भारत पाक विभाजन एक शाजिस थी, सच तो ये है कि बंटवारे से भारत को हुए नुकसान की कभी भरपाई नहीं हो सकती

देश का बंटवारा करने के लिए जुलाई 1947 में Boundary Commission बनाया गया था। इस Commission को ये ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी कि वो पंजाब और बंगाल को भारत और पाकिस्तान के बीच बांट दे। इस Commission में 4 सदस्य, कांग्रेस पार्टी से थे और 4 सदस्य मुस्लिम लीग से थे। इस Commission के Chairman Cyril Radcliffe थे। 14 अगस्त 1947 को भारत का बंटवारा हुआ।

अगर भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारा जल्दबाज़ी में नहीं हुआ होता तो आज करतारपुर Corridor बनाने की कोई ज़रूरत ही नहीं होती क्योंकि करतापुर साहिब गुरुद्वारा, भारत में होता।

ब्रिटिश भारत के आखिरी Viceroy Lord Mountbatten ने Radcliffe को ये निर्देश दिया था कि बंटवारे की Line खींचते वक्त ये ध्यान रखें कि हिंदू और सिख बहुल इलाके भारत में रहें और मुस्लिम बहुल इलाके पाकिस्तान में रहें।

इस हिसाब से ,Radcliffe को ये ध्यान रखना चाहिए था कि करतारपुर साहिब गुरद्वारा भारत की सीमा में आए क्योंकि ये सिखों का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि Radcliffe के पास बंटवारे की रेखा खींचने के लिए सिर्फ कुछ हफ्तों का समय था। उन्होंने इससे पहले कभी भी भारत का दौरा नहीं किया था। Radcliffe को भारत की संस्कृति के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी।

वर्ष 2017 में फिल्म निर्माता गुरिंदर चड्ढा ने एक फिल्म बनाई थी जिसका नाम था Viceroy’s House. इस फिल्म में Radcliffe की इस परेशानी को बहुत अच्छी तरह से दिखाया गया है। प्रसिद्ध इतिहासकार और विद्वान Dominique Lapierre और Larry Collins ने अपनी किताब Freedom At Midnight में इस घटना का ज़िक्र किया है।

Radcliffe ने अपनी इन परेशानियों का ज़िक्र Lord Mountbatten से किया था। लेकिन Lord Mountbatten ने ये कहकर Radcliffe को शांत कर दिया कि अगर आप भारत कभी नहीं आए और भारत के बारे में कुछ नहीं जानते हैं तो आप निष्पक्ष तरीके से भारत और पाकिस्तान का बंटवारा कर पाएंगे।

Lord Mountbatten ने अपनी हाज़िर जवाबी से Radcliffe को चुप रहने पर मजबूर कर दिया। लेकिन बंटवारे के बाद लाखों करोड़ों लोगों का जो खून बहा उसे Lord Mountbatten नहीं रोक सके।

भारत के वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर विभाजन के समय सियालकोट में रहते थे। उन्होंने बाद में Radcliffe से लंदन में मुलाक़ात की थी।

कुलदीप नैय्यर के मुताबिक Radcliffe ने कहा था कि “मुझे 10 से 11 दिन मिले थे, सीमा रेखा खींचने के लिए। उस वक़्त मैंने बस एक बार हवाई जहाज़ के ज़रिए दौरा किया। मेरे पास ज़िलों के नक्शे भी नहीं थे। मैंने देखा लाहौर में हिंदुओं की संपत्ति ज़्यादा है, लेकिन मैंने ये भी पाया कि पाकिस्तान के हिस्से में कोई बड़ा शहर ही नहीं था। मैंने लाहौर को भारत से निकालकर पाकिस्तान को दे दिया। अब इसे सही कहो या कुछ और लेकिन ये मेरी मजबूरी थी। पाकिस्तान के लोग मुझसे नाराज़ हैं लेकिन उन्हें ख़ुश होना चाहिए कि मैने उन्हें लाहौर दे दिया”

Radcliffe ने पाकिस्तान को लाहौर दे दिया, लेकिन इसके बाद लाहौर में जबरदस्त खून खराबा हुआ, जिसके लिए ज़िम्मेदार ब्रिटेन की सरकार और Lord Mountbatten भी थे। Radcliffe, बंटवारे के बाद कभी भारत नहीं लौटे। शायद वो खुद भी इस घटना से हमेशा दुखी रहे होंगे।

करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के अलावा, गुरु नानक देव की जन्मभूमि ननकाना साहिब भी पाकिस्तान में मौजूद है। हिंदुओं के 52 शक्तिपीठों में से एक हिंगलाज शक्तिपीठ आज पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मौजूद है।

इसके अलावा प्रसिद्ध कटासराज मंदिर पाकिस्तान के चकवाल जिले में मौजूद है। मान्यता है कि पाण्डवों ने इस जगह अपने जीवन के 4 वर्ष बिताए थे। भारत का विश्व प्रसिद्ध प्राचीन विश्व विद्यालय तक्षशिला आज पाकिस्तान में मौजूद है, ये भारत के कूटनीतिज्ञ चाणक्य की कर्मभूमि है।

भारत और पाकिस्तान के इस बंटवारे से भारत की संस्कृति और सभ्यता को अभूतपूर्व नुकसान हुआ था। बंटवारे के बाद पंजाब का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के पास चला गया। ये वही पंजाब है जिसका वर्णन सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में बार-बार हुआ है। पंजाब, भारत की आर्य संस्कृति का प्रमुख केंद्र था। भारत को हिंदुस्तान भी कहा जाता है लेकिन जिस सिंधु नदी के नाम पर भारत को हिंदुस्तान का नाम मिला, वो सिंधु नदी भी आज पाकिस्तान में है। आज भी हमारे राष्ट्रगान में सिंध प्रांत का उल्लेख होता है, ये प्रांत भी आज पाकिस्तान में है।

सच तो ये है कि बंटवारे से भारत को हुए नुकसान की कभी भरपाई नहीं हो सकती है।

साभार: Âbhishek Kumar