श्रीकृष्ण : युग युगीन इतिहास का एकमात्र महानायक, “भारत वर्ष” पर से हट जायेगा ‘इंडिया’ नाम का कलंक!

*युग यगीनइ तिहास का एकमात्र महानायक*🏹
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जय श्री कृष्ण🙏
कटे जंजीर खुले दरवाजा… सोइ रहे रखवारे!

आपने कभी सोचा है, कि वह जेल में ही क्यों जन्मा?
भादो की काली अँधेरी रात में जब वह आया, तो सबसे पहला काम यह हुआ कि जंजीरे कट गयीं। जन्म देने वाले के शरीर की भी, और कैद करने वाली कपाटों की भी। बस्तुतः वह आया ही था जंजीरे काटने… हर तरह की जंजीर!
जन्म लेते ही वह बेड़ियां काटता है।
थोडा सा बड़ा होता है, तो लज्जा की जंजीरे काटता हैं। ऐसे काटता है कि सारा गांव चिल्लाने लगता है- कन्हैया हम तुमसे बहुत प्रेम करते हैं। सब चिल्लाते हैं- बच्चे, जवान, बूढ़े, महिलाएं, लड़कियां सब… कोई भय नहीं, कोई लज्जा नही!
वह प्रेम के बारे में सबसे बड़े भ्रम को दूर करता है, और सिद्ध करता है कि प्रेम देह का नही हृदय का विषय है। माथे पर मोरपंख बांधे आठ वर्ष की उम्र में रासलीला करते उस बालक के प्रेम में देह है क्या? मोर पंख का रहस्य जानते हैं? मोर इस जगत का एकमात्र ऐसा अद्भुत प्राणी है, जो मादा से शारीरिक सम्बन्ध नही बनाता। मेघ को देख कर नाचते मोर के मुह से गाज़ गिरती है,और वही खा कर मोरनी गर्भवती होती है। माथे पर मोर मुकुट बांधे वह बालक इस तरह स्वयं को गोस्वामी सिद्ध करता है। वह एक ही साथ “पूर्ण पुरुष” और “गोस्वामी” की दो परस्पर विरोधी उपाधियाँ धारण करता है।
फिर वह उंच नीच की बेड़ियां काटता है और राजपुत्र हो कर भी सुदामा जैसे दरिद्र को मित्र बनाता है, और मित्रता निभाता भी है। ऐसा निभाता है कि युगों युगों तक मित्रता का आदर्श बना रहता है।
कुछ दिन बाद वह समाज की सबसे बड़ी रूढ़ि पर प्रहार करता है, जब पूजा की पद्धति ही बदल देता है। अज्ञात देवताओँ के स्थान पर लौकिक और प्राकृतिक शक्तियों की पूजा को प्रारम्भ कराना उस युग की सबसे बड़ी क्रांति थी। वह नदी, पहाड़, हल, बैल, गाय, की पूजा और रक्षा की परम्परा प्रारम्भ करता है। वह इस सृष्टी का पहला पर्यावरणविद् है।
थोडा और बड़ा होता है तो परतंत्रता की बेड़ियां काटता है, और उस कालखंड के सबसे बड़े तानाशाह को मारता है। ध्यान दीजिये, राजा बन कर नही मारता, आम आदमी बन कर मारता है। कोई सेना नहीँ, कोई राजनैतिक गठजोड़ नहीं। एक आम आदमी द्वारा एक तानाशाह के नाश की एकमात्र घटना है यह।
इसके बाद वह सृष्टि की सबसे बड़ी बेड़ी पुरुषसत्ता पर प्रहार करता है। तनिक सोचिये तो, आज अपने आप को अत्याधुनिक बताने वाले लोग भी क्या इतने उदार हैं कि अपनी बहन को अपनी गाड़ी पर बैठा कर उसके प्रेमी के साथ भगा दे? पर वह ऐसा करता है। ठीक से सोचिये तो स्त्री समानता को लागु कराने वाला पहला व्यक्ति है वह। वह स्त्री की बेड़ियां काटता है।
कुछ दिन बाद वह एक महान क्रांति करता है। नरकासुर की कैद में बंद सोलह हजार बलात्कृता कुमारियों की बेड़ी काट कर, और उनको अपना नाम दे कर समाज में रानी की गरिमा दिलाता है।
फिर अपने जीवन के सबसे बड़े रणक्षेत्र में अन्याय की बेड़ियां काटता है। कहते हैं कि यदि वह चाहता तो एक क्षण में महाभारत ख़त्म कर सकता था। पर नहीं, उसे न्याय करना है, उसे दुनिया को बताना है कि किसी स्त्री का अपमान करने वाले का समूल नाश होना ही न्याय है। वह स्वयं शस्त्र नहीं छूता, क्योकि उसे पांडवों को भी दण्डित करना है। स्त्री आपकी सम्पति नही जो आप उसको दांव पर लगा दें, स्त्री जननी है, स्त्री आधा विश्व् है। वह स्त्री को दाव पर लगाने का दंड निर्धारित करता है, और पांडवों के हाथों ही उनके पुर्वजों का वध कराता है। अर्जुन रोते हैं, और अपने दादा को मारते हैं। धर्मराज का हृदय फटता है पर उन्हें अपने मामा, नाना, भाई, भतीजा, बहनोई को मारना पड़ता है। अपने ही हाथों अपने बान्धवों की हत्या कर अपनी स्त्री को दाव पर लगाने का दंड वे जीवन भर भोगते हैं। वह न्याय करता है। वह अन्याय की बेड़ियां तोड़ता है।

