कर्णप्रयाग के सरदार संत सिंह जिनका समग्र जीवन राम काज के लिए समर्पित रहा रामलीला में 90 वर्ष तक निभाई दशरथ की भूमिका

एक ऐसे सरदार जी जिनका पूरा जीवन श्री राम के लिए ही समर्पित रहा 90 वर्ष तक राजा दशरथ की भूमिका निभाने वाले सरदार संत सिंह को हर राम काज में याद करते हैं ठेठ पहाड़ के लोग ।

 90 साल की उम्र तक निभाई राजा दशरथ की भूमिका ।

  छात्र जीवन में सीता, राम की भी भूमिका निभाई ‌।

 राम जन्मभूमि आंदोलन में जेल की यात्रा भी की ।

लगभग 50 साल तक राजा दशरथ की जीवंत भूमिका निभाने वाले सरदार संत सिंह हर राम काज में बहुत याद आयेंगे। आज जब अयोध्या में भगवान राम के नव निर्मित मंदिर में भगवान के बाल स्वरूप की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। ऐसे अवसर पर पहाड़ के लोग सरदार संत सिंह को बहुत याद करते हैं। सदा शिव रामलीला कर्ण प्रयाग में 50 साल तक राजा दशरथ की जीवंत भूमिका निभाने वाले सरदार संत सिंह जब गुरु विश्वामित्र द्वारा यज्ञ की रक्षार्थ राक्षसों से लड़ने के लिए राम लक्ष्मण को मांगते आते तो राजा दशरथ बने सरदार संत सिंह रामलीला में गेयात्मक रूप में यह चौपाई गाते 

 “अन्न को मांगों धन को मांगो ! दे दूंगा महाराज पर प्यारे राम को देना मंजूर ना ही है । तो हर शब्द में डूब जाते थे । पुत्र राम के वन गमन पर राजा दशरथ की पीड़ा को जब सरदार संत सिंह अभिनीत करते। तो उसमें डूब जाते थे। 

 भारत पाकिस्तान विभाजन में 1947में भारत पाकिस्तान के दर्दनाक विभाजन मे पाकिस्तान को पंजाब प्रांत के डेरा इस्माइल खान गांव से अपना सब कुछ छोड़ कर अंतिम ट्रेन से दिल्ली पहुंचे ।दिल्ली होते हुए नजीबाबाद पहुंच गए । सरदार संत सिंह के बेटे प्रताप लूथरा और महेंद्र सिंह लूथरा बताते हैं । दुग्गडा में छात्र संत सिंह ने रामलीला में सन 1950, 51में सीता का अभिनय किया ।

 “” राम काम बिना मुझे कहां विश्राम! 

जब 10वीं की परीक्षा रामलीला में राम का अभिनय में से एक काम छोड़ने की बात आई । सरदार संत सिंह ने राम के पाठ का अभिनय करना को वरीयता देकर विद्यालय छोड़ दिया। सरदार संत सिंह के बेटे प्रताप लूथरा बताते हैं पिता सरदार संत सिंह कभी सीता कभी लक्ष्मण तो कभी भगवान राम की भूमिका में अभिनय करते हुए रामलीला में सक्रिय भूमिका निभाने लगे। दुगड्डा छोड़ कर सरदार अगुस्तमुनि आ गए। वहां भी होटल व्यवसाय में रम गए और अगस्यमुनी में दशरथ का अभिनय करने लगे। 1954 में सरदार संत सिंह कर्ण प्रयाग आए । और रेस्टोरेंट तथा रहने के लिए जगह उपलब्ध करा दी। इस कार्य में स्व खुशहाल सिंह ने बड़ी सहायता की । सरदार संत सिंह के बेटे प्रताप सिंह बताते हैं उस समय श्री बद्रीनाथ धाम की यात्रा में वाहन केवल कर्ण प्रयाग तक चलते थे। यहां से आगे पैदल यात्रा शुरू होती थी।। यहां गांधी नगर के साथियों के साथ मिल कर 1966 के आस पास रामलीला कमेटी की स्थापना हुई । और सरदार संत सिंह का दशरथ का अभिनय का सफर शुरू हो गया, उसके बाद अपर बाजार की लीला में सक्रिय भूमिका निभाने लगे, दशरथ, परशुराम , भगवान शिव की भूमिका करते करते दशरथ ही बन गए।। बाद में 1974 में मुख्य बाजार में सदाशिव रामलीला कमेटी की स्थापना की गई । तब से 2022 तक 90 साल की उम्र तक दशरथ की भूमिका निभाई ।

 ” बोले लोग!  

सदाशिव रामलीला कर्ण प्रयाग के सक्रिय सदस्य कान्ति डिमरी समेत सभी स्थानीय लोग सरदार संत सिंह को याद करते हुए कहते हैं। वे जब राजा दशरथ की भूमिका में मंच पर आते और भूमिका निभाते तो सचमुच दशरथ ही बन जाते और दशरथ ही दिखते थे।

 *** राम के लिए जेल की यात्रा भी *** 

 भगवान राम मन्दिर निर्माण के लिए सरदार संत सिंह अयोध्या जाते समय लखनऊ में गिरफ्तार हुए । उनके बेटे प्रताप सिंह महेंद्र सिंह लूथरा बताते हैं । राम जन्मभूमि आंदोलन में 10दिन तक जेल में ही पिता का राम भजन जोर शोर से चलता रहा, सभी कैदी और जेल स्टाफ शाम को उन्हें घेर लेता और भजन शुरू हो जाते। 10दिन बाड़ छूटे तो हरिद्वार आने के बजाय अयोध्या जी चले गए, लेकिन स्टेशन पर उतरते ही पुलिस ने फिर पकड़ कर बस में बैठा दिया और हरिद्वार भेज दिया । भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट व सरदार संत सिंह के बेटे प्रताप लूथरा कहते हैं जीवन भर भगवान राम की रटन लगाने वाले पिता सरदार संत सिंह अयोध्या में भगवान श्रीराम का भब्य मंदिर देखना चाहते थे । आज जीवित रहते तो अवश्य अयोध्या पहुंचते । सौजन्य क्रांति भट्ट