आज का पंचाग आपका राशि फल, राम रावण संग्राम में वानर, लाखों वर्ष प्राचीन है कैंसर उपचार की नई विधा ‘इम्यून थैरेपी’

शास्त्रों में कर्क रोग (कैंसर) का सरल निदान है। निंघंटू और चरक संहिता में सरल उपचार है। बताई गयी विधि से हल्दी दूध और शिवप्रिया (भांग) व थुनेर की छाल या पतों का प्रयोग करें गोमुत्र दूब के पानी से नहायें तथा हर एकादशी पर व्रत रखें विशेष रूप से निर्जला एकादशी का व्रत अनुष्ठान करें उसी से इम्यून सिस्टम सुदृढ़ होता है कैंसर आदि जटिल रोगों की यही इम्यून थेरपी है, इससे कोई सा कैंसर हो समाप्त हो जाता है। भांग या भंगोली का प्रयोग करने वाले को कैंसर और मानसिक तनाव नहीं होता, और पाचन सही रहता है। टाटा कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट मुंबई ने अपनी भी रिसर्च में निर्जला एकादशी की इम्यून थैरेपी को उजागर किया है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति विशेष रूप से अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति में कैंसर शूगर किडनी हृदय बीपी थाईराईड आदि उपचार कमाई के क्रूरतम साधन हैं। ये सभी रोग अधिकांश रूप से शारीरिक श्रम नहीं करने वाले और फूड एडिक्शन तथा मांस मंदिरा तंबाकू आदि अभक्ष्य खाने वालों को और संध्या वंदन से विरत रहने से होते हैं।

🌹विश्व में सबसे अधिक उंचाई में पांडवों द्वारा निर्मित “श्रीकृष्ण मंदिर”यूला कांडा लेक किन्नोर(हिमाचल)में 🌹🙏

*🙏🏻हर हर महादेव🙏🏻*
*पुण्य लाभ के लिए इस पंचांग को औरों को भी अवश्य भेजिए🙏🏻🙏🏻*🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक – 18 अप्रैल 2022*
⛅ *दिन – सोमवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)*
⛅ *शक संवत -1944*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – वसंत ऋतु*
⛅ *मास – वैशाख (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र )*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *तिथि – द्वितीया शाम 07:23 तक तत्पश्चात तृतीया*
⛅ *नक्षत्र – विशाखा 19 अप्रैल रात्रि 03:39 तक तत्पश्चात अनुराधा*
⛅ *योग – सिद्धि रात्रि 08:24 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
⛅ *राहुकाल – सुबह 07:53 से सुबह 09:28 तक*
⛅ *सूर्योदय – 06:18*
⛅ *सूर्यास्त – 18:57*
⛅ *दिशाशूल – पूर्व दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण –
💥 *विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *व्यतिपात योग* 🌷
➡ *18 अप्रैल 2022 सोमवार को रात्रि 08:25 से 19 अप्रैल, मंगलवार शाम 05:02 तक व्यतिपात योग है ।*
🙏🏻 *व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *मंगलवारी चतुर्थी* 🌷
➡ *19 अप्रैल 2022 मंगलवार को शाम 04:39 से 20 अप्रैल सूर्योदय तक अंगारकी- मंगलवारी चतुर्थी है ।*
🙏 *अंगारकी चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना …जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है…*
🌷 *> बिना नमक का भोजन करें*
🌷 *> मंगल देव का मानसिक आह्वान करो*
🌷 *> चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें*
💵 *कितना भी कर्ज़दार हो ..काम धंधे से बेरोजगार हो ..रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा |*
🙏🏻 *–Pujya Bapuji 17th Jan’10, उज्जैन*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *कोई कष्ट हो तो* 🌷

➡ *19 अप्रैल 2022 मंगलवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 09:58)*
🙏🏻 *हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |*
👉🏻 *छः मंत्र इस प्रकार हैं –*
🌷 *ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।*
🌷 *ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।*
🌷 *ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।*
🌷 *ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।*
🌷 *ॐ अविघ्नाय नम:*
🌷 *ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:*
🙏🏻 *- Shri Sureshanandji Dewas 16th April’ 2013*

📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*

〰〰〰〰〰〰〰
आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
〰️〰️〰️〰️〰️〰️
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपकी आशाओं पर खरा उतरेगा दिनचर्या भी आज व्यवस्थित रहने का फायदा मिलेगा। दिन के आरंभ में कार्य करने की गति थोड़ी धीमी रहेगी लेकिन मध्यान से धीरे धीरे गति आने लगेगी एक बार सफ़लता का स्वाद चखने के बाद अधिक निष्ठा से कार्यो में तल्लीन हो जाएंगे। धन की आमद रुक रुक कर पर एकसाथ कई मार्ग से होने पर उत्साहित रहेंगे। जोखिम आज बेजीझक ले सकते है लाभ ही होगा। मध्यान बाद आपका ध्यान कार्य क्षेत्र पर कम मनोरंजन पर अधिक रहेगा जल्दबाजी में कार्य करेंगे जिससे कुछ त्रुटि होने की संभावना है सतर्क होकर कार्य करें। पारिवारिक वातावरण लगभग शांत ही रहेगा किसी की जिद के आगे झुकना पड़ेगा। जोड़ो में तकलीफ हो सकती है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिये वृद्धिकारक रहेगा आज आप जहां से लाभ हो संभावना लगाएंगे वहां से आशा से अधिक ही मिलेगा। कार्य व्यवसाय में उन्नति होगी कार्य क्षेत्र का वातावरण थोड़ा प्रतिस्पर्धात्मक रहेगा फिर भी आपके हिस्से का लाभ विपरीत परिस्थिति में भी आपके ही पास आएगा। व्यवसाय में निवेश करना पड़ेगा इसके परिणाम शीघ्र ही देखने को मिलेंगे कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियो की कमी खलेगी फिर भी तालमेल बिठा लेंगे। घर मे वातावरण किसी की जिद के कारण उथल पुथल रहेगा टालने पर भी इसके पीछे अधिक खर्च करना पड़ेगा। सेहत आज लगभग सामान्य ही रहेगी संध्या बाद कमर दर्द आलस्य थकान अधिक महसूस करेंगे।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन व्यावसायिक एवं आर्थिक विषयों में बीते कल की तुलना में अधिक बेहतर रहेगा। आज दिन के आरंभ से ही मन मे पर्यटन मनोरंजन का भूत सवार रहेगा लेकिन कार्य व्यस्तता भी अन्य दिन की तुलना में अधिक रहेगी फिर भी संध्या बाद सब कार्य छोड़ मनोकामना पूर्ति के लिये समय निकाल ही लेंगे। व्यवसाय से आज कम मेहनत और समय मे आशाजनक लाभ मिल जाएगा अन्य कार्यो में भी सहज सफलता मिलने से उत्साही रहेंगे आर्थिक रूप से दृढ़ता आएगी भविष्य के लिये संचय कर सकेंगे। आज घर के सदस्यों को प्रसन्न करने में पसीने छूटेंगे खर्च करने के बाद भी कोई न कोई नुक्स अवश्य निकालेंगे। सेहत में कुछ नरमी रहने पर भी दिनचर्या प्रभावित नही होने देंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन भी आपको घरेलू एवं सामाजिक क्षेत्र पर प्रतिकूल फल मिलने वाले है। दिन के आरंभ से ही आपका स्वभाव अत्यंत रूखा रहेगा लोगो की कमियां खोज खोज कर लड़ने के लिये तैयार रहेंगे घर के सदस्य भी पुरानी गलतियां गिना कर माहौल को अधिक अशांत बनाएंगे। मध्यान बाद स्थिति में थोड़ा सुधार आएगा कार्य क्षेत्र पर आकस्मिक धन लाभ होने से मन की कड़वाहट कम होगी लेकिन धन संबंधित विषयों को लेकर किसी न किसी से कलह भी हो सकती है। संध्या का समय व्यवसाय में वृद्धि करेगा लेकिन धन लाभ होने की जगह आश्वासन ही मिलेंगे। घर में भी वातावरण पहले से शांत बनेगा पर पूरी तरह शांत होने में समय लग सकता है। अनैतिक कार्यो से दूर रहे शारीरिक हानि के साथ मान भंग होने की संभावना है। मानसिक अशांति अन्य विकारों को जन्म देगी शान्त रहने का प्रयास करें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन भी आपकी आशा के अनुकूल रहेगा लेकिन आज आप लाभ पाने के लिये गलत हथकंडे अपनाएंगे जिससे सामाजिक क्षेत्र पर आलोचना हो सकती है। पुराने कार्य से धन की आमद निश्चित रहेगी फिर भी ज्यादा पाने की लालसा में चैन से ना खुद बैठेंगे ना ही कार्य क्षेत्र पर अन्य सहयोगियों को बैठने देंगे। सहकर्मी मन ही मन आपको बुराभला कहेंगे पर आर्थिक रूप से मदद मिलने पर व्यवहार बदल जायेगा। व्यवसाय में नए प्रतिद्वन्दी उभरेंगे लेकिन आज आपका चाहकर भी अहित नही कर पाएंगे। भागीदारी के कार्यो में निवेश से बचें। घर मे किसी के ऊपर नाजायज दबाव डालने से कलह हो सकती है। नेत्र, हड्डी, मूत्र संबंधित समस्या होने की संभावना है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपको घर और कारोबार में तालमेल बैठाने में परेशानी आएगी। दिमाग मे व्यवसाय सम्बंधित उलझने दिन के आरंभ से ही लगी रहेंगी उपर से घरेलू कार्य का बोझ आने से दुविधा में रहेंगे घर के बुजुर्गों का सहयोग भी कम रहने से स्वयं को ही अधिकांश कार्य निपटाने पड़ेंगे। दोपहर बाद भागदौड़ से निजात मिलेगी लेकिन व्यावसायिक कारणों से व्यस्तता बढ़ेगी कार्य क्षेत्र का माहौल अकस्मात बदलने से थोड़ी असहजता होगी फिर भी सहयोगियों की मदद से इससे पर पा लेंगे धन की आमद टलते टलते संध्या के समय अचानक होगी। घर मे आज किसी के नाराज होने से वातावरण कुछ समय के लिये उदासीन बनेगा बात मानने पर सामान्य हो जाएगा संचित धन में कमी आएगी सेहत में भी कुछ न कुछ विकार रहेगा पर कार्य रुकने नही देंगे।