आज का पंचाग आपका राशि फल, गायत्री की पांच उच्च स्तरीय साधनाएं, जानें ‘अंवला नवमी’ महात्म्य और उस दिन आरोग्य के लिए क्या करें,

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻गुरुवार, ११ नवम्बर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:४०
सूर्यास्त: 🌅 ०५:२७
चन्द्रोदय: 🌝 १३:०७
चन्द्रास्त: 🌜२३:५३
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: शरद्
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 कार्तिक
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 सप्तमी (०६:४९ तक)
नक्षत्र 👉 श्रवण (१४:५९ तक)
योग 👉 गण्ड (०६:४३ तक)
प्रथम करण 👉 वणिज (०६:४९ तक)
द्वितीय करण 👉 विष्टि (१८:१५ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 तुला
चंद्र 🌟 कुंम्भ (२६:५१ से)
मंगल 🌟 तुला (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 तुला (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
शुक्र 🌟 धनु (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, मार्गी)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:३९ से १२:२२
अमृत काल 👉 २८:३२ से ३०:०८
विजय मुहूर्त 👉 १३:४८ से १४:३१
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:१२ से १७:३६
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३५ से २४:२८
राहुकाल 👉 १३:२१ से १४:४२
राहुवास 👉 दक्षिण
यमगण्ड 👉 ०६:३९ से ०७:५९
होमाहुति 👉 शुक्र
दिशाशूल 👉 दक्षिण
अग्निवास 👉 आकाश (२९:५२ से पृथ्वी)
भद्रावास 👉पाताल (०६:४९ से १८:१५ तक)
चन्द्रवास 👉 दक्षिण (पश्चिम २६:५२ से)
शिववास 👉 भोजन में (०६:४९ से श्मशान में, २९:५१ से गौरी के साथ)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – शुभ २ – रोग
३ – उद्वेग ४ – चर
५ – लाभ ६ – अमृत
७ – काल ८ – शुभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – अमृत २ – चर
३ – रोग ४ – काल
५ – लाभ ६ – उद्वेग
७ – शुभ ८ – अमृत
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पश्चिम-दक्षिण (दही का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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गोपाष्टमी, पंचक आरम्भ २६:५० से,
विवाहादि मुहूर्त (पंजाब, कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा) आदि के लिये मीन लग्न दोपहर ०२:१६ से ०३:४३ तक, नीवखुदाई एवं गृहारम्भ मुहूर्त प्रातः ०६:४७ से ०८:०६ तक, गृहप्रवेश+ वाहनादि क्रय-विक्रय मुहूर्त प्रातः १०:४९ से दोपहर ०२:५४ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १४:५९ तक जन्मे शिशुओ का नाम
श्रवण नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (खे, खो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश (ग,गी, गू) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
तुला – २८:४६ से ०७:०७
वृश्चिक – ०७:०७ से ०९:२६
धनु – ०९:२६ से ११:३०
मकर – ११:३० से १३:११
कुम्भ – १३:११ से १४:३७
मीन – १४:३७ से १६:००
मेष – १६:०० से १७:३४
वृषभ – १७:३४ से १९:२९
मिथुन – १९:२९ से २१:४४
कर्क – २१:४४ से २४:०५
सिंह – २४:०५ से २६:२४
कन्या – २६:२४ से २८:४२
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त – ०६:३९ से ०६:४९
चोर पञ्चक – ०६:४९ से ०७:०७
शुभ मुहूर्त – ०७:०७ से ०९:२६
रोग पञ्चक – ०९:२६ से ११:३०
शुभ मुहूर्त – ११:३० से १३:११
मृत्यु पञ्चक – १३:११ से १४:३७
अग्नि पञ्चक – १४:३७ से १४:५९
शुभ मुहूर्त – १४:५९ से १६:००
मृत्यु पञ्चक – १६:०० से १७:३४
अग्नि पञ्चक – १७:३४ से १९:२९
शुभ मुहूर्त – १९:२९ से २१:४४
रज पञ्चक – २१:४४ से २४:०५
शुभ मुहूर्त – २४:०५ से २६:२४
चोर पञ्चक – २६:२४ से २८:४२
चोर पञ्चक – २८:४२ से २९:५१
शुभ मुहूर्त – २९:५१ से ३०:३९
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आज का राशिफल
