आज का पंचाग आपका राशि फल, महा गौरी पूजा उपचार, केरल के इस मंदिर में पुरूषों का प्रवेश वर्जित है इसलिए वे महिला रूप धारण करते हैं, सनातन धर्म संस्कृति में नहीं है जाति व्यवस्था

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻बुधवार, २९ मार्च २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:२८

सूर्यास्त: 🌅 ०६:३४

चन्द्रोदय: 🌝 ११:२४

चन्द्रास्त: 🌜२६:१६

अयन 🌖 उत्तरायणे (उत्तरगोलीय)

ऋतु: 🎋 बसंत

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (पिंगल)

मास 👉 चैत्र 

पक्ष 👉 शुक्ल 

तिथि 👉 अष्टमी (२१:०७ से नवमी)

नक्षत्र 👉 आर्द्रा (२०:०७ से पुनर्वसु)

योग 👉 शोभन (२४:१३ से अतिगण्ड)

प्रथम करण 👉 विष्टि (०८:०१ तक)

द्वितीय करण 👉 बव (२१:०७ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 मीन 

चंद्र 🌟 मिथुन 

मंगल 🌟 मिथुन (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 मीन (अस्त, पूर्व, मार्गी)

गुरु 🌟 मीन (उदित, पूर्व, मार्गी)

शुक्र 🌟 मेष (उदित, पश्चिम)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, मार्गी)

राहु 🌟 मेष 

केतु 🌟 तुला 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ❌️❌️❌️

अमृत काल 👉 ०९:०२ से १०:४९

रवियोग 👉 २०:०७ से ३०:०९

विजय मुहूर्त 👉 १४:२६ से १५:१५

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:३२ से १८:५५

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:३३ से १९:४३

निशिता मुहूर्त 👉 २३:५८ से २४:४४

राहुकाल 👉 १२:२२ से १३:५५

राहुवास 👉 दक्षिण-पश्चिम

यमगण्ड 👉 ०७:४३ से ०९:१६

होमाहुति 👉 शुक्र

दिशाशूल 👉 उत्तर

अग्निवास 👉 आकाश 

भद्रावास 👉 स्वर्ग (०८:०१ तक)

चन्द्रवास 👉 पश्चिम

शिववास 👉 श्मशान में (२१:०७ से

गौरी के साथ)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – लाभ २ – अमृत

३ – काल ४ – शुभ

५ – रोग ६ – उद्वेग

७ – चर ८ – लाभ

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – उद्वेग २ – शुभ

३ – अमृत ४ – चर

५ – रोग ६ – काल

७ – लाभ ८ – उद्वेग

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पश्चिम-दक्षिण (गुड़ अथवा दूध का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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चैत्र नवरात्री के अष्टम दिवस आद्य शक्ति भगवती दुर्गा के आठवे महागौरी स्वरूप की पूजा उपासना, दुर्गाष्टमी पूजा, अशोकाष्टमी, अन्नपूर्णा पूजा, नवपद पूजा आरम्भ (जैन) आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज २०:०७ तक जन्मे शिशुओ का नाम आर्द्रा नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (घ, ड, छ) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम पूनर्वसु नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय चरण अनुसार क्रमशः (के, को) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

