आज का पंचाग आपका राशि फल, जब काशी में जागृत हो कर बोल उठा इतिहास, जूनागढ़ सोमनाथ की सत्य घटनायें

मुझे तो मरना है पर आपका तप बड़ा है आपको सदियों तक इंतजार करना है”

काशी में मंदिर के बाहर खड़े नंदी के कान में ये वाक्य बोल कर उस पंडित ने शिवलिंग के साथ कुएं में छलांग लगा दी।

औरंगजेब की सेना ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने के लिए इस क्षेत्र को घेर लिया था

पूरे काशी में मुग़ल सैनिकों के हाथों में तलवारें और मंदिर को
छोड़कर भागते लोगों की चीखें ही दिखाई और सुनाई दे रहीं थी

तब एक पुजारी ने हिम्मत दिखाई और महादेव के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को बचाने के लिए शिवलिंग के साथ ही ज्ञानवापी कुएं में कूद गए

1777-80 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया

उन्होंने ही इस परिसर में विश्वनाथ मंदिर बनवाया और
सनातन संस्कृति के गौरव को स्थापित करने का काम किया

मोदी सरकार के प्रयासों से 353 साल पुराना ज्ञानवापी कुंड
काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तार में कॉरिडोर का हिस्सा बना

लेकिन ये तस्वीर उसी नंदी की है जो सालों तक
अपने महादेव की ओर मुंह मंदिर के पुनरुत्थान की प्रतीक्षा करता रहा

लेकिन ये हमारे देश की यही बिडम्बना है कि हमारी प्राचीन विरासतों पर
अवैध रूप से कब्जाने वाले आज हमसे ही सवाल कर रहे हैं

कल जब ज्ञानवापी में बनाये गये बजूखाने में 12.8 फिट व्यास का वही शिवलिंग मिला तो उपर लिखा इतिहास साक्षी बन कर जागृत हो कर बोल उठा मैं ही ज्ञानवापी मंदिर हूँ। सवाल यही है कि क्या कोई हमारे मकान पर कब्ज़ा करके उसका मालिक बन सकता है?

जवाब है – नहीं! किसी कीमत पर नहीं

सालों तक भी किसी की संपत्ति को अवैध तरीके से
हथियाने पर भी व्यक्ति वो घुसपैठिया ही कहलाया जाएगा उसको एक दिन भागना ही होगा, हमारी विरासत को हमें सौंपना ही होगा। (सभार शोशल मीडिया)
breakinguttarakhand.com

जय सोमनाथ – भाग १: जूनागढ़

रियासत की सीमाएं कहीं से पकिस्तान से नहीं मिलती, इसलिए आपको भारत में शामिल हो जाना चाहिए। भारत में शामिल होने सलाह देकर लार्ड माउंटबेटन ने नबी बख्श को वापस भेज दिया था। फिरंगियों के सामने जिनकी हेकड़ी बंद रही थी, उनका इरादा वापस जाकर कुछ और ही करने का था। जूनागढ़ के नवाब ने जूनागढ़ के गज़ट में 15 अगस्त 1947 को खुद को पाकिस्तान में शामिल बता दिया। हालाँकि उनकी सीमाएं जमीन के रास्ते भारत से नहीं मिलती थीं, लेकिन समुद्र के रास्ते वो पाकिस्तान से जुड़ते थे। सितम्बर की पंद्रह तारीख को जिन्ना के दस्तख़त के साथ ही जूनागढ़ पाकिस्तान का हिस्सा हो गया।

कई टुकड़ों में मिली आजादी से एक भारत बनाने का सपना सजाये पटेल ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी थी। वी.पी.मेनन 17 सितम्बर 1947 को ही जूनागढ़ नवाब से मिलने जा पहुंचे। रियासत के दीवान शाह नवाज़ भुट्टो ने बताया कि नवाब साहब तो मिल नहीं सकते! तबियत नासाज़ का बहाना सुनकर मेनन लौटे नहीं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार नवाब के फैसले से सहमत नहीं। पाकिस्तान में मिल जाना जूनागढ़ इलाके के बहुसंख्यक हिन्दुओं के हित में नहीं था। दीवान भुट्टो ने मेनन को टका सा जवाब दे दिया और साफ़ कह दिया कि अब इस सिलसिले में जो भी बात हो सकती है, वो पाकिस्तान से करनी होगी।