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन सभी कार्य मे सफलता दिलाएगा। पूर्व में किये गए परिश्रम का फल आज अवश्य ही धन लाभ के रूप में मिलेगा लेकिन ध्यान रहे व्यवहारिकता से ही लाभ में वृद्धि हो सकती है लोभ अथवा अहम में रहे तो लाभ सीमित रह जायेगा। कार्य व्यवसाय में बिना किसी सहयोग के उन्नति होगी भविष्य की योजनाओं पर खर्च के साथ बचत भी करेंगे। सरकारी कार्य भी थोड़े बौद्धिक श्रम से धन खर्च कर बना लेंगे। दिमागी रूप से शांत रहने के कारण परिजनों के साथ संबंधों में निकटता आएगी। वृद्धजन का आशीर्वाद मिलेगा परोपकार की भावना आज कम ही रहेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज दिन का आरंभ शांति से व्यतीत होगा लेकिन इसके बाद व्यर्थ के प्रपंचो में पड़कर मानसिक शांति खो देंगे। करने योग्य कार्य छोड़ अनर्गल प्रवृतियों में समय और धन नष्ट करेंगे। सरकारी क्षेत्र से आशाजनक समाचार मिलेंगे लेकिन सफलता आज संदिग्ध ही रहेगी। कार्य व्यवसाय में बड़ा निर्णय लेने का विचार बनाएंगे यह भविष्य के लिये लाभदायक रहेगा। धन की आमद सोच से थोड़ी कम रहेगी पुराने कार्यो से लाभ होगा लेकिन ज्यादा देर टिकेगा नही। व्यापार विस्तार की योजना भी बनाएंगे जिसमे सफलता निश्चित रहेगी। घर में किसी खुशखबरी के मिलने से आनंद का वातावरण बनेगा। सेहत सामान्य रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज दिन के पहले भाग को छोड़ शेष समय शारीरिक एवं मानसिक समस्या का सामना करना पड़ेगा प्रातः काल से ही स्वास्थ्य में नरमी आने लगेगी लेकिन इसके प्रति लापरवाही करेंगे परिणाम स्वरूप मध्यान बाद स्थिति खराब होने लगेगी लेकिन ज्यादा गंभीर भी नही होगी। लेदेकर अपने नियमित कार्यो को किसी के सहयोग से पूरा कर लेंगे। धन की आमद आज आशाजनक नही रहेगी। सरकारी अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यो को आज टालना ही बेहतर रहेगा। धन खर्च करने पर भी अधिकतर कार्य अधूरे ही रहेंगे। परिजनों के साथ संबंधो में रुखापन आएगा मतलब से बात करेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन पूर्वार्ध में पहले मिली सफलता के कारण निश्चिन्त रहेंगे महत्त्वपूर्ण कार्यो में लापरवाही करेंगे लेकिन मध्यान के बाद ही स्थिति को भाँप कर मेहनत के लिये प्रेरित होंगे। आज किये परिश्रम का फल निकट भविष्य में कुछ ना कुछ आर्थिक अथवा अन्य प्रकार से वृद्धि कराएगा। घर मे सुखोपभोग के साधन की खरीद की योजना बनेगी परन्तु आज बजट की कमी के कारण टालना भी पड़ सकता है। धन लाभ आशाजनक लेकिन भाग दौड़ के बाद ही होगा खर्च साथ लगे रहने से परिजनों की इच्छापूर्ति करने में विलंब होगा फिर भी आपसी तालमेल बना रहेगा स्वास्थ्य को लेकर आशंकित रहेंगे।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज दिन के आरंभिक भाग को छोड़ शेष सामान्य रहेगा। प्रातः काल सेहत में नरमी रहेगी लेकिन पहले की अपेक्षा सुधार भी आएगा आलस्य के कारण कार्य के प्रति टालमटोल करेंगे मध्यान बाद मानसिक रूप से स्थिरता आएगी कार्यो के प्रति गंभीरता बढ़ेगी लेकिन मजबूरी में ही करेंगे। धार्मिक कार्यो में आस्था मजबूत होगी। कार्य व्यवसाय से आज ज्यादा आशा नही रहेगी फिर भी दौड़ धूप का सकारात्मक परिणाम भविष्य में लाभ की आशा बनाए रखेगा। परिजन आपकी गतिविधयों पर नजर रखेंगे किसी भी अनैतिक कार्य से बचें अन्यथा सुख शांति बिगड़ सकती है। धन लाभ से खर्च ज्यादा रहेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन बुद्धि विवेक में विकास होगा लेकिन इससे मनिच्छित सफलता नही मिल सकेगी दिन के पहले भाग में घर मे पुरानी बात के कारण मतभेद रहेंगे शांत रहने का प्रयास करें अन्यथा दिन भर मानसिक अशांति रहेगी। कार्य क्षेत्र पर नए तरीके से काम करने का प्रयास करेंगे इससे अन्य लोगो मे आपकी बुद्धि कौशल का प्रचार होगा पर धन लाभ के लिये तरसना पड़ेगा परिश्रम करने पर भी अल्प लाभ से संतोष करना पड़ेगा। लोग केवल मीठा बोलकर अपना हित साधेंगे सहयोग कोई नही करेगा। सेहत में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। परिवार की आवश्यकता पूर्ती करने में असमर्थ रहेंगे।