आज का पंचाग, आपका राशि फल, आज है नृरसिंह प्राकाट्योत्सव, तुलसी की महिमा और महात्म्य, इस प्राचीन मंदिर की ऊंचाई देखोगे तो एफिलटावर के गुणगान भूल जाओगे,

आज बहुत पावन दिवस है
नृसिंह चतुर्दशी
बुद्ध पूर्णिमा
भगवान विष्णु जी का सरल भाव से ध्यान-प्रार्थना करें, आप जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन 

उग्रबीरं महाविष्णुम् जलवंतम् सर्वतोमुखम्। नार्सिंहम् भीषण भद्रं मृत्योरमृतत्युर नमाम्यहम्। 

सभी मित्रों को भगवान नृसिंह प्राकाट्योत्सव की बधाई और शुभकामनाएं।।

🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे भगवान हनुमान जी सभी मित्र मंडली की मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे
मंगल ग्रह स्तुति:–
धरणी गर्भ सम्भूतं, विद्युत् कान्ति समप्रभम्।कुमारं शक्तिहस्तं तं,मंगलं प्रणमाम्यहम्।।
हिन्दी ब्याख्या:– पृथ्वी के उदर से जिनकी उत्पत्ति हुई विद्युत पुंज बिजली के सामान जिनकी प्रभा है जो हाथों में शक्ति धारण किए रहते हैं उन मंगल देव को मैं प्रणाम करता हूं।
भौम गायत्री मंत्र:–🕉️भूमि पुत्राय विद्महे लोहितांगाय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात्।।
भौम गायत्री का यथाशक्ति जप करने के बाद खादिर युक्त पायस घी से दशांश हवन करें।
 
✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️विक्रम संवत 2078✡️
✡️ज्येष्ठ मासे ✡️
✡️12 प्रविष्टे गते ✡️
✡️दिनांक ✡️ :25 – 05 – 2021(मंगलवार)✡️
सूर्योदय :05.46 पूर्वाह्न
सूर्यास्त :07.01 अपराह्न
सूर्य राशि :वृषभ
चन्द्रोदय :05.59 अपराह्न
चंद्रास्त :05.22 पूर्वाह्न
चन्द्र राशि :तुला कल10:55 अपराह्न तक, बाद में वृश्चिक
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2078
अमांत महीना :बैशाख 14
पूर्णिमांत महीना :बैशाख 28
पक्ष :शुक्ल 14
तिथि : चतुर्दशी 8.29 अपराह्न तक, बाद में पूर्णिमा
नक्षत्र :स्वाति 7.06 पूर्वाह्न तक, बाद में विशाखा
योग :वरीयान 7.12 पूर्व तक, बाद में परिघ
करण :गर 10:21 पूर्वाह्न तक, बाद में वणिज 8:29 अपराह्न तक, बाद में विष्टि
राहु काल :3.52 अपराह्न – 5.32 अपराह्न
कुलिक काल :12.31 अपराह्न- 2.11 अपराह्न
यमगण्ड :9.11 पूर्वाह्न – 10.51 पूर्वाह्न
अभिजीत मुहूर्त :11.57 पूर्वाह्न- 12.50 अपराह्न
दुर्मुहूर्त :08:25 पूर्वाह्न- 09:18 पूर्वाह्न 11:19 अपराह्न- 12:02 पूर्वाह्न

✍️ *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली**फलित ज्योतिष शास्त्री* ✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️