मेनन लौटते वक्त शामलदास गाँधी से मिले। वो गाँधी जी के सम्बन्धी भी थे और स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रीय योगदान दे चुके थे। गुजरात राज्य संगठन, जिसका नेतृत्व लुनावाला के महाराज करते थे उन्होंने भी शामलदास गांधी का समर्थन किया। समलदास गाँधी ने इलाके में प्रजातांत्रिक सरकार बना ली जिसे प्रजा-मंडल आन्दोलनकारियों का समर्थन भी मिल गया। शामलदास गाँधी के नेतृत्व वालों ने जूनागढ़ रियासत के बाहरी हिस्से अपने कब्जे में ले लिए। पाकिस्तान ने इस सरकार की निंदा करते हुए नेहरु को लिखा, मगर पाकिस्तान को जवाब मिला कि ये तो वहां के लोगों का स्वतः स्फूर्त आन्दोलन है!

दबाव बढ़ते ही जूनागढ़ के नवाब 25 अक्टूबर 1947 को भागकर कराची जा पहुंचे। उधर जब दबाव बढ़ता रहा तो दीवान भुट्टो ने नवाब साहब को टेलीग्राम पर टेलीग्राम करना शुरू किया। आख़िरकार नवाब ने दीवान को इलाके के मुहम्मडेनों के हक़ में फैसला खुद ले लेने की इजाजत दे दी। आख़िरकार 7 नवम्बर को जूनागढ़ दरबार के लोगों ने मिलकर बैठक की जो तीन बजे रात तक चलती रही। फैसला हुआ कि इलाके की दूसरी सरकार के बदले भारत सरकार को आत्मसमर्पण किया जाए। 8 नवम्बर को भुट्टो ने राजकोट में भारत सरकार के प्रांतीय प्रमुख नीलम भूच को चिट्ठी लिखी।

नीलम भूच ने चिट्ठी, फोन पर पढ़कर दिल्ली में मौजूद मेनन को सुनाई। सरदार पटेल की सलाह से जूनागढ़ के दीवान के निवेदन पर जूनागढ़ का नियंत्रण लेने का भारत सरकार का आदेश जारी हुआ। अगले दिन भारतीय वायुसेना के जहाज जूनागढ़ के ऊपर काफी कम उंचाई पर उड़ानें भरते नजर आये। दीवान भुट्टो 8 नवम्बर की रात में ही किसी वक्त पाकिस्तान भाग खड़े हुए थे। काठियावाड़ इलाके के सैन्य कमांडर ब्रिगडियर गुरदयाल सिंह के नेतृत्व में अगले दिन भारतीय सेनाएं जूनागढ़ जा पहुँचीं और हालात काबू में कर लिए। कप्तान हार्वे जोनसन और चीफ सेक्रेटरी घीवाला ने 9 नवम्बर की शाम अधिकारिक रूप से जूनागढ़ की कमान भारत के हाथों सौंप दी।

इस घटना को लेकर पाकिस्तान और भारत में खींचतान शुरू हो गयी। पाकिस्तान का कहना था कि चुनाव करवाने के लिए उसकी मंजूरी भी जरूरी है। नेहरु ने शुरू में कहा कि यूनाइटेड नेशन चाहे तो अपनी निगरानी में चुनाव करवा सकता है। बाद में वो पलट गए और कहा कि यू.एन. चाहे तो अपने एक दो आब्जर्वर भेज दे, लेकिन जनमत संग्रह अब और टाला नहीं जा सकता। 20 फ़रवरी 1948 को हुए जनमत संग्रह में 91 लोगों को छोड़कर बाकी के 99.95% लोगों ने भारत में शामिल होने के पक्ष में मतदान किया। मजहब के आधार पर बने पाकिस्तान के जबड़े से जूनागढ़ छीन लिया गया। जूनागढ़ सौराष्ट्र प्रान्त का हिस्सा बना और बाद में राज्यों के पुनः निर्धारण के बाद अब गुजरात के सौराष्ट्र जिले का हिस्सा है।

जय सोमनाथ
(भाग दो – प्रभास पाटन का तीर्थ)
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प्रभास पाटन में सोमनाथ का मंदिर है और यहाँ मौजूद एक बाणस्तम्भ पर पत्थर पर उकेरी गयी संस्कृत उक्ति कहती है कि इस दिशा में सीधा चलने पर दक्षिणी ध्रुव पर भूमि मिलेगी।
दक्षिणी ध्रुव से यहाँ तक सीधा समुद्र का पानी ही पानी है!
संस्कृत जानने वालों को जलमार्गों की इतनी जानकारी क्यों थी पता नहीं।