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन भी आप अपने मन की ही सुनेंगे और करेंगे। व्यवहारिकता रहेगी फिर भी अपने मे ही मगन रहेंगे किसी का कार्यो में दखल देना आपको भायेगा नही। कार्य व्यवसाय में आज बुद्धि और धन दोनो लगाने पर ही लाभ कमाया जा सकता है। सहकर्मी आपके अड़ियल व्यवहार से परेशान रहेंगे कहासुनी भी हो सकती है फिर भी आज संध्या के समय धन की प्राप्ति किसी पुराने साधन के द्वारा हो ही जाएगी। मन मे लंबी यात्रा के विचार बनेंगे लेकिन आज करना केवल खर्च बढ़ाना मात्र रहेगा इससे लाभ की आशा ना रखें। घर का वातावरण भी आज ढुलमुल रहेगा वादा पूरा करने में आनाकानी करेंगे जिससे परिजनों के मन मे कड़वाहट आएगी। सेहत आज सामान्य रहेगी फिर भी लोहे के उपकरणों से सावधान रहें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आशा के विपरीत रहेगा मौसम में बदलाव के कारण सेहत में दिन के शुरुआत से ही गिरावट आने लगेगी फिर भी व्यस्तता के कारण जबरदस्ती कार्य करेंगे जिससे दोपहर के समय अत्यधिक थकान बनेगी हाथ पैरों में शिथिलता आने से किसी भी कार्य को करने का मन नही करेगा। आज अधिकांश कार्यो में किसी अन्य के ऊपर आश्रित रहना पड़ेगा जिसे भी अपने कार्य सौपेंगे वह निष्ठा से नही करेगा सहकर्मी एवं नौकरों की गतिविधि पर शक भी होगा क्रोध आएगा लेकिन मजबूरी में प्रदर्शन नही करेंगे। घरेलू वातावरण किसी न किसी के रोगग्रस्त रहने से अस्त व्यस्त रहेगा। व्यर्थ के खर्च बढ़ेंगे यात्रा की योजना टलने से मित्र परिजन मायूस होंगे।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन बीते दिन की अपेक्षा आपका स्वभाव एकदम विपरीत रहेगा आज आपके अंदर व्यवहारिकता अधिक रहेगी सार्वजिक क्षेत्र पर मीठी वाणी के बल पर वरिष्ठ लोगो से नए संबंध बनेंगे इसने भविष्य में कुछ न कुछ लाभ अवश्य होगा। पराक्रम शक्ति प्रबल रहने पर भी काम-धंधे से मध्यान तक दौड़धूप के बाद भी सकारात्मक परिणाम ना मिलने से मायूसी आएगी लेकिन संध्या के समय मेहनत का फल धन लाभ के रूप में मिलने से मन को राहत पहुचेगी। संध्या के समय भी व्यवसाय में गति रहेगी लेकिन खर्च बढ़ने से संचय नही कर पाएंगे। घर मे मातृ शक्ति की अधिक चलेगी काम निकालने के लिये खुशामद करनी पड़ेगी। भूमि वाहन सुख आज उत्तम रहेगा। व्यावसायिक चिंता को छोड़ सेहत ठीक ही रहेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन रुके कार्यो को पूर्ण करने में सहायता दिलाएगा। सफलता आज लगभग प्रत्येक कार्य मे निश्चित रहेगा लेकिन आपका ही मन सही कार्य को छोड़ अनर्गल विषयो में भटकने से कुछ न कुछ कमी रह जायेगी। विदेशी वस्तुओ अथवा जन्म स्थान से दूर व्यवसाय से आकस्मिक लाभ की संभावना है। धन की आमद आज एक से अधिक मार्ग से होगी आर्थिक स्थिति बेहतर बनेगी। सुख सुविधा जुटाने के लिये सोचना नही पड़ेगा। सहकर्मियो से किसी बात को लेकर अनबन होगींलेकिं आपकी आवश्यकता पड़ने पर सुलह भी जल्दी हो जायेगी। धर्म कर्म में आज रुचि कम ही रहेगी टाने टोटको में कुछ समय देंगे लेकिन निष्ठा यहां भी नही रहेगी। घर के सदस्य छोटी मोटी बातो को छोड़ प्रसन्न ही रहेंगे। संध्या का समय आनंद मनोरंजन में बीतेगा आकस्मिक दुर्घटना के योग है सावधान रहें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आप अपने काम से कम रखेंगे फालतू की बातों में समय खराब करन पसंद नही करेंगे। दिन के पूर्वार्ध में कार्य व्यवसाय संबंधित योजना बनाएंगे लेकिन इनको अमल में नही ला सकेंगे एक बार अव्यवस्था पनपने पर सुधार करने की जगह जैसे तैसे कार्य निकालने पर जोर देंगे। मध्यान तक बिक्री कम रहने से धन संबंधित समस्या रहेगी लेकिन इसके बाद कही से आर्थिक लाभ होने पर राहत मिलेगी परन्तु धन तुरंत कही ना कही खर्च हो जाएगा। पारिवारिक वातावरण धार्मिक रहेगा महिलाए आध्यात्म में डूबी रहेंगी व्रत उपवास के कारण सेहत भी शिथिल बनेगी। घर मे पूजा पाठ से वातावरण शांत बनेगा। लंबी यात्रा आज टाले चोरी अथवा अन्य कारणों से हानि हो सकती है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन से आपको ज्यादा लाभ की उम्मीद नही रहेगी। दिन के आरम्भ से ही मौसमी बीमारियों का प्रकोप कार्य करने का उत्साह खत्म करेगा। व्यवसाय में भी डर का वातावरण महत्तवपूर्ण निर्णय लेने से रोकेगा लेकिन आज आप मन की सुनने की अपेक्षा दिमाग का प्रयोग करें जहां हानि कि सम्भवना रहेगी वहां से आकस्मिक लाभ मिल सकता है। माता की भी सेहत खराब होने से दौड़धूप करनी पड़ेगी घर मे किसी न किसी की बीमारी पर खर्च बढ़ेगा। मध्यान से स्थिति में सुधार आने लगेगा बीमारी में थोड़ा सुधार आने पर व्यवसाय की चिंता सताएगी फिर भी ज्यादा भागदौड़ से बचे अन्यथा संध्या बाद तबियत फिर से खराब होने पर थोड़े बहुत कार्य भी नही कर पाएंगे। संतोषी वृति अपनाए सुखी रहेंगे।
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐🙏🏻 🚩🚩 *” ll जय श्री राम ll “*