🙏🏽आज के लिए राशिफल (25-05-2021) 🙏🏽

✡️मेष✡️25-05-2021
महत्वाकांक्षाएं नई सफलता की ओर बढ़ेंगी। आपके व्यक्तित्व में वृद्धि होगी और आप सहजता से लोगों को प्रभावित कर पाएंगे। पदोन्नति के योग हैं। यदि राजकार्य की चिंता है, तो इस हेतु प्रयास करते रहें और आप सफल होंगे। वरिष्ठों से आपको सहयोग और प्रशंसा मिलती रहेगी। आर्थिक रूप से आप सुरक्षित होंगे और आप संपत्ति या वाहन में भी निवेश कर सकते हैं। भविष्य में सुविचारित निर्णय लाभकारी होंगे।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️वृष ✡️25-05-2021
आज घर-परिवार में किसी मांगलिक आयोजन की रूपरेखा बनेगी। इस राशि के विद्यार्थी अपना समय अध्ययन में लगायेंगे, तो इससे सफलता मिलेगी। आप सुबह कार्य शुरू कर सकते हैं, जिससे आप चुस्त-दुरुस्त बने रहेंगे। आपको व्यवसाय से जुड़े सुनहरे अवसर प्राप्त होंगे। सामाजिक स्तर पर आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी। आपको कोई बड़ा दायित्व मिलेगी। सेवारत लोगों को अपने कार्य में लाभ मिलेगा। कार्यस्थल पर आपका प्रदर्शन बहुत सफल रहेगा।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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🕉️मिथुन ✡️25-05-2021
आज आप कार्य के प्रति पूरी तरह से निष्ठा पूर्वक रहेंगे, आप अपने दायित्व पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। आप कोई नया कार्य आरंभ करने का विचार बना सकते हैं। दूसरों के लिए खराब नीयत रखना मानसिक तनाव को जन्म दे सकता है। इस तरह के विचारों से बचें, क्योंकि ये समय की बर्बादी करते हैं। परिस्थितियों से उभरने के लिए कुछ और समय चाहिए। इसीलिए चुनौतियों का दृढता सेे सामना करें। आप किसी धार्मिक या पारिवारिक समारोह में सम्मिलित होंगे।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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✡️कर्क ✡️25-05-2021
 यदि कोई व्याधि पहले से चली आ रही है, तो वह इस सप्ताह बढ़ सकती है। ऐसे में पहले से ही सावधानी बरतें। धन के मामले में दिन सामान्य रहेगा। यदि बहुत समय से अपने लिए कोई वाहन या भोग-विलासिता का साजो-सामान खरीदने की योजना बना रहे थे, तो अब उसके फलीभूत होने का समय आ गया है। कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता का योग है। स्त्री पक्ष बहुत सहयोगी रहेगा।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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✡️सिंह ✡️25-05-2021
आज जीवनसाथी के उचित परामर्श आपको पैसे कमाने का नया  श्रोत होगा। उनके साथ बिताये गए कुछ पल आपके रिश्ते को और भी मजबूत बनायेंगे। लेकिन मित्रों के साथ किसी बात को लेकर थोड़ी बहस होने की संभावना बन रही है। आपके अत्यधिक क्रोध से कोई बना हुआ काम बिगड़ भी सकता है, इसलिए आपको अपने गुस्से पर पूर्ण रूप से नियंत्रण रखना चाहिए। आज आप खुद को ऊर्जा से भरा हुआ अनुभव करेंगे। आपको शीघ्रता में कोई निर्णय करने से बचना चाहिए।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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🕉️कन्या✡️25-05-2021
आज आपकी पारिवरिक स्थिति ठीक रहेगी। वाद-विवाद सुलझ जाएंगे। बिना मांगे ही सहायता मिलेगी। कर्ज लेने से बचें। कोई भी नया कार्य शुरू करने के लिए बहुत ही अच्छा दिन रहेगा। अब अविवाहिता को अपना योग्य जीवन साथी यथा समय मिल सकता है। आपको वाहन की प्राप्ति भी हो सकती है। एक यादगार यात्रा होने की भी संभावना है। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। आप अपने विरोधियों पर विजय प्राप्त करेंगे और अपने वरिष्ठों से सहयोग लेंगे।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : गुलाबी रंग
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✡️तुला ✡️25-05-2021
व्यापारिक संदर्भ में आपको कोई शुभ समाचार मिल सकता है। आपके वरिष्ठ व सहयोगी आपको पूर्ण सहयोग देंगें। आपके कई लोगों से मित्रतापूर्ण संबंध बनेंगे। इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति होगी। आपको वाहन की प्राप्ति भी हो सकती है। एक अविस्मरणीय यात्रा होने की भी संभावना है। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। यह समय प्रेम संबंधों के लिये भी अच्छा है। इस बदले हुए दौर में इच्छाओं को नियंत्रित करें।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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✡️वृश्चिक ✡️25-05-2021
आज आप व्यापार में योजनाबद्ध रूप से काम करेंगे। आपका कुछ अच्छा खाने का मन कर सकता है। आपके घर-परिवार का वातावरण शांतिपूर्ण बना रहेगा। आपकी आध्यात्म की ओर रुचि हो सकती हैै। कार्यालय में उच्चाधिकारी आपसे प्रसन्न होंगे। घर पर अतिथियों का आगमन हो सकता है। आज  में आपको कोई बड़ी सफलता प्राप्त होगी। आपका सकारात्मक विचार आपको जीवन में सफलता दिलायेगा। अपने गुरु का आशीर्वाद लें, धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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✡️धनु ✡️25-05-2021
आज आपके कार्य में उन्नति होगी। इन दिनों आपके लिए कई अवसर निकल रहे हैं। जीवन के लिए अनुकूल समय आप को निकलना पड़ेगा। जीवन साथी के बाहर घूमने जाने की आपको मांग कर सकता है तो आपको यह मांग जरूर पूरी करनी पड़ेगी। जिन क्षेत्रों में प्रयास करेंगे उसमें पूर्ण सफलता मिल सकती है। आपकी पारिवारिक समस्या समाप्त होगी। पुराने वाद विवादों का परिणाम आपके पक्ष में आएगा। आने वाले दिनों में आपके लॉटरी भी लग सकती है।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग
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✡️मकर ✡️25-05-2021
आपके सहकर्मी समूह के मध्य आपकी लोकप्रियता में वृद्धि होगी। व्यावसायिक रूप से चीजें सुचारू रहेंगी और अच्छी प्रगति होगी। आपकी आय बढ़ेगी। आपको आमदनी के नए रास्ते भी मिलेंगे। भाई-बहनों और बड़ों के साथ संबंध सौहार्दपूर्ण और प्रेमपूर्ण रहेगा। परिवार के सदस्यों के साथ छोटी यात्राओं या भ्रमण की योजना बन सकती है। आपका पारिवारिक-जीवन आनंदमय और समृद्ध रहेगा। आज पिता के स्वास्थ्य की स्थिति चिंता का विषय हो सकती है। वाहन सावधानी से चलाएं।
भाग्यशाली दिशा : पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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✡️कुंभ ✡️25-05-2021