प्रभास पाटन गुजरात के इलाके में है और वहां के गाँधी जी तो मानते थे कि समुद्र यात्रा से धर्म भ्रष्ट हो जाता है!
प्रभास पाटन का ये तीर्थ यानी सोमनाथ, सदियों से यहीं था।
गाँधी जी के दौर में ये जीर्ण शीर्ण अवस्था में था।
आमिर खुसरो के मुताबिक गुजराती मुहम्मडेन हज पर जाते समय यहाँ माथा टेककर जाते थे।

इस मंदिर को अंतिम बार जिन्दा पीर औरंगज़ेब ने तुड़वा डाला था।
एक बार 1665 में तुड़वाने के बाद जब उसे लगा कि हिन्दुओं ने यहाँ फिर से पूजा शुरू कर दी है,
तो उसने 1702 इसे पूरी तरह जमीन से उखाड़ फेंकने का फ़र्मान जारी किया।

आजादी के वक्त के.एम. मुंशी जैसे नेताओं ने इस मंदिर के सम्बन्ध में गाँधी जी से बात की।
गाँधी जी ने मंदिर फिर से बनाने की मंशा पर सहमति जताते हुए कहा कि इसे सरकारी खर्च से नहीं, जनता के पैसे से ही बनना चाहिए।
पता नहीं उन्हें क्यों लगता था कि मंदिर बनाने के लिए सरकार पैसे देगी, भारत सरकार तो मंदिरों की संपत्ति असंवैधानिक रूप से लेती रही है!

इस मंदिर के पुनः निर्माण से जुड़ी दो रोचक कहानियाँ हैं।
एक तो 1782-83 की है जब महातजी शिंदे ने लाहौर में महमूद शाह अब्दाली को हराया तो उससे वो इस मंदिर के दो चाँदी के दरवाजे भी छीन लाये।
सोमनाथ के पुजारियों ने उन दरवाजों को मंदिर में लगाने से इनकार कर दिया।
सेना के सामने गायें हैं, इसलिए तीर मत चलाओ वाली मानसिकता शायद गयी नहीं थी।
ये दोनों दरवाजे अब उज्जैन में हैं। एक तो महाकालेश्वर मंदिर में लगा है और दूसरा गोपाल मंदिर में।

दूसरा किस्सा सन 1842 का है जब ब्रिटिश जूड लॉ ने सेना को अफगानिस्तान से गजनी के रास्ते लौटने का आदेश दिया।

उसका आदेश महमूद गजनी के मकबरे पर लगे दरवाजे उखाड़ लाने का था।
जनरल विलियम नॉट की कमान में छठी जाट लाइट इन्फेंट्री ने हमला किया और महमूद गजनी के मकबरे से चन्दन के दरवाजे उखाड़ लाये। भारत पहुँचने पर पता चला कि दरवाजे भारतीय चन्दन के नहीं, बल्कि अफगानी देवदार के हैं। उनकी नक्काशी भी भारतीय नहीं लग रही थी, इसलिए वो दरवाजे असली नहीं हो सकते।
लिहाजा ये नकली दरवाजे आगरा के किले में रखवा दिए गए और अब भी महमूद गजनवी की कब्र के दरवाजे वहीँ कहीं तहखाने में पड़े सड़ रहे होंगे।

खैर रोचक कहानियों से आगे हालिया इतिहास में सोमनाथ मंदिर बनवाने पर फिर से वापस चलते हैं।

के.एम. मुंशी घोषित रूप से हिन्दुत्ववादी थे।
उनके सख्त लहजे की वजह से और गाँधी वाली अहिंसा को न मानने के कारण वो कुछ साल काँग्रेस से बाहर भी गुजार आये थे।
जाहिर है ऐसे सख्त प्रशासकों से राजेन्द्र बाबु और सरदार पटेल जैसे नेताओं की अच्छी बनती थी।
सरदार पटेल जब 12 नवम्बर 1947 को जूनागढ़ की शांति-व्यवस्था की स्थिति के निरीक्षण के लिए आये तो उन्होंने मंदिर के पुनःनिर्माण का आदेश भी जारी कर दिया।
थोड़े ही समय में सरदार पटेल और गाँधी, दोनों की मृत्यु हो चुकी थी।

