आज का पंचाग आपका राशि फल, आत्मविश्वास और संस्कार वह पूंजी है जो व्यय करने से बढती है, नर पिशाच और बुद्धि पिशाच केवल समाज को नहीं संसार को भी लील रहे!

🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७९ || शक-सम्वत् १९४४ || सौम्यायन् || नल नाम संवत्सर || वसन्त ऋतु || वैशाख कृष्णपक्ष || तिथि तृतीया अपराह्न ४:३९ तक उपरान्त चतुर्थी || कुजवासर || वैसाख सौर ६ प्रविष्ठ || तदनुसार १९ अप्रैल २०२२ ई० || नक्षत्र अनुराधा (मित्र) || वृश्चिकस्थ चन्द्रमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐राधे-राधे ॥आज का भगवद् चिंतन॥

           19 -04-2022

            *” आत्मविश्वास “* 

 

🕉️जीवन में खुश रहने का एक सीधा सा मंत्र है और वो ये कि आपका आत्मविश्वास स्वयं पर होना चाहिए किसी और से नहीं। परीक्षा फल से वही बच्चा घबराता है जो स्वयं से नहीं अपितु निरीक्षक से उम्मीद लगाए रहता है । 

 

🕉️स्वयं के तीरों पर भरोसा रखने वाला कौन्तेय युद्ध भूमि में अकेला पड़ने के बावजूद भी सफल हो जाता है और दूसरों से उम्मीद रखने वाला दुर्योधन पितामह, द्रोण, कर्ण, कृपाचार्य जैसे अनगिनत योद्धाओं के साथ रहते हुए भी युद्ध भूमि में बुरी तरह असफल हो जाता है।

 

🕉️सूर्य स्वयं के प्रकाश से चमकता है और चन्द्रमा को चमकने के लिए सूर्य के प्रकाश पर निर्भर रहना होता है। दूसरे के प्रकाश से प्रकाशित होने की उम्मीद रखने के कारण ही चन्द्रमा की चमक एक जैसी नहीं रहती । 

 

 🕉️इसलिए जीवन में सदा खुश रहना है तो दूसरों से किसी भी प्रकार की उम्मीद छोड़कर स्वयं ही उद्यम अथवा पुरुषार्थ में लगना होगा ताकि संपूर्ण जीवन प्रसन्नता से जिया जा सके।

 

🇮🇳🌹🙏🏻 *🕉️जय श्री चामुण्डा मां*🙏🏻🌹🇮🇳

हमने किताब पूरी पढ़ ली है, नहीं, बुद्धिपिशाच स्टाइल में सिर्फ समरी (summary) नहीं, पूरी किताब। अब तो जबरन ज्ञान बाँट कर खुद को ज्यादा पढ़ा-लिखा घोषित करना मेरा कर्तव्य होता है। लेकिन ऐसी किताबों के साथ एक समस्या ये होती है कि ये अंग्रेजी में आती हैं। जी हाँ, हिंदी जगत के बुद्धिपिशाचों ने कभी कुछ भी काम की चीज़ हिंदी में लिखने की कोशिश नहीं की। जिन लेखकों ने ऐसा प्रयास किया उन्हें गिरोह में शामिल ना होने के कारण प्रचार देने से इनकार, बोलें तो बहिष्कृत कर दिया गया। इसलिए आज उनकी किताबें, कुछ तो छपी ही नहीं, इसलिए नहीं है, कुछ आउट ऑफ़ प्रिंट होने के बाद दोबारा आई ही नहीं, कुछ छपकर गोदामों में ही रह गई होंगी।

यहाँ एक अच्छी चीज़ ये है कि अच्छी किताबों के उदाहरण, उन्हें समझने का तरीका रोजमर्रा का जीवन का तरीका होता है। वो राकेट साइंस जैसी कोई भारी चीज़ नहीं होती। जैसे थोड़ा सा पीछे करीब दो दशक या पंद्रह साल पीछे जाइए और टमाटर याद कीजिये। थोड़े साल पहले टमाटर हर वक्त नहीं मिलता था। टमाटर और गोभी जैसी चीज़ें सिर्फ जाड़े के मौसम में मिलती थी और लोग कीमतों के कम होने का इंतजार करते थे। हम लोगों को बाजार से लौटने पर पूछा जाता था कि आज टमाटर क्या भाव था, गोभी कैसे मिल रही थी। जब ये फल-सब्जी सस्ती होती तब खरीदा जाता। आम तौर पर टमाटर की चटनी बन जाती और वो कई दिन इस्तेमाल होता था।

ये फ़ूड प्रोसेसिंग का साधारण सा तरीका था, परंपरागत जिसे लोग टमाटर के साल भर मिलने पर भूलने लगे। अब टमाटर के मनमोहन, कर्णाटक, रुपाली, राम्या जैसे जो बीज आते हैं उनके साथ ही घरों के परंपरागत खाद्य प्रसंस्करण के तरीके बंद हो गए। लाइसेंस परमिट राज में उतने कोल्ड स्टोरेज भी नहीं बने और खाद्य प्रसंस्करण में उत्पाद की कीमतें भी बढ़ती हैं ये भी किसी ने सिखाने की मेहनत नहीं की।

