आज का पंचाग, आपका राशि फल, और हमारे शरीर के पंच तत्वों का रहस्य

 ‼️ 🕉 ‼️
🚩🌞 *सुप्रभातम्*🌞🚩
📜««« *आज का पञ्चांग* »»»📜
कलियुगाब्द………………………5122
विक्रम संवत्……………………..2077
शक संवत्………………………..1942
मास………………………………..पौष
पक्ष……………………………….शुक्ल
तिथी……………………………..दशमी
रात्रि 08.54 पर्यंत पश्चात एकादशी
रवि……………………………उत्तरायण
सूर्योदय…………..प्रातः 07.08.53 पर
सूर्यास्त…………..संध्या 06.09.18 पर
सूर्य राशि…………………………मकर
चन्द्र राशि………………………..वृषभ
गुरु राशी………………………….मकर
नक्षत्र…………………………..कृत्तिका
रात्रि 09.29 पर्यंत पश्चात रोहिणी
योग……………………………….शुक्ल
रात्रि 09.51 पर्यंत पश्चात ब्रह्मा
करण…………………………….तैतिल
प्रातः 07.45 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु……………………………….हेमंत
*दिन………………………..शनिवार*

*🇮🇳 राष्ट्रीय सौर दिनांक ०३*
*पौष मास, सौर माध !*

*🇬🇧 आंग्ल मतानुसार दिनांक*
*२३ जनवरी सन २०२१ ईस्वी !*

☸ शुभ अंक………………………5
🔯 शुभ रंग………………………हरा

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 12.16 से 13.00 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
प्रात: 09.55 से 11.17 तक ।

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त -*
*मकर*
06:37:08 08:24:01
*कुम्भ*
08:24:01 09:57:49
*मीन*
09:57:49 11:29:01
*मेष*
11:29:01 13:09:44
*वृषभ*
13:09:44 15:08:21
*मिथुन*
15:08:21 17:22:03
*कर्क*
17:22:03 19:38:13
*सिंह*
19:38:13 21:50:02
*कन्या*
21:50:02 24:00:41
*तुला*
24:00:41 26:15:19
*वृश्चिक*
26:15:19 28:31:29
*धनु*
28:31:29 30:37:08

🚦 *दिशाशूल :-*
पूर्व दिशा – यदि आवश्यक हो तो अदरक या उड़द का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 08.33 से 09.54 तक शुभ
दोप. 12.37 से 01.59 तक चर
दोप. 01.59 से 03.20 तक लाभ
दोप. 03.20 से 04.42 तक अमृत
संध्या 06.04 से 07.42 तक लाभ
रात्रि 09.20 से 10.59 तक शुभ ।

📿 *आज का मंत्र :-*
॥ ॐ दशबाहवे नमः ॥

📢 *संस्कृत सुभाषितानि -*
न च विद्यासमो बन्धुः न च व्याधिसमो रिपुः ।
न चापत्यसमो स्नेहः न च धर्मो दयापरः ॥
अर्थात :-
विद्या जैसा बंधु नहि, व्याधि जैसा कोई शत्रु नहि, पुत्र जैसा स्नेह नहि, और दया से श्रेष्ठ कोई धर्म नहि ।

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*जीभ के छाले का घरेलू उपचार :-*

*3. बेकिंग सोडा -*
जीभ के छाले के इलाज के लिए, बेकिंग सोडा भी बहुत प्रभावी है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हैं जो दर्द और सूजन को शांत करने में मदद करते हैं। बेकिंग सोडा में जीवाणुरोधी गुण होते हैं। इसकी क्षारीय प्रकृति आपके मुंह में पीएच संतुलन को बहाल करने में मदद करती है और आपकी जीभ पर छाले से छुटकारा दिलाती है। इसके लिए आप एक कप गर्म पानी में एक छोटा चम्मच बेकिंग सोडा मिलाइए। फिर इस पानी से मुंह का कुल्ला कीजिए। आप इसे दिन में दो से तीन बार कीजिए।

*दुनिया मे सबसे किमती गहना हमारा*
*परिश्रम है और जिन्दगी में सबसे*
*अच्छा साथी हमारा आत्मविश्वास है*