आज आपको किसी से कोई उपहार मिल सकता है। इससे आपका मन प्रसन्न रहेगा। आज परिवार में हर्षोल्लास का वातावरण रहेगा। दाम्पत्य जीवन में आपसी सामंजस्य सुंदर बना रहेगा। स्वास्थ्य आपका चुस्त-दुरूस्त रहेंगे। विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए शिक्षकों का पूरा-पूरा सहयोग मिलेगा। कुछ लोग आपसे प्रभावित होंगे। साथ ही वो आपसे जुड़ने की कोशिश भी करेंगे। आज व्यापार करने वाले मित्रों को अधिक महत्व
मिलेगा। आज आप का धन का आवागमन अधिक रहेगा।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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✡️मीन ✡️25-05-2021
आज का दिन मीन राशि के लिए विशेष रूप से अच्छा है। आप अपना कुछ नया शुरू कर सकते हैं, काफी समय लेने वाला अपना अधूरा काम पूरा कर सकते हैं। अपने रिश्तेदारों से आपको कोई बड़ा शुभ सन्देश मिल सकता है जो आपने कभी सोचा भी नहीं होगा। आपका साथी आपके साथ रहेगा। कोई भी बड़ा कार्य करने से पहले अपने जीवनसाथी का परामर्श अवश्य लें। स्वास्थ्य से जुड़ी सभी प्रकार की समस्या आज समाप्त हो सकती है।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग
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आपका अपना *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री* जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️ 8449046631,9149003677 ✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️
 “तुलसी के पौधे के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी*
**तुलसी वंदना*:–
*तुलसी पातु मां नित्यं,सर्वापद्भ्योपि सर्वंदा।कीर्तितापि स्मृता वापी पवित्र यति मानवम्*।।
*वैधृतौ च व्यतीपाते,भोम भार्गव भानुषु । पर्वद्वये च संक्रान्तौ,द्वादश्यां सूतके द्वयो:*।।वैधृति व्यतीपात योग में मंगल शुक्र और सूर्य इन तीन वारो में द्वादशी अमावस्या एवं पूर्णिमा इन तीन तिथियों में संक्रांति एवं जनाना शौच मरणा शौच मैं तुलसी दल तोड़ना मना है
1. तुलसी जी को नाखूनों से कभी नहीं तोडना चाहिए,।
2.सांयकाल के बाद तुलसी जी को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए ।
3. निश्चित दिनों में गिरे हुए तुलसीदल से भगवान का पूजन करना चाहिए शालिग्राम की पूजा के लिए तुलसी दल तोड़ने का कोई निषेध नहीं है।
4. जो स्त्री तुलसी जी की पूजा करती है। उनका सौभाग्य अखण्ड रहता है । उनके घर
सुख शांति व समृद्धि का वास रहता है घर का आबोहवा हमेशा ठीक रहता है।
5. प्रतिबंधित दिनों में भगवान का पूजन आवश्यक होने पर अगले दिन ही तुलसी के पत्तों को अग्रभाग से तोड़ कर रखना चाहिए तुलसी दल कभी बासी नहीं होते हैं
6. सांयकाल के बाद तुलसी जी लीला करने जाती है।
7. तुलसी जी वृक्ष नहीं है! साक्षात् राधा जी का स्वरूप है ।
8. तुलसी के पत्तो को कभी चबाना नहीं चाहिए।
तुलसी के पौधे का महत्व धर्मशास्त्रों में भी बखूबी बताया गया है. तुलसी के पौधे को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है.। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे से कई आध्यात्मिक बातें जुड़ी हैं.। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुसली अत्यधिक प्रिय है.। तुलसी के पत्तों के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है. । क्योंकि भगवान विष्णु का प्रसाद बिना तुलसी दल के पूर्ण नहीं होता है. । तुलसी की प्रतिदिन का पूजा करना और पौधे में जल अर्पित करना हमारी प्राचीन परंपरा है.। मान्यता है कि जिस घर में प्रतिदिन तुलसी की पूजा होती है, वहां सुख-समृद्धि, सौभाग्य बना रहता है. कभी कोई कमी महसूस नहीं होती.।
– जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर की कलह और अशांति दूर हो जाती है. घर-परिवार पर मां की विशेष कृपा बनी रहती है.
– धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पत्तों के सेवन से भी देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है. जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी का सेवन करता है, उसका शरीर अनेक चंद्रायण व्रतों के फल के समान पवित्रता प्राप्त कर लेता है.
– तुलसी के पत्ते पानी में डालकर स्नान करना तीर्थों में स्नान कर पवित्र होने जैसा है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति ऐसा करता है वह सभी यज्ञों में बैठने का अधिकारी होता है.
– भगवान विष्णु का भोग तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है. इसका कारण यह बताया जाता है कि तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं.
– कार्तिक महीने में तुलसी जी और शालीग्राम का विवाह किया जाता है. कार्तिक माह में तुलसी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि तुलसी पूजन और उसके पत्तों को तोड़ने के लिए नियमों का पालन करना अति आवश्यक है.
तुलसी पूजन के नियम
– तुलसी का पौधा हमेशा घर के आंगन में लगाना चाहिए. आज के दौर में में जगह का अभाव होने की वजह तुलसी का पौधा बालकनी में लगा सकते है.
– रोज सुबह स्वच्छ होकर तुलसी के पौधे में जल दें और एवं उसकी परिक्रमा करें.
– सांय काल में तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाएं, शुभ होता है.
– भगवान गणेश, मां दुर्गा और भगवान शिव को तुलसी न चढ़ाएं.
– आप कभी भी तुलसी का पौधा लगा सकते हैं लेकिन कार्तिक माह में तुलसी लगाना सबसे उत्तम होता है.
– तुलसी ऐसी जगह पर लगाएं जहां पूरी तरह से स्वच्छता हो.
– तुलसी के पौधे को कांटेदार पौधों के साथ न रखें
तुलसी की पत्तियां तोड़ने के भी कुछ विशेष नियम हैं-
– तुलसी की पत्तियों को सदैव सुबह के समय तोड़ना चाहिए. अगर आपको तुलसी का उपयोग करना है तो सुबह के समय ही पत्ते तोड़ कर रख लें, क्योंकि तुलसी के पत्ते कभी बासी नहीं होते हैं.
– बिना जरुरत के तुलसी को की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए, यह उसका अपमान होता है.
– तुलसी की पत्तियां तोड़ते समय स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें.
– तुलसी के पौधे को कभी गंदे हाथों से न छूएं.
– तुलसी की पत्तियां तोड़ने से पहले उसे प्रणाम करेना चाहिए और इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-। ✡️🕉️ *महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते*.🕉️✡️
– बिना जरुरत के तुलसी को की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए, यह उसका अपमान होता है.
– रविवार, चंद्रग्रहण और एकादशी के दिन तुलसी नहीं तोड़ना चाहिए.
* ✡️✡️। *तुलसी वृक्ष ना जानिये।
गाय ना जानिये ढोर।।
गुरू मनुज ना जानिये।
ये तीनों नन्दकिशोर*।।✡️✡️✡️✡️
अर्थात-
तुलसी को कभी पेड़ ना समझें
गाय को पशु समझने की गलती ना करें और गुरू को कोई साधारण मनुष्य समझने की भूल ना करें, क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान रूप हैं।
*तुलसी गायत्री मंत्र:*:–
ॐतुलसी पत्राय विद्महे विष्णु प्रियाय धीमहि तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।
यथाशक्ति तुलसी गायत्री का जप करना चाहिएं
!! ॐ नमः भगवते वासुदेवाय नमः ।। भगवान विष्णु माता लक्ष्मी माता वृंदा तुलसी सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करेंगें
आपका ✍️ पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️ 8449046631,9149003677☸️☸️☸️☸️☸️