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज दिन के आरंभ में किसी गुप्त कारण से चिंतित रहेंगे स्वयं अथवा किसी परिजन की गलती के कारण घर मे कलह होने की आशंका से मन व्याकुल रहेगा परिजनों के आगे सोच समझकर ही बात करें डर के कारण उलजुलूल बयानों से खुद ही शक पैदा करेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी शांति की कमी रहेगी धन अथवा किसी वस्तु को लेकर गरमा गरमी होने की संभावना है। लाभ की संभावनाए बनते बनते बिगड़ेंगी। सामाजिक एवं पारिवारिक व्यवहारों की जगह मौज-शौक पर खर्च करेंगे। सहयोगियों से आज कम ही बनेगी। मानसिक दबाव के कारण सर दर्द रहेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज दिन के पूर्वार्ध की संतोषी प्रवृति मध्यान तक बेचैनी में बदल जाएगी। धन को लेकर आज कोई जोखिम नही लेंगे लेकिन लाभ पाने के लिये किसी भी प्रकार से कसर भी नही छोड़ेंगे दिन भर के कार्य कलापो से असंतोष होगा परन्तु आकस्मिक लाभ होने पर थोड़ी राहत मिलेगी आज आप जिस लाभ के अधिकारी है उसमें किसी का गलत मार्गदर्शन कमी लाएगा फिर भी खर्चो की पूर्ति आसानी से हो जाएगी। नौकरी वाले लोग धन लाभ की आशा में रहेंगे पर आज निराश ही होना पड़ेगा। परिवार के सदस्य अन्य की कमिया बता स्वय की गलती पर पर्दा डालेंगे थोड़े मतभेद के बाद भी शांति रहेगी।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आप पूर्व में की गलतियों की समीक्षा करेंगे भविष्य को लेकर थोड़ी चिंता भी रहेगी। कार्य व्यवसाय में आज कही से भी लाभ की उम्मीद नजर नही आएगी फिर भी मानसिक रूप से संतोषी ही नजर आएंगे। धन को लेकर जोड़ तोड़ की नीति अपनाने की जगह शांति से परिस्थिति अनुकूल बनने की प्रतीक्षा में रहेंगे। मन की इच्छाओं की तुलना में आज कर्म कम ही करेंगे भागदौड़ से बच बैठकर लाभ कमाने के चक्कर मे रहना अभाव को जन्म देगा। शारीरिक रूप से भी थोड़ा कष्ट रहेगा। परिजनों की बनी बनाई योजना पर लचीले व्यवहार के कारण पानी फेर देंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन बीते समय की तुलना में बेहतर बीतेगा। दिन के आरंभ में अधिकांश कार्य हानि होने के डर से करने से कतराएंगे मध्यान तक मन पर चंचलता हावी रहेगी अनिर्णय की स्थिति अव्यवस्था बढ़ाएगी। किसी अनुभवी की सलाह मिलने पर हिम्मत आएगी कार्य व्यवसाय से आज लाभ की उम्मीद कम ही रखें निवेश करने से ना डरें भविष्य के लाभ के लिए आवश्यक है। धन लाभ की कामना संध्या तक पूर्ण होगी लेकिन कुछ कमी के साथ। वर्जित कार्यो में रुचि रहेगी जो सम्मान के साथ धन हानि का कारण बन सकती है इससे दूर रहें। खासी जुखाम से पीड़ा की संभावना है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन से आप काफी उम्मीद लगाए रहेंगे लेकिन दिन निराश करने वाल रहेगा। आवश्यक कार्य मनमौजी प्रवृति के कारण अधूरे रहेंगे। जिस कार्य से लाभ की आशा रहेगी उसमे किसी का हस्तक्षेप पड़ने से हानि होगीं। भागीदारी के कार्य मे स्पष्टता रखें गलतफहमी संबंद तोड़ सकती है। धन लाभ की संभावनाए ही बनेगी लेकिन पूर्ण नही हो सकेगी। लोग आपका सहयोग करने की जगह त्रुटियां निकालेंगे। रमणीय पयर्टक स्थल की यात्रा होगी खर्च में नियंत्रण रखने पर भी अकस्मात होने से कोष में कमी आएगी। शारीरिक रूप से कुछ ना कुछ कमी बनी रहेगी। जोखिम वाले कार्यो से आज डोर रहना ही बेहतर रहेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन भागदौड़ भरी जिंदगी में शांति की तलाश में रहेंगे मन में आज कुछ ना कुछ उठापटक लगी रहेगी। दिन के आरंभ में जो भी योजना बनाएंगे अन्य कार्य आने से इनमे फेरबदल करना पड़ेगा। कार्य व्यवसाय की जगह आज सार्वजनिक क्षेत्र से उम्मीद अधिक रहेगी। व्यवसायी वर्ग सही दिशा में जा रहे कार्यो के प्रति आशंकित रहेंगे लाभ के नजदीक पहुच कर निर्णय बदलने पर होने वाले लाभ में कमी आएगी। सरकारी कार्य धीमी गति से आगे बढ़ेंगे। मित्र परिचितों से संबंधो में मधुरता बढ़ेगी फिर भी छोटी-छोटी बातों को अनदेखा करना ही बेहतर रहेगा। परिवार में बीमारियों के कारण उदासीनता रहेगी।
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〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏

लेख:-आंवला नवमी, 12.11.2021,शुक्रवार*

*पूजा मुहूर्त:-* 6:50 am से 12:10 pm
*नवमी तिथि प्रारंभ:-* 12.11.2021, 5:51 am
*नवमी तिथि समाप्त:-* 13.11.2021, 5:33 am

हिन्दू धर्म मे प्रतिवर्ष कार्तिक मास शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है, इसे अक्षय नवमी तथा धातृ नवमी भी कहा जाता है। संस्कृत में धातृ या धात्री आंवले को कहा जाता है।
अक्षय का अर्थ है, जिसका क्षरण न हो। मान्यता है कि इस दिन किए गए सद्कार्यो का फल अक्षय रहता है। आंवला नवमी देव उठनी एकादशी से दो दिन पहले मनाई जाती है।

*अक्षय/आंवला नवमी का महत्व:-*
पुराणों के अनुसार, त्रेता युग का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था। अक्षय नवमी का शास्त्रों में वही महत्व बताया गया है, जो वैशाख मास की तृतीया यानी अक्षय तृतीया का है। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न दान करने से हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसा माना जाता है कि आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, आंवला नवमी के दिन जप-तप व दान करन से कई गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन आंवले के पास बैठकर पूजा करने व दान-पुण्य करने से सभी पाप मिट जाते हैं, तथा कभी भी घर का भंडारा खाली नहीं होता।

आंवला नवमी के दिन आंवला तथा पेठा पूजन से
स्त्री जाति के लिए अखंड सौभाग्य और घर में शांति, आयु एवं संतान वृद्धि होती है। जिससे अखंड सौभाग्य, आरोग्य, संतान और सुख की प्राप्ति होती है।

