जहाँ नदियों पर कब्जा मजाक नहीं, मैजिक है

माननीय मालिक मलिन बस्ती प्रबन्धन उत्तराखंड, सविनय निवेदन है कि मरी हुई नदी पर वर्षात के मौसम में थोड़ी जान आती नहीं कि, नदी मार्ग को बाप की प्रोपर्टी समझ कर रोड़ा अटकाने और कब्जाने वाले रोते चिल्लाते अभिनय करते आपके दरबार में जागरण करने आजाते “हूजूर माई बाप सब सत्यानाश हो गया, बहा ले गयी नदी”। और आप बिना ये पूछे कि “नदी साईट कंट्रोल एक्ट का भट्टा बिठा के” नदी पर काहे काबिज हुए,  काहे पवित्र नदी को टट्टी फरागत कबाड़ डालने का अड्डा बना लिया? काहे नदी पर मकान खड़े कर दिए? आप उनके लिए मुआवजा, इलाज और बदले में जमीन का बंदोबस्त करने के निर्देश भी देते हैं। इससे हमरा हौसला भी बढ़ा कि ये तो तरकीब अच्छी है। टट्टी नदी में और पट्टी आपके दरबार में पढा़यें तो कब्जा पक्का। उपर से एनडीआरएफ रैस्क्यू सुरक्षा भी। ये तो मैजिक है। खामखां लिखा है नदी साईट कंट्रोल एक्ट में कि “50 मीटर तक कोई भी गतिविधि नहीं तथा 100 मीटर की दूरी तक किसी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता” । मलिन बस्ती मालिक जी देवभूमि का उद्धार आपके करकमलों से ऐसा ही होता रहे। बाकी आप समझदार हैं।

                      … हरीश मैखुरी 07-08-2018
प्रतिलिपि – 1- मलिन बस्ती वोटर /आधार/राशनकार्ड/ बिजली एजेंन्ट महाशय को इस आशय से कि आपका इस्तकबाल बुलंद रहे।
2- 35 पर भारी 4 चकड़ैत को इस आशय से कि देवभूमि का बेड़ा अपार करने में आपका योगदान बना रहे।