वह मानव इतिहास का एकमात्र नायक है,
महानायक है ।
रियल हीरो है ।
वह! कन्हैया…
भारत का प्राण कन्हैया…
इस जगत का सबसे बड़ा गुरु कन्हैया…
सबसे अच्छा मित्र कन्हैया…
सबसे बड़ा प्रेमी कन्हैया…
सबसे अच्छा पति कन्हैया…
सबसे अच्छा पुत्र कन्हैया…
सबसे अच्छा भाई कन्हैया…
कन्हैया…

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*संभवामि युगे युगे…

*कृष्णचन्द्र कृपालु भजु मन, नन्द नन्दन यदुवरम्

आनन्दमय सुखराशि ब्रजपति, भक्तजन संकटहरम्

सिर मुकुट कुण्डल तिलक उर, बनमाल कौस्तुभ सुन्दरम्

आजानु भुज पट पीत धर, कर लकुटि मुख मुरली धरम्

बृष भानुजा सह राजहिं प्रिय, सुमन सुभव सिंहासनम्

ललितादि सखिजन सेवहिं, लिए छत्र चामर व्यंजनम्

पूतना-तृण-शंकट-अधबक, केशि-व्योम-विमर्दनम्

रजक-गज-चाणूर-मुष्टिक, दुष्ट कंस निकन्दनम्

गो-गोप गोपीजन सुखद, कालीय विषधर गंजनम्

भव-भय हरण अशरणशरण, ब्रह्मादि मुनि-मन रंजनम्

श्याम-श्यामा करत केलि, कालिन्दी तट नट नागरम्

सोइ रूप मम हिय बसहुं नित, आनन्दघन सुख सागरम्

इति वदति सन्त सुजान श्री सनकादि मुनिजन सेवितम्

भव-मोतिहर मन दीनबन्धो, जयति जय सर्वेश्वरम्।
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*!!🌹देशवासियों को हिंदी में भारतीय और English में Bhartiyan कहा जाये 🌹!!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ *🛑अमेरिका* को English में भी America ही कहते हैं।

*🛑जापान* को English में भी Japan ही कहते हैं।

*🛑भूटान* को English में भी Bhutan ही कहते हैं।

*🛑श्रीलंका* को English में भी Sri Lanka ही कहते हैं।

*🛑बांग्लादेश* को English में भी Bangladesh ही कहते हैं।

*🛑नेपाल* को English में भी Nepal ही कहते हैं।

यहाँ तक कि हमारे सबसे बडे और

नजदीकी प्रतिद्वन्द्वी। *🛑पाकिस्तान*

को English में भी Pakistan ही कहते हैं।

*🛑भारत* को ही English में *India* क्यों कहते हैं??

अब मैं आप सब को बताता हूँ *Oxford Dictionary*

के पृष्ठ नं० 789 पर लिखा है Indian

जिसका अर्थ ये बताया है। *old-fashioned & criminal peoples* अर्थात् पिछडे और घिसे-पिटे विचारों वाले अपराधी लोग। अत: इण्डिया (India) का अर्थ हुआ असभ्य और अपराधी लोगों का देश। *भारत माता* तथा भारतीयों का अपमान करने के लिए *गौरों* ने यह नाम रखा था।

 आप सभी मित्रों से निवेदन है

कि इण्डिया नाम का और इस नाम

का समर्थन करने वाले “भारत वर्ष” विरोधियों का बहिष्कार करें।

क्यों ना ऐसी व्यवस्था हो जिसमे हिंदी में *भारत और english में BHARAT* कहा जाये। देशवासियों को हिंदी में भारतीय और English में Bhartiya कहा जाये। (साभार)

*आ गया सर्वे, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, गुजरात से बंगाल तक, भारत के पक्ष में 91%, तो इंडिया के साथ 9%*

*विपक्षियों को एक सलाह – क्यों तुम लोग भारत को विपक्ष विहीन बनाने पर तुले हो।*

*गलत का विरोध करो, सही काम में अच्छा नहीं बोल सकते तो चुप्पी साध लो*

*ओर हाँ इसे 2024 के चुनाव का रिजल्ट समझना..*

समस्त भारतियों को विश्वास है कि मोदी सरकार में भारत वर्ष” पर से अंग्रेजों द्वारा रखा गया ‘इंडिया’ नाम का कलंक हट जायेगा।

*”INDIAN” शब्द का वास्तविक अर्थ जानकर,शर्म से डूब जाएंगे आप ।*

“Indian” शब्द का अर्थ है हरामी संतान, आपने पढ़ा होगा अंग्रेजोँ के समय मेँ सिनेमाघरोँ और कई सार्वजनिक जगहोँ पर “Dogs and Indians are not allowed” का बोर्ड लगा रहता था इसी से आप समझ सकते हैँ अंग्रेज के लिये इंडियन्स की क्या वैल्यू थी।