*अक्षय/आंवला नवमी मनाने के कारण:-*
1. नवमी के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन बनाने और भोजन करने का विशेष महत्व है।
आंवला वृक्ष की पूजा और इस वृक्ष के नीचे भोजन करने की प्रथा का आरंभ माता से हुआ।

शास्त्रों मे इस संदर्भ में कथा प्रचलित है, कि एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण करने आयीं। रास्ते में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार किया कि एक साथ विष्णु एवं शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी एवं बेल का गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को। 

आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन करवाया। इसके बाद स्वयं भोजन किया। जिस दिन यह घटना हुई थी उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि थी। इसी समय से यह परंपरा चली आ रही है। 
इस दिन अगर आंवले की पूजा करना और आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव न हो तो इस दिन आंवला जरूर खाना चाहिए। आंवले का वृक्ष घर में लगाना वास्तु की दृष्टि से भी शुभ माना जाता है।

2. अक्षय नवमी के दिन ही द्वापर युग का प्रारम्भ माना जाता है। अक्षय नवमी को ही विष्णु भगवान ने कुष्माण्डक दैत्य को मारा था और उसके रोम से कुष्माण्ड की बेल हुई। इसी कारण कुष्माण्ड (कद्दू) का दान करने से उत्तम फल मिलता है। इस दिन गन्ध, पुष्प और अक्षतों से कुष्माण्ड का पूजन करना चाहिये।

3. अक्षय नवमी के दिन ही त्रेता युग का आरम्भ हुआ था।

4. इसी दिन कुष्मांडा देवी का प्राकट्य हुआ था इसलिए इसे कुष्मांड नवमी भी कहते हैं और इस दिन कुष्मांड यानी कुम्हड़े का दान बेहद महत्वपूर्ण है।

5. इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा की थी। आज भी लोग अक्षय नवमी पर मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। संतान प्राप्ति के लिए इस नवमी पर पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। इस व्रत में भगवान श्री हरि का स्मरण करते हुए रात्रि जागरण करना चाहिए।

6. देवी पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण के परामर्श से माता कुंती ने भी अक्षय प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत किया था, तभी से इस व्रत का प्रचलन शुरू हो गया ।

7. इस दिन श्रद्धापूर्वक आंवले के नीचे भगवान विष्णु का पूजन करें तो निश्चित ही पुत्र सन्तान की प्राप्ति होती है।

 

*आंवला नवमी पूजन विधि:-*
1. प्रात:काल स्नान कर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है।

2. पूजा करने के लिए आंवले के वृक्ष की पूर्व दिशा की ओर उन्मुख होकर दाहिने हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि लेकर व्रत का संकल्प करें।

3. संकल्प के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके “ऊँ धात्र्यै नम:” मंत्र से आह्वानादि षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।

4. आंवले के वृक्ष की जड़ में जल-दूध चढ़ाकर पूजा की जाती है।

5. इसके बाद आंवले के वृक्ष के तने में कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटा जाता है। मान्यता के अनुसार 108 परिक्रमा भी की जाती है।

6. तत्पश्चात भगवान विष्णु का ध्यान करें और वृक्ष को प्रणाम करते हुए आवंला नवमी की कथा सुनना चाहिए।

7. तत्पश्चात दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करें।

8. अंत मे कर्पूर तथा घृत दीप से आंवले के वृक्ष की आरती करें।

9. पूजन के उपरांत आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा से संतुष्ट करने के उपरांत स्वयं भी परिवार सहित वही बैठकर भोजन ग्रहण करना चाहिए।( यदि व्रत धारण किया हो तो संध्याकाल को भोजन ग्रहण करना चाहिए।)
*अक्षय नवमी कथा:-*
अक्षय नवमी के संबंध में कथा है कि दक्षिण में स्थित विष्णुकांची राज्य के राजा जयसेन के इकलौते पुत्र का नाम मुकुंद देव था।

एक बार राजकुमार मुकुंद देव जंगल में शिकार खेलने गए। तभी उनकी नजर व्यापारी कनकाधिप की पुत्री किशोरी के अतीव सौंदर्य पर पड़ी। वे उस पर मोहित हो गए। मुकुंद देव ने उससे विवाह करने की इच्छा प्रकट की।

