अक्षरधाम के बलिदानी की मूर्ति पर बहिन ने बांधी राखी, शहीद का परिवार बोला राष्ट्र भाषा हिंदी हो और शहीद को आवंटित देहरादून की जमीन का कब्जा दिलाया जाय

(आज वटसैप पर एक भावुक करने वाला मैसेज मिला पढ़ने पर लगा इस एक सैनिक परिवार की ओर से मिले इस संदेश पर तो निश्चित रूप से देश और प्रदेश सरकार को विचार एवं हस्तक्षेप करना ही चाहिए-सं. )

मान्यवर नमस्कार,
सर्वप्रथम आपको शहीद सुर्जन सिंह भंडारी के परिवारजनों की तरफ से परिवार सहित रक्षाबंधन शुभकामनाएं एवं बधाई स्वीकार हो।

मान्यवर आप जैसे महनीय लोगों के संज्ञान एवं सूचना प्रकाशन हेतु आज जिला चमोली के गोचर नगर में निर्मित सुरजन सिंह मेमोरियल प्रतिमा के हाथों पर शहीद की बहन माहेश्वरी रावत ने राखी बांधी याद करते हुए सोचा कि यदि सुर्जन आज जीवित होते तो मुझे उनके असली हाथों में राखी बांधने सुखद अवसर मिलता।

सर मैंने आप का एक समाचार नई शिक्षा नीति राष्ट्रभाषा एवं मातृभाषा के बारे में मीडिया में पढ़ा इसी पर कुछ ज्ञान प्राप्त करना चाह रहा था, और सुझाव रखना चाह रहा था सर।

देश के सभी राज्यों में हिंदी राजभाषा को अनिवार्य राष्ट्रीय भाषा के रूप में नई शिक्षा नीति में क्यों दर्जा नहीं दिया गया होगा या शिक्षा पाठ्यक्रमो में कम से कम उनकी राज्य की भाषा में हिंदी बेसिक भाषा को भी शामिल क्यों नहीं किया गया होगा, जबकि राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं बेहतरी के लिए यह अनिवार्य शर्त होनी चाहिए थी।

Sir, दूसरा चर्चा का विषय ये है कि अभी तक हमारी हिंदी राज भाषा को विभिन्न सरकारों द्वारा भारत देश की इस भाषा को देश की राष्ट्रभाषा का दर्जा क्यों नहीं दिया गया है, संभव है कुछ क्षेत्र विशेष के नेताओं के विरोध या दबाव की वजह से यह लागू नहीं हो पाया होगा,

यूट्यूब चैनल पर माननीय, गृहमंत्री श्री अमित शाह जी द्वारा एवं एबीपी न्यूज़ एंकर आदरणीय, श्री सुमित अवस्थी जी के द्वारा कहा गया कि देश के सफेद पोशाक वाले कुछ नेताओं की वजह से हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिलने पर अच्छी तरीके से संपूर्ण राष्ट्र के नाम अपने उस विचार व्यक्त किए गए हैं, कृपया आप सभी पत्रकार महान भाव से भी विनम्र प्रार्थना है कि राष्ट्र हित में उच्च भावनाओं के लिए यह मुहिम चलाने की बात करेंगे, जिससे हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा का दर्जा मिल सके और पूरा देश एक सूत्र में बंध सके और संपूर्ण राष्ट्र का विकास हो सके,
मान्यवर, अरुणाचल प्रदेश नागालैंड सिक्किम तमिलनाडु केरल आंध्र प्रदेश और जम्मू कश्मीर के लोग आपस में किस तरह से एक होकर विकास कर सकते हैं, जब तक कि उनको हिंदी भाषा का ज्ञान ना हो, हम लोग जम्मू कश्मीर में देश की सेवा में तैनात रहते हैं अब हमें पूरा एहसास होता है कि जब तक सभी लोग देश में एक भाषा को अच्छी तरह से नहीं समझ सकते हैं तब तक सारी मेहनत और प्लानिंग बेकार है।
हिन्दी के बिना कश्मीर की भावनाएं भारत सरकार की नीतियों के साथ मिलना काफी कठिन और मुश्किल है, जब तक कश्मीर में हिंदी भाषा अनिवार्य रूप से लागू न हो।