मीन – २९:३५ से ०६:५९

मेष – ०६:५९ से ०८:३३

वृषभ – ०८:३३ से १०:२७

मिथुन – १०:२७ से १२:४२

कर्क – १२:४२ से १५:०४

सिंह – १५:०४ से १७:२३

कन्या – १७:२३ से १९:४१

तुला – १९:४१ से २२:०२

वृश्चिक – २२:०२ से २४:२१

धनु – २४:२१ से २६:२४

मकर – २६:२४ से २८:०६

कुम्भ – २८:०६ से २९:३१

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पञ्चक रहित मुहूर्त

शुभ मुहूर्त – ०६:१० से ०६:५९

मृत्यु पञ्चक – ०६:५९ से ०८:३३

अग्नि पञ्चक – ०८:३३ से १०:२७

शुभ मुहूर्त – १०:२७ से १२:४२

रज पञ्चक – १२:४२ से १५:०४

शुभ मुहूर्त – १५:०४ से १७:२३

चोर पञ्चक – १७:२३ से १९:४१

शुभ मुहूर्त – १९:४१ से २०:०७

रोग पञ्चक – २०:०७ से २१:०७

शुभ मुहूर्त – २१:०७ से २२:०२

मृत्यु पञ्चक – २२:०२ से २४:२१

अग्नि पञ्चक – २४:२१ से २६:२४

शुभ मुहूर्त – २६:२४ से २८:०६

रज पञ्चक – २८:०६ से २९:३१

शुभ मुहूर्त – २९:३१ से ३०:०९

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आज का राशिफल

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन आपको नए अवसर प्रदान करेगा लेकिन महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले अनुभवियों की सलाह अवश्य लें काम-धंधा आज मंदा रहेगा लेकिन पुराने कार्यो से धन की आमद होने से आर्थिक समस्या नही बनेगी। आज किसी की बेमन से उधार देना पड़ेगा इसकी वापसी में परेशानी आएगी। शेयर सट्टे आदि में धन का निवेश शीघ्र लाभ देगा। नौकरी वाले जातक आज अतिरिक्त कार्यभार से परेशान रहेंगे आज अतिरिक्त आय बनाने के चक्कर मे ना पड़े समस्या खड़ी होगी। पारिवारिक वातावरण आज भी खुशहाल बना रहेगा एक दूसरे की भावनाओ को समझेंगे संताने बुजुर्गो की आड़ में मनमानी करेंगी शीत प्रदार्थो के सेवन ना करें।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन आपकी आलसी प्रवृति प्रत्येक कार्य की गति मंद रखेगी। घर अथवा कार्य क्षेत्र पर इस वजह से फटकार भी लग सकती है। कार्य व्यवसाय में दिन भर की मेहनत का फल संध्या के आस-पास मिलेगा धन लाभ तो होगा लेकिन आशाजनक नही होने से निराश होंगे। आज आपका मनोरंजन करने के लिए कोई ना कोई उपस्थित रहेगा जिससे अन्य परेशानियां महसूस नही होंगी। आपकी पीठ पीछे बुराई करने वालो कि संख्या में वृद्धि होगी फिर भी आज आप इन सबसे बेपरवाह होकर मनमौजी जीवन जीना पसंद करेंगे। किसी के उद्दंड व्यवहार अथवा नुकसान करने पर भी रोकने की जगह शांति से देखते रहेंगे। हाथ पैरों में शिथिलता अनुभव होगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन परिस्थितियां आपके अनुकूल बन रही है इसका लाभ उठाएं अन्यथा आज जैसी सुविधा कल नही मिल सकेगी। कार्य व्यवसाय में आप आज जो भी कदम उठायेंगे उसमे हानि नजर आने के बाद भी आखरी समय पर स्थिति आपके पक्ष में हो जाएगी। नियमित के अलावा अतिरिक्त आय बनाने के साधन मिलेंगे नौकरी वाले लोग भी मेहनत का संतोषजनक फल मिलने से प्रसन्न रहेंगे लेकिन आज कोई वर्जित कार्य ना करें अन्यथा स्वयं के साथ परिजनों को भी परेशानी में डाल देंगे। आज आपका व्यवहार अन्य लोगो के समझ मे कम ही आएगा आपकी छवि स्वार्थी इंसानो वाली बनेगी फिर भी आज आपके हिस्से के धन लाभ को कोई नही रोक सकेगा।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन आपको कुछ ना कुछ परेशानी में डालेगा। दिनचार्य व्यवस्थित रहेगी सभी कार्यो की योजना पूर्व में बना लेंगे फिर भी अन्य लोगो के कारण असुविधा होगी। दिन के आरंभ में जो भी योजना बनाएंगे निकट भविष्य में उसका फल धन लाभ के रूप में मिलेगा। कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियों की कार्य शैली से असंतुष्ट रहेंगे फिर भी धन लाभ लेदेकर खर्च चलाने लायक हो जाएगा। नौकरी वाले जातक अधिकारी वर्ग से सतर्क रहें किसी अन्य की गलती पर आपको सुन्नी पड़ेगी। मित्र परिचितों से मेलजोल व्यवहारिकता मात्र रहेगी। आज आप केवल लाभ देने वाले प्रसंगों में ही अपना ध्यान केंद्रित रखेंगे अन्य लोगो की अनदेखी करेंगे। स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार आएगा।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज आपको सलाह है अपने आवश्यक कार्यो को लापरवाही छोड़ संध्या से पहले पूर्ण कर लें अन्यथा इसके बाद परिस्थिति बदलने पर केवल हानि ही हाथ लगेगी। आज आपका प्रातःकाल से ही टालमटोल वाला स्वभाव रहेगा किसी भी कार्य को एक बार में प्रसन्न होकर नही करेंगे महिलाओ का भी यही हाल रहेगा। कार्य व्यवसाय से जुड़ी महिलाये आज पुरुषों की तुलना में ज्यादा लाभ कमाने वाली रहेंगी। कारोबार एवं सार्वजनिक क्षेत्र से आज धन की की अपेक्षा सम्मान ज्यादा मिलेगा। लेकिन आज अधीनस्थों को ज्यादा छूट देना भारी पड़ सकता है इसका ध्यान रखें। संध्या बाद कोई अशुभ समाचार मिलेगा। सेहत अचानक खराब होगी।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज आपका दिन व्यस्तता से भरा रहेगा। दिन का आरंभिक भाग सुस्ती भरा रहेगा इसके बाद कार्यो के प्रति गंभीर हो जाएंगे। कार्य व्यवसाय के साथ ही अधूरे घरेलू कार्य भी करने पड़ेंगे आज आप अपने कार्य में किसी का दखल देना पसंद नही करेंगे ना ही आज परेशान करने वालो को माफ करेंगे। व्यवसाय की स्थिति मध्यान तक धीमी रहेगी इसके बाद बिक्री बढ़ने से धन की आमद होने लगेगी जो रुक रुक कर अंत तक होती रहेगी। सरकारी कार्य अधिकारियों के नरम रवैये से पूर्ण कर लेंगे परन्तु इसमे खर्च ज्यादा होगा। पैतृक संबंधित कार्य भी आज करना बेहतर रहेगा विघ्न-विरोध कम आएंगे। सेहत को लेकर आज निश्चिन्त रहेंगे।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहेगा। दिन का आरंभ आध्यात्मिक गतिविधियों में व्यस्तता से होगा लघु धार्मिक यात्रा होगी तबियत में सुधार रहने से आज प्रत्येक कार्य को उत्साह से गंभीर होकर करेंगे। नौकरी वाले लोगो के मन मे भी धार्मिक भावनाये बढ़ी रहेंगी परन्तु समायावभाव के कारण समय नही दे पाएंगे। व्यवसायी वर्ग आज किसी ना किसी कारण से निराश रहेंगे गलत निर्णय के कारण हानि होने की संभावना है। सहकर्मियों का व्यवहार कुछ समय के लिये मानसिक अशांति करेगा परन्तु आज आपके आत्मनिर्भर रह के के कारण स्थिति स्वतः ही सामान्य हो जाएगी। धन लाभ आवश्यकता अनुसार हो जाएगा परन्तु इंतजार के बाद ही। 

 

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज का दिन भी आपके लिए प्रतिकूल फलदायी है प्रातः काल से ही मन किसी अरिष्ट की आशंका से व्याकुल रहेगा। जहां से थोड़ी भी लाभ की उम्मीद दिखेगी वहां से निराशा ही मिलेगी। आज लोग आपको सांत्वना तो देंगे परन्तु सहायता के समय हाथ पीछे खींच लेंगे अथवा टालमटोल करेंगे। आर्थिक स्थिति भी दयनीय रहेगी कुछ भी करने का प्रयास करेंगे उसमे धन की कमी बाधा डालेगी। कार्य व्यवसाय में आज किसी भी प्रकार की जोर-जबरदस्ती का प्रयास ना करें हानि ही होगी। परिजन भी आपके असंतुष्ट रहेंगे परन्तु आपकी मनोदशा देखते हुए कुछ कहेंगे नही फिर भी घर के बुजुर्गो से विवाद हो सकता है।

