सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाई दिल्ली का नाम बदलने की मांग, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे.पी नड्डा ने ली पार्टी सांसदों की कोविड क्लास, उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की बाल्य योजना कॉविड संक्रमण से अनाथ हुए बच्चों को 3000 रुपये मासिक, 21 साल तक शिक्षा व 5 प्रतिशत आरक्षण, आगामी मानसून सीजन में पर्वतीय जनपदों में खाद्यान्न की पूर्ण व्यवस्था रखने के निर्देश, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महामंत्री जयपाल जाटव का कोरोना से निधन हरीश रावत ने गहरा शोक प्रकट किया

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी सदैव अपनी बातों को बेबाकी से रखते आए हैं एक बार फिर से सुब्रमण्यम स्वामी सुर्खियों में हैं, इस बार उन्होंने राजधानी दिल्ली का नाम बदलने की मांग की है, उन्होंने इसके लिए द्रौपदी ट्रस्ट की डॉक्टर नीरा मिश्रा द्वारा किए गए एक शोध का उल्लेख कर स्वामी ने दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ रखने की मांग को उठाया है उन्होंने लिखा है कि डॉ नीरा मिश्रा के शोध में उल्लेखनीय तत्थ्य राजधानी से नामक करण के लिए पर्याप्त है। इसके साथ ही डॉ स्वामी ने लिखा कि तमिलनाडु के एक महान ऋषि ने मुझे बताया कि जब तक दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ नहीं कर दिया जाता तब तक देश में विवादों की स्थिति बनी रहेगी यह भी उल्लेख दिया है। 

वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉक्टर मिश्रा ने अपने शोध किए हैं जिनसे यह तो प्रमाणित होता है कि वर्षों पहले वर्तमान दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ ही हुआ करता था यह भी बताया गया है कि महाभारत में उल्लेख है ही साथ ही साल 1911 में बेटी सरकार की अधिसूचना में भी इसकी प्रमाण मिलते हैं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के रिकॉर्ड के साथ ही ब्रिटिश एवं मुगल शासन के रास्ता व अन्य रिकॉर्ड में भी इसका नाम इंद्रप्रस्थ होने का ही उल्लेख है। 

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मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने राज्य में मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना की घोषणा की है। यह योजना उन अनाथ बच्चों के लिए है, जिन्होंने कोविड -19 के संक्रमण से अपने माता – पिता को खोया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ऐसे अनाथ बच्चों की आयु 21 वर्ष होने तक उनके भरण पोषण, शिक्षा एवं रोजगार के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। ऐसे बच्चों को प्रतिमाह 3000 रुपए भरण- पोषण भत्ता दिया जाएगा। इन अनाथ बच्चों की पैतृक संपत्ति के लिए नियम बनाए जायेंगे कि, उनके वयस्क होने तक उनकी पैतृक संपत्ति को बेचने का अधिकार किसी को नहीं होगा। यह जिम्मेदारी संबंधित जिले के जिलाधिकारी की होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु कोविड -19 संक्रमण के कारण हुई है उन बच्चों को राज्य सरकार की सरकारी नौकरियों में 05 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जायेगा।

साथ ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में ऐसे बच्चों को भी प्रतिमाह 3000 रुपए का भरण -पोषण भत्ता दिया जायेगा। जिनके परिवार में कमाने वाला एकमात्र मुखिया था और जिनकी मृत्यु कोविड -19 संक्रमण से हुई हो। मुख्यमंत्री ने इस सूचना को अपने शोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर करते हुए कहा 

प्रिय उत्तराखंड वासियों,

आपकी सरकार ने यह तय किया है कि प्रदेश के सभी ऐसे बच्चे, जिन्होंने कोविड -19 महामारी से अपने माता – पिता को खोया है, उन सभी की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी। इसके लिए हम ‘मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना’ लेकर आए है ।

राज्य के ऐसे बच्चों की आयु 21 वर्ष होने तक उनके भरण-पोषण व शिक्षा की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। उनको प्रतिमाह 3000 रुपए भत्ता दिया जाएगा। इन बच्चों के वयस्क होने तक उनकी पैतृक संपत्ति को बेचने का अधिकार किसी को नहीं होगा। यह जिम्मेदारी संबंधित जिले के जिलाधिकारी की होगी।

ऐसे सभी बच्चों को राज्य की सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जायेगा। प्रदेश में ऐसे बच्चों को भी प्रतिमाह 3000 रुपए का भरण-पोषण भत्ता दिया जायेगा जिनके परिवार में कमाने वाला एकमात्र मुखिया की मृत्यु कोविड -19 संक्रमण से हुई हो।

मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आगामी मानसून सीजन के दृष्टिगत बैठक लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी संबंधित विभाग आपदा से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर लें। यह समय चुनौती का है, बादल फटने की घटनाएं भी हो रही हैं। आपदा के दृष्टिगत सभी आवश्यक उपकरण तैयार रखे जाय। जनपद के साथ ही तहसील एवं ब्लॉक लेवल पर भी आपदा कंट्रोल रूम बनाए जाय। यह सुनिश्चित किया जाय कि किसी क्षेत्र में आपदा आने पर रिस्पॉन्स टाइम कम से कम हो। सभी जिलाधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों की फोन लिस्ट अपडेट रखें, ताकि किसी भी प्रकार की घटना होने पर त्वरित कार्यवाही की जा सके। आपदा के दृष्टिगत संवेदनशील स्थानों पर रिलीफ कैंप के लिए जगह चिन्हित की जाय।

मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मानसून सीजन के दृष्टिगत पर्वतीय जनपदों में खाद्यान्न की पूर्ण व्यवस्था रखी जाय। सभी लाइन डिपार्टमेंट से नोडल ऑफिसर की नियुक्ति जल्द की जाय। यह सुनिश्चित हो कि आपदा के दौरान किसी भी प्रकार की क्षति होने पर आपदा के मानकों के हिसाब से संबंधित को क्षतिपूर्ति का भुगतान जल्द हो। जिन जनपदों में अभी मॉक ड्रिल नही हुई है, कोविड अप्रोप्रिएट बिहेवियर का ध्यान रखते हुए जल्द की जाय। आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील एवं संवेदनशील स्थानों पर हर समय पर्याप्त उपकरणों की व्यवस्था की जाय। आपदा के दृष्टिगत सभी जिलाधिकारी हेलीपैड मेंटिनेंस पर विशेष ध्यान दें।

मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि लोगों को आवागमन में कम से कम परेशानी हो, इसके लिए वैकल्पिक मार्गों की पूर्ण व्यवस्था हो। आपदा प्रबंधन की दृष्टि से पेयजल एवं बिजली की आपूर्ति के लिए क्विक रिस्पॉन्स हो। पेयजल गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाय।

मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि संवेदनशील जल विद्युत परियोजनाओं के दृष्टिगत इनके आस-पास अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाये जाय। आपदा की दृष्टि से हेलीपैड मेंटिनेंस के लिए डीएम, एसडीआरएफ एवं नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारी इनका स्थलीय निरीक्षण करें। यह सुनिश्चित किया जाय कि संचार व्यवस्थाएं सुचारू रहे।

बैठक में वर्चुअल माध्यम से आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार श्री शत्रुघ्न सिंह, प्रमुख सचिव श्री आर.के सुधांशु, सचिव श्री शैलेश बगोली, श्री नितेश झा, श्री एस.ए.मुरुगेशन, डीआईजी एसडीआरएफ श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल, संबंधित विभागीय सचिव, सभी कमिश्नर एवं जिलाधिकारी उपस्थित थे।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे.पी नड्डा ने कोविड-19 के दौरान केन्द्र सरकार द्वारा कि ये गये कार्यों एवं राज्यों में कोविड की स्थिति के बारे में सांसदों से वर्चुअल संवाद किया। उन्होंने कहा कि कोविड काल में जनता को उचित इलाज एवं अन्य आवश्यकताओं का ध्यान रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। कोविड पर प्रभावी नियंत्रण के लिए देश केदूर-दराज के क्षेत्रों एवं गांवों तक टेस्टिंग एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना होगा।

मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में पिछले एक सप्ताह से कोविड के मामलों में तेजी से कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों तक व्यापक स्तर पर कोविड टेस्ट कराये जा रहे हैं। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से सुधार हुआ है। वर्तमान में राज्य में 183 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है। अभी राज्य में 6110 ऑक्सीजन बैड, 10300 ऑक्सीजन सिलेण्डर, 6110 ऑक्सीजन सपोर्टेड बैड, 1553 आईसीयू, 983 वेंटिलेटर, 2293 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 459 एम्बुलेंस तथा 30 हजार 568 आईसोलेशन बैड उपलब्ध हैं। मई माह में उत्तराखण्ड में प्रति लाख पर सैंपलिंग दर 40 हजार तक भी गई है। अन्य राज्यों की तुलना ने उत्तराखण्ड का कोविड सैंपलिंग रेट बहुत अधिक है। कोविड टैस्टिंग के लिए राज्य में 10 सरकारी एवं 26 प्राइवेट लैब हैं।

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महामंत्री ऋषिकेश निवासी जयपाल जाटव का कोरोना संक्रमण के चलते आकस्मिक निधन हो गया, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा कि “आज एक और बड़ी दु:खद खबर अभी-अभी मुझे बताई गई है। मेरा अभिन्न दोस्त, एक कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता, सामाजिक न्याय के लिए समर्पित, रैदास जी का अनन्य भक्त, भगवान बाल्मीकि जी का अनन्य सेवक, दलितों का नेता, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महामंत्री, कांग्रेस के लिए जीवन भर झंडा उठाकर के आगे-आगे चलने वाला जयपाल जाटव नहीं रहा। कोरोना से उसने लंबी लड़ाई लड़ी, जब उसको सामान्य ऑक्सीजन बेड से वेंटिलेटर में डाला, मैंने डॉक्टर साहब से कहा कि मत डालो, वेंटीलेटर में वो पेट के बल कैसे लेटेगा, बोले हम कितनी कोशिश कर रहे हैं वो नहीं लेट रहे हैं। मैंने कहा मैं उससे बात करता हूंँ तो डॉक्टर साहब ने कहा ठीक है मैं बात करवाता हूंँ तब तक वो वेंटिलेटर में जा चुका था। हरीश रावत ने कहा कि जयपाल जाटव का निधन कांग्रेस और समाज के गरीबों की एक बड़ी क्षति है।