“जय सोमनाथ” जैसी किताबें लिखने वाले के.एम.मुंशी उस समय खाद्य मंत्री थे।

अक्टूबर 1950 में पुराने ढाँचे को हटाया गया और वहाँ झाड़-झंखाड़ की तरह उग आई मस्जिद को भी वहाँ से कहीं दूर हटा दिया गया।

सोमपुरा सलात कारीगरों की कलात्मकता का ये नमूना चालुक्य शैली के “कैलाश महामेरु प्रसाद” रूप में बना हुआ है।
गुजरात के दक्षिणी तटों पर, सौराष्ट्र के प्रभास पाटन का ये तीर्थ मई 1951 से भारत की प्रतिष्ठा की पुनःस्थापना में लगा है।
के.एम.मुंशी ने इस पुनीत कार्य के आरंभ के लिए राजेन्द्र बाबु (तब के राष्ट्रपति) को विशेष रूप से आमंत्रित किया था।
कहते हैं, वो इस काम के लिए आये तो सरकारी खर्चे पर नहीं, खुद अपने खर्च पर गए थे।

म्लेच्छों के आक्रमण का एक घाव तो भरा मगर अभी कई और घाव भरने बाकी हैं।
हाँ ये जरूर कहा जा सकता है कि घावों पर मरहम रखते ही फूल फिर से खिलने लगे हैं।
बुतशिकनों की छाती पर मूँग दलने के लिए दुनियाँ की सबसे ऊँची प्रतिमा उग आई है!

अगली बार जब पूछा जाएगा कि पुरानी छोड़ो,
ये बताओ कि स्वतंत्र भारत में क्या बना?
तो हम कहेंगे थोड़ा पढ़कर क्यों नहीं आते मियाँ?
विश्व कीर्तिमान ही देख लेते!!
✍🏻आनन्द कुमार

*दिनाँक:- 17/05/2022, मंगलवार*
प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि——— प्रतिपदा 06:25:02 तक
तिथि———-द्वितीया 26:59:46
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र———अनुराधा 10:45:19
योग————– शिव 22:36:05
करण———–कौलव 06:25:02
करण———– तैतुल 16:42:43
करण————– गर 26:59:46
वार———————–मंगलवार
माह————————–ज्येष्ठ
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु————————- वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————–2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:30:44
सूर्यास्त————— 19:00:47
दिन काल————- 13:30:03
रात्री काल————- 10:29:26
चंद्रास्त—————- 06:13:00
चंद्रोदय—————- 20:36:49

लग्न—- वृषभ 1°56′ , 31°56′

सूर्य नक्षत्र—————– कृत्तिका
चन्द्र नक्षत्र—————- अनुराधा
नक्षत्र पाया——————- रजत
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृषभ 01:12 कृतिका , 2 ई
चन्द्र =वृश्चिक 13°23 , अनुराधा, 4 ने
बुध =वृषभ 09 ° 07′ कृतिका ‘ 4 ए
शुक्र=मीन 22 °05, रेवती ‘ 2 दो
मंगल=कुम्भ 29°30 ‘ पूoभाo’ 3 दा
गुरु=मीन 06°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°10’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°10 विशाखा , 3 ते

*🚩💮🚩 मुहूर्त प्रकरण 🚩💮🚩*

राहू काल 15:38 – 17:20 अशुभ
यम घंटा 08:53 – 10:35 अशुभ
गुली काल 12:16 – 13:57 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:13 – 09:07 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:13 – 24:07* अशुभ

🚩गंड मूल 10:45 – अहोरात्र अशुभ

💮चोघडिया, दिन
रोग 05:31 – 07:12 अशुभ
उद्वेग 07:12 – 08:53 अशुभ
चर 08:53 – 10:35 शुभ
लाभ 10:35 – 12:16 शुभ
अमृत 12:16 – 13:57 शुभ
काल 13:57 – 15:38 अशुभ
शुभ 15:38 – 17:20 शुभ
रोग 17:20 – 19:01 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
काल 19:01 – 20:19 अशुभ
लाभ 20:19 – 21:38 शुभ
उद्वेग 21:38 – 22:57 अशुभ
शुभ 22:57 – 24:16* शुभ
अमृत 24:16* – 25:34* शुभ
चर 25:34* – 26:53* शुभ
रोग 26:53* – 28:12* अशुभ
काल 28:12* – 29:30* अशुभ