 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज का दिन आपकी कल्पना को साकार रूप देने में सहायक रहेगा। प्रातः काल मन में किसी कार्य को लेकर दुविधा रहेगी परन्तु धीरे-धीरे स्थिति स्पष्ट होने लगेगी एक बार सफलता मिलने पर हर काम को आत्मविश्वास से पूर्ण कर लेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज प्रतिस्पर्धा कम ही रहेगी लेकिन इसका आपके व्यवसाय पर ज्यादा प्रभाव नही पड़ेगा। नौकरी करने वालो से सहयोगी आज अपना काम निकालने के लिये मीठा व्यवहार करेंगे। विदेश संबंधित वस्तुओं के व्यवसाय में आज हानि हो सकती है इसमे निवेश से बचें। परिजनों का व्यवहार अपेक्षित रहेगा महिलाये थोड़ी चंचल रहेंगी। सेहत भी सामान्य बनी रहेगी। संतान से सुख मिलेगा।

 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन आपकी सोची हुई योजनाए पूर्ण होने से उत्साह से भरे रहेंगे। कार्य व्यवसाय एवं पारिवारिक वातावरण दोनो ही आपके अनुकूल रहेगा। आज किसी बहुप्रतीक्षित मनोकामना के पूर्ण होने की संभावना है। धन लाभ भी आज आशासे बढ़कर होगा। नौकरी पेशा लोग अपनी कार्य कुशलता से अधिकारियों के खास बनेंगे। व्यवसायी वर्ग दिन के आरंभ में जिस कार्य को करने से डरेंगे मध्यान पश्चात उसी से लाभ होगा। महिलाये आज आदतानुसार अधिक बोलने की समस्या से ग्रस्त रहेंगी घरेलू कार्य इस कारण अस्त-व्यस्त भी रहेंगे। स्त्री संतान की उपेक्षा के बाद भी आज इनसे पूर्ण सुख मिलेगा।

 

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज भी दिन आपके लिये कुछ खास नही रहेगा फिर भी बीते कल की अपेक्षा आज थोड़ी राहत मिलेगी। परन्तु जो बात बीत चुकी है उसे दोबारा हवा ना दे अन्यथा आज का दिन भी व्यर्थ के वाद विवाद में खराब होगा कार्य क्षेत्र पर भी आपका व्यवहार तीखा रहेगा लोग आपसे दूरी बना कर रहेंगे पीठ पीछे हंसी भी उड़ाएंगे शांत रहकर धैर्य के साथ दिन व्यतीत करें आज के दिन आप आध्यात्म का सहारा भी ले सकते है मानसिक शान्ति मिलेगी। धन लाभ के लिये किसी सहारे की आवश्यकता पड़ेगी। पारिवारिक वातावरण में आज स्वार्थ भरा रहेगा कामना पूरी होने पर ही शांति मिलेगी। संध्या बाद से स्थिति में सुधार आने लगेगा।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आपके अंदर अहम की भावना रहेगी इस कारण कार्य क्षेत्र अथवा घर मे टकराव की स्थिति बनेगी। कार्य क्षेत्र पर अपनी मनमानी करेंगे जिससे साथ काम करने वालो को असुविधा होगी। प्रत्येक क्षेत्र में अपने को बड़ा दिखाने की मानसिकता के कारण व्यवहारिक सम्बंधो में दूरी आएगी। व्यवसायी वर्ग बड़ी-बड़ी योजना बनाएंगे लेकिन किसी ना किसी अभाव के कारण अमल में नही ला सकेंगे। नौकरी करने वालो को ज्यादा दौड़-धूप करनी पड़ेगी अधिकांश कार्य आपके ऊपर जबरदस्ती थोपे जाएंगे जिन्हें उत्साहहीनता के साथ करना पड़ेगा। आज धन लाभ पाना चाहते है तो व्यवहार में नरमी रखे। पारिवार के बुजुर्ग किसी बात को लेकर नाराज रहेंगे। 

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इससे पहले कि इस छाया चित्र को देखने वाले अपने अरमान जगाएँ और इससे पहले कि कुछ लोगों के अरमान बेक़ाबू हो जाएँ, मैं उनके अरमानों पर तराई करते हुए ये बताना चाहूँगा कि ये एक आदमी है जिसने एक औरत की तरह मेकअप किया हुआ है और इसने ये मेकअप इसीलिए किया है ताकि ये देवी की पूजा कर सके।

जी हाँ, ये केरल के एक मंदिर में मनाये जाने वाले कोट्टनकुलगरा मंदिर के चमायाविलक्कू फेस्टिवल के एक श्रद्धालु की तस्वीर है जिसने मंदिर के इस फेस्टिवल की परंपरा के अनुसार महिला बनने का मेकअप किया है।

असल में देवी के इस मंदिर में पुरुषों का प्रवेश वर्जित था, तो वहाँ पुरुष स्त्री के रूप के ही प्रवेश कर सकते हैं। हर वर्ष 9 मार्च से 25 मार्च तक चलने वाले इस फेस्टिवल में हज़ारों पुरुष स्त्री का रूप धरते हैं और उन हज़ारों लोगों को स्त्री का रूप बनाने में मदद करने के लिए पूरे केरल के सैकड़ों मेकअप आर्टिस्ट वहाँ पहुँचते हैं।

वैसे साल के ये कुछ ही दिन होते हैं जिनमें नारियल के देश केरल में नारियल से ज़्यादा संतरों की सेल होती है, अब ये मत पूछियेगा कि क्यों 😃

जय माता की…जय पुरुषों की 🙏🏻

जिन्हें डाउट है वो #chamayavilakku_festival गूगल कर लें।
-स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती
सादर साभार 🙏

सनातन में जाति है ही नहीं। 

आइये हजारो साल पुराने से लेकर वर्तमान तक का इतिहास पढ़ते हैं🙏

#छुआछूत और #जातिवाद के नाम पर मुगलों और अंग्रेजो द्वार समाज में घोला गया जहर पहले क्या था अब क्या है जरूर पढ़े

सम्राट #शांतनु ने विवाह किया एक मछवारे की पुत्री #सत्यवती से।उनका बेटा ही राजा बने इसलिए #भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की।

सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता होगा?

