आज का पंचाग आपका राशि फल, नागपंचमी का महात्म्य और पूजा विधि विधान, टोक्यो ओलम्पिक के गोल्डन स्टार नीरज चोपड़ा के कोच जयवीर सिंह

 ‼️ 🕉️ ‼️
🚩🌞 *सुप्रभातम* 🌞
📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द…………………..5123
विक्रम संवत्………………….2078
शक संवत्…………………….1943
रवि……………………….दक्षिणायन
मास…………………………..श्रावण
पक्ष…………………………….शुक्ल
तिथी………………………….तृतीया
दोप 04.51 पर्यंत पश्चात चतुर्थी
सूर्योदय………..प्रातः 06.02.12 पर
सूर्यास्त………..संध्या 07.01.31 पर
सूर्य राशि………………………..कर्क
चन्द्र राशि……………………….सिंह
गुरु राशि……………………….कुम्भ
नक्षत्र…………………..पूर्वाफाल्गुनी
प्रातः 09.26 पर्यंत पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग…………………………….शिव
संध्या 06.18 पर्यंत पश्चात सिद्ध
करण………………………….गरज
दोप 04.51 पर्यंत पश्चात वणिज
ऋतु…………………………….वर्षा
*दिन………………………बुधवार*

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर श्रावण, दिनांक २०*
*( नभ मास ) !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*११ अगस्त सन २०२१ ईस्वी !*

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
दोपहर 12.31 से 02.08 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*कर्क*
03:56:25 06:16:59
*सिंह*
06:16:59 08:34:48
*कन्या*
08:34:48 10:51:28
*तुला*
10:51:28 13:11:21
*वृश्चिक*
13:11:21 15:30:18
*धनु*
15:30:18 17:34:39
*मकर*
17:34:39 19:17:14
*कुम्भ*
19:17:14 20:44:56
*मीन*
20:44:56 22:10:07
*मेष*
22:10:07 23:45:36
*वृषभ*
23:45:36 25:41:27
*मिथुन*
25:41:27 27:56:25

🚦 *दिशाशूल* :-
उत्तरदिशा – यदि आवश्यक हो तो तिल का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

☸ शुभ अंक………………………2
🔯 शुभ रंग……………………..हरा

⚜️ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.41 से 09.17 तक अमृत
प्रात: 10.54 से 12.30 तक शुभ
दोप 03.44 से 05.20 तक चंचल
सायं 05.20 से 06.57 तक लाभ
रात्रि 08.20 से 09.44 तक शुभ ।

📿 *आज का मंत्र* :-
|| ॐ कपालवते नम: ||

📯 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
आशा हि लोकान् बध्नाति कर्मणा बहुचिन्तया ।
आयुः क्षयं न जानाति तस्मात् जागृहि जागृहि ॥
अर्थात :
बडी चिंता कराके, कर्मो द्वारा आशा इन्सान को बंधन में डालती है । इससे खुद के आयुष्य का क्षय हो रहा है, उसका उसे भान नहीं रहेता; इस लिए “जागृत हो, जागृत हो ।”

🍃 *आरोग्यं :*-
*गुड़ खाने के फायदे -*

1. यदि आप पेट की समस्या से ग्रसित हैं तो आपके लिए गुड़ फायदेमंद है। यह पेट में बनने वाले गैस और पाचन क्रिया से जुड़ी समस्याओं में राहत देता है।

2. सर्दियों के मौसम में सर्दी जुकाम भी आम हो जाते हैं। ऐसे में गुड़ का सेवन सेहत के लिए बहुत ही जरूरी हो जाता है। गुड़ की तासीर गर्म होने के कारण यह सर्दी, जुकाम और खास तौर पर कफ से आपको राहत देने में मदद करता है। सर्दी होने पर आप इसका काढ़ा बनाकर पिएं।

3. कैल्शियम, फास्फोरस और जस्ते से भरपूर गुड़ आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है।

4. लगातार गुड़ के सेवन से हमें मैग्नीशियम मिलता है। यह हमें मांसपेशियों, नसों और रक्त वाहिकाओं के थकान से राहत दिलाता है।

. ⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
दांपत्य जीवन में मनमुटाव हो सकता है। पारिवारिक समस्याएं सूझबूझ से निपटाएं। कार्य में सहयोग मिलेगा। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी। फालतू खर्च होगा। क्रोध पर नियंत्रण रखें। पुराना रोग उभर सकता है। कुसंगति से हानि होगी। अनसोचे कार्य होंगे।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
प्रसन्नता में वृद्धि होगी। कामकाज की जिज्ञासा बढ़ेगी। राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यों में सफलता की संभावना है। व्यापार में मनोनुकूल लाभ होने के योग हैं। बेरोजगारी दूर होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। मान बढ़ेगा। धनार्जन होगा। थकान रहेगी। रचनात्मक कार्य में मन लगेगा। अपना व्यवहार संयमित रखकर काम करें। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। मित्रों की मदद से समस्या का समाधान हो सकेगा। समय का सदुपयोग होगा।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
कार्यप्रणाली में सुधार होगा। व्यापारिक गोपनीयता भंग न करें। आपसी विचार-विमर्श लाभप्रद रहेगा। पुराना रोग उभर सकता है। बेचैनी रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। योजना बनेगी। आशानुरूप स्थिति बनेगी। पूंजी निवेश लाभकारी रहेगा। व्यापार की चिंता रहेगी।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
अपनी स्थिति, योग्यता के अनुरूप कार्य करें। आय में कमी होगी। व्यापार में लाभ होने के योग हैं। धार्मिक कामों में रुचि बढ़ेगी। परिवार में किसी से विवाद हो सकता है। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। जोखिम न लें। झंझटों में न पड़ें।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
व्यवसाय ठीक चलेगा। मान-सम्मान बढ़ेगा। नए अनुबंध हो सकते हैं। कार्यसिद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। पारिवारिक तनाव से मन परेशान रहेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। लाभ में कमी आ सकती है। उचित मार्गदर्शन लेना जरूरी होगा। प्रमाद न करें।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। सुख के साधन जुटेंगे। शत्रु परास्त होंगे। सुखवृद्धि एवं पारिवारिक उन्नति होगी। आर्थिक योजनाओं में धन का निवेश हो सकता है। पड़ोसियों से किसी बात पर मतभेद की संभावना है। प्रयास सफल रहेंगे।

🏹 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
धनार्जन होगा। प्रसन्नता रहेगी। यश, प्रतिष्ठा में वृद्धि के योग हैं। मनोरंजन के अवसर उपलब्ध होंगे। अनसोचे कामों में हाथ नहीं डालें। कामकाज की जिज्ञासा बढ़ेगी। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कानूनी अड़चन दूर होगी।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
लाभ के अवसर हाथ से निकलेंगे। शत्रु से सतर्क रहें। काम के प्रति लापरवाही न करें, किसी बात पर मतभेद की संभावना है। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। विवाद न करें। दु:खद समाचार मिल सकता है। प्रमाद न करें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
धनागम होगा। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। रोजगार मिलेगा। कार्य एवं व्यवसाय के क्षेत्र में विभिन्न बाधाओं से मन अशांत रहेगा। स्वार्थ एवं भोग की प्रवृत्ति के कारण अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं कर पाएंगे।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी न करें। नौकरी में ऐच्छिक स्थानांतरण एवं पदोन्नति के योग हैं। स्वाध्याय के महत्व को समझें। संतान को अपने कार्यों में सफलता मिल सकेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
व्यवसाय ठीक चलेगा। थकान रहेगी। पिता का स्वास्थ्य संतोष देगा। अहंकार के भाव मन में न आने दें। व्यापार में नई योजनाओं से लाभ होगा। आर्थिक स्थिति संतोषप्रद रहेगी। परिवार की चिंता रहेगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी।