*⚜️ आज का राशिफल ⚜️*
*दिनांक : 18 अप्रैल 2022*

🐐🐂💏💮🐅👩
〰️〰️〰️〰️〰️〰️
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपकी आशाओं पर खरा उतरेगा दिनचर्या भी आज व्यवस्थित रहने का फायदा मिलेगा। दिन के आरंभ में कार्य करने की गति थोड़ी धीमी रहेगी लेकिन मध्यान से धीरे धीरे गति आने लगेगी एक बार सफ़लता का स्वाद चखने के बाद अधिक निष्ठा से कार्यो में तल्लीन हो जाएंगे। धन की आमद रुक रुक कर पर एकसाथ कई मार्ग से होने पर उत्साहित रहेंगे। जोखिम आज बेजीझक ले सकते है लाभ ही होगा। मध्यान बाद आपका ध्यान कार्य क्षेत्र पर कम मनोरंजन पर अधिक रहेगा जल्दबाजी में कार्य करेंगे जिससे कुछ त्रुटि होने की संभावना है सतर्क होकर कार्य करें। पारिवारिक वातावरण लगभग शांत ही रहेगा किसी की जिद के आगे झुकना पड़ेगा। जोड़ो में तकलीफ हो सकती है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन आपके लिये वृद्धिकारक रहेगा आज आप जहां से लाभ हो संभावना लगाएंगे वहां से आशा से अधिक ही मिलेगा। कार्य व्यवसाय में उन्नति होगी कार्य क्षेत्र का वातावरण थोड़ा प्रतिस्पर्धात्मक रहेगा फिर भी आपके हिस्से का लाभ विपरीत परिस्थिति में भी आपके ही पास आएगा। व्यवसाय में निवेश करना पड़ेगा इसके परिणाम शीघ्र ही देखने को मिलेंगे कार्य क्षेत्र पर सहकर्मियो की कमी खलेगी फिर भी तालमेल बिठा लेंगे। घर मे वातावरण किसी की जिद के कारण उथल पुथल रहेगा टालने पर भी इसके पीछे अधिक खर्च करना पड़ेगा। सेहत आज लगभग सामान्य ही रहेगी संध्या बाद कमर दर्द आलस्य थकान अधिक महसूस करेंगे।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन व्यावसायिक एवं आर्थिक विषयों में बीते कल की तुलना में अधिक बेहतर रहेगा। आज दिन के आरंभ से ही मन मे पर्यटन मनोरंजन का भूत सवार रहेगा लेकिन कार्य व्यस्तता भी अन्य दिन की तुलना में अधिक रहेगी फिर भी संध्या बाद सब कार्य छोड़ मनोकामना पूर्ति के लिये समय निकाल ही लेंगे। व्यवसाय से आज कम मेहनत और समय मे आशाजनक लाभ मिल जाएगा अन्य कार्यो में भी सहज सफलता मिलने से उत्साही रहेंगे आर्थिक रूप से दृढ़ता आएगी भविष्य के लिये संचय कर सकेंगे। आज घर के सदस्यों को प्रसन्न करने में पसीने छूटेंगे खर्च करने के बाद भी कोई न कोई नुक्स अवश्य निकालेंगे। सेहत में कुछ नरमी रहने पर भी दिनचर्या प्रभावित नही होने देंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन भी आपको घरेलू एवं सामाजिक क्षेत्र पर प्रतिकूल फल मिलने वाले है। दिन के आरंभ से ही आपका स्वभाव अत्यंत रूखा रहेगा लोगो की कमियां खोज खोज कर लड़ने के लिये तैयार रहेंगे घर के सदस्य भी पुरानी गलतियां गिना कर माहौल को अधिक अशांत बनाएंगे। मध्यान बाद स्थिति में थोड़ा सुधार आएगा कार्य क्षेत्र पर आकस्मिक धन लाभ होने से मन की कड़वाहट कम होगी लेकिन धन संबंधित विषयों को लेकर किसी न किसी से कलह भी हो सकती है। संध्या का समय व्यवसाय में वृद्धि करेगा लेकिन धन लाभ होने की जगह आश्वासन ही मिलेंगे। घर में भी वातावरण पहले से शांत बनेगा पर पूरी तरह शांत होने में समय लग सकता है। अनैतिक कार्यो से दूर रहे शारीरिक हानि के साथ मान भंग होने की संभावना है। मानसिक अशांति अन्य विकारों को जन्म देगी शान्त रहने का प्रयास करें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन भी आपकी आशा के अनुकूल रहेगा लेकिन आज आप लाभ पाने के लिये गलत हथकंडे अपनाएंगे जिससे सामाजिक क्षेत्र पर आलोचना हो सकती है। पुराने कार्य से धन की आमद निश्चित रहेगी फिर भी ज्यादा पाने की लालसा में चैन से ना खुद बैठेंगे ना ही कार्य क्षेत्र पर अन्य सहयोगियों को बैठने देंगे। सहकर्मी मन ही मन आपको बुराभला कहेंगे पर आर्थिक रूप से मदद मिलने पर व्यवहार बदल जायेगा। व्यवसाय में नए प्रतिद्वन्दी उभरेंगे लेकिन आज आपका चाहकर भी अहित नही कर पाएंगे। भागीदारी के कार्यो में निवेश से बचें। घर मे किसी के ऊपर नाजायज दबाव डालने से कलह हो सकती है। नेत्र, हड्डी, मूत्र संबंधित समस्या होने की संभावना है।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपको घर और कारोबार में तालमेल बैठाने में परेशानी आएगी। दिमाग मे व्यवसाय सम्बंधित उलझने दिन के आरंभ से ही लगी रहेंगी उपर से घरेलू कार्य का बोझ आने से दुविधा में रहेंगे घर के बुजुर्गों का सहयोग भी कम रहने से स्वयं को ही अधिकांश कार्य निपटाने पड़ेंगे। दोपहर बाद भागदौड़ से निजात मिलेगी लेकिन व्यावसायिक कारणों से व्यस्तता बढ़ेगी कार्य क्षेत्र का माहौल अकस्मात बदलने से थोड़ी असहजता होगी फिर भी सहयोगियों की मदद से इससे पर पा लेंगे धन की आमद टलते टलते संध्या के समय अचानक होगी। घर मे आज किसी के नाराज होने से वातावरण कुछ समय के लिये उदासीन बनेगा बात मानने पर सामान्य हो जाएगा संचित धन में कमी आएगी सेहत में भी कुछ न कुछ विकार रहेगा पर कार्य रुकने नही देंगे।