#महाभारत लिखने वाले वेद व्यास भी मछवारन के बेटे थे, पर महर्षि बन गए, गुरुकुल चलाते थे वो।

#विदुर, जिन्हें महा पंडित कहा जाता है वो एक दासी के पुत्र थे, #हस्तिनापुर के महामंत्री बने, उनकी लिखी हुई विदुर नीति, राजनीति का एक महाग्रन्थ है।

#भीम ने वनवासी #हिडिम्बा से विवाह किया।

#श्रीकृष्ण दूध का व्यवसाय करने वालों के परिवार से थे, 

उनके भाई #बलराम खेती करते थे , हमेशा हल साथ रखते थे।

#यादव क्षत्रिय रहे हैं, कई प्रान्तों पर शासन किया और श्रीकृषण सबके पूजनीय हैं, गीता जैसा ग्रन्थ विश्व को दिया।

राम के साथ वनवासी #निषादराज गुरुकुल में पढ़ते थे।

तो ये हो गयी वैदिक काल की बात, स्पष्ट है कोई किसी का शोषण नहीं करता था,सबको शिक्षा का अधिकार था, कोई भी पद तक पहुंच सकता था अपनी योग्यता के अनुसार।

वर्ण सिर्फ काम के आधार पर थे वो बदले जा सकते थे, जिसको आज इकोनॉमिक्स में डिवीज़न ऑफ़ लेबर कहते हैं वो ही।

प्राचीन भारत की बात करें, तो भारत के सबसे बड़े जनपद मगध पर जिस नन्द वंश का राज रहा वो जाति से #नाई थे । 

 

नन्द वंश की शुरुवात #महापद्मनंद ने की थी जो की राजा नाई थे। बाद में वो राजा बन गए फिर उनके बेटे भी,  

बाद में सभी क्षत्रिय ही कहलाये।

 

उसके बाद #मौर्य वंश का पूरे देश पर राज हुआ, जिसकी शुरुआत #चन्द्रगुप्त से हुई,जो कि एक मोर पालने वाले परिवार से थे और एक ब्राह्मण #चाणक्य ने उन्हें पूरे देश का सम्राट बनाया । 506 साल देश पर मौर्यों का राज रहा।

 

फिर गुप्त वंश का राज हुआ, जो कि घोड़े का अस्तबल चलाते थे और घोड़ों का व्यापार करते थे।140 साल देश पर गुप्ताओं का राज रहा।

 

केवल #पुष्यमित्र_शुंग के 36 साल के राज को छोड़ कर 92% समय प्राचीन काल में देश में शासन उन्ही का रहा, जिन्हें आज दलित पिछड़ा कहते हैं तो शोषण कहां से हो गया ? यहां भी कोई शोषण वाली बात नहीं है।

फिर शुरू होता है मध्यकालीन भारत का समय जो सन 1100- 1750 तक है, इस दौरान अधिकतर समय, अधिकतर जगह मुस्लिम शासन रहा।

अंत में #मराठों का उदय हुआ, बाजी राव पेशवा जो कि ब्राह्मण थे, ने गाय चराने वाले #गायकवाड़ को गुजरात का राजा बनाया, #चरवाहा जाति के #होलकर को मालवा का राजा बनाया।

 अहिल्या बाई होलकर खुद मानकर की बेटी थी बहुत बड़ी शिवभक्त थी, इंदौर में राज चलाया ढेरों मंदिर गुरुकुल उन्होंने बनवाये। 

 मीरा बाई जो कि राजपूत थी, उनके गुरु एक चर्मकार #रविदास थे और रविदास के गुरु ब्राह्मण #रामानंद थे|।

यहां भी शोषण वाली बात कहीं नहीं है।

मुग़ल काल से देश में गंदगी शुरू हो गई और यहां से पर्दा प्रथा, गुलाम प्रथा, बाल विवाह जैसी चीजें शुरू होती हैं।

1800-1947 तक अंग्रेजो के शासन रहा और यहीं से जातिवाद शुरू हुआ । जो उन्होंने फूट डालो और राज करो की नीति के तहत किया। 

अंग्रेज अधिकारी #निकोलस_डार्क की किताब “कास्ट ऑफ़ माइंड” में मिल जाएगा कि कैसे अंग्रेजों ने जातिवाद, छुआछूत को बढ़ाया और कैसे स्वार्थी भारतीय नेताओं ने अपने स्वार्थ में इसका राजनीतिकरण किया।

इन हजारों सालों के इतिहास में देश में कई विदेशी आये जिन्होंने #भारत की सामाजिक स्थिति पर किताबें लिखी हैं, जैसे कि “मेगास्थनीज” ने इंडिका लिखी, ‘फाहियान’, ‘ह्यू सांग ‘और ‘अलबरूनी’ जैसे कई। किसी ने भी नहीं लिखा की यहां किसी का शोषण होता था।

 जन्म आधारित #जातीयव्यवस्था #हिन्दुओ को कमजोर करने के लिए लाई गई थी।

इसलिए भारतीय होने पर गर्व करें और घृणा, द्वेष और भेदभाव के षड्यंत्र से ख़ुद भी बचें और औरों को भी बचाएं।