लेकिन यदि आप ऑक्सफ़ोर्ड की पुरानी डिक्शनरी (Oxford Dictionary) खोलें तो पृष्ठ नं० 789 पर लिखा है Indian जिसका मतलब बताया गया है कि “ अर्थात् पिछड़े और घिसे-पिटे विचारों वाले अपराधी लोग तथा India का एक और अर्थ है “वह व्यक्ति या दंपत्ति जिसके माता-पिता का विवाह चर्च में नहीं हुआ हो” । अर्थात “Indian” शब्द का अर्थ है उस दंपत्ति से पैदा संतानें जो की चर्च में विवाह न होने के कारण नाजायज हैं मतलब कि बास्टर्ड या फिर हरामी संतान |ब्रिटेन में वहां के नागरिकों को “इंडियन” कहना क़ानूनी अपराध है |

“भारत” या “इंडिया” इस देश का क्या नाम है ? सरकार से यही सवाल लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता ने पूछ कर केंद्र सरकार को मुश्किल में डाल दिया है सूचना के अधिकार क़ानून यानी आर0 टी0 आई0 के तहत पूछा है कि सरकारी तौर पर भारत का क्या नाम है?

उन्होंने बीबीसी को बताया, “इस बारे में हमारे बीच काफी असमंजस है। बच्चे पूछते हैं कि जापान का एक नाम है, चीन का एक नाम है लेकिन अपने देश के दो नाम क्यूं हैं.” उनके इस सवाल ने सरकारी दफ्तरों में हलचल मचा दी है क्योंकि सरकार के पास फिलहाल इसका कोई जवाब नहीं है.

जबाब में आवेदक चाहता है कि “हमें सुबूत चाहिए कि किसने और कब इस देश का नाम “इंडिया” रखा ? या भारत को “इंडिया” कहने का फैसला कब किसके द्वारा लिया गया ?”

उक्त आवेदन पर प्रधानमंत्री कार्यालय से उन्हें जवाब मिला है जिसमें कहा गया है कि “उनके आवेदन को गृह मंत्रालय के पास भेजा गया है.”
गृह मंत्रालय में भी इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था अतः इसे “संस्कृति विभाग” और फिर वहां से “राष्ट्रीय अभिलेखागार” भेजा गया है जहां जानकारी खोजी जा रही है.

राष्ट्रीय अभिलेखागार 300 वर्षों के सरकारी दस्तावेज़ों का संग्रह है. वहां के एक अधिकारी ने बताया है कि “हम इसका जवाब ढूंढ रहे हैं. जवाब शीघ्र ही भेजा जाएगा.”

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा है- ‘इंडिया दैट इज़ भारत’. इसका मतलब यह हुआ है कि देश के दो नाम हैं. सरकारी तौर पर ‘गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया’ भी कहते हैं और ‘भारत सरकार’ भी कहते हैं.

सरकारी कार्यवाही में भारत और इंडिया दोनों का इस्तेमाल किया जाता है जबकि हमारे संविधान में भी कहा गया है “इंडिया दैट इज भारत”|

कुछ विद्वान मानते हैं कि “इंड” शब्द कि उत्पत्ति “सिंध” शब्द से हुई है इसी “इंड” से इंडिया बना किन्तु यह विचार गलत है क्योंकि जिन स्थानों पर सिंध नदी नहीं थी वहाँ के निवासियों के लिए भी अंग्रेज “इंड” शब्द का प्रयोग करते थे | जैसे कि अमेरिका के मूल निवासियों को “रेड इंडियन” कहा जाता था इसके अलावा इंडोचीन, इंडोनेशिया, वेस्टइंडीज़, ईस्टइंडीज़ आदि शब्दों के प्रयोग में सिंधु से कोई लेना-देना नहीं है |

अर्थात “इंडियन” शब्द शत प्रतिशत गुलामी का प्रतीक है नफरत भरा शब्द है क्योंकि जो लोग ईसाई चर्चों की मान्यताओं के अनुसार विवाह नहीं करते थे उन्हें ‘इंडियन’ कहा जाता है ।जय भारत।। (साभार) 

सहवाग की जय शाह से अनुरोध👇

मैं BCCI से अपील करता हुं की वर्ल्ड कप में भारतीय खिलाड़ियों की जर्सी पर INDIA की जगह भारत / BHARAT नाम हो – वीरेंद्र सहवाग

वाह वाह सहवग ब्रो वाह … भाई🙏🇮🇳

*नोट पर “रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया” लिखा है, इंडिया से भारत होने पर उन पर “रिजर्व बैंक ऑफ भारत” लिखने के लिए फिर से नोट भी बदलने पड़ सकते हैं*( साभार) 

इसलिए *कृपया नोट इकट्ठे नहीं करें*चलन में रखें। 

धन्यवाद 🙏🙏*जय भारत* 🌹🌹🌹