आज का पंचाग, आपका राशि फल, सभी प्रकार की विपत्ति रोग व शोक निवारणार्थ करें ‘सिद्ध कुंजिका’ स्त्रोत्र का पाठ, श्रीकृष्ण गीता के कुछ जटिल प्रश्न और उनके सरल उत्तर, स्वास्थ संबंधित सौ घरेलू उपचार, शंख बजाने और शंख ध्वनि सुनने के लाभ

🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे मां जगदंबा भगवती आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे शुक्र वार स्तुति:- *हिम कुंद मृणालाभं, दैत्यानां परमं गुरूम्। सर्वशास्त्र प्रवक्तारं, भार्गवं प्रणमाम्यहम्* ।।
हिन्दी ब्याख्या:–
तुषार कुंज अथवा मृणाल के समान जिनकी आभा है जो दैत्यों के परम गुरु हैं उन सब शास्त्रों के अद्वितीय वक्ता शुक्राचार्य जी को मैं प्रणाम करता हूं।
शुक्र गायत्री:–*भृगवंशजाताय विद्महे श्वेत वाहनाय धीमहि तन्न शुक्र: प्रचोदयात्*।।
शुक्र गायत्री मंत्र का यथाशक्ति जप करने के बाद औदम्बरयुक्त पायस घी से दशांश हवन करें।
✍️*पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री*✡️
✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️विक्रम संवत 2078⚛️
✡️ज्येष्ठ मासे ✡️
✡️08 प्रविष्टे गते ✡️
✡️दिनांक ✡️:21 – 05 – 2021(शुक्रवार)✡️
सूर्योदय :05.47 am
सूर्यास्त :06.59 pm
सूर्य राशि :वृषभ
चन्द्रोदय :01.46 pm
चंद्रास्त :02.53 am
चन्द्र राशि :सिंह कल 09:07 pm तक, बाद में कन्या
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2078
अमांत महीना :बैशाख 10
पूर्णिमांत महीना :बैशाख 24
पक्ष :शुक्ल 9
तिथि :नवमी 11.11 am तक, बाद में दशमी
नक्षत्र :पूर्व फाल्गुनी 3.22 pm उत्तर फाल्गुनी
योग :हर्षण 9.09 pm तक, बाद में वज्रा
करण :कौलव 11:11 am तक, बाद में तैतिल 10:18 pm तक, बाद में गर
राहु काल :10.50 am – 12.30 pm
कुलिक काल :7.29 am – 9.09 am
यमगण्ड :3.51 pm – 5.32 pm
अभिजीत मुहूर्त :11.57 AM – 12.49 PM
दुर्मुहूर्त :08:25 am – 09:18 am, 12:49 pm – 01:42 pm