वैज्ञानिकों ने खोज लिया पाताल लोक, यहां होती थी मकरध्वज की पूजा
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रामायण का संदेश भारत की आत्मा है। जिन्हें इस पर अटूट भरोसा है, उन्हें इस ग्रंथ की सत्यता सिद्ध करने के लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं, परंतु कुछ लोग प्रमाण के अभाव में किसी बात को सत्य नहीं मानते।
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शायद अब वे भी इस महान ग्रंथ की सत्यता स्वीकार कर लें क्योंकि अमरीका के वैज्ञानिकों ने उस स्थान को खोजने का दावा किया है, जिसका संबंध भगवान श्रीराम से है।
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वैज्ञानिकों ने उस स्थान का पता लगाया है जिसे रामायण में पाताल लोक कहा गया है। रामायण की कथा के अनुसार इसी स्थान से हनुमानजी भगवान राम व लक्ष्मण को लेकर आए थे। यहां अहिरावण अनुष्ठान कर रहा था और राम-लक्ष्मण की बलि चढ़ाना चाहता था।
यह जगह अमरीकी महाद्वीप के पूर्वोत्तर में होंडुरास के वनों के नीचे पाई गई है। यहां अमरीका के वैज्ञानिकों ने लाइडर टेक्नोलॉजी से जगह का 3डी नक्शा तैयार किया। जमीन के नीचे प्राचीन काल के अस्त्र और प्रतिमाएं निकलने की भी पुष्टि हुई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, प्रथम महायुद्ध के बाद अमरीका के एक पायलट ने होंडुरास के वनों में कुछ अवशेषों को देखने का दावा किया था। इस स्थान की पहली जानकारी थियोडोर मोर्ड नामक व्यक्ति ने 1940 में दी थी। अमरीकी मीडिया में उस जगह वानर देवता की पूजा होने की बात का भी जिक्र किया था। बाद में थियोडोर की मृत्यु होने से इस रहस्य का सत्य सामने नहीं आया।
इस घटना के सात दशक बाद अमरीका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी तथा नेशनल सेंटर फॉर एयरबोर्न लेजर मैपिंग के वैज्ञानिकों ने होंडुरास के वनों की पुन: खोजबीन शुरू की। इससे उन्हें पता चला कि इस स्थान के नीचे किसी समय एक शहर रहा होगा। लेजर तरंगों के आधार पर कहा जाता है कि यहां हाथ में गदा लिए वानर देवता की मूर्ति भी है।
अमरीकी इतिहासकारों का मानना है कि होंडुरास के वनों के बीच मस्कीटिया नामक क्षेत्र कभी लोग वानर मूर्ति की पूजा करते थे। रामायण में यह प्रसंग आता है कि हनुमानजी राम-लक्ष्मण को अहिरावण के चंगुल से मुक्त कर पाताल लोक से लाए थे। वहां मकरध्वज पहरेदार था, जिसे हनुमानजी का पुत्र कहा जाता है।
अहिरावण का वध करने के पश्चात श्रीराम ने मकरध्वज को पाताल का राजा बनाया था।

👉 *नवरात्रि अनुष्ठान का विधि विधान*

🔷 *नवरात्रि साधना को दो भागों में बाँटा जा सकता है। एक उन दिनों की जाने वाली जप संख्या एवं विधान प्रक्रिया। दूसरे आहार−विहार सम्बन्धी प्रतिबन्धों की तपश्चर्या। दोनों को मिलाकर ही अनुष्ठान पुरश्चरणों की विशेष साधना सम्पन्न होती है।*

🔶 *जप संख्या के बारे में विधान यह है कि 9 दिनों में 24 हजार गायत्री मन्त्रों का जप पूरा होना चाहिए। चूँकि उसमें संख्या विधान मुख्य है इसलिए गणना के लिए माला का उपयोग आवश्यक है। सामान्य उपासना में घड़ी की सहायता से 45 मिनट का पता चल सकता है, पर जप में गति की न्यूनाधिकता रहने से संख्या की जानकारी बिना माला के नहीं हो सकती। वस्तु नवरात्रि साधना में गणना की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए माला का उपयोग आवश्यक माना गया है।*

🔷 *आज कल हर बात में नकलीपन की भरमार है मालाएँ भी बाजार में नकली लकड़ी की बिकती हैं अच्छा यह कि उस में छल कपट न हो जिस चीज की है उसी की जानी और बताई जाय। कुछ के बदले में कुछ मिलने का भ्रम न रहे। तुलसी, चन्दन और रुद्राक्ष की मालाएँ अधिक पवित्र मानी गई हैं। इनमें से प्रायः चन्दन की ही आसानी से असली मिल सकती है। गायत्री तप में तुलसी की माला को प्रधान माना गया है, पर वह अपने यहाँ बोई हुई सूखी लकड़ी की हो और अपने सामने बने तो ही कुछ विश्वास की बात हो सकती है। बाजार में अरहर की लकड़ी ही तुलसी के नाम पर हर दिन टनों की तादाद में बनती और बिकती देखी जाती है। हमें चन्दन की माला ही आसानी से मिल सकेगी यों उससे भी सस्ती लकड़ी पर चन्दन का सेन्ट चुपड़ कर धोखे बाजी खूब चलती है। सावधानी बरतने पर यह समस्या आसानी से हल हो सकती है और असली चन्दन की माला मिल सकती है।*

🔶 *एक दिन आरम्भिक प्रयोग के रूप में एक घण्टा जप करके यह देख लेना चाहिए कि अपनी जप गति कितनी है। साधारण तथा एक घण्टे में दस से लेकर बारह माला तक की जप संख्या ठीक मानी जाती है। किन्हीं की मन्द हो तो बढ़ानी चाहिए और तेज हो तो घटानी चाहिए। फिर भी अन्तर तो रहेगा ही। सब की चाल एक जैसी नहीं हो सकती। अनुष्ठान में 27 मालाएँ प्रति दिन जपनी पड़ती हैं। देखा जाय कि अपनी गति से इतना जप करने में कितना समय लगेगा। यह हिसाब लग जाने पर यह सोचना होगा कि प्रातः इतना समय मिलता है या नहीं। उसी अवधि में यह विधान पूरा हो सके प्रयत्न ऐसा ही करना चाहिए। पर यदि अन्य अनिवार्य कार्य करने हैं, तो समय का विभाजन प्रातः और सायं दो बार में किया जा सकता है। उन दिनों प्रायः 6 बजे सूर्योदय होता है। दो घण्टा पूर्व अर्थात् 4 बजे से जप आरम्भ किया जा सकता है सूर्योदय से तीन घण्टे बाद तक अर्थात् 9 बजे तक यह समाप्त हो जाना चाहिएं। इन पाँच घण्टों के भीतर ही अपने जप में जो 2॥−3 घण्टे लगेंगे वे पूरे हो जाने चाहिए। यदि प्रातः पर्याप्त समय न हो तो सायंकाल सूर्यास्त से 1 घण्टा पहले से लेकर 2 घण्टे बाद तक अर्थात् 5 से 8 तक के तीन घण्टों में सबेरे का शेष जप पूरा कर लेना चाहिए। प्रातः 9 बजे के बाद और रात्रि को 8 के बाद की नवरात्रि तपश्चर्या निषिद्ध है। यों सामान्य साधना तो कभी भी हो सकती है और मौन मानसिक जप में तो समय, स्थान, संख्या, स्नान आदि का भी बन्धन नहीं है। उसे किसी भी स्थिति में किया जा सकता है। पर अनुष्ठान के बारे में वैसा नहीं है। उसके लिए विशेष नियमों का कठोरतापूर्वक पालन करना पड़ता है।*