इस पर किशोरी ने कहा कि मेरे भाग्य में पति का सुख लिखा ही नहीं है। राज ज्योतिषी ने कहा है कि मेरे विवाह मंडप में बिजली गिरने से मेरे वर की तत्काल मृत्यु हो जाएगी। परंतु मुकुंद देव अपने प्रस्ताव पर अडिग थे। उन्होंने अपने आराध्य देव सूर्य और किशोरी ने अपने आराध्य भगवान शंकर की आराधना की। भगवान शंकर ने किशोरी से भी सूर्य की आराधना करने को कहा।

किशोरी गंगा तट पर सूर्य आराधना करने लगी। तभी विलोपी नामक दैत्य किशोरी पर झपटा तो सूर्य देव ने उसे तत्काल भस्म कर दिया। सूर्य देव ने किशोरी से कहा कि तुम कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवले के वृक्ष के नीचे विवाह मंडप बनाकर मुकुंद देव से विवाह करो।

दोनों ने मिलकर मंडप बनाया। अकस्मात बादल घिर आए और बिजली चमकने लगी। भांवरें पड़ गईं, तो आकाश से बिजली मंडप की ओर गिरने लगी, लेकिन आंवले के वृक्ष ने उसे रोक लिया, तथा मुकुंद देव का जीवन बच गया। इसी कारण आंवले के वृक्ष की पूजा होने लगी।

 

*आंवला नवमी पर कृत्य कर्म:-*
सुबह घर की अच्छी तरह साफ सफाई करें ताकि अलक्ष्मी दूर हो भगवान विष्णु संग लक्ष्मी आगमन हो।
1. इस दिन आंवले के रस को जल में मिलाकर स्नान करने से सुंदरता और यौवन की प्राप्ति होती है।

2. अक्षय नवमी पर घर में अथवा किसी मंदिर में अथवा किसी पार्क आदि में आंवले का वृक्ष लगाएं।

3.आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का स्मरण कर तर्पण करने से पित्रृ दोष शांत होता है।

4. इस दिन आंवला फल या उसकी पत्ती घर लाने से धन बढ़ता है और यश व ज्ञान की भी प्राप्ति होती है । पूजन करते समय या भोजन करते समय जो पत्तियां गिरें उन्हें लाना ज्यादा अच्छा माना जाता है।

5. आंवले के पेड़ में नीचे ब्रह्माजी, बीच में विष्णुजी और तने में महेशजी निवास करते हैं । इसलिए इस दिन कुंवारी लड़कियां अगर व्रत रखती हैं तो उनका विवाह और विद्यार्थियों को विद्या की प्राप्ति होती है ।

6. जिन लोगों के सन्तान या पुत्र न हो वे पति पत्नी इस दिन श्रद्धापूर्वक आंवले के नीचे भगवान विष्णु का पूजन करें तो निश्चित ही पुत्र/ सन्तान होती है।

7. अगर दाम्पत्य जीवन कटु चल रहा है तो पति-पत्नी के बीच मिठास पैदा होती है । जिस तरह पेड़ में सूत लपेटा जाता है, उसी तरह रिश्ते भी एक-दूसरे से बंध जाते हैं ।

8. अक्षय नवमी को गौ, जमीन, हिरण, सोना व वस्त्राभूषण आदि दान करने से ब्रह्म हत्या जैसे महापाप भी मिट जाते हैं।

9. जिनकी आंखें कमजोर होती हैं, अगर वह इस दिन कुम्हड़ा के अंदर पैसे, सोना, चांदी आदि रखकर पूजा कर ब्राह्मण को दान करते हैं तो उनको लाभ मिलता है ।

11. फलदार आंवले के पेड़ के नीचे ही पूजा करें, तभी फल मिलेगा ।

12. इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने के उपरांत एक पका हुआ कुम्हड़ा (कद्दू) लेकर उसके अंदर अपनी सामर्थ्यनुसार रत्न, सोना, चांदी या रुपए आदि रखकर योग्य ब्राह्मण को तिलक करके दक्षिणा सहित कुम्हड़ा दान करना चाहिए।

