर पञ्चक – २१:१४ से २३:३२

शुभ मुहूर्त – २३:३२ से २५:५२

रोग पञ्चक – २५:५२ से २६:४९

शुभ मुहूर्त – २६:४९ से २८:१२

मृत्यु पञ्चक – २८:१२ से ३०:१५

अग्नि पञ्चक – ३०:१५ से ३१:०९

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन भी आशानुकूल रहेगा। सेहत उत्तम रहने से कार्यो को मन लगाकर करेंगे लेकिन किसी के हस्तक्षेप करने से मन विक्षिप्त हो सकता है। किसी के ऊपर ध्यान ना दें एकाग्र होकर अपने कार्य मे लगे रहे धन एवं सम्मान दोनों मिलने के योग है। लेकिन उधार के व्यवहार बढ़ने से असुविधा भी होगी। व्यावसाय में वृद्धि के लिए निवेश करना शुभ रहेगा। भाई-बंधुओ का सहयोग आज अपेक्षाकृत कम ही रहेगा। महिलाओं को छोड़ घर के अन्य सदस्य आपसे ईर्ष्यालु व्यवहार रखेंगे। स्त्री से सुखदायक समाचार मिलेंगे।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन आशाओं के विपरीत रहने वाला है। सोची हुई योजनाए आरम्भ में सफल होती नजर आएंगी परन्तु मध्यान तक इनसे निराशा ही मिलेगी। आज आप जिससे भी सहायता मांगेंगे वो भ्रम की स्थिति में रखेगा। आज आप आत्मनिर्भर होकर अपने कार्यो को करें। भागीदारों से धन को लेकर अनबन हो सकती है। मीठा व्यवहार रखने पर भी लोग आपको केवल कार्य निकालने के लिए इस्तेमाल करेंगे। कार्य क्षेत्र की भड़ास घर पर निकालने से घर का माहौल भी बेवजह खराब होगा। पुराने कार्यो को पूर्ण करने की चिंता रहेगी। प्रेम प्रसंगों से निराश होंगे।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन लाभ के अवसर आपकी तलाश में रहेंगे। दिन में जिस किसी के भी संपर्क में रहेंगे उससे कुछ ना कुछ लाभ अवश्य होगा। कार्य क्षेत्र पर भी एक से अधिक साधनो से आय होगी। व्यावसायिक क्षेत्र से जुड़ी महिलाओ को पदोन्नति के साथ प्रोत्साहन के रूप में आर्थिक सहायता भी मिल सकती है। सामाजिक कार्यो में रुचि ना होने पर भी सम्मिलित होना पड़ेगा मान-सम्मान बढेगा। परिजनों का मार्गदर्शन आज प्रत्येक क्षेत्र पर काम आएगा। महिलाओं का सुख सहयोग मिलेगा। प्रेम प्रसंगों में निकटता रहेगी।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन अनैतिक कार्यो से बच कर रहें मन भ्रमित रहने के कारण निषेधात्मक कार्यो में भटकेगा। लोग आपसे भावनात्मक संबंध बनाएंगे परन्तु आवश्यकता के समय कोई आगे नही आएगा। कार्य क्षेत्र पर भी सहकर्मियो का रूखा व्यवहार रहने से स्वयं के ऊपर ज्यादा निर्भर रहना पड़ेगा। लंबी यात्रा के प्रसंग बनेंगे संभव हो तो आज टालें। पेट अथवा स्वांस, छाती संबंधित व्याधि हो सकती है। अधिकांश समय मानसिक रूप से भी अशान्त रहेंगे। परिवार में अनावश्यक खर्च बढ़ेंगे किसी की गलती का विरोध करना भी बेवजह कलह का कारण बनेगा।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन आपमे बुद्धि विवेक की प्रचुर मातारा होने पर भी व्यवहार जिद्दी घमंडी जैसा रहेगा जिसके चलते कुछ लोगो से आपसी स्नेह संबंधों में खटास आने की संभावना है। लेखन अथवा पठन पाठन के कार्यो में अवरोध आएंगे या भ्रम में पड़ने से मन नही लगेगा। आज आपके द्वारा बोले गए कठोर शब्द स्वयं को ही परेशानी में डाल सकते है इसका विशेष ध्यान रखें। कारोबारी दशा कुछ समय के लिये बेहतर बनेगी लेकिन पूर्व में बोले गए किसी झूठ के कारण आज हानि भी उठानी पड़ सकती है। लकड़ी के उपकरण, खेती संबंधी सामान अथवा निर्माण कार्य मे निवेश तुरंत फलित होगा। गृहस्थ का वातावरण आपके विरोधी व्यवहार के चलते खरब हो सकता है आज धैर्य का परिचय दे। सेहत अकस्मात पेट संबंधित व्यादि बढ़ने से नरम हो सकती है।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आप सम्भल कर ही कार्य करेंगे फिर भी सफलता में संशय बना रहेगा। व्यवहारिकता की कमी के कारण जितना लाभ मिलना चाहिए उतना नही मिल सकेगा। घर अथवा बाहर बेवजह कलह के प्रसंग बनेगे। व्यापार व्यवसाय में सहकर्मियो की।मनमानी के कारण असुविधा एवं अव्यवस्था बनेंगी लेकिन फिर भी स्वयं के पराक्रम से खर्च लायक धनार्जन कर ही लेंगे। आस-पड़ोसी एवं भाई बंधुओ से बात का बतंगड़ ना बने इसके लिए मौन रखने की जरूरत है फिर भी महिलाये स्वभावानुसार बनती बात बिगाड़ लेंगी। विपरीत लिंग के प्रति कामासक्त रहेंगे।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन आर्थिक दृष्टिकोण से उन्नति वाला रहेगा। धन संबंधित समस्याएं काफी हद तक सुलझने पर दिन भर प्रसन्नता रहेगी। कार्य व्यवसाय से प्रारंभिक परिश्रम के बाद दोपहर के समय से धन की आमद शुरू हो जाएगी जो संध्या तक रुक रुक कर चलती रहेगी। मितव्ययी रहने के कारण खर्च भी हिसाब से करेंगे धन कोष में वृद्धि होगी। महिलाये किसी मनोकामना पूर्ति से उत्साहित होंगी। आज महिला वर्ग से कोई भी काम निकालना आसान रहेगा मना नही कर सकेंगी। दाम्पत्य सुख में भी वृद्धि होगी। पर्यटन की योजना बनेगी।