ऐसी बेवकूफी क्यों होती है, इसे समझाने के लिए अपनी अर्थशास्त्र पर लिखी किताब इकोनॉमिक्स इन वन लेसन (Economics in One Lesson – Henry Hazlitt) में हेनरी एक उदाहरण देते हैं। मान लीजिये किसी दुकान के शो-केस का शीशा कोई तोड़कर भाग गया। अब जब आप टूटे हुए शीशे को देखते हैं तो आप “समाजवादी” नजरिये से सोच सकते हैं। आप कहेंगे कि इस शीशे को दोबारा लगाने के लिए एक मजदूर को काम मिलेगा, एक दुकान से कांच बिकेगा। इस तरह से दुकान से पैसा एक मजदूर के पास, एक दूसरी दुकान में जाएगा, अर्थव्यवस्था में पैसे आयेंगे और “समाजवादी” सोच के मुताबिक इस तोड़-फोड़ से फायदा हुआ है।

जबकि असल में क्या होता है ? अर्थशास्त्र की मामूली समझ रखने वाला व्यापारी कभी भी अपनी बचत में से पैसे निकाल कर कांच ठीक नहीं करवाएगा। वो अपने एक खर्चे में से कटौती कर के कांच लगवाएगा। हो सकता है उसने एक सूट, कोई नयी जीन्स लेने के लिए पैसे अलग किये हों, अब वो उस खर्चे को कांच बदलने में इस्तेमाल करेगा। अगर व्यापारी एक कपड़ा लेता तो भी वो पैसे वापिस किसी दुकान के जरिये अर्थव्यवस्था में जाते। कपड़े को सिलने के लिए किसी कामगार को रोजगार भी मिलता। ऊपर से ये उत्पादक तरीका होता, इसके लिए कोई नुकसान नहीं करना पड़ा। लेकिन कपड़ा तो व्यापारी ने ख़रीदा ही नहीं, वो पैसे कांच में लग गए, इसलिए आप सूट देख ही नहीं पाए। चूँकि आपने सूट देखा नहीं इसलिए उसकी कीमत भी नहीं जोड़ रहे।

बिलकुल वैसे ही जैसे टमाटर की प्यूरी, या आलू के चिप्स, या मकई का कॉर्नफ़्लेक्स बनाना आपने सिखाया ही नहीं। वो कभी बना ही नहीं, उसकी ज्यादा कीमत से किसान को कोई फायदा नहीं हुआ, इसलिए “समाजवादी” अर्थशास्त्र उसे कभी जोड़ता ही नहीं। वो किसान को खाद्य प्रसंस्करण सिखाने में होने वाले खर्चे को फ़ालतू मेहनत और खर्च ही समझता है। लम्बे समय में एक तोड़कर एक बनाना मतलब -1 और +1 मिलकर जीरो (0) ही रह जाता है। बिलकुल यही भारत की “समाजवादी” व्यवस्था में भी दिखेगा। बरात के आने से महीने भर पहले से गावों में भी पता होता है कि कितने लोगों के लिए थाली, कितने लोगों के रात भर रुकने का इंतजाम करना है। आश्चर्यजनक रूप से हरित क्रांति के दौर में उपज बढ़ाने के नुस्खों में वो उपज खपेगी कहाँ ये नहीं दिखता।

लम्बी पंचवर्षीय योजनायें हैं, लेकिन उसमें किसान की उपज की कीमत उसे निश्चित समय सीमा में मिले, वो अपनी उपज अभी ना बेचना चाहे तो उसके पास स्टोर करने की सुविधा हो, खाद्य प्रसंस्करण सीखने के लिए किसान के आस पास जिला स्तर पर सीखने की जगह, शिक्षक हों इसकी कोशिश भी नहीं की गई है। जो आज के किसान आन्दोलन दिख रहे हैं वो कोई अभी की बीमारी नहीं है। ये बरसों के “समाजवादी” कोढ़ में खाज हो जाने की समस्या है। एक बार मुआवजा दे देना भी बिलकुल वैसा ही है जैसे डायबीटीज वाले मरीज़ के जिद मचाने पर उसे गुलाबजामुन थमा दिए जाएँ। बो दिया, उगाया, काट लिया, काम ख़त्म वाली जो किसान की मानसिकता है उसे बदलना होगा। पुरानी जातीय व्यवस्था में जो असेंबली लाइन प्रोडक्शन जैसा प्रबंधन था, उसका विकल्प फिर से खड़ा करना होगा।

जबतक व्यवस्था वापिस असेंबली लाइन वाली नहीं होगी, किसान को बेसिक अर्थशास्त्र नहीं सिखायेंगे, कोई ना कोई राजनीतिज्ञ बेरोजगारों को किसान आन्दोलन के नाम पर बहका के गोली मरवाता रहेगा। एक करोड़ का मुआवजा आप अपने टैक्स से दीजिये, गरीब के मारे जाने पर भावना बेन भी आहत कीजिये। हाँ, शहर में कोल्ड स्टोरेज बहुत से नहीं होते, थोड़े ही समय बाद वहां ट्रेक्टर पर आलू लादे किसान मील भर लम्बी कतार लगाए दिखेंगे। उन्हें देख के अनदेखा करना मत भूलियेगा !