⚜ *आज का राशिफल* ⚜

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। यात्रा की योजना बनेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। दूसरों के कार्य में दखल न दें। योजना फलीभूत होगी। नए उपक्रम प्रारंभ करने का मन बन सकता है। पार्टनरों तथा भाइयों से सहयोग मिलेगा। लाभ होगा। कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
वरिष्ठ जन का मार्गदर्शन तथा सहयोग प्राप्त होगा। किसी बड़ी चिंता से मुक्ति मिलेगी। घर-परिवार में प्रसन्नता रहेगी। जोखिम न लें। कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। तीर्थाटन तथा संत दर्शन का लाभ मिल सकता है। अध्यात्म में रुचि रहेगी।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में लापरवाही न करें। पुरानी व्याधि बाधा का कारण बन सकती है। वरिष्ठजनों की सलाह मानें तथा विवेक से कार्य करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ होगा। कार्य में अवरोध उत्पन्न हो सकता है। धनहानि के योग हैं।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। चिंता रह सकती है। जोखिम न उठाएं। आर्थिक उन्नति के लिए बनाई गई योजना फलीभूत होगी।कार्यस्थल पर मनोनुकूल परिवर्तन संभव है। आय बनी रहेगी। रुके कार्य पूर्ण होंगे। मान-सम्मान मिलेगा। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
परिवार में कोई शुभ कार्य हो सकता है। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। सत्संग का लाभ मिलेगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। तीर्थाटन का मन बनेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। सौभाग्य वृद्धि होगी। यात्रा में सावधानी आवश्यक है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। राजकीय बाधा दूर होगी।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
अपेक्षित कार्यों में विलंब से चिड़चिड़ापन रहेगा। व्यवसाय में ध्यान दें। लाभ होगा। जल्दबाजी से बचें। विवाद को बढ़ावा न दें। अकारण क्रोध रहेगा। जोखिम व जमानत के का कार्य टालें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
जोखिम व जमानत के कार्य टालें। पार्टनरों से मनोनुकूल सहयोग मिलेगा। राजभय रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। व्यस्तता रहेगी। संपत्ति के बड़े सौदे हो सकते हैं। बड़ा लाभ होगा। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। यात्रा लाभदायक रहेगी।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
विरोधियों का पराभव होगा। नए लोगों से मिलना होगा। कार्य आसानी से संपन्न होंगे। पार्टी व पिकनिक की योजना बनेगी। थकान महसूस होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ होगा। शांति बनाए रखें। बुरी सूचना प्राप्त हो सकती है। किसी अपने का व्यवहार दिल को ठेस पहुंचा सकता है। नकारात्मकता रहेगी। विरोध होगा। पुराना रोग उभर सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
भाग्य का साथ मिलेगा। लापरवाही से हानि होगी। थोड़े प्रयास से ही कार्यसिद्धि होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। थकान महसूस होगी। परिवारजनों का सहयोग मिलेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। उत्साह में वृद्धि होगी।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
किसी प्रसिद्ध व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है। व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। बाहर जाने का कार्यक्रम बनेगा। विवाद न करें। कार्य में निरंतरता बनी रहेगी। परिवार में प्रसन्नता रहेगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। उन पर व्यय होगा। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
लाभ में वृद्धि होगी। कार्य की बेहतरी रहेगी। कोई बड़ा कार्य मनोनुकूल बनेगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कुसंगति से बचें। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। समय अनुकूल है। भेंट व उपहार की प्राप्ति के योग हैं।

*🚩🎪‼️🕉 शं शनैश्चराय नमः‼️🎪🚩*

*☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ☯*

*‼️ शुभम भवतु ‼️*

🚩 🇮🇳 ‼️ *भारत माता की जय* ‼️ 🇮🇳 🚩

*🔴पंचतत्व🔵*
🟩🟦🟪⬛🟨

*मित्रो आप जानते हैं, कि हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है।प्रस्तुत लेख में हम आपको इन्ही पांच तत्वों के बारे बतायेंगे,,,,*

*छिति जल पावक*
*गगन समीरा।*
*पंच रचित अति*
*अधम सरीरा ॥*

*1️⃣👉पृथ्वी :-*
*2️⃣👉जल :-*
*3️⃣👉अग्नि :-*
*4️⃣👉आकाश :-*
*5️⃣👉वायु :-*

*इन पाँच तत्वों से यह अत्यंत*
*अधम शरीर रचा गया है॥*

*प्राचीन समय से ही विद्वानों का मत रहा है कि इस सृष्टि की संरचना पांच तत्वों से मिलकर हुई है।*