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन आप किसी भी कार्य को लेकर ज्यादा भाग-दौड़ करने के पक्ष में नही रहेंगे। आसानी से जितना मिल जाये उसी में संतोष कर लेंगे। परन्तु महिलाये इसके विपरीत रहेंगी अल्प साधनो से कार्य करने पर भाग्य को दोष देंगी। व्यवसाय की गति पल पल में बदलेगी जिससे सुकून से बैठने का समय नही मिलेगा। किसी पुरानी घटना को याद करके दुखी रहेंगे। पारिवारिक खर्चो में अकस्मात वृद्धि होने से बजट गड़बड़ा सकता है। महिलाओं के मन मे आज उथल पुथल अधिक रहने के कारण बड़ी जिम्मेदारी का कार्य सौपना उचित नही रहेगा।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन मानसिक चंचलता के कारण बनते कार्यो को दुविधा के कारण आप स्वयं बिगाड़ लेंगे। सरकारी कार्य आज सावधानी से करें अन्यथा लंबित रखें हानि निश्चित रहेगी। संबंधो के प्रति भी आज ईमानदार नही रहेंगे। पारिवारिक वातावरण आपके गलत आचरण से कलुषित होगा। सामाजिक क्षेत्र पर लोग पीठ पीछे बुराई करेंगे। सेहत में मानसिक दबाव के चलते उतार चढ़ाव लगा रहेगा। घर के बुजुर्ग आपसे नाराज रहेंगे। धन लाभ अचानक होने से स्थिति संभाल नही सकेंगे रुपया आते ही हाथ से निकल भी जायेगा।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन काफी उठा पटक वाला रहेगा। व्यावसायिक योजनाओं में अचानक बदलाव करना पड़ेगा। दिन के आरंभ में कार्यो की गति धीमी रहेगी समय पर वादा पूरा ना करने से व्यावसायिक संबंध खराब हो सकते है। कार्यो के प्रति नीरसत अधिक रहेगी। किसी भी कार्य को लेकर ठोस निर्णय नही ले पाएंगे परन्तु जिस भी कार्य में निवेश करेंगे उसमे विलंभ से ही सही सफल अवश्य होंगे धन लाभ भी आवश्यकता अनुसार हों जायेगा लेकिन संध्या पश्चात धन संबंधित कोई भी कार्य-व्यवहार ना करें। परिजन आपके टालमटोल वाले व्यवहार से दुखी रहेंगे।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन आप बुद्धि विवेक से कार्य करेंगे परन्तु परिस्थिति हर तरह से कार्यो में बाधा डालेगी। कार्य व्यवसाय से मन ऊबने लगेगा धैर्य से कार्य करते रहें संध्या तक संतोषजक लाभ अवश्य मिलेगा पारिवारिक एवं सामाजिक क्षेत्र पर आपके विचारो की प्रशंसा होगी लेकिन केवल व्यवहार मात्र के लिए ही। आर्थिक विषयो को लेकर किसी से विवाद ना करें धन डूबने की आशंका है। गृहस्थ में प्रेम स्नेह तो मिलेगा परन्तु स्वार्थ सिद्धि की भावना भी अधिक रहेगी। महिलाये अधिक बोलने की समस्या से ग्रस्त रहेंगी।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज का दिन कार्य सफलता वाला रहेगा। प्रातः काल जल्दी कार्यो में जुटने का फल शीघ्र ही धन लाभ के रूप में मिलेगा। अधिकांश कार्य थोड़े से परिश्रम से पूर्ण हो जाएंगे। अधिकारी वर्ग मुश्किल कार्यो में सहयोग करेंगे। आज आप जोड़ तोड़ वाली नीति अपना कर कठिन परिस्थितियों में भी अपना काम निकाल लेंगे। सरकारी कार्य मे भी सफलता की उम्मद जागेगी प्रयास करते रहे। दाम्पत्य जीवन मे छोटी-मोटी बातों को दिल पर ना लें स्थिति सामान्य ही रहेगी। मित्रो से कोई दुखद समाचार मिलेने की सम्भावना है।

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〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