💮होरा, दिन
मंगल 05:31 – 06:38
सूर्य 06:38 – 07:46
शुक्र 07:46 – 08:53
बुध 08:53 – 10:01
चन्द्र 10:01 – 11:08
शनि 11:08 – 12:16
बृहस्पति 12:16 – 13:23
मंगल 13:23 – 14:31
सूर्य 14:31 – 15:38
शुक्र 15:38 – 16:46
बुध 16:46 – 17:53
चन्द्र 17:53 – 19:01
*🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩*
वृषभ > 04:44 से 06:44 तक
मिथुन > 06:44 से 08:52 तक
कर्क > 08:52 से 11:10 तक
सिंह > 11:10 से 13:26 तक
कन्या > 13:26 से 05:38 तक
तुला > 05:38 से 05:50 तक
वृश्चिक > 05:50 से 08:02 तक
धनु > 08:02 से 22:04 तक
मकर > 22:04 से 11:44 तक
कुम्भ > 11:44 से 01:30 तक
मीन > 01:30 से 03:04 तक
मेष > 03:04 से 04:44 तक
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮🚩 दैनिक राशिफल 💮

🐏मेष
सही काम का भी विरोध होगा। कोई पुरानी व्याधि परेशानी का कारण बनेगी। कोई बड़ी समस्या बनी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक कार्य करने के प्रति रुझान रहेगा। मान-सम्मान मिलेगा। रुके कार्यों में गति आएगी। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में चैन बना रहेगा।

🐂वृष
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। चोट व रोग से बचें। सेहत का ध्यान रखें। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। झंझटों में न पड़ें। व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि होगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। परिवार में प्रसन्नता रहेगी।

👫मिथुन
शत्रुभय रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। विवाद से क्लेश होगा। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। ऐश्वर्य के साधनों पर सोच-समझकर खर्च करें। कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कि बाद में पछताना पड़े। दूसरे अधिक अपेक्षा करेंगे। नकारात्मकता हावी रहेगी।

🦀कर्क
प्रतिद्वंद्विता कम होगी। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। बात बिगड़ सकती है। शत्रुभय रहेगा। कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। स्त्री वर्ग से सहायता प्राप्त होगी। नौकरी व निवेश में इच्छा पूरी होने की संभावना है।

🐅सिंह
भूमि व भवन संबंधी खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। आर्थिक उन्नति होगी। संचित कोष में वृद्धि होगी। देनदारी कम होगी। नौकरी में मनोनुकूल स्थिति बनेगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। शेयर मार्केट आदि से बड़ा फायदा हो सकता है। परिवार की चिंता बनी रहेगी।

🙍‍♀️कन्या
शारीरिक कष्ट संभव है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी प्रभावशाली व्यक्ति मार्गदर्शन प्राप्त होगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। झंझटों में न पड़ें।

⚖️तुला
शत्रुओं का पराभव होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। दु:खद समाचार मिल सकता है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। काम पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। बेवजह किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। दूसरों के बहकावे में न आएं। फालतू बातों पर ध्यान न दें। लाभ में वृद्धि होगी।

🦂वृश्चिक
पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। जल्दबाजी न करें। आवश्यक वस्तुएं गुम हो सकती हैं। चिंता तथा तनाव रहेंगे। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। भेंट व उपहार देना पड़ सकता है। प्रयास सफल रहेंगे। कार्य की बाधा दूर होगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि तथा सम्मान में वृद्धि होगी।

🏹धनु
किसी भी तरह के विवाद में पड़ने से बचें। जल्दबाजी से हानि होगी। राजभय रहेगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। सही काम का भी विरोध हो सकता है। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। सट्टे व लॉटरी के चक्कर में न पड़ें।

🐊मकर
कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। किसी अनहोनी की आशंका रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। लेन-देन में लापरवाही न करें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। शेयर मार्केट से बड़ा लाभ हो सकता है।

🍯कुंभ
मस्तिष्क पीड़ा हो सकती है। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है या समय पर नहीं मिलेगी। पुराना रोग उभर सकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। हल्की हंसी-मजाक करने से बचें। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। चिंता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। यश बढ़ेगा।

🐟मीन
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। विवेक से कार्य करें। लाभ में वृद्धि होगी। फालतू की बातों पर ध्यान न दें। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में उन्नति होगी। व्यापार-व्यवसाय की गति बढ़ेगी। चिंता रह सकती है। थकान रहेगी। प्रमाद न करें।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
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✍️*ज्योतिष आचार्य पांडुरंगरावशास्त्री*