आज का पंचाग आपका राशि फल, हिन्दी वर्णमाला, शिवलिंग की असीमित ऊर्जा से परिचित हो गये हमारे वैज्ञानिक, आयुर्वेद का उपचार और इतिहास

🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे।

*चन्द्रमा की स्तुति* :–
दधिशंख तुषाराभं *क्षीरोदार्णवसम्भवम् नमामि शशिनं सोमम् शम्भो मुकुट भूषणम्*।। हिन्दी ब्याख्या:–दधि शंख अथवा हिम के समान जिनकी दीप्ति है जिन की उत्पत्ति क्षीर समुद्र से हैं जो शिवजी के मुकुट पर अलंकार की तरह विराजमान रहते हैं मैं उन चंद्रदेव को प्रणाम करता हूं।।चन्द्र गायत्री मंत्र:–🕉️ *अत्रिपुत्राय विद्महे सागरोद्भवाय धीज्ञहि तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्*।।
यथाशक्ति चंद्र गायत्री का जप करने के बाद पलाश युक्त पायस घी से दशांश हवन करें चंद्रदेव एवं भगवान शंकर आपकी समस्त मनोकामना को पूर्ण करेंगे।।।
आपका अपना *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री*8449046631*🙏🏽🙏🏽🙏🏽

✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️वीर विक्रमादित्य संवत् ✡️
✡️2078✡️
✡️आषाढ़ मासे ✡️
✡️28 प्रविष्टे गते ✡️
✡️चन्द्र वासरे ✡️
✡️दिनांक ✡️ :12 – 07 – 2021(सोमवार)✡️
✡️सूर्योदय :05.52 पूर्वाह्न✡️
✡️सूर्यास्त :07.12 अपराह्न✡️
✡️सूर्य राशि :मिथुन✡️
✡️चन्द्रोदय :07.38 पूर्वाह्न✡️
✡️चंद्रास्त :09.17 अपराह्न✡️
✡️चन्द्र राशि :कर्क कल 03:14 पूर्वाह्न तक, बाद में सिंह✡️
✡️विक्रम सम्वत :✡️
✡️ 2078✡️
✡️अमांत महीना :आषाढ़ 2✡️
🌹पूर्णिमांत महीना :आषाढ़ 18
पक्ष :शुक्ल ✡️
✡️तिथि :द्वितीया 8.19अपरान्ह तक, बाद में तृतीया✡️
✡️नक्षत्र :पुष्य 2.22 पूर्वाह्न तक, बाद में आश्लेषा✡️
✡️योग :वज्रा 3.50 अपराह्न तक, बाद में सिद्धि✡️
✡️करण :कौलव 8:19 पूर्वाह्न तक, बाद में तैतिल 8:25 अपराह्न तक, बाद में गर✡️
✡️राहु काल :7.30 पूर्वाह्न से- 9.10 पूर्वाह्न तक✡️
✡️कुलिक काल :2.11 अपराह्न से – 3.52 अपराह्न तक✡️
✡️यमगण्ड :10.51 पूर्वाह्न से- 12.31 अपराह्न तक✡️
✡️अभिजीत मुहूर्त :12.05 अपराह्न से – 12.59 अपराह्न तक✡️
✡️दुर्मुहूर्त :12:59 अपराह्न से – 01:52 अपराह्न तक, 03:38 अपराह्न से – 04:32 अपराह्न तक✡️ *मित्रों राहुकाल यमघंट काल दूर मुहूर्त में यात्रा एवं शुभ कार्य आरंभ नहीं करने चाहिए अभिजीत मुहूर्त एवं कुलिक काल में यात्रा एवं शुभ कार्य आरंभ करने चाहिए*
[12/7, 01:42] चक्रधर प्रसाद शास्त्री: 💐 *आज का मंगल विचार*
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*अनन्तशास्त्रं बहुलाश्च विद्या अल्पं च कालो बहुविघ्नता च।*
*आसारभूतं तदुपासनीयं हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात्॥*