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन भी आप अपने मन की ही सुनेंगे और करेंगे। व्यवहारिकता रहेगी फिर भी अपने मे ही मगन रहेंगे किसी का कार्यो में दखल देना आपको भायेगा नही। कार्य व्यवसाय में आज बुद्धि और धन दोनो लगाने पर ही लाभ कमाया जा सकता है। सहकर्मी आपके अड़ियल व्यवहार से परेशान रहेंगे कहासुनी भी हो सकती है फिर भी आज संध्या के समय धन की प्राप्ति किसी पुराने साधन के द्वारा हो ही जाएगी। मन मे लंबी यात्रा के विचार बनेंगे लेकिन आज करना केवल खर्च बढ़ाना मात्र रहेगा इससे लाभ की आशा ना रखें। घर का वातावरण भी आज ढुलमुल रहेगा वादा पूरा करने में आनाकानी करेंगे जिससे परिजनों के मन मे कड़वाहट आएगी। सेहत आज सामान्य रहेगी फिर भी लोहे के उपकरणों से सावधान रहें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आशा के विपरीत रहेगा मौसम में बदलाव के कारण सेहत में दिन के शुरुआत से ही गिरावट आने लगेगी फिर भी व्यस्तता के कारण जबरदस्ती कार्य करेंगे जिससे दोपहर के समय अत्यधिक थकान बनेगी हाथ पैरों में शिथिलता आने से किसी भी कार्य को करने का मन नही करेगा। आज अधिकांश कार्यो में किसी अन्य के ऊपर आश्रित रहना पड़ेगा जिसे भी अपने कार्य सौपेंगे वह निष्ठा से नही करेगा सहकर्मी एवं नौकरों की गतिविधि पर शक भी होगा क्रोध आएगा लेकिन मजबूरी में प्रदर्शन नही करेंगे। घरेलू वातावरण किसी न किसी के रोगग्रस्त रहने से अस्त व्यस्त रहेगा। व्यर्थ के खर्च बढ़ेंगे यात्रा की योजना टलने से मित्र परिजन मायूस होंगे।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन बीते दिन की अपेक्षा आपका स्वभाव एकदम विपरीत रहेगा आज आपके अंदर व्यवहारिकता अधिक रहेगी सार्वजिक क्षेत्र पर मीठी वाणी के बल पर वरिष्ठ लोगो से नए संबंध बनेंगे इसने भविष्य में कुछ न कुछ लाभ अवश्य होगा। पराक्रम शक्ति प्रबल रहने पर भी काम-धंधे से मध्यान तक दौड़धूप के बाद भी सकारात्मक परिणाम ना मिलने से मायूसी आएगी लेकिन संध्या के समय मेहनत का फल धन लाभ के रूप में मिलने से मन को राहत पहुचेगी। संध्या के समय भी व्यवसाय में गति रहेगी लेकिन खर्च बढ़ने से संचय नही कर पाएंगे। घर मे मातृ शक्ति की अधिक चलेगी काम निकालने के लिये खुशामद करनी पड़ेगी। भूमि वाहन सुख आज उत्तम रहेगा। व्यावसायिक चिंता को छोड़ सेहत ठीक ही रहेगी।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन रुके कार्यो को पूर्ण करने में सहायता दिलाएगा। सफलता आज लगभग प्रत्येक कार्य मे निश्चित रहेगा लेकिन आपका ही मन सही कार्य को छोड़ अनर्गल विषयो में भटकने से कुछ न कुछ कमी रह जायेगी। विदेशी वस्तुओ अथवा जन्म स्थान से दूर व्यवसाय से आकस्मिक लाभ की संभावना है। धन की आमद आज एक से अधिक मार्ग से होगी आर्थिक स्थिति बेहतर बनेगी। सुख सुविधा जुटाने के लिये सोचना नही पड़ेगा। सहकर्मियो से किसी बात को लेकर अनबन होगींलेकिं आपकी आवश्यकता पड़ने पर सुलह भी जल्दी हो जायेगी। धर्म कर्म में आज रुचि कम ही रहेगी टाने टोटको में कुछ समय देंगे लेकिन निष्ठा यहां भी नही रहेगी। घर के सदस्य छोटी मोटी बातो को छोड़ प्रसन्न ही रहेंगे। संध्या का समय आनंद मनोरंजन में बीतेगा आकस्मिक दुर्घटना के योग है सावधान रहें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आप अपने काम से कम रखेंगे फालतू की बातों में समय खराब करन पसंद नही करेंगे। दिन के पूर्वार्ध में कार्य व्यवसाय संबंधित योजना बनाएंगे लेकिन इनको अमल में नही ला सकेंगे एक बार अव्यवस्था पनपने पर सुधार करने की जगह जैसे तैसे कार्य निकालने पर जोर देंगे। मध्यान तक बिक्री कम रहने से धन संबंधित समस्या रहेगी लेकिन इसके बाद कही से आर्थिक लाभ होने पर राहत मिलेगी परन्तु धन तुरंत कही ना कही खर्च हो जाएगा। पारिवारिक वातावरण धार्मिक रहेगा महिलाए आध्यात्म में डूबी रहेंगी व्रत उपवास के कारण सेहत भी शिथिल बनेगी। घर मे पूजा पाठ से वातावरण शांत बनेगा। लंबी यात्रा आज टाले चोरी अथवा अन्य कारणों से हानि हो सकती है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन से आपको ज्यादा लाभ की उम्मीद नही रहेगी। दिन के आरम्भ से ही मौसमी बीमारियों का प्रकोप कार्य करने का उत्साह खत्म करेगा। व्यवसाय में भी डर का वातावरण महत्तवपूर्ण निर्णय लेने से रोकेगा लेकिन आज आप मन की सुनने की अपेक्षा दिमाग का प्रयोग करें जहां हानि कि सम्भवना रहेगी वहां से आकस्मिक लाभ मिल सकता है। माता की भी सेहत खराब होने से दौड़धूप करनी पड़ेगी घर मे किसी न किसी की बीमारी पर खर्च बढ़ेगा। मध्यान से स्थिति में सुधार आने लगेगा बीमारी में थोड़ा सुधार आने पर व्यवसाय की चिंता सताएगी फिर भी ज्यादा भागदौड़ से बचे अन्यथा संध्या बाद तबियत फिर से खराब होने पर थोड़े बहुत कार्य भी नही कर पाएंगे। संतोषी वृति अपनाए सुखी रहेंगे।
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️