बचपन से बड़े होने तक में काफी कुछ बदलता है। वर्णमाला के अक्षर सीखते समय जो “ठ से ठठेरा” पढ़ा होगा, उस ठठेरे को बर्तन बनाने आते, आखरी बार कब देखा है? ये सोचना थोड़ा सा मुश्किल इसलिए है। मिक्सर-ग्राइंडर के आते ही जैसे सिल-बट्टा (या बिहार का सिल्ला-लोढ़ी) घरों से गायब हुआ, वैसे ही सिल कूटने वाले भी गायब हुए। लगभग उसी समय में बर्तन बनाने और बेचने आने वाले ठठेरे भी गायब हो गए। तकनीकी में एक मामूली सा बदलाव इन रोजगारों को करीब करीब वैसे ही खा गया, जैसे मोबाइल फ़ोन आकर बाजार से पीसीओ की दुकानों को।

कई साल पहले जब अल्युमिनियम एक नयी खोज थी, तो उसके बर्तन बहुत महंगे बिकते थे। इतने महंगे कि नेपोलियन ने अपना पूरा डिनर सेट ही अल्युमिनियम का रखा था। आज अल्युमिनियम के कटोरे की बात कर दें तो सड़क किनारे बैठे उन जीवों की याद आ जाती है जो कभी-कभी पंद्रह लाख भी मांगते दिख जाते हैं। राजा इस्तेमाल कर ले तो प्रजा के लिए वो ऐसे ही स्वीकार्य हो जाती है। इसका नमूना भी पटना में “जलान हाउस” नाम के एक संग्रहालय में देखा जा सकता है। वहां एक पलंग रखा है जिसे नेपोलियन का बताया जाता है। ये निजी संग्रहालय है और वहां रखी चीज़ों को देखने (इस्तेमाल करने) कई बड़े लोग (नेहरु जैसे) उस संग्रहालय में आते रहे।

किसी राजा के इस्तेमाल किये डिनर सेट में खाना, उसके इस्तेमाल किये बिस्तर पर सोना, ये सब अनोखा लगता होगा। जलान हाउस में जो पलंग है, वो उस नेपोलियन बोनपार्ट का नहीं, किसी और नेपोलियन का है, ये कम ही लोग जानते हैं। खैर हम बर्तनों पर थे, वापस वहीँ आते हैं। तो हुआ यूँ कि जब स्टील के बर्तन आने शुरू हुए तो उसे बेचने वालों ने एक अनोखा तरीका निकाला। एक पुराने पीतल-कांसे के बर्तन के बदले दो-तीन स्टील के बर्तन लिए जा सकते थे। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में अदला-बदली या बार्टर सिस्टम चलता भी था, इसलिए भी ये तरीका सुविधाजनक रहा।

दूसरी चीज़ थी कि पीतल-कांसे के चमक-विहीन बर्तनों के मुकाबले स्टील चमकता दिखता था। उसे बेचने निकले ठठेरों का माल ज्यादा बिकता। इसके साथ बेचने वालों ने तीन पर एक मुफ्त, पांच पर दो मुफ्त जैसी व्यवस्था भी लागू की। नतीजा ये हुआ कि थोड़े ही वर्षों में घरों से पीतल-कांसे के भारी बर्तन गायब हो गए, और उनकी जगह स्टील ने ले ली। स्टील के इन चमकदार बर्तनों की मरम्मत नहीं हो सकती थी। या तो वो टूटता ही नहीं, और अगर टूट गया, तो उसे ठीक नहीं किया जाता, कबाड़ी को बेचना या फेंकना पड़ता। ठठेरों ने थोड़े दिनों के तेजी से आते मुनाफे के लिए अपनी अगली पीढ़ियों का रोजगार खुद ही गायब कर डाला था।

आप चाहें तो इसपर हंस सकते हैं। ठ से ठठेरा कहने पर कोई राजनैतिक मजाक सोच सकते हैं। ये हिन्दुओं का कोई ऐसा करोड़ों का व्यवसाय नहीं रहा होगा, इसलिए इस रोजगार के गायब हो जाने का जिक्र किन्हीं अर्थशास्त्र की किताबों में करने की भी जरूरत नहीं है। हाँ ये याद रखियेगा कि जिनका रोजगार गया, उनकी पीढियां अब उस समुदाय में होंगी जिन्हें “हाशिये पर का वर्ग” कहा जाता है। ये भी याद रखियेगा कि उनके मोहल्ले में विदेशों से मिशनरी आते रहते हैं। ये भी आपको पता है कि वो रोजगार के ना होने, या गायब हो जाने का इल्जाम किसी मनुवाद-ब्राह्मणवाद पर डालने की कोशिश हर रोज करते होंगे।

ऐसे क्षेत्रों में कई ऐसी संस्थाएं भी काम करती हैं, जो मिशनरी फण्ड नहीं लेतीं। इन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन ये अपना काम करती जा रही हैं। संभव हो तो अपने इलाकों के ऐसे संगठनों पर भी नजर रखिये।

कहते हैं हर अनुभव कुछ ना कुछ सिखा कर जाता है। अनुभव अच्छे हों, या बुरे, सीख लेने की कोशिश करनी चाहिए। पिछले साल दो तीन बार रिक्शे से खुद या किसी को छोड़ने मेन रोड जाना पड़ा। तो मेरा ध्यान मोहल्ले से मेन रोड तक जाने वाले रिक्शा चलाने वालों पे गया। हर ट्रिप में ये पंद्रह रुपये कमाते हैं, फिक्स्ड टाइप किराया है।

कुछ रिक्शावाले नौजवान भी होते हैं, कुछ पचास या ज्यादा के भी। जिसे छोड़ने जा रहे थे, उससे चर्चा चल रही थी कि दिल्ली में अगर काम कर रहे हो तो हर साल सैलरी में दस हज़ार बढ़ने चाहिए। मतलब चार साल से जो काम कर रहा हो वो चालीस के आस पास होगा। जो सात साल काम कर चुका, वो मैनेजमेंट के निचले पायदान पर, साठ-सत्तर हज़ार महिना कमा रहा होगा।

