प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 133 एकड़ में बने 2600 बेड वाले अमृता सूपर मल्टी सूपर स्पेशिएलिटी चिकित्सालय के उद्घाटन समारोह में जिस महिला का झूक कर अभिवादन किया गया जानते हैं ऐसी महान विभूति के विषय में

✍️हरीश मैखुरी

🚩🚩* हरियाणा के फरीदाबाद में एशिया के सबसे बड़े हॉस्पिटल के उद्घाटन के दौरान मोदी जी जिस बुजुर्ग महिला के सामने नतमस्तक होकर उनसे आशीर्वाद ले रहे थे आपको जानना चाहिए वह महान विभूति कौन है! 

मोदी को जानना और समझना हमारे आप के बस की बात नहीं है, ये इंसान किस-किस को साथ लेकर इस देश के अंदर क्या क्या करवा रहा है……. थोड़ा बहुत आपको अवश्य जानना चाहिए सारी शिकायतें दूर हो जाएंगी।
आज इस महिला के सामने मोदी जी नतमस्तक
हो रहे थे वह महिला केरल की महान आध्यात्मिक गुरु *माता अमृतानंदमयी* जी है केरल में ईसाई मिशनरीज के हिंदुओं को कन्वर्ट करने के सडयंत्रो को अकेली टक्कर दे रही है।

केरल के कोल्लम जिले में इनका बहुत बड़ा मठ
है और इसके साथ-साथ पूरे केरल में हजारों अस्पताल, यूनिवर्सिटीज ओर स्कूल है क्योंकि केरल का ईसाई मिशनरीज का हिन्दुओ को कन्वर्ट करने का सबसे पहला तरीका उन्हें अपने अस्पताल और स्कूलों में भर्ती कराकर उनका मन जीतकर शुरू होता है।

अब इनका प्रभाव दक्षिण भारत के साथ-साथ उत्तर भारत और विदेशों तक में बढ़ता जा रहा है जो हिंदुत्व के विकास में बहुत सहायक सिद्ध हो रहा है। आज जिस हॉस्पिटल का उद्घाटन हुआ है उसकी 6000 करोड़ की पूरी लागत माता अमृतानंदमई जी के मठ ने वहन की है।इसी 25 अगस्त को केरल से दूर दिल्ली एनसीआर में उनके मठ द्वारा भारत के सबसे बड़े अस्पताल की शुरुआत की गयी तो माता अमृतानंदमयी के सेवा कार्यों की चर्चा एक बार फिर हुई है। इस अस्पताल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। हालांकि अभी इस अस्पताल का पहला चरण पूरा हुआ है जिसमें 500 बिस्तरों वाला अस्पताल शुरु हो गया है। लेकिन आगामी चार पांच सालों में इसे विस्तार देकर 2600 बिस्तरों वाले अस्पताल में परिवर्तित कर दिया जाएगा। तब यह देश का सबसे बड़ा निजी अस्पताल होगा।

कितनी प्रसन्नता की बात है कि मोदी जी ऐसे सभी कर्मठ महान हिंदू प्रतिभाओं को एक मंच पर लाकर उनके माध्यम से समाज तक लाभ पहुंचा रहे हैं साथ में हिंदुत्व को भी मजबूत कर रहे हैं।