श्री नरसिँह जयंती उत्सव की खूब खूब मंगल बधाई
** श्री नृसिंह प्राकट्योत्सव**r
राजेश मंत्री


वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है. भगवान श्री नृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता हैं, पौराणिक मान्यता एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था.
राजेश मंत्री
हिन्दू पंचांग के अनुसार नरसिंह जयंती का व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है. पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी पावन दिवस को भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया तथा दैत्यों का अंत कर धर्म कि रक्षा की. अत: इस कारणवश यह दिन भगवान नृसिंह के जयंती रूप में बड़े ही धूमधाम और हर्सोल्लास के साथ संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है !
राजेश मंत्री
**नरसिंह जयंती कथा **
नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक है. नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था. धर्म ग्रंथों में भगवान के इस अवतरण के बारे विस्तार पूर्वक विवरण प्राप्त होता है जो इस प्रकार है- प्राचीन काल में कश्यप नामक ऋषि हुए थे उनकी पत्नी का नाम दिति था. उनके दो पुत्र हुए, जिनमें से एक का नाम हरिण्याक्ष तथा दूसरे का हिरण्यकशिपु था.
राजेश मंत्री
हिरण्याक्ष को भगवान श्री विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा हेतु वाराह रूप धरकर मार दिया था. अपने भाई कि मृत्यु से दुखी और क्रोधित हिरण्यकशिपु ने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए अजेय होने का संकल्प किया. सहस्त्रों वर्षों तक उसने कठोर तप किया, उसकी तपस्या से प्रसन्न हो ब्रह्माजी ने उसे ‘अजेय’ होने का वरदान दिया. वरदान प्राप्त करके उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया, लोकपालों को मार भगा दिया और स्वत: सम्पूर्ण लोकों का अधिपति हो गया.
राजेश मंत्री
देवता निरूपाय हो गए थे वह असुर को किसी प्रकार वे पराजित नहीं कर सकते थे अहंकार से युक्त वह प्रजा पर अत्याचार करने लगा. इसी दौरान हिरण्यकशिपु कि पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया एक राक्षस कुल में जन्म लेने पर भी प्रह्लाद में राक्षसों जैसे कोई भी दुर्गुण मौजूद नहीं थे तथा वह भगवान नारायण का भक्त था तथा अपने पिता के अत्याचारों का विरोध करता था.