🔷 *उपासना की विधि सामान्य नियमों के अनुरूप ही है। आत्म शुद्धि और देव पूजन के बाद जप आरम्भ हो जाता है। आरम्भ में सोहम और अन्त में खेचरी मुद्रा का नियम इसमें भी निवाहना पड़ता है। अन्तर इतना ही पड़ता है कि नित्य आधा घण्टा जप करना पड़ता था, वह अब बढ़ कर प्रायः ढाई−तीन घण्टे हो जाता है। जप के साथ सविता देवता के प्रकाश का अपने में प्रवेश होते पूर्ववत् अनुभव किया जायगा। सूर्य अर्घ्य आदि अन्य सब बातें उसी प्रकार चलती हैं, जैसी दैनिक साधना में। हर दिन जो आधा घण्टा जप करना पड़ता था वह अलग से नहीं करना होता वरन् नहीं 27 मालाओं में सम्मिलित हो जाता है।*

🔶 *अगरबत्ती के स्थान पर यदि इन दिनों जप के तीन घण्टे घृतदीप जलाया जा सके तो अधिक उत्तम है। धृत का शुद्ध होना आवश्यक है। मिलावट के प्रचलित अन्धेर में यदि शुद्धता पर पूर्ण विश्वास हो तो ही बाहर से लिया जाय अन्यथा दूध लेकर अपने घर पर भी निकालना चाहिए। तीन घण्टे नित्य नौ दिन दीपक जले तो उसमें प्रायः दो ढाई सौ ग्राम घी लग जाता है। इतने घी का प्रबंध बने तो दीपक की बात सोचनी चाहिए अन्यथा अगरबत्ती, धूपबत्ती आदि से काम चलाना चाहिए। इनमें भी शुद्धता का ध्यान रखा जाय। सम्भव हो तो यह वस्तुएँ भी घर पर बना ली जाएं।*

🔷 *नवरात्रि अनुष्ठान नर−नारी कर सकते हैं। इसमें समय, स्थान एवं संख्या की नियमितता रखी जाती है इसलिए उस सतर्कता और अनुशासन के कारण शक्ति भी अधिक उत्पन्न होती है। किसी भी कार्य में ढील−पोल शिथिलता अनियमितता और अस्त−व्यस्तता बरती जाय उसी में उसी अनुपात से सफलता संदिग्ध होती चली जायगी। उपासना के सम्बन्ध में भी यह तथ्य काम करता है। उदास मन से ज्यों−त्यों− जब, तब वह बेगार भुगत दी जाय तो उसके सत्परिणाम भी स्वल्प ही होंगे, पर यदि उसमें चुस्ती, फुर्ती की व्यवस्था और तत्परता बरती जायगी तो लाभ कई गुना दिखाई पड़ेगा। अनुष्ठान में सामान्य जप की प्रक्रिया को अधिक कठोर और अधिक क्रमबद्ध कर दिया जाता है अस्तु उसकी सुखद प्रतिक्रिया भी अत्यधिक होती है।*

🔶 *प्रयत्न यह होना चाहिए कि पूरे नौ दिन यह विशेष जप संख्या ठीक प्रकार कार्यान्वित होती रहे। उसमें व्यवधान कम से कम पड़े। फिर भी कुछ आकस्मिक एवं अनिवार्य कारण ऐसे आ सकते हैं जिसमें व्यवस्था बिगड़ जाय और उपासना अधूरी छोड़नी पड़े। ऐसी दशा में यह किया जाना चाहिए कि बीच में जितने दिन बन्द रखना पड़े उसकी पूर्ति आगे चलकर कर ली जाय इस व्यवधान की क्षति पूर्ति के लिए एक दिन उपासना अधिक की जाय जैसे चार दिन अनुष्ठान चलाने के बाद किसी आकस्मिक कार्यवश बाहर जाना पड़ा। तब शेष पाँच दिन उस कार्य से वापस लौटने पर पूरे करने चाहिए। इसमें एक दिन व्यवधान का अधिक बढ़ा देना चाहिए अर्थात् पाँच दिन की अपेक्षा छह दिन में उस अनुष्ठान को पूर्ण माना जाय। स्त्रियों का मासिक धर्म यदि बीच में आ जाय तो चार दिन या शुद्ध न होने पर अधिक दिन तक रोका जाय और उसकी पूर्ति शुद्ध होने के बाद करनी जाय। एक दिन अधिक करना इस दशा में भी आवश्यक है।*

🔷 *अनुष्ठान में पालन करने के लिए दो नियम अनिवार्य हैं। शेष तीन ऐसे हैं जो यथा स्थिति एवं यथा सम्भव किये जा सकते हैं। इन पाँचों नियमों का पालन करना पंच तप कहलाता है, इनके पालन से अनुष्ठान की शक्ति असाधारण रूप से बढ़ जाती है।*