इंटरेस्टिंग चीज़ ये है कि रिक्शे पर ये बात लागु नहीं होती। किसी भी शारीरिक श्रम पर नहीं होती। आज रिक्शा चलाने आया लड़का भी मेन रोड तक के पंद्रह रुपये लेगा, पचास साल का हुआ तो भी वही किराया ! ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इनकम आपके कौशल(skill) पर निर्भर है। अगर कौशल (expertise) नहीं बढ़ा तो इनकम नहीं बढ़ेगी। चार साल का अनुभवी अकाउंटेंट तो कई तरह की एंट्री सीख चुका, लेकिन रिक्शावाला ? उसका स्किल बढ़ा नहीं, बढ़ने का स्कोप भी नहीं इसलिए वो उतना ही कमाता रहेगा।

स्किल्स, या कौशल बढ़ाने के लिए समय चाहिए जिसमें आप अभ्यास कर सकें। मगर समय के साथ समस्या ये है, कि एक तो ये सबको चौबीस घंटे का ही मिलेगा। एक दिन में उस से ज्यादा मिलेगा नहीं ! दूसरा ये कि इसे किसी तरह बचाया भी नहीं जा सकता। आज का एक घंटा बचा कर कल खर्च कर दें, ये तो नहीं होगा। इंसान के पास सिर्फ समय को अलग तरीके से खर्च करने का विकल्प होता है। ऐसे में जिसमें आठ घंटे में तीन सौ रुपये टाइप मजदूरी मिलती हो उसे कम, और जिसमें हज़ार की तनख्वाह कमाने का विकल्प हो उसे ज्यादा करना चाहिए।

आप चाहें तो डायरी में काम की लम्बी लिस्ट बना सकते हैं। आप फोन में टू डू लिस्ट बना सकते हैं। लेकिन उनसे सिर्फ करना क्या है ये समझ आता है। आपको ये भी देखना होगा कि किन कर्मों का त्याग कर दिया जाए। अब अगर आपका ध्यान “कर्मों के त्याग” वाले तत्सम शब्दों वाले जुमले पे गया हो तो आप बिलकुल ठीक सोच रहे हैं। हमने टाइम मैनेजमेंट और मोटिवेशन के धोखे से फिर से भगवद्गीता पढ़ा दी है। अट्ठारहवें अध्याय में शुरुआत में कर्मों के त्याग की चर्चा है।

इस अध्याय के शुरू में दसवें श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं :
न द्वेष्ट्यकुशलं कर्म कुशले नानुषज्जते ।
त्यागी सत्त्वसमाविष्टो मेधावी छिन्नसंशयः ॥(भगवद्गीता 18:10)
यानि जो मनुष्य अकुशल कर्म से तो द्वेष नहीं करता और कुशल कर्म में आसक्त नहीं होता- वह शुद्ध सत्त्वगुण से युक्त पुरुष संशयरहित, बुद्धिमान और सच्चा त्यागी है। इस अध्याय का नाम मोक्षसंन्यास योग होता है। त्याग और कर्म जैसे शब्द जो पहले अध्याय में इस्तेमाल हुए हैं उनका आशय समझने के लिए यहाँ तक आना पड़ेगा। भगवद्गीता को लगातार एक किताब की तरह भी पढ़ा जा सकता है और एक श्लोक लेकर उस से सम्बंधित अन्य श्लोकों की कड़ी की तरह भी। दुसरे वाले के लिए एक बार पूरा पढ़ना होगा।

जितना लिखा है वो पूरा भी नहीं है। पहले से बारहवें श्लोकों के आशय का सिर्फ एक हिस्सा हमने उठा लिया है। ध्यान रखिये कि भगवद्गीता में जो शब्द हैं वो सदियों पुराने वाले इस्तेमाल के शब्द हैं। उनमें से कई आज इस्तेमाल ही नहीं होते। कईयों के अर्थ-प्रयोग में अंतर आ गया है। जिस अर्जुन को ये सुनाई गई थी वो इसे सीख के कोई सन्यासी भी नहीं हो गया था। युद्ध में लड़ा भी था, बाद में बरसों राजकाज भी संभालता रह। अपने ही धर्मग्रंथों से दूरी, 12-14 सौ साल की गुलामी वाले युग में आई विकृति है। ग़ुलामी का काल नहीं रहा, अब उस काल की विसंगतियों को भी हटाना होगा।

दुर्दांत हिंसक अरैबिक कबीलों के रैडिक्लाईज पिछलग्गु और यूरोपीय कबीलों के साम्राज्य वादी तो अपने अपने तरीके से भौतिक संसार को लील ही रहे हैं। बाकी ये नर्सरी लेवल का है, और पीएचडी के लिए आपको खुद पढ़ना पड़ेगा ये तो याद ही होगा ? (साभार)

सन् 1840 में काबुल में युद्ध में 8000 पठान मिलकर भी 1200 राजपूतो का मुकाबला 1 घंटे भी नही कर पाये।

वही इतिहासकारो का कहना था की चित्तोड की तीसरी लड़ाई जो 8000 राजपूतो और 60000 मुगलो के मध्य हुयी थी वहा अगर राजपूत 15000 राजपूत होते तो अकबर भी जिंदा बचकर नहीं जाता।

