पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ रही ये दो महिला प्रत्याशी हर किसी को चौंका रहे हैं

✍️हरीश मैखुरी 

तो क्या ये भारतीय जनता पार्टी ने नये युग की आधारशिला रखने की कोशिश की है? पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के 2 प्रत्याशी ऐसे हैं सामान्य रूप से आज की राजनीति में जिनकी कल्पना नहीं की जा सकती।

बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 2 प्रत्याशी ऐसे सुनिश्चित किये हैं जो हर किसी को चौंका रहे हैं ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके राजनीतिक दल का महिला शक्ति के लिए समर्पण और सम्मान तो दिखाता ही है साथ ही यह स्थापित नेताओं को टिकट देने की परम्परा में लीक से हटकर भी है और एक परिवर्तन कारी प्रयोग भी हो सकता है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी में संघ आदि आनुसांगिक संगठनों के आम प्रतिनिधियों को टिकट देने की परम्परा रही है परन्तु वे राजनीति के विषय में जानते हैं। लेकिन ये प्रयोग नयां है। 

दोनों प्रत्याशियों की प्रत्याशियों की प्रोफाईल तो देखिए 
1) औषग्राम से 32 वर्षीय कलिता मांझी
को भाजपा का टिकट दिया गया है – वो
घर में काम करने वाली मेड हैं (कामवाली
बाई) और उनके पति प्लम्बर हैं –कलिता
ने अपने मालिक से चुनाव लड़ने के लिए
छुट्टी मांगी है। 

भारतीय जनता पार्टी की दूसरी प्रत्याशी हैं 

२-चंदना बाउरी

बांकुड़ा जिले की सालतोरा सुरक्षित विधान सभा सीट से इन्हें टिकट दिया गया है –उनके पति श्री श्रवण मनरेगा में मजदूर हैं –

टिकट वितरण में जो परिवर्तन
दिख रहा है वो आने वाले समय में
सुखद परिणाम दे सकता है, और राजनीति की दशा दिशा बदल कर रख देगा, राजनीतिक चिंतन मेंं यह परिवर्तन सचमुच नयेे युग की आधारशिला रखेगा। 

इस दौर में देश विदेश की राजनीति में पैसे वालों की ही धमक  रहती है, ऐसे पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अत्यन्त गरीब परिवारों 
की आम महिलाओं को टिकट तो कोई बड़ा परिवर्तन करने वाला पारखी ही दे सकता है। तो क्या सचमुच भारतीय जनता पार्टी ने बंगाल से राजनीति में आम आदमी को स्थान देने के नये युग का सूत्रपात कर दिया? 

पिछले कुछ वर्षों में ये भी अनुभव किया
गया है कि अब चकाचौंध वाले लोग सभी
लोगों को पद्म पुरुस्कार नहीं मिलते -ऐसे
ऐसे लोगों को ये पुरुस्कार मिल रहे हैं,
जिन्होंने कभी सपने में भी पुरुस्कार
मिलना नहीं सोचा होगा। पद्म पुरुस्कार पाने वाले लोग भी अपने मिशन और सृजन में ऐसे व्यस्त और खोये रहते हैं कि इनकी प्रतिभा मीडिया जगत को भी पुरस्कार के बाद पता चल रही है। ये भी नये युग का सूत्रपात किया जा रहा है। ये मोदी युग में संभव है। शायद इसीलिए कहा गया है ‘मोदी है तो मुमकिन है”