🔶 *इन दो दिन ब्रह्मचर्य पालन अनिवार्य रूप से आवश्यक है। शरीर और मन में अनुष्ठान के कारण जो विशेष उभार आते हैं उनके कारण कामुकता की प्रवृत्ति उभरती है। इसे रोका न जाय तो दूध में उफान आने पर उसके पात्र से बाहर निकल जाने के कारण घाटा ही पड़ेगा। अस्तु मनःस्थिति इस सम्बन्ध में मजबूत बना लेनी चाहिए। अच्छा तो यह है कि रात्रि को विपरीत लिंग के साथ न सोया जाय। दिनचर्या में ऐसी व्यस्तता और ऐसी परिस्थिति रखी जाय जिससे न शारीरिक और न मानसिक कामुकता उभरने का अवसर आये। यदि मनोविकार उभरें भी तो हठपूर्वक उनका दमन करना चाहिए और वैसी परिस्थिति नहीं आने दी जाय। यदि वह नियम न सधा, ब्रह्मचर्य अखंडित हुआ तो वह अनुष्ठान ही अधूरा माना जाय। करना हो तो फिर नये सिरे से किया जाय। यहाँ यह स्पष्ट है कि स्वप्नदोष पर अपना कुछ नियन्त्रण न होने से उसका कोई दोष नहीं माना जाता। उसके प्रायश्चित्य में दस माला अधिक जप कर लेना चाहिए।*

🔷 *दूसरा अनिवार्य नियम है उपवास। जिनके लिए सम्भव हो वे नौ दिन फल, दूध पर रहें। ऐसे उपवासों में पेट पर दबाव घट जाने से प्रायः दस्त साफ नहीं हो पाता और पेट भारी रहने लगता है इसके लिए एनीमा अथवा त्रिफला−ईसबगोल की भूसी−कैस्टोफीन जैसे कोई हलके विरेचन लिए जा सकते हैं।*

🔶 *महंगाई अथवा दूसरे कारणों से जिनके लिए वह सम्भव न हो वे शाकाहार−छाछ आदि पर रह सकते हैं। अच्छा तो यही हैं कि एक बार भोजन और बीच−बीच में कुछ पेय पदार्थ ले लिए जायँ, पर वैसा न बन पड़े तो दो बार भी शाकाहार, दही आदि लिया जा सकता है।*

🔷 *जिनसे इतना भी न बन पड़े वे अन्नाहार पर भी रह सकते हैं, पर नमक और शकर छोड़कर अस्वाद व्रत का पालन उन्हें भी करना चाहिए। भोजन में अनेक वस्तुएँ न लेकर दो ही वस्तुएँ ली जाएं। जैसे−रोटी, दाल। रोटी−शाक, चावल−दाल, दलिया, दही आदि। खाद्य−पदार्थों की संख्या थाली में दो से अधिक नहीं दिखाई पड़नी चाहिए। यह अन्नाहार एक बार अथवा स्थिति के अनुरूप दो बार भी लिया जा सकता है। पेय पदार्थ कई बार लेने की छूट है। पर वे भी नमक, शक्कर रहित होने चाहिएं।*

🔶 *जिनसे उपवास और ब्रह्मचर्य न बन पड़े वे अपनी जप संख्या नवरात्रि में बढ़ा सकते हैं इसका भी अतिरिक्त लाभ है, पर इन दो अनिवार्य नियमों का पालन न कर सकने के कारण उसे अनुष्ठान की संज्ञा न दी जा सकेगी और अनुशासन साधना जितने सत्परिणाम की अपेक्षा भी नहीं रहेगी। फिर भी जितना कुछ विशेष साधन−नियम पालन इस नवरात्रि पर्व पर बन पड़े उत्तम ही है।*

🔷 *तीन सामान्य नियम हैं*
*[1] कोमल शैया का त्याग*
*[2] अपनी शारीरिक सेवाएँ अपने हाथों करना*
*[3] हिंसा द्रव्यों का त्याग। इन नौ दिनों में भूमि या तख्त पर सोना तप तितीक्षा के कष्ट साध्य जीवन की एक प्रक्रिया है। इसका बन पड़ना कुछ विशेष कठिन नहीं है। चारपाई या पलंग छोड़कर जमीन पर या तख्त पर बिस्तर लगाकर सो जाना थोड़ा असुविधाजनक भले ही लगे, पर सोने का प्रयोजन भली प्रकार पूरा हो जाता है।*

🔶 *कपड़े धोना, हजामत बनाना, तेल मालिश, जूता, पालिश, जैसे छोटे−बड़े अनेक शारीरिक कार्यों के लिए दूसरों की सेवा लेनी पड़ती है। अच्छा हो कि यह सब कार्य भी जितने सम्भव हों अपने हाथ किये जायं। बाजार का बना कोई खाद्य पदार्थ न लिया जाय। अन्नाहार पर रहना है तो वह अपने हाथ का अथवा पत्नी, माता जैसे सीधे शरीर सम्बन्धियों के हाथ का ही बना लेना चाहिए नौकर की सहायता इसमें जितनी कम ली जाय उतना उत्तम है। रिक्शे, ताँगे की अपेक्षा यदि साइकिल, स्कूटर, बस, रेल आदि की सवारी से काम चल सके तो अच्छा है। कपड़े अपने हाथ से धोना− हजामत अपने हाथ बनाना कुछ बहुत कठिन नहीं है। प्रयत्न यही होना चाहिए कि जहाँ तक हो सके अपनी शरीर सेवा अपने हाथों ही सम्पन्न की जाय।*

🔷 *तीसरा नियम है हिंसा द्रव्यों का त्याग। इन दिनों 99 प्रतिशत चमड़ा पशुओं की हत्या करके ही प्राप्त किया जाता हैं। वे पशु माँस के लिए ही नहीं चमड़े की दृष्टि से भी मारे जाते हैं। माँस और चमड़े का उपयोग देखने में भिन्न लगता है, पर परिणाम की दृष्टि से दोनों ही हिंसा के आधार हैं। इसमें हत्या करने वाले की तरह उपयोग करने वाले को भी पाप लगता है। अस्तु चमड़े के जूते सदा के लिए छोड़ सकें तो उत्तम है अन्यथा अनुष्ठान, काल में तो उनका परित्याग करके रबड़, प्लास्टिक कपड़े आदि के जूते चप्पलों से काम चलाना चाहिए।*

