आज का पंचाग आपका राशि फल, पुत्रदा एकादशी का महात्म्य, संस्कृत बारे में अति आवश्यक तथ्य इसे हर व्यक्ति जानना चाहिए

 📖 *नीतिदर्शन………………*✍
*सुहृदामुपकारकारणाद्*
*द्विषतामप्यपकारकारणाद्।*
*नृपसंश्रय इष्यते बुधै-*
*र्जठरं को न बिभर्ति केवलम्।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏾 बन्धुलोगों के उपकार करने के लिये और शत्रुओंका अपकार करने के अर्थ पण्डित लोग राजा के आश्रय का अभिलाष करते हैं। (नहीं तो) केवल अपना पेट कौन नहीं भरता?
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐
 🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७७ || शक-सम्वत् १९४२ || सौम्यायन् || प्रमादी नाम संवत्सर|| शिशिर ऋतु || पौष शुक्लपक्ष || तिथि एकादशी || भानुवासर || माघ सौर ११ प्रविष्ट || तदनुसार २४ जनवरी २०२१ ई० || नक्षत्र रोहिणी (धाता) || वृषस्थ चन्द्रमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

 

🌷 *पुत्रदा एकादशी व्रत के लाभ* 🌷

➡ *23 जनवरी 2021 शनिवार को रात्रि 08:57 से 24 जनवरी, रविवार को रात्रि 10:57 तक एकादशी है ।*
💥 *विशेष – 24 जनवरी, रविवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।*
🙏🏻 *एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
🙏🏻 *एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं, इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
🙏🏻 *धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
🙏🏻 *कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
🙏🏻 *परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है, पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ, भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है, एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

🌷 *एकादशी के दिन करने योग्य* 🌷
🙏🏻 *एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें …….विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें, अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l*

🌷 *एकादशी के दिन ये सावधानी रहे* 🌷
🙏🏻 *महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है… तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है…ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा*🙏

✍️🕉️संस्कृत बारे कुछ रोचक तथ्य है इसे हर व्यक्ति जानना चाहिए

पं वेद प्रकाश तिवारी ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ
9919242815 निशुल्क परामर्श उपलब्ध

संस्कृत के बारे में ये 20 तथ्य जान कर
आपको भारतीय होने पर गर्व होगा।
आज हम आपको संस्कृत के बारे में कुछ
ऐसे तथ्य बता रहे हैं,जो किसी भी भारतीय
का सर गर्व से ऊंचा कर देंगे;;