*🚩🎪‼️ 🕉️ गं गणपतये नमः ‼️🎪🚩*

*☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯*

*‼️ शुभम भवतु ‼️*

🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳 🚩🚩
*NJ*

 
नागपंचमी (श्रावण पंचमी) 13 अगस्त शुक्रवार 2021 विशेष 
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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 13 अगस्त, शुक्रवार को है। इस दिन नागदेवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है।
 पूजन विधि
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नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें नागों की पूजा शिव के अंश के रूप में और शिव के आभूषण के रूप में ही की जाती है। क्योंकि नागों का कोई अपना अस्तित्व नहीं है। अगर वो शिव के गले में नहीं होते तो उनका क्या होता। इसलिए पहले भगवान शिव का पूजन करेंगे।  शिव का अभिषेक करें, उन्हें बेलपत्र और जल चढ़ाएं।
इसके बाद शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करे। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद चने, खील बताशे और जरा सा कच्चा दूध प्रतिकात्मक रूप से अर्पित करेंगे।
घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें।
घर के मुख्य द्वार पर सर्प की आकृति बनाने से जहां आर्थिक लाभ होता है, वहीं घर पर आने वाली विपत्तियां भी टल जाती हैं।
इसके बाद ‘ऊं कुरु कुल्ले फट् स्वाहा’ का जाप करते हुए घर में जल छिड़कें। अगर आप नागपंचमी के दिन आप सामान्य रूप से भी इस मंत्र का उच्चारण करते हैं तो आपको नागों का तो आर्शीवाद मिलेगा ही साथ ही आपको भगवान शंकर का भी आशीष मिलेगा बिना शिव जी की पूजा के कभी भी नागों की पूजा ना करें। क्योंकि शिव की पूजा करके नागों की पूजा करेंगे तो वो कभी अनियंत्रित नहीं होंगे नागों की स्वतंत्र पूजा ना करें, उनकी पूजा शिव जी के आभूषण के रूप में ही करें।
नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
इसके बाद पूजा व उपवास का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करें व सफेद मिठाई का भोग लगाएं। यह प्रार्थना करें।
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
नागदेवता की आरती करें और प्रसाद बांट दें। इस प्रकार पूजा करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।
नागपंचमी
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महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं। नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं।
तक्षक नाग
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धर्म ग्रंथों के अनुसार, तक्षक पातालवासी आठ नागों में से एक है। तक्षक के संदर्भ में महाभारत में वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी। तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे। यह देखकर तक्षक देवराज इंद्र की शरण में गया।
जैसे ही ऋत्विजों (यज्ञ करने वाले ब्राह्मण) ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ में आहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा। तभी आस्तिक ऋषि ने अपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया। उसी समय आस्तिक मुनि के कहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए।
कर्कोटक नाग
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कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।
ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके बाद कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रवेश कर गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।
कालिया नाग
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श्रीमद्भागवत के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए। यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं और निवास करो। श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं और चला गया।
