स्वाइन फ्लू से एक और मौत, कब जागेगी सरकार?

गंगा असनोड़ा

दो माह पूर्व उत्तराखंड में थराली के विधायक मगन लाल शाह की मौत के बाद भी स्वाईन फ्लू को लेकर सरकार, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग नहीं चेते। यदि समय पर हाई अलर्ट घोषित कर स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया होता, तो शायद होनहार रोशन नैलवाल स्वाईन फ्लू के कारण जान नहीं गॅंवाता। बजट सत्र पर जहाॅं पूरे राज्य की आंदोलनकारी ताकतें गैरसैंण को राजधानी बनाने की माॅंग को लेकर अपना शक्ति प्रदर्शन कर रही थी, तो सरकार ने सत्र का पहला दिन दिवंगत विधायक मगन लाल शाह को समर्पित किया, लेकिन स्वाईन फ्लू जैसी संक्रामक बीमारी की चपेट में आए थराली विधायक के क्षेत्र भ्रमण के दौरान हालत बिगड़ने को लेकर कहीं चिंता नहीं दिखी।

एक अप्रैल से था बुखार
रोशन को एक अप्रैल से बुखार आया, लेकिन इसे वाइरल मानकर वह स्कूल जाता रहा। इस बीच घर के अन्य तीन सदस्यों को भी बुखार आया। वे भी वाइरल के लिए स्थानीय डाॅक्टर से दवा लेकर अपने-अपने काम में लगे रहे। अन्य तीनों का दवा के असर से बुखार उतर रहा था, लेकिन रोशन का बुखार उतर नहीं रहा था। उसे शरीर में कमजोरी या टूटन के साथ खाॅंसी, जुकाम (बहता जुकाम नहीं था) तथा खाॅंसी में गाढ़ा पीला कफ हो रहा था। छह अप्रैल से उसकी हिम्मत जवाब दे गई। डाॅक्टर साहब ने टाइफाइड परीक्षण किया, तो टाइफाइड पाॅजिटिव आ गया। टाइफाइड के दो दिन के इलाज के बाद भी जब उसकी हालत बिगड़ने लगी, तो उसे रानीखेत ले जाया गया। यहाॅं भी डाॅक्टर ने उसे एडमिट कर ग्लूकोज चढ़ाकर रात को राउंड तक नहीं लिया। सुबह चार बजे तक हालत बहुत बिगड़ने पर अभिभावकों के आक्रोश जताने के बाद डाॅक्टर ने हल्द्वानी रेफर किया। हल्द्वानी पहुॅंचने पर मालूम हुआ कि उसके दोनों फेफड़ों में जबरदस्त संक्रमण हो गया है और दिल्ली तक पहुॅंचना भी मुमकिन नहीं है। इसलिए बरेली रेफर किया गया। यहाॅं डाॅक्टरों को बार-बार स्वाइन फ्लू की आशंका अभिभावकों की ओर से जताई गई, किन्तु विशेषज्ञों ने ध्यान नहीं दिया।

उत्तराखंड में स्वाईन फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार इसको लेकर कहीं से भी चिंतित नहीं दिखाई देती। रोशन की रिपोर्ट स्वाईन फ्लू पाॅजिटिव है, यह बड़ी जद्दोजहद के बाद उसकी मौत के पांच दिन बाद आज हमें आॅफिसियल रूप से मालूम हो पाई है। इसकी हार्ड काॅपी अभी तक भी हमें प्राप्त नहीं हुई है। रोशन की हालत गंभीर होने पर बरेली के राममूर्ति अस्पताल के उन डाॅक्टरों के समक्ष हमने बार-बार स्वाईन फ्लू की आशंका जताई थी, जिसे वे नजरअंदाज करते रहे। 12 अप्रैल को उन्होंने यह कहते हुए उसका सेंपल लिया कि आप लोगों की तसल्ली के लिए यह परीक्षण किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद यह सेंपल 15 अप्रैल तक उन्होंने परीक्षण के लिए नहीं भेजा। हमारी ओर से बार-बार कहे जाने पर उन्होंने 16 अप्रैल को सेंपल परीक्षण के लिए भेजा, जो कि पाॅजिटिव पाया गया है।

पांॅच अप्रैल तक राजीव गाॅंधी नवोदय विद्यालय में पढ़ाने के लिए जाता रहा है रोशन
रोशन का अचानक हमसे चिरविदा हो जाना जितना पीड़ादाई है, उतनी ही चिंताजनक बात यह भी है कि स्वाईन फ्लू पाॅजिटिव होते हुए उसने पाॅंच अप्रैल तक गैरसैंण के राजीव गाॅंधी नवोदय विद्यालय में विद्यार्थियों को पढ़ाया है। वह पाॅंच अप्रैल तक किसी तरह स्कूल जाता रहा है। ऐसे में सरकार को जरूरी ऐहतियात बरतते हुए गैरसैंण क्षेत्र में स्वाईन फ्लू के एलर्ट को लेकर एक टीम भेजनी चाहिए तथा विद्यालय के बच्चों समेत अन्य सशंकित मामलों में सेंपल लेकर शीघ्रातिशीघ्र परीक्षण कराने चाहिए।

होनहार रिसर्च स्काॅलर रहा है रोशन
रोशन होनहार रिसर्च स्काॅलर रहा है। गैरसैंण से बी.ए., बिड़ला कैंपस श्रीनगर से एम.ए., बी.एड. करने के बाद यहीं से वह भूगोल विषय में रिसर्च स्काॅलर था। अगले माह ही उसकी पी.एच.डी.सबमिट होनी थी। स्लेट व नेट उत्तीर्ण रोशन केंद्र तथा राज्य के लिए प्राथमिक व जूनियर दोनों वर्गों में टी.ई.टी.उत्तीर्ण भी था। दो दिन पूर्व लोक सेवा आयोग से अपर निजी सचिव के घोषित परीक्षाफल में उसने भी लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की है। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ा भाई रोशन हमारे लिए सिर्फ मेरी बुआजी का बेटा नहीं था। ईजा और बाबूजी से मिले अथाह स्नेह के साथ पिछले 11 वर्षों से वह गैरसैंण में हमारे परिवार का सदस्य ही था। भवानी जी की मृत्यु के बाद रोशन मेरा सबसे बड़ा सहारा बना हुआ था। चार माह पूर्व ही वह गैरसैंण में राजीव गाॅंधी नवोदय विद्यालय के लिए चयनित हुआ था। रीजनल रिपोर्टर को रोशन का जो सहयोग मिला, उसका बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता। कुल मिलाकर रोशन एक आज्ञाकारी पुत्र-भांजा-विद्यार्थी, स्नेही भाई, विवेकी शिक्षक, कठोेर परिश्रमी युवा था। ऐसे मानव संसाधन को खोकर उसका परिवार अभिशप्त हुआ है, तो इस प्रदेश, देश को भी बड़ा नुकसान हुआ है।