*सृष्टि में इन पंचतत्वों का संतुलन बना हुआ है। यदि यह संतुलन बिगड़ गया तो यह प्रलयकारी हो सकता है। जैसे यदि प्राकृतिक रुप से जलतत्व की मात्रा अधिक हो जाती है तो पृथ्वी पर चारों ओर जल ही जल हो सकता है अथवा बाढ़ आदि का प्रकोप अत्यधिक हो सकता है। आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को पंचतत्व का नाम दिया गया है।*

*माना जाता है कि मानव शरीर भी इन्हीं पंचतत्वों से मिलकर बना है। वास्तविकता में यह पंचतत्व मानव की पांच इन्द्रियों से संबंधित है। जीभ, नाक, कान, त्वचा और आँखें हमारी पांच इन्द्रियों का काम करती है। इन पंचतत्वों को पंचमहाभूत भी कहा गया है। इन पांचो तत्वों के स्वामी ग्रह, कारकत्व, अधिकार क्षेत्र आदि भी निर्धारित किए गये हैं।*

*आइए इनके विषय में जानने का प्रयास करें,,,*

*1️⃣आकाश – आकाश तत्व का स्वामी ग्रह गुरु है। आकाश एक ऎसा क्षेत्र है जिसका कोई सीमा नहीं है। पृथ्वी के साथ्-साथ समूचा ब्रह्मांड इस तत्व का कारकत्व शब्द है। इसके अधिकार क्षेत्र में आशा तथा उत्साह आदि आते हैं।वात तथा कफ इसकी धातु हैं।*

*वास्तु शास्त्र में आकाश शब्द का अर्थ रिक्त स्थान माना गया है। आकाश का विशेष गुण “शब्द” है और इस शब्द का संबंध हमारे कानों से है। कानों से हम सुनते हैं और आकाश का स्वामी ग्रह गुरु है इसलिए ज्योतिष शास्त्र में भी श्रवण शक्ति का कारक गुरु को ही माना गया है। शब्द जब हमारे कानों तक पहुंचते है तभी उनका कुछ अर्थ निकलता है।*

*वेद तथा पुराणों में शब्द, अक्षर तथा नाद को ब्रह्म रुप माना गया है। वास्तव में आकाश में होने वाली गतिविधियों से*

*गुरुत्वाकर्षण, प्रकाश, ऊष्मा, चुंबकीय़ क्षेत्र और प्रभाव तरंगों में परिवर्तन होता है। इस परिवर्तन का प्रभाव मानव जीवन पर भी पड़ता है। इसलिए आकाश कहें या अवकाश कहें या रिक्त स्थान कहें, हमें इसके महत्व को कभी नहीं भूलना चाहिए। आकाश का देवता भगवान शिवजी को माना गया है।*

*2️⃣वायु – वायु तत्व के स्वामी ग्रह शनि हैं. इस तत्व का कारकत्व स्पर्श है। इसके अधिकार क्षेत्र में श्वांस क्रिया आती है। वात इस तत्व की धातु है। यह धरती चारों ओर से वायु से घिरी हुई है। संभव है कि वायु अथवा वात का आवरण ही बाद में वातावरण कहलाया हो।*

*वायु में मानव को जीवित रखने वाली आक्सीजन गैस मौजूद होती है। जीने और जलने के लिए आक्सीजन बहुत जरुरी है। इसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यदि हमारे मस्तिष्क तक आक्सीजन पूरी तरह से नहीं पहुंच पाई तो हमारी बहुत सी कोशिकाएँ नष्ट हो सकती हैं। व्यक्ति अपंग अथवा बुद्धि से जड़ हो सकता है।*

*प्राचीन समय से ही विद्वानों ने वायु के दो गुण माने हैं। वह है – शब्द तथा स्पर्श। स्पर्श का संबंध त्वचा से माना गया है।*

*संवेदनशील नाड़ी तंत्र और मनुष्य की चेतना श्वांस प्रक्रिया से जुड़ी है और इसका आधार वायु है। वायु के देवता भगवान विष्णु माने गये हैं।*

*3️⃣अग्नि – सूर्य तथा मंगल अग्नि प्रधान ग्रह होने से अग्नि तत्व के स्वामी ग्रह माने गए हैं। अग्नि का कारकत्व रुप है. इसका अधिकार क्षेत्र जीवन शक्ति है। इस तत्व की धातु पित्त है। हम्सभी जानते हैं कि सूर्य की अग्नि से ही धरती पर जीवन संभव है।*