*भावार्थ :-* *शास्त्र अनेक हैं, विद्याएं अनेक हैं, किन्तु मनुष्य का जीवन बहुत छोटा है, उसमें भी अनेक विघ्न हैं । इसलिए जैसे मिले हुए दूध और पानी में से हंस दूध पी लेता है और पानी को छोड़ देता है उसी तरह काम की बातें ग्रहण कर लो तथा बाकी छोड़ देनी चाहिए*।
🙏शुभप्रभातम् 🙏🌹🌹🙏* *जय श्री शिव शंकर भोलेनाथ*
✡️आज के लिए राशिफल(12-07-2021) ✡️
✡️मेष✡️
12-07-2021
आज शिक्षाविदों, समर्थक, तकनीकी गतिविधियों से संबंधित क्षेत्रों से जुड़े जातक अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे। आज के दिन मनोरंजन पर भारी खर्च से कई लोगों की जेब पर भारी असर पड़ सकता है। इस समय आपके लिए अपने खर्चों को नियंत्रित करना बहुत अच्छा रहेग। पारिवारिक वातावरण खुशहाल रहेगा। आज जीवनसाथी और घर के बड़ों के साथ संबंधों का आनंद लेंगे। स्वास्थ्य के विषय में उदर विकारसे आप पीड़ित हो सकते हैं। अत: आपको सावधान रहने की आवश्कता है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : हल्का पीला
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✡️वृष ✡️
12-07-2021
आज घर परिवार में किसी मांगलिक आयोजन की रूपरेखा बनेगी। इस राशि के व्यवसाय से जुड़े लोगों को उम्मीद से अधिक धन लाभ होगा। सामाजिक स्तर पर आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी। किसी काम में माता-पिता की ली गई सलाह आपके लिए लाभदायक होगी। भाई-बहनों के साथ आपके संबंध बहुत अच्छे होंगे। अगर किसी आवश्यक काम को पूरा करने की सोच रहे हैं, तो वह आज पूरा हो जाएगा। आपका स्वास्थ्य अच्छा
रहेगा। किसी कन्या के पैर छूकर आशीर्वाद लें, समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️मिथुन ✡️
12-07-2021
आज आपका जोश भी चरम पर हो सकता है। नए लोग आपसे जुड़ सकते हैं। रिश्तों से जुड़े कई पहलू आपके लिए खास हो सकते हैं। किसी रिश्ते को मजबूत करने या टूटते रिश्ते को बचाने के लिए कोई सलाह लेनी हो, तो आपके लिए समय बहुत अच्छा हो सकता है। आज आप ऐसे कई काम निपटा सकते हैं, जिनकी अनदेखी आप काफी समय से करते आ रहे हैं। अचानक सामने आने वाले कामों के लिए खुद को पहले से तैयार कर लें।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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✡️कर्क ✡️
12-07-2021
आज नए लोगों से भेंट
होने की सम्भावना हैं जिनके साथ नए रिश्तों का आरम्भ होगा। सामाजिक गतिविधियों की तरफ आपका प्रवृत्ति बढ़ेगी। अपनी गलत आदतों को छुपाए नहीं उन्हें दूर करने का प्रयास करें। आज व्यापारिक निर्णय आप आसानी से ले सकते हैं। इसमें आप सफल होंगे, हो सकता है अपने भाइयों से कुछ सलाह लें, और यह सलाह आपके लिए लाभकारीभी रहेगी। कोई छोटा सा तनाव भी आपको परेशान कर सकता है।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : हल्का नीला
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✡️सिंह ✡️
12-07-2021
आज मिश्रित परिणामों की अवधि होगी। इस समय आप थोड़े चिंतित हो सकते हैं। आप अनावश्यक जटिलताओं में फंसे रह सकतें हैं और कुछ चल रही परियोजनाओं में आपको बाधाओं का भी सामना करना पड़ सकता है। वित्तीय मुद्दों को हल करने में भी कुछ समय लग सकता है। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले अच्छे से सोच लें। पारिवारिक जीवन सामंजस्यपूर्ण रहेगा और आप बड़े उत्साह के साथ पारिवारिक गतिविधियों में भाग लेंगे। यात्रा आपके लिए लाभदायक रहेगी।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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✡️कन्या✡️
12-07-2021
आज आपके सभी काम समय से पूरे होंगे। दोस्तों के साथ मिलकर आपको प्रशन्नता मिलेगी। आज जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। आपका खुशनुमा व्यवहार घर में ख़ुशी का माहौलबना देगा। आज कुछ उलझे हुए मामले सुलझ जायेंगे। लोगों को आपसे किसी तरह की अपेक्षाएं होंगी। शैक्षणिक कार्यों में आपका मन लगेगा। आज राजनीति के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। आप घरेलू काम को पूरा करनेमें सफल रहेंगे। आज सही योजना के तहत करियर में बदलाव लायेंगे।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : गहरा पीला