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✡️आज के लिए राशिफल ✡️(21-05-2021) 
✡️मेष✡️21-05-2021
आज आपकी दशहै अति अनुकूल नहीं है। स्वास्थ्य मध्यम रहेगा, फलस्वरूप कार्य को सही ढ़ंग से करने में आप स्वयं को थका हुआ अनुभव कर सकते हैं। खान-पान पर संयम रखकर आप अपने स्वास्थ्य को ठीक सकते हैं। आप किसी दूर की यात्रा पर निकलने का सोच सकते हैं। आर्थिक कार्यों में आपको सफलता अवश्य मिलेगी। आर्थिक लाभ के अवसर मिल सकते हैं। आपकी सुख-सुविधाओं में आज वृद्धि हो सकती है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️वृष ✡️21-05-2021
आज व्यस्त रहेंगे। आपके पास करने के लिए बहुत सारी चीजें हैं और आप इसे प्रबंधित करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। अपने सभी कार्यों से निपटने का सबसे आसान उपाय एक कार्य सूची बनाकर पहले जो आपको आवश्यक है उसे प्राथमिकता हैं। इस तरह आपके पास पूरे दिन का पालन करने के लिए एक संरचना होगी और चीजें गड़बड़ नहीं होंगी। आपको किसी समस्या को सुलझाने का तुरंत मार्ग मिलेगा।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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✡️मिथुन ✡️21-05-2021
आज आप दायित्व को निभाने में सफल होंगे| आज आप घर के लिए कुछ नया सामान क्रय सकते हैं। आप जीवनसाथी की सहायता करेंगे। जीवन में आगे बढ़ने के नए मार्ग खुलेंगे। इस राशि के लोगों को धन्धे में लाभ के योग बन रहे हैं। नए कार्य प्रारंभ करने का मन बनेगा। अगर आप कला के क्षेत्र से जुड़े हैं, तो आपको तरक्की के कई नये रास्ते खुले दिखेंगे। इस राशि के विद्ययार्थियों लिए आज का दिन अनुकूल है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : हल्का पीला
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✡️कर्क ✡️21-05-2021
आज आपका पारिवारिक वातावरण अच्छा रहेगा। आपको कार्यालय में अपने सहकर्मियों का सहयोग मिलेगा। यह दिन जीवन में महत्वपूर्ण चीजों की योजना बनाने और स्थिर करने के लिए अच्छा होगा, विशेषकर युवा महिलाओं के लिए। जीवनसाथी के साथ आज आप भविष्य की योजनाएं बनाएंगे। धार्मिक गतिविधियों में मन रहेगा कई कार्यो में अड़चन का सामना हो सकता है। यात्रा स्थगित करनी पड़ सकती है
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : हल्का नीला
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✡️सिंह ✡️21-05-2021
आप सभी आर्थिक गतिविधियों में आपकी जीत निश्चित है। सेवारत जातकों के लिए कोई विशेष कार्य सफलता प्रदान कर सकता है। विदेशी संपर्क वाले लोगों को अचानक कोई लाभ मिल सकता है। आय अच्छी रहेगी और निजी उद्यमों में लिप्त जातक एक आकर्षक व्यापार को अंतिम रूप प्रदान कर सकते हैं। पारिवारिक सदस्यों के मध्य सामंजस्य रहेगा और उत्सव आपको व्यस्त रखेंगे। आप अपने प्रिय के साथ सुखद क्षणों का आनंद लेंगे।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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✡️कन्या✡️21-05-2021
आपका क्षति नियंत्रण कौशल आज सबसे बड़ा सिद्ध होने जा रहा है। लोगों जरूरत के समय में आपके पास परामर्श लेने आएंगे। आपसे उन्हें सबसे अच्छी परामर्श मिलता है। अपने निर्णय का पालन करना न भूलें – और अपने जीवन को सन्मार्ग पर लाएं। आपको अधिक अनुशासित और व्यवस्थित होने की आवश्यकता है। ऋतुु कालीन बीमारियों से बचाव रखने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं और स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️तुला ✡️21-05-2021
आज बच्चे पार्क में खेलने जा सकते हैं। माता-पिता के स्वास्थ्य में सुधार आयेगा। आपका पैसा कहीं अटक सकता है। बढ़ता खर्च आपको थोड़ा परेशान करेगा|जीवनसाथी के साथ कहीं हिल स्टेशन पर घूमने की प्लांनिग करेंगे। किसी काम में ज्यादा मेहनत और समय लग सकता है। आप रिश्तों में सुधार लाने की कोशिश करेंगे। आज आपको कोई भी फैसला सोच-समझकर लेना चाहिए, बेहतर रहेगा। परिवार वालों का सहयोग मिलता रहेगा।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : हल्का हरा
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✡️वृश्चिक ✡️21-05-2021
आज यदि किसी से प्यार व्यक्त करना है तो सफलता मिलने की संभावना अधिक रहेगी। लेकिन याद रखें, जल्दबाजी या हड़बड़ाहट से बनते काम बिगड़ सकते हैं। किसी बुज़ुर्ग निकट संबंधियों निजी विपत्ति में सहायता करके आप उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। आसपास के लोगों से आपको सहयोग मिल सकता है। आपको माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग
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✡️धनु ✡️21-05-2021
कुछ भावनात्मक मुद्दे आपको पीड़ित कर सकते हैं, लेकिन आज आपका किसी भी प्रकार के तर्क से बचना बेहतर होगा। वरिष्ठों और सहकर्मियों से वांछित मदद प्राप्त नही हो पाएंगी। चीजों को नियंत्रण में लाने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी। अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए आपको कड़ी मेहनत करने की आवश्कता है। आपको अपनी यात्रा को स्थगित करना पड़ सकता है। पारिवारिक जीवन सामान्य रहेगा।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : गहरा लाल
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✡️मकर ✡️21-05-2021
आज आप विशेष रूप से मंडी महसूस कर सकते हैं। यह सब कुछ आपके आसपास होने के कारण हो सकता है। आपको वह अधिकार नहीं मिल रहा है जो आप चाहते हैं और हकदार हैं। लेकिन याद रखना, धैर्य एक गुण है। तो बस इस बात पर पकड़ बनाए रखें कि आप क्या चाहते हैं जो आपको मिल रहा है, लेकिन यह बस थोड़ी देर लेने वाला है। शिवलिंग पर जल अर्पित करें, जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️कुंभ ✡️21-05-2021
आज आपको कोई महत्वपूर्ण समाचार मिलेगा। कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत हासिल होगी। आपके मान-प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होगी। कारोबार में कुछ नए लोग आपसे​जुड़ सकते हैं। किसी महिला मित्र का सहयोग प्राप्त होगा। आर्थिक पक्ष पहले से बेहतर रहेगा। करियर में आगे बढ़ने के नए अवसर सामने आएंगे। सोचे हुए कुछ जरूरी काम पूरे होंगे। आप बड़े ही खुश नजर आयेंगे। तकनीकी क्षेत्र के स्टूडेंट्स के लिए आज का दिन फेवरेबल है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : गहरा हरा
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✡️मीन ✡️21-05-2021
आज आप सम्बंधों में औपचारिकता रखिएगा नहीं तो मनमुटाव होने की संभावना है। अपना समय और प्रयास उस चीज में लगाएं जिसे आप मानते हैं और सर्वश्रेष्ठ करते हैं। मित्रों से सावधान रहने की जरुरत है। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। साथियों के साथ अच्छी तरह से समय बीतेगा। नए कार्य प्रारंभ करने का मन बनेगा। अगर आप कला के क्षेत्र से जुड़े हैं, तो आपको तरक्की के कई नये रास्ते खुले नजर आएंगे।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : चंदन सफेद
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आपका ✍️ पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️ 8449046631,9149003677✡️✡️✡️✡️✡️