राम रावण युद्ध में वानर

राम रावण युद्ध में वानर –
रामचरितमानस में सेतु बनने पर रावण ने कहा था-
बान्ध्यो वननिधि नीरनिधि जलधि पयोधि नदीश।
सत्य तोयनिधि कंपति उदधि सिन्धु वारीश।
वननिधि = समुद्र, इसमें विचरण करने वाला वानर।
आज भी पत्तन को बन्दर कहते हैं। ईरान का बन्दर अब्बास, भारत के पश्चिम तट पर पोरबन्दर, बोरीबन्दर।
स्वयं हनुमान के नाम पर पूर्वोत्तर इण्डोनेसिया के बोर्नियो की राजधानी है बन्दर श्री भगवान या वेगवान। वाल्मीकि रामायण में हनुमान को प्रायः ५० बार वेगवान कहा गया है।
प्लवङ्ग शब्द का प्रयोग भी कई बार है, विशेष कर किष्किन्धा काण्ड अध्याय ४० में यवद्वीप सहित सप्तद्वीप में सीता को खोजने के प्रसंग में। प्लव का अर्थ नौका भी है जैसा मुण्डकोपनिषद् (१/२/७) में १८ प्रकार के यज्ञों के विषय में कहा है-
प्लवाः ह्येते अदृढा यज्ञ रूपाः—।
समुद्र में नौका से जाने वाले भी प्लवङ्ग हैं।
रावण का राज्य कई द्वीपों पर था, इण्डोनेशिया (सप्तद्वीप), सुवर्ण द्वीप (आस्ट्रेलिया), अफ्रीका में माली से सुमालिया तक। लंका उसकी केवल राजधानी थी। १८ क्षेत्रों में युद्ध हुआ था, जिनको १८ पद्म कहा गया है। इनके १८ सेनापतियों का वर्णन वाल्मीकि रामायण के २ अध्यायों में है जिसका रामचरितमानस में निर्देश है-
पदुम अठारह यूथप बन्दर।
यहां पद्म का अर्थ संख्या नहीं समुद्र के द्वीप या युद्ध क्षेत्र हैं। पद्म के फूल जल के ऊपर तैरते हैं। इन क्षेत्रों में युद्ध के लिए वानर या प्लवंग के विशाल संगठन की आवश्यकता थी।

कुछ पत्तन नगर
प्रकृतिक स्थिति के कारण पश्चिम तट पर मुम्बई तथा मंगलोर मुख्य पत्तन रहे हैं। भारत का समुद्र व्यापार सुरक्षा के अभाव में अरब तथा यूरोप के लुटेरों द्वारा बन्द हो गया तथा केवल मछुआरों का स्थान रह गया।
जहाज रुकने के तीन नाम प्रचलित हैं-
बन्दर – वन-निधि = समुद्र। उसमें यात्रा करने वाला वानर। ईरान के बन्दर अब्बास से भारत का पोरबन्दर, बोरी-बन्दर (दोनों का मूल एक ही है-पुर वानर), बोर्नियो की राजधानी बन्दर श्री भगवान (या वेगवान जो रामायण सुन्दर काण्ड में हनुमान के लिए कहा गया है)।
पत्तन या पाटन, पटना- जहां जहाज के लंगर का पतन होता है। समुद्र तथा नदी दोनों के पत्तन हैं। ओड़िशा में २० से अधिक पटना हैं। एक पटना बिहार की राजधानी है। पत्तन भाग पटना था, सरकारी आवास भाग पाटलिपुत्र था (पटल = भाग, sector), गंगा के उत्तर तट का प्रकाश स्तम्भ प्रकाश-पत्तन था (मुञ्जाल के लघुमानस अनुसार स्थिति), विद्यालय भाग पुष्पपुर (फुलवारीशरीफ) तथा खगोल वेधशाला का स्थान खगोल था। गुजरात में सोमनाथ के पास प्रभास-पत्तन या पाटण है।
जंगम = चलने वाला। जहां व्यापार के लिए जहाज द्वारा बहुत आवागमन होता है वह विजंगम है। विशाखापट्टनम भी पत्तन है, यहां दो नदी शाखा दोनों तरफ हैं-वंशधारा, नागावली। अतः द्विशाखा या विशाखा हुआ। अन्य नाम विजंगम है (विजगापत्तन)। एक विजंगम केरल में है।
कलम्ब (कोलम, कोलम्बो, कोलाबा)-ज्योतिष की गोलीय त्रिकोणमिति (Spherical Trigonometry) में सर्वोच्च विन्दु या ध्रुव को कदम्ब तथा निम्न ध्रुव को कलम्ब कहते हैं। जहाज का लंगर भी कलम्ब (Column) की तरह नीचे जाता है, अतः वह भी कलम्ब है। जहाज चलाने वाले कलंज हैं जिनका देश कलिंग हुआ। इनके राजा कदम्ब हुए। कदम्ब वंश का शासन ओड़िशा तथा मंगलोर तट पर था। केरल की वर्ष गणना कलम्ब या कोल्लम है।
छिछले समुद्र में काठ की नौका को उडुप कहते थे। उडुप के प्रयोग का स्थान उडुपी (पश्चिम कर्णाटक), उड्र (उत्तर ओड़िशा) हैं। अंग्रेजी का wood या woods इसी से हुआ है।
नाग की तरह समुद्र या स्थल मार्ग द्वारा पृथ्वी पर यात्रा तथा व्यापार करने वाले नाग थे। अफ्रीका का सबसे बड़ा नाग मम्बा (जुलू भाषा में इमम्बा) है। अतः उससे सम्बन्धित पश्चिम भारत तथा पूर्व अफ्रीका के प्राकृतिक बन्दर हैं-मुम्बई, मोम्बासा।
भारत के चारों तरफ अन्य कई स्थान भारतीय स्थानों के अनुकरण हैं। आजकल अमेरिका में भी विश्व के सभी प्रसिद्ध नगरों के नाम पर स्थान नाम रखे गये हैं।
केरल मलय क्षेत्र है तथा राजधानी के पास का समुद्र तट कोवलम है। पूर्व के मलय देश की राजधानी भी कोवलम-पुर है।
पूर्व भारत का नदी पत्तन चम्पा (भागलपुर, नागों की भोगवती नगरी) था। दक्षिण पूर्व एशिया का वियतनाम तथा निकट के भाग भी चम्पा थे।
पूर्व तट पर अनाम पत्तन (आन्ध्र प्रदेश का अंग्रेजीकृत नाम येनाम) है। इसके जैसा वियतनाम है। अनाम = बिना नाम का, वियत् = शून्य या आकाश।
विषुव के निकट भारत का दक्षिण विन्दु कन्या कुमारी है। अफ्रीका के विषुव क्षेत्र का देश भी केन्या है।
कन्याकुमारी देवी का अंग्रेजी अनुवाद virgin Mary है, कन्या = virgin, (कु) मारी = Mary।
विषुव पर शून्य देशान्तर स्थान लंका था (लंका द्वीप से मालद्वीप तक भाग में)। इसके अनुकरण पर विश्व मे १५ लंका हैं जो नक्शा बनाने के स्थानीय सन्दर्भ या वेधशाला स्थान थे। इंग्लैंड का लंकाशायर में स्टोनहेंज वेधशाला थी जो उज्जैन से ठीक ७८ अंश या १३ दण्ड पश्चिम था। काशी में भी वेधशाला स्थान लंका है। उसके पास सिगरा भी है जो लंका में रावण के भवन का नाम था।
मंग का अर्थ जहाज का अगला भाग जहां से उसका दिशा निर्देश होता है (सिर का आगे का भाग मंग या मांग)। वहां से संचालन करने वाले की उपाधि ओड़िशा में मंगराज है। कर्णाटक में मंगलोर या मंगलूर पत्तन है। उसके पूर्व बंग-लूर है। पूर्व भारत का भी नदी पत्तन मुंगेर (मुद्गगिरि) तथा उसके पूर्व में बंग है।