*यदि सूर्य नहीं होगा तो चारों ओर सिवाय अंधकार के कुछ नहीं होगा और मानव जीवन की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती है। सूर्य पर जलने वाली अग्नि सभी ग्रहों को ऊर्जा तथा प्रकाश देती है। इसी अग्नि के प्रभाव से पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के जीवन के अनुकूल परिस्थितियाँ बनती हैं।*

*शब्द तथा स्पर्श के साथ रुप को भी अग्नि का गुण माना जाता है। रुप का संबंध नेत्रों से माना गया है। ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत अग्नि तत्व है। सभी प्रकार की ऊर्जा चाहे वह सौर ऊर्जा हो या आणविक ऊर्जा हो या ऊष्मा ऊर्जा हो सभी का आधार अग्नि ही है। अग्नि के देवता सूर्य अथवा अग्नि को ही माना गया है।*

*4️⃣जल – चंद्र तथा शुक्र दोनों को ही जलतत्व ग्रह माना गया है। इसलिए जल तत्व के स्वामी ग्रह चंद्र तथा शुक्र दोनो ही हैं। इस तत्व का कारकत्व रस को माना गया है। इन दोनों का अधिकार रुधिर अथवा रक्त पर माना गया है। क्योंकि जल तरल होता है और रक्त भी तरल होता है। कफ धातु इस तत्व के अन्तर्गत आती है।*

*विद्वानों ने जल के चार गुण शब्द, स्पर्श, रुप तथा रस माने हैं। यहाँ रस का अर्थ स्वाद से है। स्वाद या रस का संबंध हमारी जीभ से है। पृथ्वी पर मौजूद सभी प्रकार के जल स्त्रोत जल तत्व के अधीन आते हैं। जल के बिना जीवन नहीं है। जल तथा जल की तरंगों का उपयोग विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है।*

*हम यह भी भली-भाँति जानते हैं कि विश्व की सभी सभ्यताएँ नदियों के किनारे ही विकसित हुई हैं। जल के देवता वरुण तथा इन्द्र को माना गया है. मतान्तर से ब्रह्मा जी को भी जल का देवता माना गया है।*

*5️⃣ पृथ्वी – पृथ्वी का स्वामी ग्रह बुध है। इस तत्व का कारकत्व गंध है। इस तत्व के अधिकार क्षेत्र में हड्डी तथा माँस आता है। इस तत्व के अन्तर्गत आने वाली धातु वात, पित्त तथा कफ तीनों ही आती हैं। विद्वानों के मतानुसार पृथ्वी एक विशालकाय चुंबक है। इस चुंबक का दक्षिणी सिरा भौगोलिक उत्तरी ध्रुव में स्थित है। संभव है इसी कारण दिशा सूचक चुंबक का उत्तरी ध्रुव सदा उत्तर दिशा का ही संकेत देता है।*

*पृथ्वी के इसी चुंबकीय गुण का उपयोग वास्तु शास्त्र में अधिक होता है। इस चुंबक का उपयोग वास्तु में भूमि पर दबाव के लिए किया जाता है। वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा में भार बढ़ाने पर अधिक बल दिया जाता है। हो सकता है इसी कारण दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। यदि इस बात को धर्म से जोड़ा जाए तो कहा जाता है कि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके ना सोएं क्योंकि दक्षिण में यमराज का वास होता है।*

*पृथ्वी अथवा भूमि के पाँच गुण शब्द, स्पर्श, रुप, स्वाद तथा आकार माने गए हैं. आकार तथा भार के साथ गंध भी पृथ्वी का विशिष्ट गुण है क्योंकि इसका संबंध नासिका की घ्राण शक्ति से है।*

*उपरोक्त विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकलता है कि पंचतत्व मानव जीवन को अत्यधिक प्रभावित करते हैं। उनके बिना मानव तो क्या धरती पर रहने वाले किसी भी जीव के जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।*

*इन पांच तत्वों का प्रभाव मानव के कर्म, प्रारब्ध, भाग्य तथा आचरण पर भी पूरा पड़ता है। जल यदि सुख प्रदान करता है तो संबंधों की ऊष्मा सुख को बढ़ाने का काम करती है और वायु शरीर में प्राण वायु बनकर घूमती है।*

*आकाश महत्वाकांक्षा जगाता है तो पृथ्वी सहनशीलता व यथार्थ का पाठ सिखाती है। यदि देह में अग्नि तत्व बढ़ता है तो जल की मात्रा बढ़ाने से उसे संतुलित किया जा सकता है। यदि वायु दोष है तो आकाश तत्व को बढ़ाने से यह संतुलित रहेगें।*