भगवान-भक्ति से प्रह्लाद का मन हटाने और उसमें अपने जैसे दुर्गुण भरने के लिए हिरण्यकशिपु ने बहुत प्रयास किए, नीति-अनीति सभी का प्रयोग किया किंतु प्रह्लाद अपने मार्ग से विचलित न हुआ तब उसने प्रह्लाद को मारने के षड्यंत्र रचे मगर वह सभी में असफल रहा. भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर संकट से उबर आता और बच जाता था.
राजेश मंत्री
इस बातों से क्षुब्ध हिरण्यकशिपु ने उसे अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर जिन्दा ही जलाने का प्रयास किया. होलिका को वरदान था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती परंतु जब प्रल्हाद को होलिका की गोद में बिठा कर अग्नि में डाला गया तो उसमें होलिका तो जलकर राख हो गई किंतु प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ.
राजेश मंत्री
इस घटना को देखकर हिरण्यकशिपु क्रोध से भर गया उसकी प्रजा भी अब भगवान विष्णु को पूजने लगी, तब एक दिन हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद से पूछा कि बता, तेरा भगवान कहाँ है? इस पर प्रह्लाद ने विनम्र भाव से कहा कि प्रभु तो सर्वत्र हैं, हर जगह व्याप्त हैं. क्रोधित हिरण्यकशिपु ने कहा कि ‘क्या तेरा भगवान इस स्तम्भ (खंभे) में भी है? प्रह्लाद ने हाँ, में उत्तर दिया.
राजेश मंत्री
यह सुनकर क्रोधांध हिरण्यकशिपु ने खंभे पर प्रहार कर दिया तभी खंभे को चीरकर श्री नृसिंह भगवान प्रकट हो गए और हिरण्यकशिपु को पकड़कर अपनी जाँघों पर रखकर उसकी छाती को नखों से फाड़ डाला और उसका वध कर दिया. श्री नृसिंह ने प्रह्लाद की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि आज के दिन जो भी मेरा व्रत करेगा वह समस्त सुखों का भागी होगा एवं पापों से मुक्त होकर परमधाम को प्राप्त होगा अत: इस कारण से दिन को नृसिंह जयंती-उत्सव के रूप में मनाया जाता है.r
राजेश मंत्री
**भगवान नृसिंह जयंती पूजा **

नृसिंह जयंती के दिन व्रत-उपवास एवं पुजा अर्चना कि जाती है इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए तथा भगवान नृसिंह की विधी विधान के साथ पूजा अर्चना करें. भगवान नृसिंह तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए तत्पश्चात वेदमंत्रों से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कर षोडशोपचार से पूजन करना चाहिभगवान नरसिंह जी की पूजा के लिए फल, पुष्प, पंचमेवा, कुमकुम केसर, नारियल, अक्षत व पीताम्बर रखें. गंगाजल, काले तिल, पञ्च गव्य, व हवन सामग्री का पूजन में उपयोग करें !
राजेश मंत्री
भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए उनके नरसिंह गायत्री मंत्र का जाप करें. पूजा पश्चात एकांत में कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस नृसिंह भगवान जी के मंत्र का जप करना चाहिए. इस दिन व्रती को सामर्थ्य अनुसार तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए. इस व्रत करने वाला व्यक्ति लौकिक दुःखों से मुक्त हो जाता है भगवान नृसिंह अपने भक्त की रक्षा करते हैं व उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
राजेश मंत्री
**नरसिंह मंत्र **
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् I
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम् II
ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः ।

