ज्योतिष्पीठ और द्वारकापीठ के शंकराचार्य सनातन धर्म संस्कृति के महत्वपूर्ण स्तम्भ स्वामी स्वरूपानंद नन्द महाराज जी का परमहंसी आश्रम से देवलोक गमन, देश भर से संतों और जनप्रतिनिधियों द्वारा श्रध्दांजलि का क्रम जारी

 ज्योतिष्पीठ और द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी सनातन धर्म संस्कृति के महत्वपूर्ण स्तम्भ स्वरूपानंद नन्द महाराज का परमहंसी आश्रम में देवलोक गमन देश भर से संतों और जनप्रतिनिधियों द्वारा श्रध्दांजलि का क्रम जारी।

       सनातन धर्म संस्कृति के अतीव महत्वपूर्ण स्तम्भ और शंकराचार्य पद पर आदिगुरू शंकराचार्य के निर्देशानुसार पचास वर्ष पूर्ण करने पर देश भर में ५० स्वर्ण ज्योत प्रज्वलित करने वाले महान ऋषि दंडीस्वामी श्री स्वरूपानंद जी सरस्वती जी को भावभीनी श्रध्दांजलि और उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर मातृपीठ में अंतिम सांस ली। वे पचास वर्ष से अधिक समय तक ज्योतिष्पीठ और द्वारकापीठ के शंकराचार्य रहे। वे देश में गो हत्या तथा मंदिरों को क्षति पहुंचाये जाने के विरोध में संघर्ष करते रहे उनका आवाह्न था कि हर मंदिर के समीप एक गुरूकुल अवश्य होना चाहिए। जहां भारतीय संस्कृति वैदिक विज्ञान वैदिक इस गणित, ज्ंयोतिष व कर्मकांड के साथ ही भगवत गीता जैसे विषयों का समावेश अवश्य रहे। जब संन्यासी शरीर छोड़ता है तब उनकी अंतिम विधि के लिए साथ में चलने वाला व्यक्ति जितने कदम चलता है उसे उतने अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। संन्यासी जाते जाते भी वो लुटाते चलता है जो कोई राजा या सम्राट कभी नही दे सकता। (स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज का गुरुगीता पर प्रवचन भाष्य अंश)

करोड़ो करोड़ अश्वमेध से उत्पन्न होने वाला दिव्य प्रकाश पूंज परमहंसी में विद्यमान हो गया होगा। 

पृथ्वी पर के सर्वोच्च संन्यासी ने महाप्रयाण किया है।

*99 वर्ष की आयु में हुए ब्रह्मलीन*

*सनातन धर्म, देश और समाज के लिए किया अतुल्य योगदान*

*हृदयगति के रुक जाने से अपराह्न 3.21 पर हुए ब्रह्मलीन*

स्वतन्त्रता सेनानी, रामसेतु रक्षक, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने वाले तथा रामजन्मभूमि के लिए लम्बा संघर्ष करने वाले, गौरक्षा आन्दोलन के प्रथम सत्याग्रही, रामराज्य परिषद् के प्रथम अध्यक्ष, पाखण्डवाद के प्रबल विरोधी रहे थे।

यह जानकारी पूज्यपाद ब्रह्मीभूत शंकराचार्य जी के तीनों प्रमुख शिष्यों स्वामी सदानन्द सरस्वती, स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती एवं ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द जी द्वारा दी गयी।breakinguttarakhand.com न्यूज संस्थान की ओर से ऐसे महान विभूति और महान ऋषि दंडीस्वामी श्री स्वरूपानंद जी सरस्वती जी महाराज को भावभीनी श्रध्दांजलि और नमन् ✍️हरीश मैखुरी