कश्मीर में दामाद बनाये गये गद्दारों की सुरक्षा वापस, दुबक गये घरों में

हरीश मैखुरी 

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले में चालीस जवान शहीद होने के बाद कश्मीर घाटी में अलगाववादी नेताओं पर केंद्र सरकार द्वारा लगातार कार्रवाई जारी है। 17 फरवरी के बाद से अभी तक जिन प्रमुख हुर्रियत व देश के साथ गद्दारी करने वाले लोगों की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा शामिल हैं। जम्मू कश्मीर के 18 हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ली गयी , पूर्ववर्ती  सरकारों द्वारा  कश्मीर के करीब 1500  अलगाववादी नेताओं को लोगों को दशकों से कड़ी सुरक्षा मुहैया करवाई गई है । ये लोग  सुविधाएं भारत से लेते हैं और बड़े सलीके से  काम पाकिस्तान के लिए करते हैं।  कश्मीर में हो रही आतंकवादी गतिविधियों के लिए बड़े हद तक यही लोग जिम्मेदार हैं। अभी भी करीब  1400 लोगों की सुरक्षा वापस ली जानी बाकी गई, अभी तक 18 हुर्रियत और 155 कश्मीरी प्रतिनिधियों की सुरक्षा हटाई गई 70 सालों में ऐसा पहली वार हुआ है । इन गद्दारों की सुरक्षा से हटी लगभग सौ गाड़ियां और एक हजार सुरक्षाकर्मी अब देश की सुरक्षा में लगेंगे। सुरक्षा हटने के बाद  घर में दुबके मुहम्मदअली शाह गिलानी ने कहा कि  वह इस पर कुछ नहीं कहेंगे। देखा जाय तो भारत के प्रधानमंत्रियों का  पाकिस्तान के प्रति  सॉफ्ट कॉर्नर ही भारत के लिए समस्या बना है, पटेल ने करीब 5000 रियासतें  देश के लिए एक करी कहीं कोई समस्या नहीं, लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू को कश्मीर का जिम्मा दिया गया था  नतीजा आज सबके सामने है, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा भी पाकिस्तान के  90000 सेनिकों को कंगाली में भी राशन खिलाकर शकुशल वापस भेजा गया । कहा जाता है कि पाकिस्तान में घुसे भारत के 350 सैनिकों को वापस बुलाने की सुध नहीं ली गई, बंगलादेश अलग कर दिया लेकिन भारत में विलीन करने की कोशिश नहीं की । पूर्ववर्ती सरकारों ने सालोंं से कश्मीर के अलगाववादी देश द्रोहियों को भारी सुरक्षा और वाहन मौजूद उपलब्ध कराए हुए हैं, यह अलगाववादी लोग इन सुविधाओं का उपयोग भारत केेेे खिलाफ जहर उगलने के लिए करते , और पाकिस्तान के पक्ष में बड़े सलीके काम करते रहे हैं। अब सरकार ने इनकी सुरक्षा वापस लेकर देश के लिए एक सकारात्मक पहल की है। पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा की गई ऐतिहासिक भूलों से वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबक लेते हुए कार्य करना चाहिए।