इन मंत्रों का जाप करने से समस्त दुखों का निवारण होता है तथा भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त होती है !
राजेश मंत्री
आज कै दिन प्रभुने नृंसिंहरुप धारण कर प्रहलादजी की रक्षा के लिए और प्रहलादजी के वचन को सत्य करने प्रकटे है।
प्रभु तो सारी सृष्टि को संकल्पमात्र सै ही प्रकट कर सकते है और संकल्पमात्र से लीन भी कर देते है।
पर भक्त की बात रखने प्रभु प्रकटे है वरना हिरण्यकशिपु कौ मारना ही प्रयोजन नही था।
प्रभु तो अक्षर ब्रहम आध्यात्मिक स्वरूप से खंभे में बिराजमान है।हिरण्यकशिपू यह बात मान नही रहा था की खभेमें भी भगवान हो सकते है।पर प्रहलादजी का यह अटूट विश्वास की प्रभु सर्वत्र है।
यहॉ यही बात भी आ रही के परम तत्व सर्व व्याप्त है पर जिनकी द्रष्टिमें भेद है और अविद्या से ग्रस्त है उन्हें यह बात झूठ लगती है।हिरण्यकशिपु अपने अहंकार और मदमें चूर था।पर प्रहलादजी की निर्मल भक्ति से उन्हे सर्वत्र प्रभु के दर्शन होतै थे।
और भक्त प्रहलाद के इस विश्वास को प्रभुने खंभेमे से प्रकट हो कर अक्षरब्रह्मात्मकता में पुरुषोत्तमता प्रकट कर आधिदैविक नृसिंहजी का रुप धारण कर प्रहलाद के वचन की रक्षा की।r

अपनो जन प्रहलाद उबार्यो।
राजेश मंत्री
यह व्रत माधो प्रथम लीयो
जो मेरे भक्तन को दुखवे ताको फारु नखन हीयो।

सौ यह उत्सव भी पुष्टिमार्ग के लिए खास महत्वपूर्ण है।पुष्टिमार्गमें प्रभु भक्तो के लिए स्वयं त्वरीतता से पधारते है ।
राजेश मंत्री
आज ही के दिन श्रीजी सतघरामें से फाग खेल के पुन: श्रीगिरिराजजी में मंदिर में बिराजे सो पधारने में अवेर होने से राजभोग और शयनभोग संग अरोगे थे।और आज भी यही क्रम नाथद्वारमें है।r

आज प्रभु को विशेष शीतल सामग्री
पना दहीभात अडभंगा आदि भोगमें आती है।
राजेश मंत्री
आज शयनमें फूलमंडली का भी क्रम है।
:प्रभुने यहां विरूद्धधर्माश्रय का गुण प्रकट किया।

जो केवल एफिल टावर का ही गुणगान करते हैं,, संभवतः उन्होंने इस मंदिर को नही देखा। क््योंकि ये लोहे से नहीं पत्थरों को ढाल कर बनााय गया है बिना सिमेंट के। 
दर्शन कीजिये
245 फीट ऊंचा महान मुरूडेश्वर मंदिर का उल्लेख रामायण काल से है, इसकी प्राचीनता का कोई अनुमान नहीं कि यह वास्तव में कितना प्राचीन है, संभवतः हजारोंं वर्ष या इससे भी प्राचीन ….
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है ….
मुरुदेश्वर (दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में उत्तर कन्नड जिले के भटकल तहसील स्थित एक लघु नगर है। ‘मुरुदेश्वर’ भगवान शिव का एक नाम है। यहाँ भगवान शंकर की विश्व की दूसरी सबसे ऊँची मूर्ति स्थित है। यह नगर अरब सागर के तट पर स्थित है और मंगलुरु से १६५ किलोमीटर दूर अरब सागर के किनारे बहुत ही सुन्दर एवं शांत स्थान पर बना हुआ है। मुरुदेश्वर सागरतट, कर्णाटक के सब से सुन्दर तटों में से एक है। पर्यटकों के लिए यहाँ आना दुगुना लाभप्रद रहता है, जहां एक ओर इस धार्मिक स्थल के दर्शन होते हैं, वहीं दूसरी तरफ प्राकृतिक सुन्दरता का आनन्द भी मिलता है।
मुरुदेश्वर मंगलुरु-मुम्बई रेलपथ पर स्थित एक रेलवे स्टेशन भी है।
मुरुदेश्वर मन्दिर परिसर के पीछे एक दुर्ग है जो विजयनगर साम्राज्य के काल का है।
जय हर हर महादेव 🙏🙏❤️