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✡️तुला ✡️
12-07-2021
किसी बात को लेकर मन में उत्सुकता रहेगी। अच्छा बोलकर आपकी कोशिशें पूरी हो सकती हैं। आपको कोई महत्वपूर्ण बातचीत करनी हो या इंटरव्यू आदि हो, तो सफलता मिल सकती है। आज आप निस्वार्थ ढंग से कई काम कर सकते हैं। आप सकारात्मक भी रहेंगे। आपके लिए दिन सामान्य रहेगा। परिवार में कोई नया सदस्य भी आ सकता है। खुद पर भरोसा रखें तो आपकी सेहत अच्छी हो सकती है।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️वृश्चिक ✡️
12-07-2021
आज जरूरत से अधिक पैसा खर्च होने की नौबत आ सकती है। दूसरों के तनाव को अपने अच्छे फैसले के खिलाफ जाने के लिए मनाने की अनुमति न दें। जिस काम को दूसरे लोग हाथ लगाने से डर रहे हैं, उसे एक चुटकी में हल करने में आपको कोई नहीं रोक सकता है। चीज़ों और लोगों को तेज़ी-से परखने की क्षमता आपको दूसरों से आगे बनाए रखेगी। आपका जीवनसाथी अपने दोस्तों में कुछ ज़्यादा व्यस्त हो सकता है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : हल्का हरा
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✡️धनु ✡️
12-07-2021
व्यापारिक सदंर्भ में रुके हुए कार्य पूर्णता की ओर गति बढ़ाएंगे। नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को जल्द ही सफलता मिलेगी। आप में से कुछ लोगों को वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इससे निपटने के लिए आप नई रणनीति बनाने के लिए भी कदम उठाएंगे। आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा लेकिन तनाव से दूर रहें। आपको अचानक काम से संबंधित यात्रा पर जाना पड़ सकता है।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️मकर ✡️
12-07-2021
आज आपके किसी काम में थोड़ी रूकावटें आ सकती हैं, जिससे आप परेशान हो सकते हैं। आज आपको धैर्य से काम लेना चाहिए। इससे आपको लाभ होगा। आप अपने काम को अच्छी दिशा देने के लिये जितना प्रयास करेंगे, आपके लिये उतना ही बेहतर होगा। कार्यालय में अधिकारी वर्ग आपके ऊपर काम को लेकर थोड़ा दबाव बना सकते हैं। इस राशि के छात्रों का मन पढ़ाई से थोड़ा डिस्ट्रैक्ट हो सकता है। किसी एकान्त जगह पर पढ़ाई करने से फायदा होगा। जरूरतमंद को वस्त्र दान करें, काम में सफलता मिलेगी।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : गहरा लाल
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✡️कुंभ ✡️
12-07-2021
लेन-देन और बचत के मामलों में आज आपको सीरियस रहना होगा। आपके लिए दिन अच्छा है। भविष्य की योजनाओं पर ध्यान दें। जीवनसाथी के साथ मतभेद खत्म करने की कोशिश हो सकती है, इसमें आपको सफलता मिल सकती है। जीवनसाथी की भावना समझने की कोशिश करें। संतान संबंधित कोई अच्छी खबर आपको मिल सकती है। माता-पिता की मदद मिलती रहेगी।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : ग्रे रंग
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✡️मीन ✡️
12-07-2021
आज अनावश्यक खर्चो पर नियन्त्रण रखने की आवश्यकता है। अकारण किसी चिन्ता के कारण मन परेशान हो सकता है, अतः आप अपने मन को केन्द्रित करने का प्रयास करें। वेतन में वृद्धि का दौर शुरु हो रहा है। आय के नए स्त्रोत प्राप्त होंगे। अपने प्यार के साथ समय बिताएँगे, जो आपके दिल को सुकून देगा। सरकारी कार्य क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। उन्हें अत्यधिक लाभ होने वाला है। पारिवारिक संबंध बेहद अच्छे रहेंगे, लंबे समय बाद परिवार के साथ भोजन करने का मौका मिलेगा।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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*आपका अपना पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली, 8449046631 