इस युद्ध में 48000 सैनिक मारे गए थे जिसमे 8000

राजपूत और 40000 मुग़ल थे वही 10000 के करीब

घायल थे।

और दूसरी तरफ गिररी सुमेल की लड़ाई में 15000

राजपूत 80000 तुर्को से लडे थे, इस पर घबराकर शेर

शाह सूरी ने कहा था “मुट्टी भर बाजरे (मारवाड़)

की खातिर हिन्दुस्तान की सल्लनत खो बैठता”

उस युद्ध से पहले जोधपुर महाराजा मालदेव जी नहीं गए

होते तो शेर शाह ये बोलने के लिए जीवित भी नही

रहता।

इस देश के इतिहासकारो ने और स्कूल कॉलेजो की

किताबो मे आजतक सिर्फ वो ही लडाई पढाई

जाती है जिसमे हम कमजोर रहे,

वरना बप्पा रावल और राणा सांगा जैसे योद्धाओ का नाम तक सुनकर मुगल की औरतो के गर्भ गिर जाया करते थे, रावत रत्न सिंह चुंडावत की रानी हाडा का त्यागपढाया नही गया जिसने अपना सिर काटकर दे दिया था।

पाली के आउवा के ठाकुर खुशहाल सिंह

को नही पढाया जाता, जिन्होंने एक अंग्रेज के अफसर का सिर काटकर किले पर लटका दिया था।

महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर

महाराणा प्रतापसिंह

महाराजा रामशाह सिंह तोमर

वीर राजे शिवाजी

राजा विक्रमाद्तिया

वीर पृथ्वीराजसिंह चौहान

हमीर देव चौहान

भंजिदल जडेजा

राव चंद्रसेन

वीरमदेव मेड़ता

बाप्पा रावल

नागभट प्रतिहार(पढियार)

मिहिरभोज प्रतिहार(पढियार)

राणा सांगा

राणा कुम्भा

रानी दुर्गावती

रानी पद्मनी

रानी कर्मावती

भक्तिमति मीरा मेड़तनी

वीर जयमल मेड़तिया

कुँवर शालिवाहन सिंह तोमर

वीर छत्रशाल बुंदेलाģ

दुर्गादास राठौर

कुँवर बलभद्र सिंह तोमर

मालदेव राठौर

महाराणा राजसिंह

विरमदेव सोनिगरा

राजा भोज

राजा हर्षवर्धन बैस

बन्दा सिंह बहादुर

इन जैसे महान योद्धाओं को नही पढ़ाया/बताया जाता है, जिनके नाम के स्मरण मात्र से ही शत्रुओं के शरीर में आज भी कंपकंपी शुरू हो जाती है।

