आज का पंचाग, आपका राशि फल, पूजा का अर्थ और महत्व, जानें देश के प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों छुए महिला के पांव,

 पूजा का अर्थ‘पूजा’ यह शब्द २ पदों से मिलकर बना है। ‘पो’ अर्थात पूर्णता तथा ‘जा’ अर्थात ‘से उत्पन्न’। अर्थात जो पूर्णता से उत्पन्न होती है वह है पूजा। जब हमारी चेतना पूर्ण हो जाती है तथा इस पूर्णता की स्थिति में हम कोई कर्म करते हैं तो वह कर्म पूजा कहलाता है। जब ह्रदय पूर्णता से आलोकित होता है और पूर्णता से अभिभूत स्थिति में हमारे द्वारा किये गए कार्य पूजा बन जाते हैं।
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यह मानकर कि ईश्वर हमारे लिए जो कुछ कर रहा है वह सबकुछ पूजा है। ईश्वर हमें धान्य और अनाज देता है अतः हम उसे चावल चढाते हैं। ईश्वर हमें जल देता है अतः हम ईश्वर को जल चढाते हैं।
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ईश्वर ने हमें सुगंधों का उपहार दिया है अतः हम ईश्वर को इत्र चढाते हैं। वृक्षों पर हमारे लिए फल उत्पन्न किये गए हैं अतः हम भी ईश्वर को फल चढाते हैं। ईश्वर सूर्य और चन्द्र के माध्यम से प्रतिदिन हमारी आरती करता है अतः हम दिया जलाकर उसकी आरती का अनुसरण करते हैं। ह्रदय से किसी को आदर देना… आदर जो पूर्ण हो, वह पूजा कहलाता है।
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‘आरती’ का क्या अर्थ है
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पूजा-कर्म का अंतिम चरण आरती के रूप में जाना जाता है। ‘आरती’ का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है – ‘पूर्ण आनंद’। रति का अर्थ है आनंद। अतः आरती का अर्थ है पूर्णानंद, अर्थात वह आनंद जिसमे दुःख का लेशमात्र भी ना हो और वह पूर्ण हो।
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आरती कैसे की जाती है? एक दिया जलाकर भगवान् के चारों ओर फिराया जाता है। दिया क्या बताता है? यह बताता है कि जीवन प्रकाश की भांति है। आप चाहे जिस दिशा में अग्नि को घुमाएँ, वह ऊर्ध्व के ओर ही गमन करेगी। इसी प्रकार जीवन की दिशा भी सदैव ऊर्ध्व की ओर होनी चाहिए।
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हमारा जीवन किसका परिक्रमण करे? हमारे जीवन को सदैव दिव्यता का परिक्रमण करना चाहिए। यही आरती है। इसके पश्चात् बारी आती है मंत्रपुष्पांजलि की। मन्त्रों के माध्यम से मन की शुद्धि होती है और शुद्ध मन एक पुष्प की भांति खिलता है और यही खिला हुआ मन दिव्यता को अर्पित किया जाता है। आरती के माध्यम से मन एक खिला हुआ पुष्प बन जाता है। (सौजन्य डाॅ भगवती प्रसाद पुरोहित) इस चित्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जिस महिला के चरणों में झुक कर प्रणाम कर रहे हैं वे हैँ सुश्री आरती डोगरा जो राजस्थान कैडर की आई ए एस अधिकारी हैं और हाल के समय में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के संचालन में महत्वपूर्ण योगदान किया है । 
कर्नल पिता की इकलौती संतान आरती का जन्म देहरादून में जुलाई 1979 में हुआ था और डॉक्टरों ने तभी बता दिया था कि बच्ची असामान्य है और इसका शारीरिक विकास संदिग्ध है । यह बात सच निकली और आरती का कद 3 फीट 2 इंच रह गया । मगर इस बच्ची ने अपने मानसिक विकास को निरन्तर नई बुलंदियों पर पहुंचाया , वे अपने पहले प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा सन 2006 में IAS चुनी गईं । तब से अब तक कर्तव्य – निष्ठा , सार्वजनिक जीवन के प्रति समर्पण और अनेक नये पहल कर गरीब के जीवन को बेहतर करने के अनेकानेक सफल प्रयोग कर वे यश की महावृक्ष बन चुकी हैं ।
अब ऐसी महिला के चरणों में राष्ट्र के प्रधानमंत्री का सर झुक गया है तो यह अनायास नहीं है 🙏