विश्व एड्स दिवस : एचआईवी एवं एड्स से बचने के उपाय, परामर्श और उपचार

डाॅ हरीश मैखुरी

आज विश्व एड्स दिवस है समूची दुनियां में करीब 4 करोड़ लोग एचआईवी से संक्रमित हैं भारत में भी करीब 28 लाख लोग एचआईवी संक्रमित हैं। जबकि उत्तराखंड में यह संख्या करीब 11हजार के आसपास है। जिस व्यक्ति को एचआईवी का संक्रमण होता है। यदि वह समय पर परामर्श और उपचार नहीं लेता है तो लंबे समय में आगे चलकर उसी को एड्स होने की संभावना रहती है। यह अनुमान लगाया जाता है कि जितने स्वैच्छिक परामर्श एवं परीक्षण केंद्रों पर संक्रमित पाये जाते हैं उससे कई गुना ज्यादा समाज में एचआईवी पॉजिटिव लोग हो सकते हैं। परंतु क्योंकि एचआईवी संक्रमण के लक्षण तत्काल नहीं आते हैं, इसलिए लोग यथा समय अपना एचआईवी परीक्षण नहीं करा पाते। एचआईवी संक्रमण होने के बाद इसके लक्षण आने में व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता के अनुसार करीब 8 से 10 साल (इंक्यूवैशन पीरियड) लग जाते हैं। इसलिए समय-समय पर या हाई रिस्क व्यवहार की स्थिति में एचआईवी परीक्षण की सलाह दी जाती है। अच्छी बात यह है कि एचआईवी संक्रमण एक्वायर्ड है यानी जब संक्रमण लेंगे तभी आयेगा। अन्यथा नहीं। ये कोरोना की तरह छुआछूत का संक्रमण नहीं है। एचआईवी के मुख्य लक्षणों में 1 महीने में ही 5 किलो तक वजन कम होना, भूख नहीं लगना, टीबी, या बार डायरिया आदि अवसरवादी संक्रमण होना, स्किन रैशेज, कैंडीडायसिस याने मुंह के छाले, सार्कोमा कैंसर, और मल्टी डर्मल हरपीज जोस्टर यानी बहुत जगह पर मकड़े होना या लाल चकते होना मुख्य रूप से इसके लक्षण हैं। एड्स हम उस स्थिति को कहते हैं जब मनुष्य के शरीर में दो तीन बड़ी बीमारियां और 4-5 अन्य सहायक बीमारियां भी उत्पन्न हो जाती हैं, शरीर रुग्ण हो जाता है और व्यक्ति की रोग प्रतिरोधी क्षमता लगभग समाप्त होने लगती है। यहां एक बात स्पष्ट रूप से समझनी चाहिए कि ये लक्षण अन्य कारणों से भी होते हैं लेकिन जब भी आपको यह लक्षण दिखे तो सरकारी सरकारी चिकित्सालयों के आईसीटीसी केंद्रों पर अपना एचआईवी परीक्षण भी अवश्य कराएं। एचआईवी परीक्षण इन सभी केंद्रों पर निशुल्क है और इसकी रिपोर्ट भी अति गोपनीय रखी जाती है और यह संक्रमित व्यक्ति के अलावा किसी को बताई भी नहीं जाती है। देखने में आया है कि एचआईवी केवल चार कारणों से फैलता है

1–एचआईवी पॉजिटिव मां से उसके बच्चे को,
2–एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने से, 3–एचआईवी संक्रमित सूईयों के उपयोग से और एचआईवी संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध रखने के कारण,
4–एचआईवी संक्रमण के सबसे अधिक मामले असुरक्षित यौन संबंधों के कारण ही देखने में आए हैं।
एचआईवी संक्रमित होने के बाद भी यदि व्यक्ति समय से आईसीटीसी केंद्रों पर जाकर समुचित परामर्श लेता है अपना रक्त परीक्षण कराता है और एचआईवी पॉजिटिव आने पर एआरटी केंद्र से नियमित रूप से एआरटी दवा का सेवन करता है तो वह एक सामान्य व्यक्ति की भांति ही अपना सामान्य जीवन जी सकता है। इसलिए राज्य के सभी बड़े सरकारी चिकित्सालय ओं में स्वैच्छिक परामर्श एवं परीक्षण केंद्रों की स्थापना की गई है जिसमें स्वेच्छा से जाकर भी एचआईवी टेस्ट करवा सकते हैं। लक्षण आने का इंतजार ना करें। इस कोरोना काल में सभी लोग अनिवार्य रूप से मास्क पहने 2 गज की सोशल डिस्टेंसिंग अवश्य रखें खांसी जुकाम बुखार छाती या सिर में दर्द होने पर अपना कोरोना टेस्ट भी करायें और यदि ऊपर बताए गए कोई लक्षण दिखते हैं या तेजी से वजन कम हो रहा है तो एचआईवी परीक्षण भी कराएं। क्योंकि पूरी दुनियां में तमाम रिसर्च और स्वास्थ्य वैज्ञानिकों की खोज के उपरांत भी एचआईवी का कोई कारगर उपचार या टीका विकसित नहीं हुआ है इसलिए इसकी पर्याप्त जानकारी रखना ही एचआईवी एड्स का बचाव है। इसके लिए आवश्यक है कि
1–असुरक्षित योन सम्बन्धों से बचें,

2–हमेशा नयी सिरिंज का उपयोग करें।
3– रक्त चढ़ाने से पहले देखें कि वह सुरक्षित है या नहीं।
4—गर्भवती महिलाओं को अपना एचआईवी परीक्षण अवश्य कराना चाहिए।

  एचआईवी संक्रमण होने की स्थिति में भी अधिक चिंतित नहीं होना चाहिए इससे अवसाद डिप्रेशन की स्थिति में जाने की संभावना रहती है।                एचआईवी संक्रमण होने की स्थिति में भी अधिक चिंतित नहीं होना चाहिए इससे अवसाद डिप्रेशन की स्थिति में जाने की संभावना रहती है। अपितु अपना खानपान नियमित  रखना चाहिए हरी सब्जियों और मौसम के फल  नियमित रूप से लेने चाहिए हल्के-फुल्के व्यायाम और अपनी नियमित दिनचर्या रखें अपने घर के सामान्य काम कर सकते हैं यह छूने से नहीं फैलता, इसलिए एचआईवी होने पर क्वारंटाइन की भी आवश्यकता नहीं है  समय-समय पर #ART केंद्र अथवा  #आईसीटीसी केंद्रों पर जाकर नि:शुल्क परामर्श भी लेते रहना चाहिए ।

उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने विश्व एड्स दिवस पर अनेक जागरूकता कार्यक्रम और संकल्प अभियान के साथ ही सभी के स्वास्थ्य की कामना की है। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के आईसीटी विभाग ने एड्स जागरूकता साहित्य वितरित किया, होप टीआई एनजीओ ने भी धीरेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में जागरूकता रैली निकाली। और मास्क सिनेटाईजर और एड्स जानकारी विषयक साहित्य भी वितरित किए।  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने भी इस अवसर पर पर सावधानी अपनाने की प्रेरणा देते हुए सभी के कुशल स्वास्थ्य की कामना की।