*🙏🏻श्री हनुमते नमो नमः🙏🏻*
*पुण्य लाभ के लिए इस पंचांग को औरों को भी अवश्य भेजिए🙏🏻🙏🏻* 🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक – 19 अप्रैल 2022*
⛅ *दिन – मंगलवार*
⛅ *विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)*
⛅ *शक संवत -1944*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – वसंत ऋतु*
⛅ *मास – वैशाख (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र )*
⛅ *पक्ष – कृष्ण*
⛅ *तिथि – तृतीया शाम 04:38 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
⛅ *नक्षत्र – अनुराधा 20 अप्रैल रात्रि 01:39 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
⛅ *योग – व्यतीपात शाम 05:02 तक तत्पश्चात वरीयान्*
⛅ *राहुकाल – शाम 03:49 से शाम 05:24 तक*
⛅ *सूर्योदय – 06:17*
⛅ *सूर्यास्त – 18:57*
⛅ *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रदय रात्रि 09:58), अंगारकी-मंगलवारी चतुर्थी (शाम 04:39 से 20 अप्रैल सूर्योदय तक)*
💥 *विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए* 🌷
👉 *19 अप्रैल 2022 मंगलवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 09:58)*
🙏🏻 *शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :*
🌷 *ॐ गं गणपते नमः ।*
🌷 *ॐ सोमाय नमः ।*
🙏🏻 *- Shri Sureshanandji Delhi Rohini 12 Sep, 2011*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *ग्रीष्म ऋतु में स्वास्थ्य – सुरक्षा* 🌷
➡ *20 अप्रैल 2022 बुधवार से ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ ।*
☀ *ग्रीष्म ऋतु में शरीर का जलीय व स्निग्ध अंश घटने लगता है | जठराग्नि व रोगप्रतिकारक क्षमता भी घटने लगती है | इससे उत्पन्न शारीरिक समस्याओं से सुरक्षा हेतु नीचे दी गयी बातों का ध्यान रखें –*
🌤 *१] ग्रीष्म ऋतु में जलन, गर्मी, चक्कर आना, अपच, दस्त, नेत्रविकार ( आँख आना / Conjunctivitis ) आदि समस्याएँ अधिक होती हैं | अत: गर्मियों में घर में बाहर निकलते समय लू से बचने के लिए सिर पर कपड़ा बाँधे अथवा टोपी पहने तथा एक गिलास पानी पीकर निकलें | जिन्हें दोपहिया वाहन पर बहुत लम्बी मुसाफिरी करनी हो वे जेब में एक प्याज रख सकते हैं |*
🌤 *२] उष्ण से ठंडे वातावरण में आने पर १० – १५ मिनट तक पानी न पियें | धूप में से आने पर तुंरत पूरे कपड़े न निकालें, कूलर आदि के सामने भी न बैठें | रात को पंखे, एयर – कंडिशनर अथवा कूलर की हवा में सोने की अपेक्षा हो सके तो छत पर अथवा खुले आँगन में सोयें | यह सम्भव न हो तो पंखे, कूलर आदि की सीधी हवा न लगे इसका ध्यान रखें |*
➡️ *शेष कल….*
🙏🏻 *स्त्रोत – ऋषिप्रसाद अप्रैल २०१६ से*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *मंगलवार चतुर्थी* 🌷
👉 *भारतीय समय के अनुसार 19 अप्रैल 2022 मंगलवार को शाम 04:39 से 20 अप्रैल सूर्योदय तक) चतुर्थी है, इस महा योग पर अगर मंगल ग्रह देव के 21 नामों से सुमिरन करें और धरती पर अर्घ्य देकर प्रार्थना करें,शुभ संकल्प करें तो आप सकल ऋण से मुक्त हो सकते हैं..*
*👉🏻मंगल देव के 21 नाम इस प्रकार हैं :-*
🌷 *1) ॐ मंगलाय नमः*
🌷 *2) ॐ भूमि पुत्राय नमः*
🌷 *3 ) ॐ ऋण हर्त्रे नमः*
🌷 *4) ॐ धन प्रदाय नमः*
🌷 *5 ) ॐ स्थिर आसनाय नमः*
🌷 *6) ॐ महा कायाय नमः*
🌷 *7) ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः*
🌷 *8) ॐ लोहिताय नमः*
🌷 *9) ॐ लोहिताक्षाय नमः*
🌷 *10) ॐ साम गानाम कृपा करे नमः*
🌷 *11) ॐ धरात्मजाय नमः*
🌷 *12) ॐ भुजाय नमः*
🌷 *13) ॐ भौमाय नमः*
🌷 *14) ॐ भुमिजाय नमः*
🌷 *15) ॐ भूमि नन्दनाय नमः*
🌷 *16) ॐ अंगारकाय नमः*
🌷 *17) ॐ यमाय नमः*
🌷 *18) ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः*
🌷 *19) ॐ वृष्टि कर्ते नमः*
🌷 *20) ॐ वृष्टि हराते नमः*
🌷 *21) ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः*
🙏 *ये 21 मन्त्र से भगवान मंगल देव को नमन करें ..फिर धरती पर अर्घ्य देना चाहिए..अर्घ्य देते समय ये मन्त्र बोले :-*
🌷 *भूमि पुत्रो महा तेजा*
🌷 *कुमारो रक्त वस्त्रका*
🌷 *ग्रहणअर्घ्यं मया दत्तम*
🌷 *ऋणम शांतिम प्रयाक्ष्मे*
🙏 *हे भूमि पुत्र!..महा क्यातेजस्वी,रक्त वस्त्र धारण करने वाले देव मेरा अर्घ्य स्वीकार करो और मुझे ऋण से शांति प्राप्त कराओ..*
🙏 *Sureshanandji-Lucknow 22nd March ’11*

📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*

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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपके लिये प्रतिकूल रहने वाला है सेहत में आज कुछ ना कुछ विकार रहने से कार्य करने का मन नही करेगा आज आपको ज्यादा भाग दौड़ अथवा मेहनत के कार्य से बचना चाहिये अन्यथा स्थिति गंभीर भी हो सकती है। मध्यान के समय कार्यो को जबरदस्ती करेंगे जिससे थकान बढ़ेंगी और काम मे भी कुछ ना कुछ नुक्स रह जायेगा। दोपहर बाद का समय थोड़ा राहत वाला रहेगा किसी स्वजन की सहायता से धन अथवा अन्य प्रकार से लाभ होगा सेहत में सुधार तो आएगा परन्तु विपरीत लिंगीय आकर्षण भी बढ़ने से अपमान जैसी स्थिति बनेगी। घर के सदस्यों का सहयोग आज कम ही मिलेगा पति पत्नी एकदूसरे को शंका की दृष्टि से देखेंगे। यात्रा ना करें।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपके हानि लाभ बराबर रहेंगे धन लाभ समय से थोड़ा विलंब से होगा जिससे थोड़ी असुविधा होगी इसके कारण कार्यक्रम में बदलाव भी करना पड़ेगा। मध्यान बाद दिनचर्या स्थिर बनेगी पर व्यस्तता भी बढ़ेगी कार्य क्षेत्र के साथ सामाजिक व्यवहारों के लिये भी समय निकालने से परेशानी आएगी घर के बड़ो का सहयोग मिलने से इसका भी समाधान हो जाएगा। व्यवसायी वर्ग दैनिक कार्यो के साथ नए कार्यो में भी भाग्य आजमाएंगे इसमे लाभ होगा लेकिन आशाजनक नही। घरेलू वातावरण गलतमहमी के कारण थोड़ी देर के लिये अशांत बनेगा कुछ देर में सामान्य भी हो जाएगा लेकिन किसी की जिद पूरी करने के बाद ही। सेहत संध्या बाद विपरीत होने की संभावना है ठंडे प्रदार्थो से परहेज करें। धार्मिक यात्रा के योग है इससे मन को शान्ति मिलेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन लाभदायक है आज आप जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे परिस्थितियां पहले से ही इसके अनुकूल बनने लगे जाएंगी। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा रहने पर भी आपके व्यवसाय को प्रभावित नही कर पायेगी। नौकरी पेशाओ को अपने कार्य मे विजय मिलने से अधिकारी वर्ग से निकटता बढ़ेगी लेकिन बच कर भी रहे आज जिससे भी प्रेम संबंधों में घनिष्ठता बढ़ेगी वही कुछ ना कुछ भार आपके ऊपर डालेगा जिससे अपने कार्यो अथवा हितों की हानि हो सकती है। धन लाभ के लिये ज्यादा भागदौड़ नही करनी पड़ेगा सहज रूप से होने पर निश्चिन्त रहेंगे। गृहस्थी में सुख शांति बनी रहेगी पैतृक साधनों में वृद्धि करने से घर के बड़े बुजुर्ग प्रसन्न रहेंगे लेकिन महिलाए किसी बात को लेकर मुह फुलायेंगी सेहत मामूली बातो को छोड़ ठीक ही रहेगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपको किसी न किसी रूप में लाभ देकर जाएगा। दिन के आरंभी भाग में आलस्य दिखाएंगे मेहनत से बचने की मानसिकता रहने से आवश्यक कार्यो में विलंब होगा जिससे घर के सदस्यों से फटकार भी सुनने को मिलेगी। दोपहर का समय कार्य व्यवसाय के लिये शुभ रहेगा प्रतिस्पर्धा कम रहने से इसका जमकर लाभ उठाएंगे धन की आमद आशासे अधिक होगी लेकिन सहकर्मी का व्यवहार आज परेशान करने वाला रहेगा फिर भी संध्या से पूर्व ही दिन भर की पूर्ति कर लेंगे। संध्या का समय काम की जगह मनोरंजन में बिताना अधिक पसंद करेंगे। मौज शौक पर खर्च अधिक होगा व्यसनों से बचे अन्यथा अपमानित हो सकते है। जरूरी कार्य भी आज ही निपटा ले कल कुछ न कुछ व्यवधान आने से लटक सकते है।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज का दिन छोटी मोटी घटनाओं से अशांत बनेगा फिर भी बीते कल की तुलना में थोड़ी शांति भी रहेगी। प्रातः काल घर के सदस्यों से बीती बातो के कारण मतभेद रहेंगे केवल मतलब से ही व्यवहार करेंगे लेकिन मध्यान बाद स्थिति बदलेगी घर के सभी सदस्य स्वार्थ से एक मत होंगे बाहर घूमने पर्यटन के अवसर मिलने से भी कड़वाहट में कमी आएगी लेकिन घर के बुजुर्गों को आज संतुष्ट नही कर पाएंगे। पैतृक संपत्ति के मामलों को छेड़ने की जगह अभी विराम दे अन्यथा दिन खराब हो सकता है। कार्य व्यवसाय से आज ज्यादा आशा नही रहेगी फिर भी अकस्मात लाभ होने से खुशी मिलेगी। महिलाए आज अधिक खर्चीली रहेंगी लेकिन खर्च घरेलू सामान पर अधिक करेंगी। संध्या बाद का समय दिन की तुलना में शांति से बीतेगा लेकिन सेहत में बदलाव भी आने से असहज रहेंगे।