इसके साथ ही पितरों के शांति के लिए यथाशक्ति कंबल आदि ऊनी कपड़े भी योग्य ब्राह्मण को देना चाहिए।

(घर में आंवले का वृक्ष न हो तो किसी बगीचे आदि में आंवले के वृक्ष के समीप जाकर पूजा, दानादि करने की भी परंपरा है अथवा गमले में आंवले का पौधा रोपित कर घर में यह कार्य संपन्न कर लेना चाहिए।)

13. शास्त्रों में ब्रह्महत्या को घोर पाप बताया गया है. यह पाप करने वाला अपने दुष्कर्म का फल अवश्य भोगता है, लेकिन अगर वह अक्षमय नवमी के दिन स्वर्ण, भूमि, वस्त्र एवं अन्नदान करे वह आंवले के वृक्ष के नीचे लोगों को भोजन करायें तो इस पाप से मुक्त हो सकता है। इस नवमी को आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने व कराने का बहुत महत्व है।

*(समाप्त)*
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गायत्री की उच्चस्तरीय पाँच साधनाएं*
*​​​त्राटक साधना से दिव्य दृष्टि की जागृति*
 मानवी विद्युत का अत्यधिक प्रवाह नेत्रों द्वारा ही होता है, अस्तु जिस प्रकार कल्पनात्मक विचार शक्ति को सीमाबद्ध करने के लिए ध्यान योग की साधना की जाती है, उसी प्रकार मानवी विद्यते प्रवाह को दिशा विशेष में प्रयुक्त करने के लिए नेत्रों की ईक्षण शक्ति को सधाया जाता है। इस प्रक्रिया को त्राटक नाम दिया गया है। सरसरे तौर से और संचालतापूर्वक उथली दृष्टि से हम प्रतिक्षण असंख्यों वस्तुएं देखते रहते हैं। इतने पर भी उनमें से किन्हीं विशेष आकर्षक वस्तुओं की ही मन पर छाप पड़ती है अन्यथा सब कुछ यों ही आंख के आगे से गुजर जाता है। देखने की क्रिया होते रहने पर भी दृश्य पदार्थों एवं घटनाओं का नगण्य-सा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़े, इसका कारण देखते समय मन की चंचलता, उथलापन, उपेक्षा, अन्यमनस्कता आदि कारण ही मुख्य होते हैं। यदि गम्भीरता और स्थिरतापूर्वक किसी पदार्थ या घटना का निरीक्षण किया, जाय तो उसी में से बहुत महत्वपूर्ण तथ्य उभरते हुए दिखाई देंगे।
त्राटक साधना का उद्देश्य अपनी दृष्टि क्षमता में इतनी तीक्ष्णता उत्पन्न करना है कि वह दृश्य की गहराई में उतर सके और उसके अन्तराल में अति महत्वपूर्ण घटित हो रहा है उसे पकड़ने और ग्रहण करने में समर्थ हो सके। वैज्ञानिकों, कलाकारों, तत्वदर्शियों में यही विशेषता होती है कि सामान्य समझी जाने वाली घटनाओं को अपनी तीक्ष्ण दृष्टि से देखते हैं और उसी में से ऐसे तथ्य ढूंढ़ निकालते हैं जो अद्भुत एवं असाधारण सिद्ध होते हैं।
पेड़ पर से फल टूट कर नीचे ही गिरते रहते हैं। यह दृश्य बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक सभी देखते हैं। इनमें कोई नई बात नहीं। किन्तु आइजन न्यूटन ने पेड़ पर से सेब का फल जमीन पर गिरते देखा तो उसकी सूक्ष्म दृष्टि इसका कारण तलाश करने में लग गई और अन्ततः उसने पृथ्वी में आकर्षण शक्ति होने की क्रान्तिकारी सिद्धान्त प्रतिपादित करके विज्ञान जगत में एक अनूठी हलचल उत्पन्न कर दी। इस आधार पर आगे चलकर विज्ञान की भावी प्रगति का पथ-प्रशस्त होता चला गया है। कलाकारों और तत्वदर्शियों की दृष्टि