मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा उत्तराखंड में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका हेतु तैयारी पूरी, महाराष्ट्र: गढ़चिरौली के एटापल्ली के वन क्षेत्र में13 नक्सली ढेर, इंफोसिस के मालिक नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति क्यों राघवेन्द्र मठ में बेचती हैं शब्जियां!

मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों के साथ सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा प्रदेश में कोविड की रोकथाम और बचाव कार्यों की समीक्षा की।

मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाने के निर्देश दिये जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे बच्चों की सहायता की जा सके, इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के लिये तैयारियों को शीघ्रता से धरातल पर लागू किया जाए। वर्तमान में कोविड के मामलों में कमी देखने को मिल रही है, फिर भी हमें पूरी तरह से सावधान रहना है। किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। तीसरी लहर में बच्चों पर फोकस करना है। जिला व ब्लॉक स्तर तक इसकी मैपिंग हो। फील्ड में काम करने वालों को मालूम होना चाहिए कि किसी तरह की परिस्थिति में उन्हें क्या करना है। कोविड की तीसरी लहर से पहले सारी तैयारियां पुख्ता कर ली जाएं। इसमें किसी तरह की कोई कमी न हो। जिलाधिकारी ग्रामवार इसकी पूरी प्लानिंग रखें। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। कालाबाजारी को रोकने के लिए लगातार जरूरी कार्रवाई की जाएं। ई-संजीवनी का अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है। इसे और अधिक सुदृढ़ और प्रचारित किया जाए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल पर भी ध्यान दिये जाने की जरूरत है। नगर निकायों में शहरी विकास विभाग और ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज विभाग इसे सुनिश्चित कराएं।  

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड को लेकर अधिक ध्यान देना है। इसके लिए विकेंद्रीकृत योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। आशा, एएनएम की सही तरीके से ट्रेनिंग हो। पीएचसी व सीएचसी स्तर तक तैयारियां हों। हर ब्लाॅक में कन्ट्रोल रूम हों। ग्राम सभाओं का सहयोग लिया जाए। जहाँ तक सम्भव हो दूरस्थ क्षेत्रों के लिए मोबाईल टेस्टिंग वैन, मोबाईल लैब, सेम्पलिंग वैन की व्यवस्था हो। गांव-गांव, घर- घर तक जरूरी मेडिकल किट व दवाओं की उपलब्धता हो। गांवों में क्वारेंटाईन सेंटर चिन्हित कर उन्हें जरूरी सुविधाओं से युक्त किया जाए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि वैक्सीनेशन में धन की कमी नहीं है। इसके लिये हर सम्भव प्रयास कर वैक्सीनैशन की प्रक्रिया में तेजी लानी है। प्रस्तावित और निर्माणाधीन आक्सीजन जेनरेशन प्लांट को जल्द पूरा किया जाए। आक्सीजन आपूर्ति में बहुत सुधार हुआ है। इसे आगे भी बनाये रखना है। हमारे सभी आईसीयू संचालित होने चाहिए। कोविड से सम्बंधित सूचनाओं की रियल टाईम डाटा एन्ट्री सुनिश्चित की जाए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि डेंगू को लेकर भी तैयारियां की जाएं। इसके बचाव के संबंध में जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं। यह देख लिया जाए कि हमारे कोविड अस्पताल और कोविड केयर सेंटर के आस-पास पानी एकत्र न हो। 

मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश ने कहा कि टेस्टिंग विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्टिंग को बढाने की जरूरत है। कोविड की तीसरी लहर की अभी से सारी तैयारी की जानी है। बाहर से आने वालों पर विशेष ध्यान दिया जाए। जनजागरूकता में ग्राम समितियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। आक्सीजन आपूर्ति की तैयारी मानसून को ध्यान में रखते हुए कर ली जाए।

बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार श्री शत्रुघ्न सिंह, डीजीपी श्री अशोक कुमार, अपर मुख्य सचिव श्रीमती मनीषा पंवार, सचिव श्री अमित नेगी, डॉ पंकज कुमार पाण्डेय सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

महाराष्ट्र: गढ़चिरौली के एटापल्ली के वन क्षेत्र में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली। बीती सुबह एक पुलिस अभियान में 6 पुरुषों और 7 महिलाओं सहित 13 नक्सलियों को मार गिराया गया। नक्सलियों के पाा से एके-47, एसएलआर राइफल, 303 राइफल, 12 बोर राइफल और विस्फोटक बरामद किए गए। इस बड़ी कार्रवाही से अर्बन नक्शल में खलबली की खबर है। 

प्रेम जब #नम्रता उभरती है और अहम लुप्त होता है, तो महान व्यक्तित्व उभरता है!!

कुछ समय पूर्व ट्विटर पर इंफोसिस के मालिक नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति की सब्जियां बेचते हुए फोटो वायरल हो गई। बाद में पड़ताल हुई तो पता चला कि वास्तव में फोटो सुधा मूर्ति की ही है, जो 2480 करोड रुपए की मालकिन है।
“किंतु वे सब्जियां क्यों बेच रही हैं?”
उसका उत्तर मिला “वह राघवेंद्र मठ (मंदिर) में प्रति वर्ष 3 दिन के लिए आती हैं, चुपचाप। वहां पर फल, सब्जी काटना, व्यवस्थित करना, रसोई के काम में लगना, यह सब काम करती हैं, स्वयं अपने हाथ से।

जब उनसे पूछा गया “यह क्या है, आप क्यों ऐसा करती हैं?” तो उन्होंने कहा “यह अपने अहम को मारने की एक विधि है, जो मैंने पंजाब में गुरुद्वारे में होने वाली कार सेवा को देखकर सीखी है। पैसों का दान देना भी अच्छी बात है, किंतु स्वयं शारीरिक श्रम करना व सामान्य लोगों के साथ, सामान्य लोगों की तरह, तीन-चार दिन रहना, यह मेरे अहंकार की वृद्धि नहीं होने देता। वर्ष भर मैं इसके कारण से सेवा भाव में रहती हूं।”

वह कितना व कहां कहाँ दान करती हैं, कैसे करती हैं, वह नहीं बताना चाहती। (यह निश्चित है कि वह करोड़ों में है)

स्वयं नारायण मूर्ति को जो 68 वर्ष के हो गए हैं, को एक कार्यक्रम में 78 वर्षीय रतन टाटा के पैर छूते हुए, दो वर्ष पूर्व, सब ने देखा है। विनम्रता जब उभरती है, तो ऐसी घटनाएं सामान्य होती हैं।
क्या इतने उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद ऐसा करना संभव है? कितना कठिन है कि जिनके नौकरों के पास भी SUV कारें हों, आलीशान बंगले हैं, वह महिला सामान्य कारसेवक महिलाओं के साथ उसी तरह काम करे व 15-16 साल से किसी को पता भी न चले, धन्य धन्य!

चित्र में सुधा मूर्ति राघवेंद्र मठ में सब्जियों के साथ!!
और अरबपति नारायण मूर्ति ,रतन टाटा के पैर छूते हुए।

सच है देश में ऐसे कुछ बड़े लोग पैसे से ही नहीं दिल से भी बड़े हैं