इकलौते बेटे की बोटी-बोटी खा गया बाघ, बाघ बचोण वाला नियम पर कब लगलि आग!

✍️हरीश मैखुरी
पौड़ी गढ़वाल स्थित ढाईज़्यूली पट्टी के बडेथ गांव में बाघ द्वारा पांच वर्षीय नन्हा बालक आर्यन रावत पुत्र श्री लाल सिंह रावत को गुलदार द्वारा उठा ले जाने की बहुत ही दुखद समाचार से न केवल पौड़ी जनपद विशाद में है अपितु उस बालक की चीख और और उसकी माता द्वारा अपने इकलौते की मृत्यु का कारुणिक रूदन देहरादून को भी झकझोर गया। आर्यन की दर्दनाक मृत्य पर उसके बिलखते परिजन बिलाप कर रहे थे कि ये बोगस्य बाघ बचोण वाला नियम पर कब लगलि आग! हमारु खेमान कु जिम्मेदार वन विभाग का गलत नेम च’ उत्तराखंड में ऐसे कारुणिक विलापों के चलते एक बार फिर बाघ बचाने की जिद पर  बने वन कानूनों पर पुनर्विचार की चर्चा गर्म कर दी है।
        उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस दारुण घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि “पौड़ी गढ़वाल स्थित ढाईज़्यूली पट्टी के बडेथ गांव में बाघ द्वारा पांच वर्षीय नन्हा बालक आर्यन रावत पुत्र श्री लाल सिंह रावत को गुलदार द्वारा उठा ले जाने की बहुत ही दुखद घटना की सूचना मिली। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं। 
मेरे द्वारा प्रभागीय वनाधिकारी, गढ़वाल वन प्रभाग, पौड़ी को परिजनों तक तात्कालिक सहायता एवं गाँव में दहशत के माहौल को देखते हुए वनकर्मियों की टीम गठित कर लगातार पैट्रोलिंग, गुलदार को पिंजड़े में क़ैद करने तथा कैमरा ट्रैप स्थापित किए जाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देने की प्रार्थना करता हूं।”
युवा उक्रांद पौड़ी ने इस घटना पर आक्रोश प्रकट करते हुए बयान जारी किया कि “पौड़ी गढ़वाल के पैठाणी के बडेथ गांव के तीन बहनों के अकेले भाई आर्यन रावत को कल शाम को घात लगाकर बैठे गुलदार उसकी मां सामने उठा कर ले गया! अभी कुछ दिन पहले पौड़ी गढ़वाल दुगड़ा के पास एक महिला को भी गुलदार ने अपना शिकार बनाया था! जो महिला अपनी लड़की को स्कूल छोड़ने के बाद घर वापस आ रही थी! और हमारे विधायक और मंत्री जर्मनी के दौरे पर हैं, खेती के कुछ गुर सिखने जा रखे हैं, जो मूल निवास लगातार इन जंगली जानवरों के शिकार हो रहे हैं, मूल निवासियों को बचाने के लिए भी कुछ गुर सीख के आ जाना जर्मनी से “
         यह उत्तराखंड की मानव निर्मित भीषण त्रासदी है जिसमें 6 नेशनल पार्क और 6 नेशनल सेंचुरी के हिंसक जीवों के बीच ही मानव रहने को विवश हैं अभिशप्त हैं। ऐसा क्रूरतापूर्ण मजाक शायद ही दुनियां के और किसी देश में न किया गया हो। एक बात बाघ पालने और उनकी अनियंत्रित पैदावार बढ़ाने वाले कथित वाईलडलाईफ कंजर्वेशन और पर्यावरण के पुरोधाओं को स्पष्ट समझनी होगी कि दुनियां का पहला बाघ मनुष्य ने उत्पन्न नहीं किया इसी तरह दुनियां के अंतिम बाघ को भी मनुष्य नहीं बचा सकता। तो फिर उत्तराखंड के लोग इस मानव निर्मित हिंसक त्रासदी के शिकार कब तक और किस निमित होते रहेंगे! आज स्थिति यह है कि जंगली जानवरों द्वारा जानमाल की क्षतिपूर्ति के लिए संबंधित विभागों अधिकारीयों के महिनों चक्कर लगाने पड़ते हैं लेकिन ग्रामीणों द्वारा अपनी आत्म रक्षा में किसी हिंसक जानवर पर हाथ उठाते ही तत्काल सजा तय है। इससे वनवासियों में गहन वेदना और आक्रोश दोनों है।
      पूर्व प्रमुख वन संरक्षक आईएफएस सनातन सोनकर का कहना है कि तीस चालीस वर्ष पुराने वन कानूनों में स्थानीय निवासियों की सुरक्षा और सुविधाओं के अनुरूप बदलाव आवश्यक और अपरिहार्य है। आखिर हम डंडे के बल पर कब तक स्थानीय लोगों को उजाड़ कर हिंसक जंगली जानवरों की पहरेदारी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वनों में स्थानीय लोगों और वनवासी लोगों की सहभागिता और भागीदारी दौनों आवश्यक है। 
 जनपद अलमोड़ा के मनबजूना गांव में भी बाघ का आतंक ग्रामीणों की बकरी और दर्जनों पालतू कुत्तों को अपना निवाला बना चुका है। अलमोड़ा के मनबजूना गांव में बाघ का आतंक छाया हुआ है कल शाम 7 बजे करीब इंदर सिंह राणा,टीम मोदी सपोर्टर संघ के जिला महामंत्री (अलमोड़ा) भी बाघ के हमले से बाल–बाल बचे, जब इंदर सिंह राणा जी अपने घर के आंगन में काम कर रहे थे तब अचानक से बाघ गांव के रास्तों में उगी झाड़ियों से निकलकर उनके बहुत करीब आ पहुंचा उन्होंने एक लकड़ी के सहारे अपनी जान बचाई।
इंदर सिंह राणा ने बताया कि कुछ दिनों से बाघ उनके गांव वासियों के पालतू मवेशियों पर अपनी घात लगाए रहता है और घात लगा कर कभी बकरी तो कभी पालतू कुत्तों को उठा ले जाता है
इस बीच ग्रामीणों में भय का माहोल है इंदर सिंह राणा जी ने वन विभाग से अपने गांव में पिंजरा लगाने की अपील की है
और इंदर सिंह राणा जी ने अपने गांव के रास्तों में उगी झाड़ियों को अपनी पुत्री कोमल राणा (उम्र 12 साल) के साथ मिलकर रास्ते से झाड़ियां साफ की । उनहोंने ग्रामीण छेत्रों की जनता से अपील की है कि वह अपने घरों के आस–पास उगी झाड़ियों को समय समय पर काटने का कष्ट करें क्योंकी बाघ अक्सर इन झाड़ियों में छुपकर घात लगाकर बैठता और हमला करता है।