भी ऐसी ही होती है। महर्षि चरक ने जमीन पर उगती रहने वाली सामान्य जड़ी-बूटियों के ऐसे गुण धर्म खोज निकालते जिनके सहारे आरोग्य विज्ञान को प्रगति में भारी सहायता मिली। मनीषियों ने एक से एक बढ़कर विज्ञान क्षेत्र में रहस्योद्घाटन किये हैं। इस सूक्ष्म अवलोकन में दिव्य दृष्टि तो काम करती है, पर उसके उत्पादन अभिवर्धन में चर्म चक्षुओं में उत्पन्न होने वाली वेधक दृष्टि की भूमिका भी कम महत्वपूर्ण नहीं होती। त्राटक इसी विभूति विशेषता के उत्पादन को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।
बुद्धि का महत्व सर्वविदित है। पर मानवी विद्युत जिसे प्रतिभा का स्रोत माना जाता है, व्यक्तित्व के निर्माण एवं प्रयत्नों की सफलता में किसी भी प्रकार कम महत्वपूर्ण नहीं है। मनुष्य शरीर एक अच्छा−खासा बिजली घर है। उससे लोहे की मशीनें चलाई जातीं, पर शरीर यन्त्र में जो एक से एक अद्भुत कलपुर्जे लगे हैं उनके सुसंचालन में यही शक्ति कितना काम करती है, इसे देखते हुए भौतिक विद्युत की क्षमता को तुच्छ ही कहा जा सकता है। मानवी विद्युत का वस्तुओं और प्राणियों पर कितनी भारी प्रभाव पड़ता है—उससे वातावरण का निर्माण किस तरह उभरता है और व्यक्तित्व के विकास में कितनी सहायता मिलती है, इस सबको यदि क्रमबद्ध किया जा सके तो प्रतीत होगा कि मनुष्य शरीर में काम करने वाली बिजली कितनी सूक्ष्म और कितनी महत्वपूर्ण है।
यों तो मनुष्य शरीर के रोम-रोम में विद्युत प्रवाह काम करता है, पर नेत्र, जननेन्द्रियां, वाणी यह तीन द्वार मुख्य हैं जिनमें होकर वह प्रवाह बाहर निकलता है और परिस्थितियों को प्रभावित करता है। मस्तिष्क का ब्रह्मरंध्र भाग उत्तरी ध्रुव की तरह निखिल ब्रह्माण्ड में संव्याप्त महाप्राण को खींचकर अपने में धारण करता है। इसके उपरान्त उसके प्रयोग के आधार नेत्र, जिह्वा एवं जननेन्द्रिय छिद्रों में होकर बनते हैं।
जिह्वा की वाक् साधना के लिए जप, पाठ, मौन जैसे कितने ही अभ्यास हैं। जननेन्द्रिय में सम्बन्धित काम शक्ति को ब्रह्मचर्य से संयमित किया जाता है और कुण्डलिनी जागरण के रूप में उभारा जाता है। इनका उल्लेख यहां अभीष्ट नहीं। त्राटक द्वारा नेत्र गोलकों से प्रवाहित होने वाली विद्युत शक्ति को किस प्रकार केन्द्रीभूत एवं तीक्ष्ण बनाया जाता है यहां तो इस प्रसंग पर चर्चा की जानी है। मनुष्य का अन्तरंग नेत्र गोलकों में होकर बाहर झांकता है। उन्हें अन्तरात्मा की खिड़की कहा गया है। प्रेम, द्वेष एवं उपेक्षा जैसी अन्तःस्थिति को आंख मिलाते ही देखा समझा जाता है। काम-कौतुक का सूत्र संचार नेत्रों द्वारा ही होता है। नेत्रों के सौन्दर्य एवं प्रभाव की चर्चा करते-करते कवि कलाकार थकते नहीं, एक से एक बड़े उपमा, अलंकार उनके लिए प्रस्तुत करते रहते हैं। दया, क्षमा, करुणा, ममता, पवित्रता, सज्जनता, सहृदयता जैसी आत्मिक सद्भावनाओं को अथवा इनके ठीक विपरीत दुष्ट दुर्भावनाओं को किसी के नेत्रों में नेत्र डालकर जितनी सरलतापूर्वक समझा जा सकता है उतना और किसी प्रकार नहीं।
-प. श्रीराम शर्मा आचार्य
क्रमशः……