इसलिए केंद्र शासित प्रदेश कश्मीर के शिक्षा पाठ्यक्रम में सरकारी नौकरी पाने के लिए कक्षा 10th तक हिंदी विषय संविधान में शामिल करना चाहिए।

मान्यवर यह विचार अक्षरधाम शहीद कमांडो सुरजन सिंह भंडारी कीर्ति चक्र विजेता के परिवारजनों ग्राम रानों, गोचर चमोली उत्तराखंड द्वारा देश हित के मध्य नजर इस प्रस्ताव को आप लोगों की सेवा में सादर रूप से प्रस्तुत करते हैं, क्योंकि इस परिवार से एक 23 वर्षीय नौजवान ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए हैं, यह परिवार देश की रक्षा के लिए चिंतित है तथा नाम के लिए ही जीता है।

महोदय इसके साथ ही केंद्र सरकार एवं अपने उत्तराखंड सरकार की जानकारी में इस बात को भी संज्ञान में उचित कार्रवाई हेतु लेना चाह रहे हैं कि इस परिवार को उत्तराखंड सरकार द्वारा 2016 में शहीद सुरजन सिंह भंडारी कीर्ति चक्र विजेता को जिला प्रशासन देहरादून द्वारा एक विवादित जगह पर जमीन अलॉटमेंट करके लगभग 5 सालों से एक गंभीर संकट में डाला हुआ है जिसमें कि शहीद के परिवार की मौके पर पक्का निर्माण बनाने पर व तीन वर्षों से निवास स्थान होने मैं हर तरह से शहीद के सम्मान, परिवार की एक बहुत बड़ी मानहानि हुई है, मान्यवर इस परिवार ने अपने इस शहीद एवं सभी शहीदों की याद में हर वर्ष समय-समय पर कई प्रेरणादायक कार्यों को सामाजिक हित के लिए करने थे, लेकिन इस इस आवंटित जमीन विवाद विपदा संकटमें फंस कर बुरी तरह से जमीन पर आ गए हैं।
मान्यवर, विदित हो कि पूर्व माननीय जिलाधिकारी महोदय, श्री सी० रविशंकर जी द्वारा शहीद के परिवार को ऑडनेंस फैक्ट्री के साथ मीटिंग में शामिल किए बिना अपना निर्णय दिया गया है, जिसमें हमें यही पूर्ण रूप से आभास है की इस निर्णायक अथवा निर्देशात्मक कार्रवाई में ऑडनेंस फैक्ट्री से रिटायर व स्थानीय ताकतवर तथा किसी खास नेता के वजह से ही शहीद के जमीन को हड़पने वह अतिक्रमण करने की कोशिश है, क्योंकि ऑडनेंस फैक्ट्री से पहले इस जमीन पर दावा करने के लिए यहां के कुछ प्रबल स्थानीय लोग इस परिवार से झगड़ा कर रहे थे तथा जांच कार्रवाई में भी सभी तथ्य शहीद आश्रित माता जी के ही पक्ष में पाए गए हैं, लेकिन आवंटित जमीन को पूर्व मा० जिला अधिकारी महोदय द्वारा जानबूझकर अभी भी विचाराधीन ही रखा गया है, जबकि इस पर फैसला या निर्णय यह होना था की आखिरी में यह जमीन ऑडनेंस फैक्ट्री ग्राम रायपुर देहरादून के सीमा अंतर्गत है या राजस्व विभाग/शहीद के आश्रित माता जी के पक्ष की है, कितना बड़ा घोर अन्याय कि एक शहीद के मकान व जमीन को वे हड़पने जा रहे हैं और हमारा कोई सुनने वाला नहीं है, 5 सालों से जिला प्रशासन व सरकार के पीछे घूम रहे हैं, फिर हमें आज भी किस तरह से घुमा रहे हैं क्या बताएं, विदित हो कि रक्षा मंत्रालय भारत सरकार तथा माननीय नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार से भी हम विभिन्न पत्रों के माध्यम से मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन, मा, जिलाधिकारी महोदय देहरादून की सेवा में अग्रिम उचित कार्रवाई हेतु प्रेषित किए गए है,
जय हिंद सर,