*कुंजिका स्तोत्र*

समस्त दुर्गा सप्तशती पाठ का सार है ये स्तोत्र,परम कल्याणकारी तो है ही और समस्त रोग-शोक को हरने वाला भी है। इस स्तोत्र का पाठ सुबह शाम अवश्य करें

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। इस स्तोत्र का पाठ मनुष्य के जीवन में आ रही समस्या और विघ्नों को दूर करने वाला है। मां दुर्गा के इस पाठ का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र-

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।

अथ मंत्र :-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”

।।इति मंत्र:।।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।

धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।

हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।

इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।

यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।

☀!! श्रीहरि: !! ☀
*[ “श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी” हिन्दी-टीका श्रद्धेय जयदयाल जी गोयन्दका ]*
👉 नवम अध्याय श्र्लोक {19} ⬇
🔹तपाम्यहमहं वर्षं निगृह्णाम्युत्सृजामि च ।
अमृतं चैव मृत्युश्च सदसच्चाहमर्जुन।। 19 ।।
🔸 मैं ही सूर्यरूप से तपता हूँ, वर्षा का आकर्षण करता हूँ और उसे बरसाता हूँ। हे अर्जुन! मैं ही अमृत और मृत्यु हूँ और सत्-असत् भी मैं ही हूँ।।19।।
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➡ प्रश्न – मैं ही सूर्यरूप से तपता हूँ, तथा वर्षा को आकर्षित करता और बरसाता हूँ- इस कथन का क्या अभिप्राय है?
➡ उत्तर – इस कथन से भगवान् ने यह भाव दिखलाया है कि अपनी किरणों द्वारा समस्त जगत् को उष्णता और प्रकाश प्रदान करने वाला तथा समुद्र आदि स्थानों से जल को उठाकर रोक रखने वाला तथा उसे लोकहितार्थ मेघों के द्वारा यथासमय यथायोग्य वितरण करने वाला सूर्य भी मेरा ही स्वरूप है?
➡ प्रश्न – ‘अमृतम्’ पद का क्या अभिप्राय है?
➡ उत्तर – जिसके पान कर लेने पर मनुष्य मृत्यु के वश न होकर अमर हो जाता है, उसे अमृत कहते हैं। देवलोक के जिस अमृत की बात कही जाती है उस अमृत के पान से यद्यपि देवताओं का मरण मृत्युलोक के जीवों के समान नहीं होता, इनसे अत्यन्त विलक्षण होता है, परंतु यह बात नहीं कि उसके पान से नाश ही न हो। ऐसे परम अमृत तो एक भगवान् ही हैं, जिनकी प्राप्ति हो जाने पर मनुष्य सदा के लिये मृत्यु के पाश से मुक्त हो जाता है। इसीलिये भगवान् ने अपने को ‘अमृत’ कहा है और इसीलिये मुक्ति को भी ‘अमृत’ कहते हैं।
➡ प्रश्न – ‘मृत्युः’ पद किसका वाचक है और भगवान् का उसे अपना स्वरूप बतलाने का क्या अभिप्राय है?
➡ उत्तर – सबका नाश करने वाले ‘काल’ को ‘मृत्यु’ कहते हैं। सृष्टि-लीला के सुचारुरूप से चलते रहने में सर्ग और संहार दोनों की ही परम आवश्यकता है और ये दोनों ही कार्य लीलामय भगवान् करते हैं; वे ही यथासमय लोकों का संहार करने के लिये महाकालरूप धारण किये रहते हैं। भगवान् ने स्वयं कहा है कि ‘मैं लोकों को क्षय करने के लिये बढ़ा हुआ महाकाल हूँ।’ इसीलिये भगवान् ने ‘मृत्यु’ को अपना स्वरूप बतलाया है।
➡ प्रश्न – ‘सत्’ और ‘असत्’ पद किनके वाचक हैं और उनको अपना स्वरूप बतलाने का क्या अभिप्राय है?
➡ उत्तर – जिसका कभी अभाव नहीं होता, उस अविनाशी आत्मा को सत् कहते हैं और नाशवान् अनित्य वस्तुमात्र का नाम ‘असत्’ है। इन्हीं दोनों को पंद्रहवें अध्याय में ‘अक्षर’ और ‘क्षर’ पुरुष के नाम से कहा गया है। ये दोनों ही भगवान् की ‘परा’ और ‘अपरा’ प्रकृति हैं और वे प्रकृतियाँ भगवान् से अभिन्न हैं, इसलिये भगवान् ने सत् और असत् को अपना स्वरूप कहा है।