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आपको आर्थिक समृद्धि प्रदान करेगा लेकिन आज खर्च करते समय सोच विचार अवश्य करें ठगे जाने अथवा अन्य कारणों से हानि हो सकती है घर के बड़े परिजन भी आपकी फिजूल खर्ची से नाराज होंगे इसके बाद ही मितव्ययी बनेंगे। कार्य क्षेत्र से दिन के पूर्वार्द्ध में ही अनुकूल वातावरण मिलेगा धन की आमद असमय होने से आश्चर्य में पढ़ेंगे। दूर रहने वाले स्वयंजन से कोई अप्रिय सूचना मिलने से कुछ समय के लिये उदासी छाएगी फिर भी अन्य क्षेत्रों से उत्साहित करने वाले प्रसंग बनते रहेंगे। वाहन चलाते समय विशेष सावधानी रखें अकस्मात दुर्घटना में चोटादि का भय है शरीर मे दुखन एवं मूत्राशय संबंधित संमस्या होगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आपका स्वभाव बीते कुछ दिनों से संतोषि रहेगा। आज धन संबंधित उलझने रहने के बाद भी पारिवारिक कार्यो एवं आपसी संबंधों को अधिक महत्त्व देंगे। मध्यान तक घर मे कोई न कोई आपसे असंतुष्ट रहेगा लेकिन संध्या बाद खर्च करने के बाद नाराजगी प्रसन्नता में बदल जाएगी मनोरंजन सुख वृद्धि के लिये खर्च में कमी नही करेंगे। भाई बंधुओ से ईर्ष्या युक्त संबंध कुछ समय के लिये मानसिक रूप से अशांत बनाएँगे पैतृक कारणों से बहस होने की संभावना है फिर भी आपका व्यवहार आज थोड़ा शालीन रहने से स्थिति को संभाल लेंगे। कार्य व्यवसाय से लाभ मेहनत के बाद ही साधारण रहेगा। संध्या के समय भाग दौड़ से बचने का प्रयास करेंगे दुर्व्यसनों पर भी खर्च होगा। सेहत में थोड़ी समस्या रहेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिये शुभफलदायी रहेगा स्वभाव में थोड़ी चंचलता अवश्य रहेगी लेकिन इससे आस पास का वातावरण खुशनुमा ही बनाएंगे। कार्य क्षेत्र पर आज किसी के भटकाने से गलत निर्णय हो सकते है देखभाल कर ही कार्य करें व्यवसाय में चाहकर भी निवेश करना पड़ेगा इसका भविष्य में सामान्य लाभ मिल जाएगा। उधारी के व्यवहार कुछ समय के लिये बेचैनी बढ़ाएंगे पुरानी शीघ्र चुकाने के प्रयास करें नई करने से बचे अपमानित हो सकते है। दोपहर के बाद काम करने का मन नही करेगा मित्र परिजनों के साथ धार्मिक अथवा एकांत स्थान की यात्रा करेंगे दिखावे से बचे नाहाई तो बाद में आर्थिक विषमताएं बनेगी। सेहत में आज सुधार रहेगा।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन हानिकर रहने वाला है किसी भी कार्य मे जल्दबाजी से बचे सोच समझकर अनुभवी व्यक्ति की सलाह के बाद ही कोई कदम उठाए। कार्य व्यवसाय आज भगवान भरोसे रहेगा लाभ होते होते किसी अन्य के पक्ष में जाने से निराशा होगी। आज जहां से सहायता की उम्मीद लगाएंगे वही आपको टरकायेगा ज्यादा जोर देने पर आगे के लिये संबंध खराब होने का भर रहेगा। धन की आमद अत्यंत सीमित होगी वह भी पुराने व्यवहारों से ही कार्य क्षेत्र पर स्वयं अथवा नौकरों के हाथ नुकसान हो सकता है क्रोध से बचे। घर मे भी परिजनों के द्वारा हानि होने की संभावना है। सेहत ठीक रहेगी लेकिन आकस्मिक चोटादि का भय है उपकरणों से काम करते समय सावधानी बरतें।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज आप दिन के आरंभ से ही आलस्य में भरे रहेगें मध्यान तक कि दिनचर्या धीमी रहेगी इसके बाद भी काम तो करेंगे लेकिन ध्यान कही और ही रहेगा। कार्य व्यवसाय में धन लाभ के अवसर अवश्य मिलेंगे लेकिन आज सुख सुविधाओं को बढ़ाने पर आवश्यकता से अधिक खर्च करेंगे जिससे धन संचय नही हो पायेगा। कार्य क्षेत्र पर अधिक कार्य भार सौपने पर आपसे अधीनस्थ लोग नाराज रहेंगे। नौकरी पेशाओ के लिये दिन आरामदायक रहेगा छोटे मोटे घरेलू कार्य को छोड़ अन्य किसी कार्य को नही करेंगे। सामाजिक क्षेत्र के लिये समय नही देने से प्रेमीजन नाराज होंगे लेकिन मित्र वर्ग से अच्छी पटेगी। घर मे भी समय पर आवश्यकता पूर्ति करने पर शांति बनी रहेगी। उत्तम भोजन वाहन पर्यटन के अवसर मिलेंगे सेहत बनी रहेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन कार्य सफलता दायक रहेगा लेकिन आज आपको गलत मार्गदर्शन करने वाले भी मिलेंगे जो आपके हितैषी बनकर बेवजह ही उटपटांग सलाह देकर मार्गभ्रमित करेंगे। किसी भी कार्य को करने से पहले घर मे बुजुर्गों की सलाह अवश्य लें सफलता निश्चत होगी। व्यावसायिक क्षेत्र पर आज अन्य दिनों की तुलना में अधिक माथापच्ची करनी पड़ेगी धन लाभ के कई अवसर मिलेंगे लेकिन बेवजह के खर्च भी आज अधिक रहेंगे जिससे थोड़ा बहुत लाभ ही हाथ लगेगा। आज जोखिम वाले कार्यो में निवेश से बचे अन्यथा धन फंस सकता है। आध्यात्म के क्षेत्र से जुड़े जातको को साधना में नई अनुभूति होगी। गूढ़ विषयो को जानने की लालसा बढ़ेगी। सेहत में कुछ विकार भी आ सकता है। पेट से ऊपर के भाग संबंधित परेशानी की संभावना है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन आपका व्यक्तित्त्व निखरा हुआ रहेगा लेकिन स्वभाव में जिद और अहम भी रहने से लोग आपकी बातो का गलत अर्थ ही निकालेंगे। मध्यान से पहले तक एकाग्रता अधिक रहेगी मानसिक रूप से शांत रहने के कारण दैनिक पूजा पाठ में आज अधिक मन लगेगा लेकिन दोपहर बाद कार्य भार बढ़ने से एकाग्रता भंग होगी जिस कार्य को करना है उसे छोड़ व्यर्थ के कार्यो में रुचि लेंगे। कार्य व्यवसाय में मेहनत से पीछे नही हटेंगे परन्तु तुरंत फल पाने की चाह मानसिक अशांति बढ़ाएगी धैर्य से काम ले आज आवश्यकता अनुसार आर्थिक लाभ अवश्य होगा भले थोड़ा विलंब से ही हो। पारिवारिक वातावरण अपने काम से काम रखने तक ही शांत रहेगा किसी को ताने मारना अथवा कार्य मे दखल देना परेशानी में डालेगा। सेहत छोटी मोटी व्याधि को छोड़ सामान्य रहेगी।

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🌞 *~ हिन्दू पंचांग *🌞
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〰〰〰🙏राधे राधे🙏〰〰〰