इनके अलावा कंबल, शंखपाल, पद्म व महापद्म आदि नाग भी धर्म ग्रंथों में पूज्यनीय बताए गए हैं।
नागपंचमी पर नागों की पूजा कर आध्यात्मिक शक्ति और धन मिलता है। लेकिन पूजा के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।
हिंदू परंपरा में नागों की पूजा क्यों की जाती है और ज्योतिष में नाग पंचमी का क्या महत्व है।
अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन विशेष पूजा का लाभ पाया जा सकता है।
जिनकी कुंडली में विषकन्या या अश्वगंधा योग हो, ऐसे लोगों को भी इस दिन पूजा-उपासना करनी चाहिए. जिनको सांप के सपने आते हों या सर्प से डर लगता हो तो ऐसे लोगों को इस दिन नागों की पूजा विशेष रूप से करना चाहिए।
भूलकर भी ये ना करें
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1. जो लोग भी नागों की कृपा पाना चाहते हैं उन्हें नागपंचमी के दिन ना तो भूमि खोदनी चाहिए और ना ही साग काटना चाहिए.।
2. उपवास करने वाला मनुष्य सांयकाल को भूमि की खुदाई कभी न करे।
3. नागपंचमी के दिन धरती पर हल न चलाएं।
4. देश के कई भागों में तो इस दिन सुई धागे से किसी तरह की सिलाई आदि भी नहीं की जाती।
5. न ही आग पर तवा और लोहे की कड़ाही आदि में भोजन पकाया जाता है।
6. किसान लोग अपनी नई फसल का तब तक प्रयोग नहीं करते जब तक वह नए अनाज से बाबे को रोट न चढ़ाएं।
राहु-केतु से परेशान हों तो क्या करें
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एक बड़ी सी रस्सी में सात गांठें लगाकर प्रतिकात्मक रूप से उसे सर्प बना लें इसे एक आसन पर स्थापित करें। अब इस पर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें। साथ ही गुग्गल की धूप भी जलाएं.
इसके पहले राहु के मंत्र ‘ऊं रां राहवे नम:’ का जाप करना है और फिर केतु के मंत्र ‘ऊं कें केतवे नम:’ का जाप करें।
जितनी बार राहु का मंत्र जपेंगे उतनी ही बार केतु का मंत्र भी जपना है।
मंत्र का जाप करने के बाद भगवान शिव का स्मरण करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं. फिर रस्सी को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें. राहु और केतु से संबंधित जीवन में कोई समस्या है तो वह समस्या दूर हो जाएगी।
सांप से डर लगता है या सपने आते हैं।
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अगर आपको सर्प से डर लगता है या सांप के सपने आते हैं तो चांदी के दो सर्प बनवाएं साथ में एक स्वास्तिक भी बनवाएं। अगर चांदी का नहीं बनवा सकते तो जस्ते का बनवा लीजिए।
अब थाल में रखकर इन दोनों सांपों की पूजा कीजिए और एक दूसरे थाल में स्वास्तिक को रखकर उसकी अलग पूजा कीजिए।
नागों को कच्चा दूध जरा-जरा सा दीजिए और स्वास्तिक पर एक बेलपत्र अर्पित करें. फिर दोनों थाल को सामने रखकर ‘ऊं नागेंद्रहाराय नम:’ का जाप करें।
इसके बाद नागों को ले जाकर शिवलिंग पर अर्पित करें और स्वास्तिक को गले में धारण करें।
ऐसा करने के बाद आपके सांपों का डर दूर हो जाएगा और सपने में सांप आना बंद हो जाएंगे।
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*नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जीतकर अभी तक चैन से सांस भी नही ली होगी*  …. अचानक *फर्जी महापुरूष अवतरित होने लगे है*। 
  *वैसे भी सफलता के सैकडों बाप होते है मगर बेचारी असफलता अनाथ होती है* । बस *नीरज की सफलता का क्रेडिट चुरा लेने के लिए रातो -रात पैराशूट से फर्जी नायक कूद पडे हैं* । जिन्हे चांद पर भी चढाया जा रहा है । 
     *भारत जैसे बेवकूफ प्रधान देश मे तो ये फिल्मी परिपाटी चल पड़ी है । जहाँ कोई नायक कुछ बड़ा कर दिखाये , वही एक फर्जी मसीहा घुसा दो,  *अब तो हद ही हो गई, बेवकूफी की,  कि जेवलिन थ्रो मे देश की शान बने ऐथलीट का कोच भी प्लांट कर दिया जाता है* 