मित्रों यह कविता वर्णमाला पर आधारित है हिंदी वर्णमाला के अनुसार स्वर एवं व्यंजन ओं का समावेश किया गया है अपने बच्चों को इसकी उच्च शिक्षा देने की कृपा करें
हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग है।
*अ* चानक
*आ* कर मुझसे
*इ* ठलाता हुआ पंछी बोला
*ई* श्वर ने मानव को तो
*उ* त्तम ज्ञान-दान से तौला
*ऊ* पर हो तुम सब जीवों में
*ऋ* ष्य तुल्य अनमोल
*ए* क अकेली जात अनोखी
*ऐ* सी क्या मजबूरी तुमको
*ओ* ट रहे होंठों की शोख़ी
*औ* र सताकर कमज़ोरों को
*अं* ग तुम्हारा खिल जाता है
*अ:* तुम्हें क्या मिल जाता है.?
*क* हा मैंने- कि कहो
*ख* ग आज सम्पूर्ण
*ग* र्व से कि- हर अभाव में भी
*घ* र तुम्हारा बड़े मजे से
*च* ल रहा है
*छो* टी सी- टहनी के सिरे की
*ज* गह में, बिना किसी
*झ* गड़े के, ना ही किसी
*ट* कराव के पूरा कुनबा पल रहा है
*ठौ* र यहीं है उसमें
*डा* ली-डाली, पत्ते-पत्ते
*ढ* लता सूरज
*त* रावट देता है
*थ* कावट सारी, पूरे
*दि* वस की-तारों की लड़ियों से
*ध* न-धान्य की लिखावट लेता है
*ना* दान-नियति से अनजान अरे
*प्र* गतिशील मानव
*फ़* रेब के पुतलो
*ब* न बैठे हो समर्थ
*भ* ला याद कहाँ तुम्हें
*म* नुष्यता का अर्थ.?
*य* ह जो थी, प्रभु की
*र* चना अनुपम…
*ला* लच-लोभ के
*व* शीभूत होकर
*श* र्म-धर्म सब तजकर
*ष* ड्यंत्रों के खेतों में
*स* दा पाप-बीजों को बोकर
*हो* कर स्वयं से दूर
*क्ष* णभंगुर सुख में अटक चुके हो
*त्रा* स को आमंत्रित करते
*ज्ञा* न-पथ से भटक चुके हो।
अंग्रेजी के वर्णमाला का बहुत कुछ पढ़ा है,
पहली बार हिंदी में सुंदर प्रयोग है।।🌷🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *आपका अपना पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर 8449046631,9149003677*

शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं! भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे! भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।
▪️ महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं।
▪️ क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।
▪️ भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।
▪️ शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।
▪️ तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।
महाकाल उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों के बीच का सम्बन्ध (दूरी) देखिये –
▪️ उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी
▪️ उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी
▪️ उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी
▪️ उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी
▪️ उज्जैन से मल्लिकार्जुन- 999 किमी
▪️ उज्जैन से केदारनाथ- 888 किमी
▪️ उज्जैन से त्रयंबकेश्वर- 555 किमी
▪️ उज्जैन से बैजनाथ- 999 किमी
▪️ उज्जैन से रामेश्वरम्- 1999 किमी
▪️ उज्जैन से घृष्णेश्वर – 555 किमी
हिन्दू धर्म में कुछ भी बिना कारण के नहीं होता था।
उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है, जो सनातन धर्म में हजारों सालों से मानते आ रहे हैं।
इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये हैं करीब 2050 वर्ष पहले।
और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायी गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला।
आज भी वैज्ञानिक उज्जैन ही आते हैं सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये

*आयुर्वेद क्या है और इसका इतिहास?*

*क्या आप आयुर्वेद के शुरुआत के रहस्य को जानते हैं?*

*क्या आप आयुर्वेद का इतिहास जानना चाहते हैं.?* हर वनस्पति को उसके नक्षत्र विशेष में निकाल कर प्रयोग करने से ही वांछित परिणाम मिलते हैं। आजकल लोग जड़ी बूटियों के विदोहन में नक्षत्रों का ध्यान नहीं रखते इसलिए भी अपेक्षित परिणाम कमतर मिलते हैं। 

*आयुर्वेद क्या है और इसका इतिहास?*
*What is the History Ayurveda?*

आयुर्वेद एक दवाई का सिस्टम है जिसका आरंभ युगों पूर्व भारत में हुआ था।
आयुर्वेदिक दवाइयों का पूरा रहस्य भारत के इतिहास से जुडा हुआ है।
आज के दिन में विश्व भर के अधिकतर आधुनिक और वैकल्पिक चिकित्सा, आयुर्वेद से लिया गया है।

प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा की शुरुआत देवी देवताओं के ग्रंथों से हुआ था और बाद में यह मानव चिकित्सा तक पहुंचा।
सुश्रुत संहिता (Sushruta Samhita) में यह साफ़-साफ लिखा गया है कि धनवंतरी, ने किस प्रकार से वाराणसी के एक पौराणिक राजा के रूप में अवतार लिया और उसके बाद कुछ बुद्धिमान चिकित्सकों और खुद आचार्य सुश्रुत को भी दवाइयों के विषय में ज्ञान दिया।

आयुर्वेद के उपचार में ज्यादातर हर्बल चीजों का उपयोग होता है।
ग्रंथों के अनुसार कुछ खनिज और धातु पदार्थ का भी उपयोग औषधि बनाने में किया जाता था। यहाँ तक की प्राचीन आयुर्वेद ग्रांटों से सर्जरी के कुछ तरीके भी सीखे गए हैं जैसे नासिकासंधान (Rhinoplasty), पेरिनिअल लिथोटोमी (Perineal Lithotomy), घावों की सिलाई (Wounds Suturing), आदि।

वैसे तो आयुर्वेद के चिकित्सा को वैज्ञानिक तौर पे माना गया है पर इसे वैज्ञानिक तौर पर पालन ना किया जाने वाला चिकित्सा प्रणाली कहा जाता है।
पर ऐसे भी बहुत सारे शोधकर्ता हैं जो आयुर्वेदिक चिकित्सा को विज्ञान से जुड़ा (Proto Science) मानते हैं।

 

वैज्ञानिकों का यह भी कहना है आयुर्वेद के ज्ञान का उपयोग सिन्धु सभ्यता में भी पाया गया है और साथ ही बौद्ध धर्म और जैन धर्म में भी इसके कुछ अवधारणाओं और प्रथाओं (Concepts and Practices) को देखा गया है।

*आयुर्वेद के दोष*

आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य के शारीर में तीन जैविक-तत्व (Bio-elements) होते हैं जिन्हें दोष या त्रिदोष कहा गया है।
शारीर के भीतर इन तीन तत्वों का उतार चढ़ाव लगा रहता है।
 
आयुर्वेद के पाठ में सही तरीके से लिखा हुआ है कि शारीर का स्वास्थ्य इन तिन दोषों पर निर्भर करता है, जो हैं –

वात (वायु तत्व) –
यह सूखा, सर्दी, प्रकाश, और चलने के गुणों की विशेषता है।
शरीर में सभी चालन वात की वजह से है।
दर्द होना भी वात की विशेषता है।
वात के कारण पेट फूलना, गठिया, आर्थराइटिस जैसे बीमारियाँ, आदि होती हैं।

5 प्रकार के वात दोष –
1- प्राण वात
2- समान वात
3- उदान वात
4- अपान वात
5- व्‍यान वातपित्त Pitta

अग्नि तत्व –
यह पेट/आमाशय में बाइल(Bile) के निकलने के गुणों की विशेषता है और इसमें देखा जाता है किस प्रकार Bile लीवर, स्प्लीन, ह्रदय, आँखों में और त्वचा में सही मायने में पहुँचता है।
इसमें उर्जा की शक्ति को देखा जाता है जिसमें खाद्य का पाचन और मेटाबोलिज्म सम्मिलित है।