हमने केवल एक नेता को प्रधानमंत्री नहीं बनाया है बल्कि एक आध्यात्मिक राष्ट्रपुरुष को अपने देश की बागडोर सौंपी है। जो अपने हर कार्य के जरिए हमें अपनी रणनीति तय करने का संदेश दे रहा है। भरोसा बनाए रखिए और अपने कर्तव्य पर भी ध्यान दीजिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब-हरियाणा दौरे पर थे तो उन्होंने हरियाणा के फरीदाबाद में भारत के प्राइवेट क्षेत्र के सबसे बड़े 2600 बेड वाले मल्टी स्पेशियलिटी चिकित्सालय का उद्घाटन किया यह हॉस्पिटल 6,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 133 एकड़ क्षेत्र में बना है। अमृता मल्टी सूपर स्पेशिएलिटी चिकित्सालय का निर्माण माता अमृताआनंदमयी मठ द्वारा कराया गया है। चिकित्सालय में ऑन्कोलॉजी, कार्डियक साइंस, गैस्ट्रो-साइंसेस, रीनल साइंस, न्यूरोसाइंसेस, हड्डी रोग और स्ट्रोक, ट्रांसप्लांट और मां व बच्चे जैसे डिपॉर्टमेंट तैयार किए गए है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फरीदाबाद में कहा कुछ दिन पहले ही देश ने एक नयी ऊर्जा के साथ आजादी के अमृतकाल में प्रवेश किया है। हमारे इस अमृतकाल में देश के सामूहिक प्रयास प्रतिष्ठित हो रहे हैं, देश के सामूहिक विचार जागृत हो रहे हैं. भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जहां इलाज एक सेवा है, आरोग्य एक दान है। जहां आरोग्य आध्यात्म, दोनों एक दूसरे से जुड़े हुये हैं। हमारे यहां आयुर्विज्ञान एक वेद है। हमने हमारी मेडिकल साइन्स को भी आयुर्वेद का नाम दिया है। अगस्त फरीदाबाद में आधुनिक सुविधाओं से युक्त और भव्य तरीके से बनाये गये अमृता हॉस्पिटल का उद्घाटन होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद उपस्थित रहकर अमृता हॉस्पिटल का उद्घाटन किया यह हॉस्पिटल लगभग 133 एकड़ में बन रहा है। खास बात ये है कि इस अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी से लेकर हर सुविधा मौजूद होगी और गरीब मरीजों का सस्ता इलाज भी हो सकेगा. ये अस्पताल भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में खास है. आइये आपको बताते हैं आखिर इस अस्पताल खासियत क्या है.ग्रेटर फरीदाबाद के सेक्टर 88 में बन रहा अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (Amrita Institute of Medical Science in faridabad) आध्यात्मिक गुरु मां अमृतानंदमई मठ द्वारा बनाया गया है. यह हॉस्पिटल 2400 बेड का होगा. 2400 बेड की क्षमता वाले अमृता हॉस्पिटल में 500 बेड की सुविधा पीएम मोदी के उद्घाटन के साथ ही 25 अगस्त से शुरू हो जाएगी. दो साल बाद हॉस्पिटल में बेड की संख्या बढ़कर 750 और पांच साल में एक हजार बेड की हो जाएगी. इसमें 534 क्रिटिकल केयर बेड सम्मिलित भी शामिल होंगे।

जाने कौन हैं माता अमृतानंदमयी?

माता अमृतानंदमयी का जन्म केरल के परयाकाडावु में 27 सितंबर 1953 को हुआ था। उनका बचपन का नाम सुधामणि था। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था इसलिए वो ज्यादा पढ लिख नहीं पाईं। उन्होंने सिर्फ चौथी कक्षा तक पढाई की। पढाई की बजाय उनका बचपन घर का काम काज करने में ही बीता। घर में पीने की पानी की व्यवस्था, घर में भोजन पकाने के लिए लकड़ी की व्यवस्था आदि का जिम्मा सुधामणि के जिम्मे ही रहता था।

हालांकि सुधामणि का परिवार स्वयं गरीब था लेकिन जब वो अपने घर से बाहर निकलती और आसपास लोगों की गरीबी देखतीं तो कई बार अपने घर से कुछ न कुछ लाकर दूसरों की मदद करने की कोशिश करतीं। छह भाई बहनों के बीच सुधामणि सबसे अलग थीं। वह लोगों के दुख दर्द में शामिल होतीं और कुछ न कर पातीं तो कम से कम उन्हें गले लगाकर सांत्वना जरूर देतीं।

कहते हैं बचपन से सुधामणि के इस स्वभाव के कारण धीरे धीरे लोग उनसे प्रभावित होने लगे। सुधामणि में प्रेम, दया और करुणा का कुछ ऐसा आकर्षण था कि जो उनके सामने अपना दुख लेकर पहुंचता, रोने लगता। ऐसे में सुधामणि कई बार मातृत्व भाव से उसका सिर अपनी गोद में रख लेतीं या फिर गले लगाकर सांत्वना देतीं। सुधामणि की यह करुणा और प्रेम धीरे धीरे आसपास के लोगों में विख्यात हो गया। लोगों को मानसिक शांति मिलती और अपने कष्टों से उबरने की ताकत भी।

धीरे धीरे यह बात प्रचारित हो गयी कि सुधामणि का दर्शन करने से लोगों को दुख दूर हो जाते हैं। इसलिए सत्तर के दशक के आखिर से उन्होंने लोगों को दर्शन देना शुरु कर दिया था। कई बार तो ऐसा होता था कि 18-20 घंटे वो सिर्फ लोगों को दर्शन देंती, उनका दुख सुनती और उनके आंसू पोछतीं। आज माता अमृता नंन्दमयी देश में चिकित्सा क्रांति की सबसे बड़ी अग्रदूत बन गयी हैं  वह सभी पुरस्कारों से उपर हैं सूपर हैं 🚩🚩