💥 क्रमशः आगामी श्र्लोक {20}… ✍
[गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक “श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका” से]
💐 *जय श्री कृष्ण !* ⛳…🙏
🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹

🍎🍏 *स्वास्थ्य के 100 नुस्खे*

*👉🏻दूध ना पचे तो ~ सोंफ* ,
*👉🏻दही ना पचे तो ~ सोंठ*,
*👉🏻छाछ ना पचे तो ~जीरा व काली मिर्च*
*👉🏻अरबी व मूली ना पचे तो ~ अजवायन*
*👉🏻कड़ी ना पचे तो ~ कड़ी पत्ता,*
*👉🏻तैल, घी, ना पचे तो ~ कलौंजी…*
*👉🏻पनीर ना पचे तो ~ भुना जीरा,*
*👉🏻भोजन ना पचे तो ~ गर्म जल*
*👉🏻केला ना पचे तो ~ इलायची*
*👉🏻ख़रबूज़ा ना पचे तो ~ मिश्री का उपयोग करें…*
1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
2. *लकवा* – सोडियम की कमी के कारण होता है ।
3. *हाई वी पी में* – स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
4. *लो बी पी* – सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी ।
6. *कफ* – फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं
7. *दमा, अस्थमा* – सल्फर की कमी ।
8. *सिजेरियन आपरेशन* – आयरन , कैल्शियम की कमी ।
9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* ।
10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* ।
11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
12. *जुकाम* – जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. *ताम्बे का पानी* – प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
14. *किडनी* – भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है ।
16. *अस्थमा , मधुमेह , कैंसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. *पथरी* – अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
20. *RO* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है ।
21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
23. *भोजन* के लिए पूर्व दिशा , *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
24. *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
26. *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है ।
27. *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
28. *वात* के असर में नींद कम आती है ।
29. *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है ।
31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है ।
33. *आँखों के रोग* – कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
35. *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए* ।
36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
37. *व्यायाम* – *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम , *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है , मालिश से *वायु* शांति होती है , उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
41. *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।*
46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
51. *अवसाद* में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है
52. *पीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
53. *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
55. हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
59. *अस्थमा में नारियल दें ।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
61. *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
62. *गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।*
63. *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए
64. *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।*
65. *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
66. *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है ।
69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है
71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें
72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।*
75. *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
78. *सुबह के नाश्ते* में फल , *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए ।
79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे – दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
80. *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।*
83. *जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।*
84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
86 . *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ….. अंत में लाल रंग ।
87 . *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए
88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
89. *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
90. *चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।*
91. *गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।*
92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है ।
93. *रात को सोते समय* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा
94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए*।
95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है*।
98 . *तेज धूप* में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है
99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त , कफ* तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।
100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा लार* है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके l

📍 नोट – यह घरेलू उपचार आधारित अति सामान्य जानकारी दी गई है कठिन स्थिति में अपने चिकित्सक व चिकित्सालय से परामर्श लेंl