5 प्रकार के पित्त दोष –
1- साधक पित्‍त
2- भ्राजक पित्‍त
3- रंजक पित्‍त
4- लोचक पित्‍त
5- पाचक पित्‍तकफ

पानी तत्व – यह सर्दी, कोमलता, कठोरता, सुस्ती, स्नेहन, और पोषक तत्वों के वाहक की विशेषता है।

5 प्रकार के कफ दोष–
1- क्‍लेदन कफ
2- अवलम्‍बन कफ
3- श्‍लेष्‍मन कफ
4- रसन कफ
5- स्‍नेहन कफ

आयुर्वेद के आठ अंग
Eight Components of Ayurveda – Chikitsayam Astangayam

इन आयुर्वेद चिकित्सा के आठ अंग को महान संस्कृत “महाभारत” में पढ़ा गया है और इनका नाम संस्कृत में चिकित्सयम अष्टन्गायम Chikitsayam Astangayam के नाम से पाया गया है।
आयुर्वेद के आठ अंग हैं –

काया चिकित्सा Kāyacikitsā: साधारण दवाई, या शारीर के लिए औषधिका उमारा भर्त्य Kaumāra-bhrtya:
बच्चों / शिशु चिकित्सा सल्यतंत्र Śalyatantra: सर्जरी चिकित्सासलाक्यतंत्र Śālākyatantra: कान, आँख, नाक, मुहँ के लिए चिकित्सा (ENT) भूतविद्या Bhūtavidyā: भुत-प्रेत से जुडी चिकित्सा, दिमाग से जुड़ा चिकित्सा अगद तंत्र Agada tantra:
विष ज्ञान रसायनतंत्र Rasāyanatantra:
विटामिन और ज़रूरी पोषण तत्व से जुड़ा चिकित्सा वाजीकरणतत्र Vājīkaranatantra:
कामोत्तेजक, वीर्य और यौन सुख से जुड़ा चिकित्सा

*आयुर्वेद के पंचकर्म* Panchakarma of Ayurveda

पंच का अर्थ है ‘पांच’ और कर्म का अर्थ है ‘चिकित्सा’। ये वो कर्मा हैं जिनकी मदद से आयुर्वेद में शारीर से विषैले तत्वों को बाहर निकाला जाता है।

वामन (Emesis) – मुख के माध्यम से उलटी करवाना, विरेचना (Purgation) – अस्थमा, सोरायसिस, डायबिटीज से जुड़े क्लिनिकल परीक्षण

– दवाई को नाक के माध्यम से शारीर में पहुँचाना।

*आयुर्वेद किसने लिखा था?*

आयुर्वेद कोई ऐसा लेख नहीं है जो किसी एक ने लिखा था।
यह एक ऐसा प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो सदियों से कई महापुरुष लिखते चले आ रहे हैं।

वैसे तो आज तक आयुर्वेद पर कई लेख लिखे गए हैं पर जो सबसे प्रमुख पौराणिक हैं –  चरक संहिता, सुश्रुता संहिता, और अष्टांग हृदयम।

वैसे तो आयुर्वेद का शुरुआत अथर्व वेद से हुआ जो चार वेदों में से एक है जिसमें तरह-तरह के प्राचीन दवाइयों के विषय में जानकारी दी गयी है।
यह बात अष्टांग हृदयम के प्रथम अध्याय में अयुर्वेदा वातारना वग्भाता ने लिखा था जिसका मतलब है आयुर्वेद की उत्त्पति के विषय में बताया गया है।
उसमें यह भी बताया गया है कि ब्रह्मा ने ही आयुर्वेद का ज्ञान प्रजापति को दिया।

आयुर्वेद का सही रूप में विकास संहिता दौर में शुरू हुआ जब चरक संहिता लिखा गया। यह आत्रेय और पुनर्वसु ने अपनी कक्षा में बात करते समय का प्रतिलिपि है।
यह कहा जाता है चरक संहिता को 6ठवीं सदी ईसापूर्व में लिखा गया था जिसमे माना जाता है।
300-600 ईसापूर्व के मध्य इसमें सर्जरी के विषय में भी लिखा गया था( साभार)