   *नीरज 2016 से नेशनल लेवल पर खेल रहा है । उसने काॅमनवेल्थ से लेकर ऐशियाई खेलो तक मे गोल्ड मेडल जीते ,तब किसी ने नहीं पूछा कि उसका कोच कौन है… ???* 
*अब चूँकि एक पक्षीय मीडिया को नरैटिव बनाना था तो एक कथित कोच नसीम को प्रकट कर दिया गया एकदम फिल्मी स्टाईल मे* …….
  *चलिये नीरज के कोच लोगो पर भी नजर डाल लेते है ।  नीरज के वास्तविक कोच थे जयवीर सिंह* । 
*पानीपत मे जयवीर कोच ने ही नीरज को शुरूआती ट्रैनिंग दी थी* । जयवीर *वो इकलौते व्यक्ति है ,जिनका जिक्र नीरज ने अभी तक अपने हर एक इंटरव्यू मे किया है* । 
       *उसके बाद नीरज ने कुछ महीनो तक पंचकूला के स्टेडियम मे प्रैक्टिस करी । वही पर जिला स्तर के  ऐथेलेटिक्स कोच थे  नसीम। 
        *उसके बाद राज्य स्तर पर नया कोच , नेशनल कैंप मे जेवलिन कोच , आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स मे नया कोच । SAI यानि स्पोर्ट्स अथाॅरिटी ऑफ इंडिया मे कोच । कम से कम 20 कोच रहे है नीरज चोपडा के* । 
         *बाद मे नीरज के लिए JSW और भारत सरकार ने उनके लिए स्पेशल ट्रैनिंग के लिए जर्मनी के मशहूर जेवलिन कोच Uwe Hohn को अनुबंधित करके यूरोप मे उनकी ट्रैनिंग कराई गई । Uwe Hohn खुद भी विश्वप्रसिद्ध जेवलिन थ्रोअर रहे है । और कोच ने ओलम्पिक मेडल के रूप मे रिजल्ट भी लाकर दिया है* । 
       *नीरज के पहले कोच जयवीर का उसके जीवन मे बहुत बडा योगदान है जिन्होने उसे खिलाडी बनाया ,यानि जयवीर ही वो जौहरी था जिसने इस हीरे को तराशा । उसके बाद तो राज्य , चंडीगढ काॅलेज नेशनल, NIS पटियाला , SAI , आर्मी के कम से कम बीस कोचों की निगरानी मे अलग अलग स्तरों पर ट्रैनिंग लेते हुए नीरज का कैरियर संवरा* …….
         *कायदे से बात करें , तो नीरज के दो ही कोच ठहरते है ,जिन्हे नीरज की सफलता का क्रैडिट जाता है । पहले है जयवीर सिंह और अंतिम है जर्मनी के Uwe Hohn* 
        *इन सबके बीच पंचकुला के स्पोर्ट्स काॅम्पलेक्स का नसीम अहमद कहाँ और कैसे फिट होता है…????* 
*नसीम अहमद का बयान तो और भी मजेदार है कि 12-13 साल का नीरज उसके पास काॅपी मे लिखकर नोट्स लेता था* । और *उन दिनो 45 मीटर तक भाला फैंकता था । अबे कैसा कोच था ,जो ट्रैनिंग के बजाय उसे पढाकर नोट्स दे रहा था …?????*
      *जेवलिन मे 45-50  मीटर से ज्यादा की थ्रो जिला स्तर की पर्फोर्मेंस मानी जाती है । राज्य स्तर पर 70+ की थ्रो चाहिये होती है ।* 
       *आसान शब्दो मे समझिये , गाँव से एक बच्चा निकलता है । प्राईमरी स्कूल मे पाँचवी तक एक मास्टर के पास पढता है । और कालान्तर मे 10 वीं , 12 वी , IIT कानपुर , और IIM अहमदाबाद से निकलकर हावर्ड से डिग्री पूरी करके अमेरिका मे गूगल का CEO बन जाता है । तो उसकी सफलता का सेहरा किसके सर पे बांधोगे…?????*
   *उसके प्राईमरी टीचर…? , 10 वीं के शिक्षक…? , 12 वीं के मास्टरजी…? , IIT के प्रोफेसर….?, IIM की फैकल्टी…? , या हावर्ड के एक्सपर्ट ?????*
*जाहिर है कैरियर को सवांरने मे इन सबके योगदान को थोडा थोडा क्रेडिट दिया जा सकता है । यहाँ तो क्रेडिट ना प्राईमरी टीचर को दिया गया, ना इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट स्कूल के प्रोफेसरो को । और तो और बेचारे हावर्ड वाले को भी कोई नही पूछ रहा । जबकि आठवीं कक्षा का मास्टर , नीरज की सफलता का जिम्मेदार है ।  इस मामले मे तो ये अजीबो गरीब नरैटिव जानबूझकर दलाल मीडिया ने बना दिया गया।*
          *अचानक से  नसीम अहमद नाम का डिस्ट्रिक्ट लेवल का कोच ओलम्पिक चैंपियन का कोच बना दिया जाता है ।* 
         *कोच जयवीर सिंह , और Uwe Hohn एक दूसरे से पूछ तो रहे ही होंगें कि अगर नसीम अहमद नीरज चोपडा का कोच है…??* 
*तो बाकी कोच कौन है ?????*
*चाहे इतिहास हो, या फिल्में या सामाजिक कार्य अथवा कोई भी ऐसा क्षेत्र, अफवाह बाज और बामी सैक्युलर मीडिया भी  नैरेटिव बनाने मे माहिर हैं, क्योंकि इसी से चन्दा मिलता है*