*सबसे सस्ता वेंटिलेटर शंख ……………….*

*शंख बजाने से शरीर में ऑक्सीजन की कभी कमी नहीं होगी*

*फेफड़े रहेंगे स्वस्थ …………………*

*शंख बजाने के हैं अद्भुत फायदे ………………*

*भारतीय परिवारों में और मंदिरो में सुबह और शाम शंख बजाने का प्रचलन है। अगर हम रोजाना शंख बजाते है, तो इससे हमें काफी लाभ हो सकता है*

*इसके लाभ बताना एक पोस्ट में संभव नहीं यहाँ कुछेक लाभ के बारे में बता रहा हु*

*1. रोजाना शंख बजाने से गुदाशय की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। शंख बजाना मूत्रमार्ग, मूत्राशय, निचले पेट, डायाफ्राम, छाती और गर्दन की मांसपेशियों के लिए काफी बेहतर साबित होता है। शंख बजाने से इन अंगों का व्यायाम हो जाता है।*

*2. शंख बजाने से श्वांस लेने की क्षमता में सुधार होता है। इससे हमारी थायरॉयड ग्रंथियों और स्वरयंत्र का व्यायाम होता है और बोलने से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है।*

*3. शंख बजाने से झुर्रियों की परेशानी भी कम हो सकती है। जब हम शंख बजाते हैं, तो हमारे चेहरे की मांसपेशियां में खिंचाव आता है, जिससे झुर्रियां घटती हैं।*

*4. शंख में सौ प्रतिशत कैल्शियम होता है। रात को शंख में पानी भरकर रखें और सुबह उसे अपनी त्वचा पर मालिश करें। इससे त्वचा संबंधी रोग दूर हो जाएंगे।*

*5. शंख बजने से तनाव भी दूर हो जाते है, जो लोग ज्यादा तनाव में रहते हैं, उनको शंख जरुर बजाना चाहिए। क्योंकि शंख बजाते समय दिमाग से सारे विकार चले जाते है। शंख बजाने से घर के अंदर आने वाली नकारात्मक शक्तियां भी दूर रहती है। जिन घरों में शंख बताया जाता है, वहां कभी नकारात्मकता नहीं आती है।*

*6. शंख बजाने से दिल के दौरे से भी बच सकते है। नियमित रूप से शंख बजाने वाले को कभी हार्ट अटैक नहीं आती है। शंख बजाने से सारे ब्लॉकेज खुल जाते हैं। इसी तरह बार-बार सांस भरकर छोडऩे से फेंफड़े भी स्वस्थ्य रहते हैं। शंख बजाने से योग की तीन क्रियाएं एक साथ होती है – कुम्भक, रेचक, प्राणायाम।*

*7. शंख की आकृति और पृथ्वी की संरचना समान है नासा के अनुसार – शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन होता है जो जीवाणु का नाश कर लोगो को ऊर्जा व् शक्ति का संचार करता है।*

*8 फेफड़ों के रोग करें खत्म : शंख बजाने से चेहरे, श्वसन प्रणाली, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों की बहुत बढिय़ा एक्सरसाइज होती है। जिन लोगों को सांस संबधी समस्याएं है, उन्हें शंख बजाने से छुटकारा मिल सकता है। हर रोज शंख बजाने वाले लोगों को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते। इससे स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।*

*9. वैज्ञानिक मानते हैं कि शंख फूंकने से उसकी ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक के अनेक बीमारियों के कीटाणु ध्वनि-स्पंदन से मूर्छित हो जाते हैं या नष्ट हो जाते हैं। यदि रोज शंख बजाया जाए, तो वातावरण कीटाणुओं से मुक्त हो सकता है। बर्लिन विश्वविद्यालय ने शंखध्वनि पर अनुसंधान कर यह पाया कि इसकी तरंगें बैक्टीरिया तथा अन्य रोगाणुओं को नष्ट करने के लिए उत्तम व सस्ती औषधि हैं। रोजाना सुबह-शाम शंख बजाने से वायुमंडल कीटाणुओं से मुक्त हो जाता है। इसीलिए सुबह-शाम शंख बजाने की परंपरा है।*

*10. हड्डियों को मजबूत करे : शंख में कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस काफी मात्रा में पाए जाते हैं। यह तत्व हड्डियों को मजबूत करने के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इसलिए शंख में रखें पानी का सेवन करें।*
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*मेरे एक शुभेक्षक मित्र द्वारा प्राप्त हुआ यह लेख*