.1. संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी
माना जाता है।
2. संस्कृत उत्तराखंड की आधिकारिक
भाषा है।
3. अरब लोगो की दखलंदाजी से पहले
संस्कृत भारत की राष्ट्रीय भाषा थी।
4. NASA के मुताबिक, संस्कृत धरती
पर बोली जाने वाली सबसे स्पष्ट भाषा है।
5. संस्कृत में दुनिया की किसी भी भाषा से
ज्यादा शब्द है।
वर्तमान में संस्कृत के शब्दकोष में 102
अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्द है।
6. संस्कृत किसी भी विषय के लिए एक
अद्भुत खजाना है।
जैसे हाथी के लिए ही संस्कृत में 100 से
ज्यादा शब्द है।
7. NASA के पास संस्कृत में ताड़पत्रो
पर लिखी 60,000 पांडुलिपियां है जिन
पर नासा रिसर्च कर रहा है।
8. फ़ोबर्स मैगज़ीन ने जुलाई,1987 में
संस्कृत को Computer Software
के लिए सबसे बेहतर भाषा माना था।
9. किसी और भाषा के मुकाबले संस्कृत
में सबसे कम शब्दो में वाक्य पूरा हो
जाता है।
10. संस्कृत दुनिया की अकेली ऐसी
भाषा है जिसे बोलने में जीभ की सभी
मांसपेशियो का इस्तेमाल होता है।
11. अमेरिकन हिंदु युनिवर्सिटी के अनुसार
संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी,
मधुमेह,कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो
जाएगा।
संस्कृत में बात करने से मानव शरीरका
तंत्रिका तंत्र सदा सक्रिय रहता है जिससे
कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश
(PositiveCharges) के साथ सक्रिय
हो जाता है।
12. संस्कृत स्पीच थेरेपी में भी मददगार
है यह एकाग्रता को बढ़ाती है।
13. कर्नाटक के मुत्तुर गांव के लोग केवल
संस्कृत में ही बात करते है।
14. सुधर्मा संस्कृत का पहला अखबार था,
जो 1970 में शुरू हुआ था।
आज भी इसका ऑनलाइन संस्करण
उपलब्ध है।
15. जर्मनी में बड़ी संख्या में संस्कृतभाषियो
की मांग है।
जर्मनी की 14 यूनिवर्सिटीज़ में संस्कृत पढ़ाई
जाती है।
16. नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब
वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे
तोउनके वाक्य उलट हो जाते थे।
इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल
जाता था।
उन्होंले कई भाषाओं का प्रयोग किया
लेकिन हर बार यही समस्या आई।
आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज
भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उल्टे
हो जाने पर भी अपना अर्थ नही
बदलते हैं।
जैसे
अहम् विद्यालयं गच्छामि।
विद्यालयं गच्छामि अहम्।
गच्छामिअहम् विद्यालयं ।
उक्त तीनो के अर्थ में कोई अंतर नहीं है।
17. आपको जानकर हैरानी होगी कि
Computer द्वारा गणित के सवालो को
हल करने वाली विधि यानि Algorithms
संस्कृत में बने है ना कि अंग्रेजी में।
18. नासा के वैज्ञानिको द्वारा बनाए
जा रहे 6th और 7th जेनरेशन Super
Computers संस्कृतभाषा पर आधारित
होंगे जो 2034 तक बनकर तैयार हो जाएंगे।
19. संस्कृत सीखने से दिमाग तेज हो जाता
है और याद करने की शक्ति बढ़ जाती है।
इसलिए London और Ireland के कई
स्कूलो में संस्कृत को Compulsory
Subject बना दिया है।
20. इस समय दुनिया के 17 से ज्यादा
देशो की कम से कम एक University
में तकनीकी शिक्षा के कोर्सेस में संस्कृत
पढ़ाई जाती है।
संस्कृत के बारे में ये 20 तथ्य जान कर
आपको भारतीय होने पर गर्व होगा।

 

(देवप्रयाग मे पिण्डदान)

देवप्रयाग पिण्डदान की महत्ता से पितृमोक्ष तीर्थ भी है। सन् 1960मे प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेन्द्रप्रसाद ने यहाँ पिण्डदान किया था।स्कन्दपुराणान्तर्गत केदारखंड मे लिखा है:- गच्छतो देवतीर्थ तु मानुषस्य महात्मन:।
पदे- पदे पदे अश्वमेघस्य फलं भवति निश्चित:।।1।।(अर्थात जो मनुष्य देवप्रयाग तीर्थ जाते हैं उनको प्रत्येक पद पर अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है। गच्छन्तं देवतीर्थेतु दृष्ट्वा वै पितर सुतमृ।
प्रह्रष्यन्ति प्रनृत्यन्ति सर्वे वे मुक्ति लालषा।।2।।(अर्थात पितृ लोग देवप्रयाग तीर्थ जाते हुए अपने पुत्र को देखते हैं तो हर्षित होकर नाचते हैं कि अवश्य ही उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी।) अस्यावज्ञातु कृत्वा वै गच्छेदन्यत्रयो नर:।
स पाति नरके घोरे पितृभि: सह नारद:।।3।। (अर्थात हे नारद! देवप्रयाग तीर्थ की उपेक्षा कर, दूसरे तीर्थों को जो मनुष्य जाता है,वह मनुष्य पितरों सहित घोर नरक को प्राप्त होता है।)
गयायां पिण्डदानेन यत्पुण्या भवति द्विज:।
तत्पुण्यं कोटिगुणितं भवेदत्र न संशय:।।4।। (अर्थात, गया मे पिण्डदान करने से जो फल या पुण्य होता है,उससे करोड़ों गुणा अधिक पुण्य फल, देवप्रयाग मे होता है,इसमें संशय नहीं है।
धन्या कलियुगे घोरे नरा पुण्याधिके वरे।
गच्छन्ति पितृकार्यार्थ तीर्थे देवप्रयाग के।।5।। (अर्थात,वह मनुष्य विशेष पुण्यवान है,जो इस घोर कलियुग मे भी पितृकार्य या पिण्डदान हेतु देवप्रयाग मे जाता है।)
(प्रस्तुति:गणेश ध्यानी)