आल वैदर रोड़- गायब हो रहे सर्पाकार मोड़, फालतू मिट्टी से बनेगा सोना

डॉ हरीश मैखुरी

उत्तराखंड में इन दिनों काटी जा रही ऑल वेदर रोड पर यदि इसी गति से कार्य होता रहा तो यह बहुत जल्दी उत्तराखंड के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है।   ऋषिकेश से बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य जिस द्रुत गति से चल रहा है और जितने वैज्ञानिक तरीके से हो रहा है उसने बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन को भी आइना दिखा दिया है, पहाड़ों से निकला हुआ मलवा अब नदियों में नहीं गिराया जा रहा बल्कि उसके लिए डंपिंग जोन बनाए गए हैं, रोड़ के लिए पहाड़ काट कर निकाले गए मलबे से जहां जरूरत होगी वहां भरान  किया जाएगा और बाकी का मलबा सोने के भाव बिकेगा। यानी मिट्टी भी सोना उगलेगी और फालतू मलबे का दूसरी जगह उपयोग हो सकेगा। इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई होगी। इसे “गडकरी मॉडल”  कहा जा सकता है,  इस तकनीक से मैदानी भागों में भी सड़क निर्माण एजेंसियां अच्छा खासा लाभ कमा रही हैं,  उत्तराखंड के चार धामों को जोड़ने वाली इस ऑल वेदर रोड का निर्माण कार्य जिस तेजी से और वैज्ञानिक तरीके से हो रहा है उस तरीके से यदि पहले हो चुका होता तो पहाड़ों से पलायन पर भी काफी हद तक अंकुश लगता, देर आए दुरुस्त आए,  बड़ी-बड़ी मशीनें पहाड़ों से मलवा निकाल रही है सड़कों के दुर्घटना कारक सर्पाकार मोड़ समाप्त किए जा रहे हैं

यह निर्माण कार्य अपने समय से चल रहा है। 1992 में राजीव गांधी ने गोचर में ऋषिकेश बद्रीनाथ मार्ग के चौड़ीकरण की घोषणा की थी और उसकी निर्माण ऐजेन्सी बीआरओ को बनाया गया लेकिन काम अभी तक आधा भी नहीं हुआ।  पिछले वर्ष सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऑल वेदर रोड की घोषणा की थी और कहा था यह 2022 तक कंप्लीट हो जाएगा,  जिस तेजी से काम चल रहा है उसको देखते हुए लगता है कि यदि न्यायालय और एनजीटी ने पंगा नहीं फंसाया तो यह सड़क 2022 तक कंप्लीट हो भी सकती है। साकनी धार और ब्यासी के बीच  जो कठोर चट्टानें और संकरी सड़क थी वह आये दिन होने वाली सड़क दुर्घटना के चलते बद्रीनाथ ऋषिकेश राष्ट्रीय राजमार्ग का अभिशाप बन चुका था।  अच्छी बात यह है कि ऑल वेदर रोड की शुरुआत  इसी शाकनीधार और ब्यासी बीच हुई  है। लेकिन अभी कई जगहों पर काम शुरू नहीं हो सका है जिस पर लोग आशंकित हैं। पर्यावरण के नाम पर विकास कार्यों में रोड़ा डालने वाले कुछ लोग इस रोड पर पेड़ कटने की बातें भी कर रहे हैं लेकिन अच्छी बात ये है कि  जितनी चौड़ी यह सड़क बनाई जा रही है उस हिसाब से इस मोटर मार्ग पर पेड़ नहीं कट रहे हैं,  देखने वाली बात यह है कि यदि इस निर्माण कार्य के बीच कोई बहुमूल्य और अच्छा पेड़ आ रहा है तो उसको बचाने की भी वैज्ञानिक तरीके से कोशिश की जा रही है, और दर्शनीय पेड़ों को रोड के बीचों बीच छोड़ दिया जा रहा है।  यह वाकई अद्भुत है। साथ ही अब इस रोड़  के दोनों तरफ पेड़ लगाने के लिए भी प्रयास तेज हो गए हैं जिसे हम शुभ कार्य कर सकते हैं।  इस मोटर सड़क के बनने से जहां सड़कें अच्छी होंगी,  यात्रियों का काफी समय बचेगा वहीं प्राकृतिक कारणों से एक्सीडेंट की संभावनाएं भी काफी कम हो जाएंगी,  जिससे इस चारधाम यात्रा मार्ग पर ट्रैफिक बढ़ेगा और स्थानीय लोगों को होटल ढाबों आदि के माध्यम से रोजगार मिलेगा। सीमावर्ती क्षेत्रों में संसाधन उपलब्ध कराने और सामरिक दृष्टि से भी यह सड़क हिमालय के भविष्य की निधि बनेगी।