समूचे राष्ट्र में आज ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है नेताजी ‘सुभाष चंद्र बोस’ का जन्मदिवस, उत्तराखंड में भी माननीयों ने उनके बलिदान को नमन् किया

✍️हरीश मैखुरी

अभिभाजित भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारत की स्वतंत्रता के मुख्य नायक नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयन्ती मनाया जाना एक अपरिहार्य पहल है। नेता जी के परिजनों सहित देश की मांग है कि नेता जी की जयन्ती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित हो।

बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनकी माता का नाम प्रभावती दत्त बोस और पिता का नाम जानकीनाथ बोस था। अपनी आरंंभिक स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने रेवेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल (Ravenshaw Collegiate School) में दाखिला लिया। उसके बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता में प्रवेश लिया परंतु उनकी उग्र राष्ट्रवादी गतिविधियों के कारण उन्हें वहां से निष्कासित कर दिया गया। सुभाष चंद्र बोस, विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे, जबकि चित्तरंजन दास  उनके राजनीतिक गुरु थे। वर्ष 1921 में बोस ने चित्तरंजन दास की स्वराज पार्टी द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र ‘फॉरवर्ड’ के संपादन का कार्यभार संभाला। वर्ष 1923 में बोस को अखिल भारतीय युवा कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष और साथ ही बंगाल राज्य कांग्रेस का सचिव चुना गया। वर्ष 1925 में क्रांतिकारी आंदोलनों से संबंधित होने के कारण उन्हें माण्डले (Mandalay) कारागार में भेज दिया गया जहाँ वह तपेदिक की बीमारी से ग्रसित हो गए। कॉलेज से निष्कासित होने के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिये कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गए। वर्ष 1919 में बोस भारतीय सिविल सेवा (Indian Civil Services- ICS) परीक्षा की तैयारी करने के लिए लंदन चले गए और वहाँ उनका चयन भी हो गया। हालांकि बोस ने सिविल सेवा से त्यागपत्र दे दिया क्योंकि उनका मानना था कि वह अंग्रेजों के साथ कार्य नहीं कर सकते। बता दें कि १८अगस्त १९४५ के बाद का सुभाषचन्द्र बोस का जीवन और मृत्यु आज तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है। १८ अगस्त १९४५ को उनके अतिभारित जापानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। यह दुर्घटना जापान अधिकृत फोर्मोसा (वर्तमान ताइवान) में हुई थी। उसमें नेताजी मृत्यु से सुरक्षित बच गये थे या नहीं, इसके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। लेकिन स्वतंत्रता के बाद की सरकार ने सुभाष चंद्र बोस के योगदान को किस हद तक अनदेखा किया गया यह अनुमान सबको है
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचंद अग्रवाल ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के अवसर पर प्रदेशवासियों को अपनी बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए उनका भावपूर्ण स्मरण किया है।

उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ने सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर कहा है कि पूरे देश में नेता जी की जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि ‘नेताजी सुभाष चन्द्र बोस दुनिया के महान नेता और दूरद्रष्टा थे,जिन्होंने गुलामी के विरुद्ध आवाज बुलन्द की।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि नेता जी हमारे सबसे लोकप्रिय राष्ट्रनायकों और स्वतंत्रता संग्राम के महानतम सेनानियों में से हैं। उनके कहने पर, लाखों भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े और अपना सब कुछ बलिदान किया। ”तुम मुझे खून दो मैं, तुम्हें आजादी दूंगा’ जैसे नारों को बुलंद करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की वीरता और देशभक्ति हमें प्रेरणा देती रहेगी।

      उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुभाष चंद्र बोस के बलिदान को याद करते हुए कहा कि देश के लिए किया गया उनका त्याग युवा पीढ़ी के लिए सदैव प्रेरणा प्रद बना रहेगा।मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता दर्शन हॉल में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा राष्ट्रीय युवा चेतना दिवस एवं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। इस प्रतियोगिता में प्रथम तीन विजेताओं को क्रमशः 01 लाख, 75 हजार एवं 50 हजार रूपये की धनराशि का चेक दिया गया। राज्य स्तर पर निबंध प्रतियोगिता में डी.डब्ल्यू.टी कॉलेज की बीएड की छात्रा सौम्या ने प्रथम, डीएवी पीजी कॉलेज के छात्र उज्जवल शर्मा ने द्वितीय एवं बाल गंगा महाविद्यालय सैन्दूल कैमर की छात्रा अंजलि मंमगई ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। युवा कल्याण विभाग द्वारा ‘‘ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस युवाओं की प्रेरणा’’ विषय पर राज्य स्तरीय भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें देहरादून के श्री गौतम खट्टर ने प्रथम, अल्मोड़ा की हिमानी दुर्गापाल ने द्वितीय एवं नैनीताल के रोहित सिंह रावत एवं हरिद्वार की कुमारी अक्षी गौड़ ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि शीघ्र ही राज्य में युवा आयोग का गठन किया जायेगा, ताकि हमारे युवा क्या सोचते हैं, अपने लक्ष्यों को पूरा करने की उनकी क्या आकांक्षायें हैं। इसका स्पष्ट रोड मेप तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि आज के युवा हर क्षेत्र में अपडेट हैं वे अपनी आकांक्षाओं को पूर्ण कर स्वयं के भाग्य विधाता बन सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी जो वीर गाथायें तथा समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है उसे हमारे विश्वविद्यालयों को आगे बढ़ाना होगा ताकि हमारी भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति से जुड़े तथा देश व दुनिया को भी इसकी जानकारी हो सके।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। भारत सरकार ने उन्हें जो सम्मान दिया है वह सराहनीय है। वे सच्चे अर्थों में देश के सच्चे सपूत थे। इसी प्रकार स्वामी विवेकानन्द ने तमाम देशों का भ्रमण कर लोगों को भारत की संस्कृति से परिचित कराया। अमेरिका में उनका सम्बोधन भारत की वैश्विक सांस्कृतिक एकता की पहचान बना। वे सच्चे अर्थों में हमारे सांस्कृतिक गुरू थे।
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा चेतना दिवस से 23 जनवरी तक युवा चेतना और ऊर्जा में नवीन प्रवाह गतिमान करने के उद्देश्य से युवा पखवाड़ा का आयोजन किया गया। इसमें उच्च शिक्षा विभाग एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गये। ’’स्वामी विवेकानन्द जी के विचारों की उत्तराखण्ड राज्य में प्रासंगिकता’’ विषय पर राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें कुल 5229 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। इस पखवाड़े में 1005 रक्तदाताओं द्वारा 545 यूनिट रक्तदान किया गया।
मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने सनातन धर्म की संस्कृति एवं उच्च आदर्शों का परिचय विश्वभर में कराया। उन्होंने भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं का व्यापक स्तर पर प्रसार किया। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने राष्ट्र को स्वतंत्र कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनमें साम्प्रदायिक एकता एवं सबको साथ लेकर चलने की भावना थी।
इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री साधू सिंह बिष्ट ने अपने विचार व्यक्त किये। स्वामी नरसिम्हानन्द ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन दर्शन एवं प्रो. संजय कुमार ने श्री सुभाष चन्द्र बोस के जीवन दर्शन के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम में मेयर श्री सुनील उनियाल गामा, विधायक श्री सुरेन्द्र सिंह नेगी, उच्च शिक्षा उन्नयन परिषद की उपाध्यक्ष श्रीमती दीप्ति रावत भारद्वाज, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ कुमकुम रौतेला, प्रो. एच. सी. पुरोहित, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।           

     उत्तराखंड के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के योगदान को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से कभी अलग नहीं किया जा सकेगा।

    डाॅ शिवानंद नौटियाल मंच ने उन्हें नमन्सु करते हुए सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर उनके पराक्रम को याद किया।

     कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत चमोली के बद्रीनाथ क्षेत्र के विधायक महेंद्र भट्ट, कर्णप्रयाग क्षेत्र के विधायक श्री सुरेंद्र सिंह नेगी और थराली की विधायक श्रीमती मुन्नी देवी शाह ने भी आज के दिन सुभाष चंद्र बोस को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके बलिदान से युवाओं को प्रेरणा लेने हेतु आग्रह किया।