दक्षिण भारत के पूर्व पश्चिम समुद्र पार के क्षेत्र भारत से सम्बन्धित थे तथा एक तरह के नाम थे। तमिलनाडु में तंजाउर है, यहां तंज का अर्थ पानी तथा उर का अर्थ नगर है। इसी प्रकार तांजानिया का अर्थ है, समुद्र तट का क्षेत्र। उस तट से उत्तर मोम्बासा बन्दरगाह है, जो भारत के मुम्बई का प्रतिरूप है। भूगोल में ध्रुव के मेरु को सुमेरु (उत्तर ध्रुव) तथा कुमेरु (दक्षिण ध्रुव) कहते थे। उनके बीच भूमध्य रेखा या विषुव वृत्त पर मध्य मेरु था जो केन्या में है। उस जिला का नाम भी मेरु है। पर पर्वत का नाम अंग्रेजों ने बदल कर किलिमंजारो कर दिया। इसकी सबसे ऊंची चोटी तंजानिया में है, जिसे अभी भी मेरु ही कहते हैं वहां मेरु नाम की एक जाति भी है। मध्य मेरु स्थल भाग का केन्द्र है। भूमि माता है, अतः उसका मूल रूप कन्या (केन्या) इस क्षेत्र का नाम हुआ। भारत में भी विषुव के निकटतम स्थान को कन्याकुमारी कहते हैं।
✍🏻अरुण उपाध्याय जी के पोस्टों से संग्रहीत

रामचरितमानस में सेतु बनने पर रावण ने कहा था-

बान्ध्यो वननिधि नीरनिधि जलधि पयोधि नदीश।

सत्य तोयनिधि कंपति उदधि सिन्धु वारीश।

वननिधि = समुद्र, इसमें विचरण करने वाला वानर।

आज भी पत्तन को बन्दर कहते हैं। ईरान का बन्दर अब्बास, भारत के पश्चिम तट पर पोरबन्दर, बोरीबन्दर।

स्वयं हनुमान के नाम पर पूर्वोत्तर इण्डोनेसिया के बोर्नियो की राजधानी है बन्दर श्री भगवान या वेगवान। वाल्मीकि रामायण में हनुमान को प्रायः ५० बार वेगवान कहा गया है।

प्लवङ्ग शब्द का प्रयोग भी कई बार है, विशेष कर किष्किन्धा काण्ड अध्याय ४० में यवद्वीप सहित सप्तद्वीप में सीता को खोजने के प्रसंग में। प्लव का अर्थ नौका भी है जैसा मुण्डकोपनिषद् (१/२/७) में १८ प्रकार के यज्ञों के विषय में कहा है-

प्लवाः ह्येते अदृढा यज्ञ रूपाः—।

समुद्र में नौका से जाने वाले भी प्लवङ्ग हैं।

रावण का राज्य कई द्वीपों पर था, इण्डोनेशिया (सप्तद्वीप), सुवर्ण द्वीप (आस्ट्रेलिया), अफ्रीका में माली से सुमालिया तक। लंका उसकी केवल राजधानी थी। १८ क्षेत्रों में युद्ध हुआ था, जिनको १८ पद्म कहा गया है। इनके १८ सेनापतियों का वर्णन वाल्मीकि रामायण के २ अध्यायों में है जिसका रामचरितमानस में निर्देश है-

पदुम अठारह यूथप बन्दर।

यहां पद्म का अर्थ संख्या नहीं समुद्र के द्वीप या युद्ध क्षेत्र हैं। पद्म के फूल जल के ऊपर तैरते हैं। इन क्षेत्रों में युद्ध के लिए वानर या प्लवंग के विशाल संगठन की आवश्यकता थी।

 

कुछ पत्तन नगर

प्रकृतिक स्थिति के कारण पश्चिम तट पर मुम्बई तथा मंगलोर मुख्य पत्तन रहे हैं। भारत का समुद्र व्यापार सुरक्षा के अभाव में अरब तथा यूरोप के लुटेरों द्वारा बन्द हो गया तथा केवल मछुआरों का स्थान रह गया।

जहाज रुकने के तीन नाम प्रचलित हैं-

बन्दर – वन-निधि = समुद्र। उसमें यात्रा करने वाला वानर। ईरान के बन्दर अब्बास से भारत का पोरबन्दर, बोरी-बन्दर (दोनों का मूल एक ही है-पुर वानर), बोर्नियो की राजधानी बन्दर श्री भगवान (या वेगवान जो रामायण सुन्दर काण्ड में हनुमान के लिए कहा गया है)।