🔶 *माँस, अण्डा जैसे हिंसा द्रव्यों का इन दिनों निरोध ही रहता है। आज−कल एलोपैथी दवाएँ भी ऐसी अनेक है जिनमें जीवित प्राणियों का सत मिलाया जाता है। इनसे बचना चाहिए। रेशम, कस्तूरी, मृगचर्म आदि प्रायः पूजा प्रयोजनों में उपयोग किया जाता है, ये पदार्थ हिंसा से प्राप्त होने के कारण अग्राह्य ही माने जाने चाहिए। शहद यदि वैज्ञानिक विधि से निकाला गया है तो ठीक अन्यथा अण्डे बच्चे निचोड़ डालने और छत्ता तोड़ फेंकने की पुरानी पद्धति से प्राप्त किया गया शहद भी त्याग समझा जाना चाहिए।*

🔷 *न केवल जप उपासना के लिए ही समय की पाबन्दी रहे वरन् इन दिनों पूरी दिनचर्या ही नियमबद्ध रहे। सोने, खाने नहाने आदि सभी कृत्यों में यथासम्भव अधिक से अधिक समय निर्धारण और उसका पक्का पालन करना आवश्यक समझा जाय। अनुशासित शरीर और मन की अपनी विशेषता होती है और उससे शक्ति उत्पादन से लेकर सफलता की दिशा में द्रुत गति से बढ़ने का लाभ मिलता है। अनुष्ठानों की सफलता में भी यही तथ्य काम करता है।*

🔶 *अनुष्ठान के दिनों में मनोविकारों और चरित्र दोषों पर कठोर दृष्टि रखी जाय और अवाँछनीय उभारों को निरस्त करने के लिए अधिकाधिक प्रयत्नशील रहा जाय। असत्य भाषण, क्रोध, छल, कटुवचन अशिष्ट आचरण, चोरी, चालाकी, जैसे अवाँछनीय आचरणों से बचा जाना चाहिए, ईर्ष्या, द्वेष, कामुकता, प्रतिशोध जैसी दुर्भावनाओं से मन को जितना बचाया जा सके उतना अच्छा है। जिनसे बन पड़े वे अवकाश लेकर ऐसे वातावरण में रह सकते हैं जहाँ इस प्रकार की अवाँछनीयताओं का असर ही न आय। जिनके लिए ऐसा सम्भव नहीं, वे सामान्य जीवन यापन करते हुए अधिक से अधिक सदाचरण अपनाने के लिए सचेष्ट बने रहें।*

🔷 *नौ दिन की साधना पूरी हो जाने पर दसवें दिन अनुष्ठान की पूर्णाहुति समझी जानी चाहिए इन दिनों*
*(1) हवन*
*(2) ब्रह्मदान*
*(3) कन्याभोज के तीन उपचार पूरे करने चाहिएं।*

🔶 *संक्षिप्त गायत्री हवन पद्धति की प्रक्रिया बहुत ही सरल है। उन मन्त्रों को एवं विधानों को बताने वाली पुस्तिका गायत्री तपोभूमि मथुरा से मिलती है। पुराने उपासकों में से अधिकाँश उस कृत्य से परिचित हैं। अपनी जानकारी न हो तो किसी पुराने गायत्री उपासक की सहायता से 240 आहुतियों का हवन किया जा सकता है। जहाँ वैसे साधन न हों वहाँ घी और शकर मिलाकर गायत्री मन्त्र से उसकी आहुतियाँ दी जा सकती हैं। मिट्टी की छोटी चबूतरी बना कर पतली समिधाओं में अग्नि उच्चारण कर सकने वाले घर के अन्य लोगों को भी सम्मिलित किया जा सकता है। यदि चार व्यक्ति मिल कर हवन करें तो मिलकर 60 बार आहुति देने से ही 240 आहुतियाँ हो जायेंगी। जितने आहुति देने वाले हों उसी हिसाब से यह निर्धारण करना चाहिए। 240 से कम आहुतियाँ नहीं होनी चाहिएं, अधिक हो जाए तो ठीक है। जिनके लिए इतना भी सम्भव न हो वे शाँति−कुँज को लिख देंगे तो उनकी 240 आहुतियाँ यहाँ की यज्ञशाला में विधिवत् कर दी जायेंगी।*

🔷 *गायत्री आद्य शक्ति−मातृ शक्ति है। उसका प्रतिनिधित्व कन्या करती है। अस्तु अन्तिम दिन कम से कम एक और अधिक जितनी सुविधा हो कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।*

*( अनुष्ठान में तीन बातों का ध्यान रखें | Anushthan Me Teen baton Ka Dhyan Rakhen | Dr Chinmay Pandya,
https://www.youtube.com/watch?v=McQ4EqrOjXM )*

🔶 *ब्रह्मदान में सत्साहित्य का वितरण आता है। जन−मानस का परिष्कार करने वाला सस्ता प्रचार साहित्य युग−निर्माण योजना मथुरा और शांति−कुंज हरिद्वार से मिलता है अपनी सामर्थ्य अनुसार कुछ पैसा इसे मँगाने और विचारशील लोगों में उसे वितरण करने का प्रयत्न करना चाहिए। लागत से कम मूल्य में बेचना भी वितरण के समान ही श्रेष्ठ है।*

🔷 *दीवारों पर आदर्श वाक्य लेखन−प्रेरक पोस्टरों का चिपकाया जाना जैसे प्रेरणाप्रद कृत्य ब्रह्मदान की संज्ञा में ही गिने जाते हैं।*

🔶 *अनुष्ठान करने वाले इसकी सूचना हरिद्वार भेज देंगे तो उनकी साधना का संरक्षण एवं परिमार्जन भी वहाँ से किया जाता रहेगा।*

✍🏻 *पं श्रीराम शर्मा आचार्य*
📖 *अखण्ड ज्योति- फरवरी 1976 पृष्ठ 60*