शराब खराब है कि खराब है शराब

इंद्रेश मैखुरी
पूरे पहाड़ में शराब के खिलाफ आन्दोलन चल रहा है.। लेकिन राज्य सरकार ने न केवल विदेशी बल्कि देसी दारु भी पहाड़ में बेचने का फैसला लिया है.यह तब है, जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत स्वयं शराब को धीरे-धीरे कम करने की बात कह रहे हैं. शराब विरोधी आन्दोलन के बीच में कांग्रेसी-भाजपाईयों की बड़ी गजब स्थिति है.कांग्रेसी जैसे ही कुछ बोलें तो भाजपाई लपक कर कहें-अपनी डेनिस भूल गए.भाजपाईयों पर कांग्रेसी तंज कस रहे हैं-हमें बड़ा डेनिस-डेनिस बोलते थे और अब खुद?दोनों ही बातें एकदम सही हैं.डेनिस के मुनाफे के लिए सरकार तक दांव पर लगाने वाले  हरीश रावत जब शराब बंदी की बात करते हैं तो यह बिल्ली के नौ सौ चूहे खा कर हज जाने के मुहावरे के चरितार्थ होने जैसा ही है.पर यार भाजपाईयो, तुम ये बताओ कि डेनिस सरकार के बाद यह जो तुम्हारी सरकार बनी है,क्या वह इसलिए बनी है कि तुम विदेशी ही नही देसी शराब भी गाँव-गाँव पहुँचाओगे !
इस बीच अवैध शराब का भी गाहे-बगाहे लोग चर्चा करते रहते हैं.शराब समर्थक,शराब के कारोबारी या शराब माफिया के छोटे-छोटे प्यादे (जो गले में भैंस बाँधने की सांकल जैसी सोने की चेन पहन स्वयं को बहुत बड़ा तीसमारखां समझते हैं) चर्चा करते मिल जायेंगे कि अवैध शराब बहुत बढ़ गयी है.भाई तुम्हारी चिंता अवैध शराब है या अपने शराब का धंधा ?तुम्हारी चिंता अपना धंधा है.हम जानते हैं कि सरकारी वाला कारोबार नही चलेगा तो अवैध शराब बेचने का धंधा भी तुम्ही करोगे.यह अवैध शराब कोई आज नहीं पैदा हुई बल्कि शराब माफिया ही सरकारी के साथ-साथ अवैध शराब भी पहुंचाता रहा है गाँव-गाँव.इसमें प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत है.पिछले दिनों हमने कर्णप्रयाग कोतवाली में जा कर अवैध शराब रोकने के लिए प्रत्यावेदन दिया.वहां एक हेड कांस्टेबल इस बात पर ऐसे नाराज हो रहा था जैसे कि हमने यह कहा दिया हो कि वह अवैध शराब बेचता है.वैसा यह पुलिस वाला इस बात से भी नाराज था कि सरकारी शराब नहीं बिकने दी जा रही है और इस बात पर भी दुखी था कि अवैध शराब की शिकायत क्यूँ की जा रही है.जाहिर सी बात है कि दोनों ही धंधों से जेब भरती है,इसलिए ये दोनों चलवाना चाहते हैं.इस मामले में चमोली जिले में तो पुलिस ने गजब ढहा रखा है.बाकी जगह तो अवैध शराब के खिलाफ पुलिस की छापेमारी की ख़बरें आ भी रही हैं.पर चमोली जिले में पुलिस और प्रशासन ने मजाल है कि किसी अवैध शराब वाले की तरफ देखा भी हो ! माजरा क्या है एस.पी.साहिबा-सारा जोर शराब की दुकाने खुलवाने पर ही क्यूँ है,अवैध शराब पर आँखें क्यूँ फेरे हुए हैं?इसके भी आदेश हैं क्या ऊपर से ?
              उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने शराब के मामले में डबल इंजन का नया अर्थ प्रकट किया है.सरकार ने फैसला किया है कि पहाड़ में अंग्रेजी ही नहीं देसी शराब भी बिकेगी.यानि शराबियों के लिए न केवल अंग्रेजी बल्कि देसी सुरूर का बंदोबस्त भी सरकार करने जा रही है.यह है डबल इंजन-विदेशी और देसी दारु वाला डबल इंजन.यह डबल इंजन लगते ही देखिये पूरा पहाड़ किस शराबी गति से दौड़ पड़ेगा ! मंहगाई पर क्या करारा प्रहार किया है,त्रिवेंद्र रावत जी ने.जो मंहगी दारु न पी सके,वह सस्ता पाउच पिए और मस्त रहे. हर हाथ दारु,हर घर दारु पता चला कि जिला चमोली में सराब की दुकान के लिए लॉटरी हुई जिसमें 144 महिलाओं ने भी आवेदन किया है बड़ा संवेदनशील विसय है कि जहां महिलाएं सराब के विरोध में हैं और एक तरफ महिलाएं सराब की पर्चियों में भी शामिल है ये क्या है समझ नही पाया। मुझे लगता है आबकारी विभाग से लिस्ट ले कर देखना होगा ये महिलाएं हैं कौन । वैसे ये उनका अपना अधिकार है। पर फिर भी जानने का अधिकार हमें भी है।