पत्तन या पाटन, पटना- जहां जहाज के लंगर का पतन होता है। समुद्र तथा नदी दोनों के पत्तन हैं। ओड़िशा में २० से अधिक पटना हैं। एक पटना बिहार की राजधानी है। पत्तन भाग पटना था, सरकारी आवास भाग पाटलिपुत्र था (पटल = भाग, sector), गंगा के उत्तर तट का प्रकाश स्तम्भ प्रकाश-पत्तन था (मुञ्जाल के लघुमानस अनुसार स्थिति), विद्यालय भाग पुष्पपुर (फुलवारीशरीफ) तथा खगोल वेधशाला का स्थान खगोल था। गुजरात में सोमनाथ के पास प्रभास-पत्तन या पाटण है।

जंगम = चलने वाला। जहां व्यापार के लिए जहाज द्वारा बहुत आवागमन होता है वह विजंगम है। विशाखापट्टनम भी पत्तन है, यहां दो नदी शाखा दोनों तरफ हैं-वंशधारा, नागावली। अतः द्विशाखा या विशाखा हुआ। अन्य नाम विजंगम है (विजगापत्तन)। एक विजंगम केरल में है।

कलम्ब (कोलम, कोलम्बो, कोलाबा)-ज्योतिष की गोलीय त्रिकोणमिति (Spherical Trigonometry) में सर्वोच्च विन्दु या ध्रुव को कदम्ब तथा निम्न ध्रुव को कलम्ब कहते हैं। जहाज का लंगर भी कलम्ब (Column) की तरह नीचे जाता है, अतः वह भी कलम्ब है। जहाज चलाने वाले कलंज हैं जिनका देश कलिंग हुआ। इनके राजा कदम्ब हुए। कदम्ब वंश का शासन ओड़िशा तथा मंगलोर तट पर था। केरल की वर्ष गणना कलम्ब या कोल्लम है।

छिछले समुद्र में काठ की नौका को उडुप कहते थे। उडुप के प्रयोग का स्थान उडुपी (पश्चिम कर्णाटक), उड्र (उत्तर ओड़िशा) हैं। अंग्रेजी का wood या woods इसी से हुआ है।

नाग की तरह समुद्र या स्थल मार्ग द्वारा पृथ्वी पर यात्रा तथा व्यापार करने वाले नाग थे। अफ्रीका का सबसे बड़ा नाग मम्बा (जुलू भाषा में इमम्बा) है। अतः उससे सम्बन्धित पश्चिम भारत तथा पूर्व अफ्रीका के प्राकृतिक बन्दर हैं-मुम्बई, मोम्बासा।

भारत के चारों तरफ अन्य कई स्थान भारतीय स्थानों के अनुकरण हैं। आजकल अमेरिका में भी विश्व के सभी प्रसिद्ध नगरों के नाम पर स्थान नाम रखे गये हैं।

केरल मलय क्षेत्र है तथा राजधानी के पास का समुद्र तट कोवलम है। पूर्व के मलय देश की राजधानी भी कोवलम-पुर है।

पूर्व भारत का नदी पत्तन चम्पा (भागलपुर, नागों की भोगवती नगरी) था। दक्षिण पूर्व एशिया का वियतनाम तथा निकट के भाग भी चम्पा थे।

पूर्व तट पर अनाम पत्तन (आन्ध्र प्रदेश का अंग्रेजीकृत नाम येनाम) है। इसके जैसा वियतनाम है। अनाम = बिना नाम का, वियत् = शून्य या आकाश।

विषुव के निकट भारत का दक्षिण विन्दु कन्या कुमारी है। अफ्रीका के विषुव क्षेत्र का देश भी केन्या है।

कन्याकुमारी देवी का अंग्रेजी अनुवाद virgin Mary है, कन्या = virgin, (कु) मारी = Mary।

विषुव पर शून्य देशान्तर स्थान लंका था (लंका द्वीप से मालद्वीप तक भाग में)। इसके अनुकरण पर विश्व मे १५ लंका हैं जो नक्शा बनाने के स्थानीय सन्दर्भ या वेधशाला स्थान थे। इंग्लैंड का लंकाशायर में स्टोनहेंज वेधशाला थी जो उज्जैन से ठीक ७८ अंश या १३ दण्ड पश्चिम था। काशी में भी वेधशाला स्थान लंका है। उसके पास सिगरा भी है जो लंका में रावण के भवन का नाम था।

मंग का अर्थ जहाज का अगला भाग जहां से उसका दिशा निर्देश होता है (सिर का आगे का भाग मंग या मांग)। वहां से संचालन करने वाले की उपाधि ओड़िशा में मंगराज है। कर्णाटक में मंगलोर या मंगलूर पत्तन है। उसके पूर्व बंग-लूर है। पूर्व भारत का भी नदी पत्तन मुंगेर (मुद्गगिरि) तथा उसके पूर्व में बंग है।

 

दक्षिण भारत के पूर्व पश्चिम समुद्र पार के क्षेत्र भारत से सम्बन्धित थे तथा एक तरह के नाम थे। तमिलनाडु में तंजाउर है, यहां तंज का अर्थ पानी तथा उर का अर्थ नगर है। इसी प्रकार तांजानिया का अर्थ है, समुद्र तट का क्षेत्र। उस तट से उत्तर मोम्बासा बन्दरगाह है, जो भारत के मुम्बई का प्रतिरूप है। भूगोल में ध्रुव के मेरु को सुमेरु (उत्तर ध्रुव) तथा कुमेरु (दक्षिण ध्रुव) कहते थे। उनके बीच भूमध्य रेखा या विषुव वृत्त पर मध्य मेरु था जो केन्या में है। उस जिला का नाम भी मेरु है। पर पर्वत का नाम अंग्रेजों ने बदल कर किलिमंजारो कर दिया। इसकी सबसे ऊंची चोटी तंजानिया में है, जिसे अभी भी मेरु ही कहते हैं वहां मेरु नाम की एक जाति भी है। मध्य मेरु स्थल भाग का केन्द्र है। भूमि माता है, अतः उसका मूल रूप कन्या (केन्या) इस क्षेत्र का नाम हुआ। भारत में भी विषुव के निकटतम स्थान को कन्याकुमारी कहते हैं।

✍🏻अरुण उपाध्याय जी के पोस्टों से संग्रहीत