‘लोकल फार वोकल’ उत्तराखंड के उत्पादों को विश्व स्तरीय पहचान दिलाना हो मुख्य उद्देश्य – सतपाल महाराज

*प्रधानमंत्री के “लोकल फॉर वोकल” की सोच को प्रदर्शित करती है पुस्तक: महाराज*

*पर्यटन मंत्री ने किया “उत्तराखंड उत्पाद, उत्तराखंड उपहार” पुस्तक का विमोचन*

देहरादून। प्रदेश के पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने आज यहाँ गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग द्वारा तैयार एवं डा. सर्वेश उनियाल द्वारा लिखित “उत्तराखंड उत्पादन, उत्तराखंड उपहार” पुस्तक का विमोचन किया।
उत्तराखंड पर्यटन पर आधारित पहली पुस्तक ‘‘उत्तराखंड उत्पाद, उत्तराखंड उपहार’’ के दूसरे संस्करण का स्थानीय स्वावलंबनी कॉम्पलैक्स में विमोचन करते हुए पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह पुस्तक उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए काफी उपयोगी साबित होगी। उन्होने कहा कि “उत्तराखण्ड उत्पाद, उत्तराखंड उपहार पुस्तक” एक पॉकेट बुक है जिसके माध्यम से पर्यटक यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी के साथ-साथ यहाँ पैदा होने वाले उत्पादों का स्वाद ले सकता है।


पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “लोकल फॉर वोकल” की सोच को भी यह पुस्तक प्रदर्शित करते हुए दिखाई देती है।

            श्री महाराज ने पुस्तक के लेखक डा. सर्वेश उनियाल और प्रकाशक विनसर पब्लिशिंग को बधाई देते हुए कहा कि उत्तराखंड के लोकल उत्पाद को प्रोत्साहन देने के लिए इस प्रकार की पुस्तकों का समय समय पर प्रकाशन होना बेहद जरूरी है। इस पुस्तक को उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा प्रोत्साहित भी किया गया है। पुस्तक में उत्तराखण्ड राज्य के स्थानीय उत्पादों, खान पान, लोक कला संस्कृति, आवासीय आकर्षण, हथकरघा, हस्तशिल्प के समन्वय के साथ पर्यटन स्थलों का भी बडे़ सुन्दर ढंग से प्रस्तुतिकरण किया गया है। यह आकर्षक बुक उपहार पुस्तक के रूप में भी लोकप्रिय है, पुस्तक के प्रथम संस्करण को वर्ष 2017-18 में पर्यटन का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है।
            पुस्तक विमोचन पर पर्यटन मंत्री ने गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा पर्यटन विषयों पर किए जा रहे सर्वे, शोध की संस्तुतियों को राज्य के पर्यटन नियोजन में उपयोग किए जाने का भी पर्यटन अधिकारियों को निर्देश दिया है। उन्होने विगत दिनों विश्वविद्यालय द्वारा विवेकानंद पर्यटन परिपथ पर लिए सर्वे तथा डॉक्यूमेंटेशन की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड में पांडव पर्यटन पथ, महासू (महाशिव) पर्यटन पथ, बौद्ध पर्यटन पथ, गांधी पर्यटन पथ आदि प्रारूपों में भी सर्वे तथा डक्यूमेंटेशन किया जाना चाहिए। पर्यटन मंत्री ने विभाग अधिकारियों को इस हेतु विश्वविद्यालय से सहयोग लेने को कहा है। पर्यटन मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय को विभिन्न सर्वे तथा डॉक्यूमेंटेशन के लिए मूलभूत संसाधन उपलब्ध कराने के अलावा संस्तुतियों के नियोजन, प्रचार-प्रसार के साथ ढांचागत सुविधाओं के विस्तार में शामिल करें।
लेखक डॉ सर्वेश उनियाल ने कहा कि पुस्तक के आकर्षण में पर्यटन स्थलों को एक ट्रेवलर की अनुभूतियों के प्रारूप से प्रस्तुत किया गया है। साथ ही स्थानीय उत्पादों को प्राप्त किए जाने के स्थानों के साथ उत्पादन स्थलों की जानकारी को भी समाहित किया गया है। पर्यटन स्थलों को उन छोटे बड़े आकर्षणों के साथ जोड़ा गया है जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। पर्यटन गतिविधियों, क्रियाकलापों, संभावनाओं की जानकारियों से भी पर्यटकों को जानकारी प्रदान की गई है। इस  इस अवसर पर पहाड़ी उत्पादों और वस्त्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी बड़ी संख्या में पत्रकारों और लोगों ने इस अवसर पर प्रतिभाग किया सतपाल महाराज ने कहा कि सरकार चौमुखी विकास के लिए प्रयत्नशील है             

     पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों और मंदिरों को विश्व पटल पर लाने के लिए पर्यटन विभाग निरंतर कार्य कर रही है जबकि उत्तराखंड की वैदिक संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए भी सरकार प्रयासरत है उन्होंने कहा कि चारधाम देवस्थानम बोर्ड में सरकार विशेष ध्यान दे रही है नियमावली तैयार हो रही है और मंदिर समितियों के छूटे हुए कर्मचारियों को समायोजित करने और न्यून मानदेय वाले कर्मचारियों के वेतन निर्धारण करने की प्रक्रिया पर कार्य गतिमान है। 

            सतपाल महाराज ने कुंभ मेले की तैयारियों पर भी जोर देते हुए कहा कि हमारा प्रयास है कि पूर्णा काल के बावजूद कुंभ मेला और अपनी परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को समझाते हुए भव्य रूप से आयोजित हो उसके लिए निर्माण कार्य तेजी से संपन्न किए जा रहे हैं उन्होंने कहा कि कुम्भ मेले तक कोरोना की दवाई आ गयी तो इसके उपयोग सर्वप्रथम कैसे किया जायेगा सरकार इस पर स्वास्थ्य विभाग के साथ लगातार सामंजस्य बनाये हुए है। 
           इस मौके पर पुस्तक के प्रकाशक कीर्ति नवानी, कार्यक्रम निदेशक (पर्यटन) आर के तिवारी, पर्यटन विकास परिषद के प्रशांत आर्य, राजीव ओबेरॉय, गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर में आत्मनिर्भर भारत के समन्वयक प्रोफेसर प्रभाकर बडोनी आदि उपस्थित रहे।