ठीक राममंदिर भूमि पूजन के दिन ही बागेश्वर के बैजनाथ मंदिर में शदियों से आस्था का केंद्र रही शिला को खंडित करना गहरी शाजिस तो नहीं

हरीश मैखुरी

कल ही राममंदिर का निर्माण और कल ही बागेश्वर के बेजनाथ में शादियों से आस्था का केंद्र रहे शिला को खंडित किया जाना गहरी शाजिस तो नहीं?

 बैजनाथ मंदिर में जो भी श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते थे यहीं मंदिर के साथ लगे खेत में इस भगवान के पत्थर को हाथों से उठाते और जो जितना ऊपर तक उठा पाता उसे उतना ही पुण्य लाभ मिलता। लेकिन कल राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के अवसर के दिन ही कुछ शरारती तत्वों ने जानबूझकर इस पत्थर को तोड़ दिया निश्चित रूप से इस पत्थर का टूट जाना लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ है और इतिहास के साथ छेड़छाड़ है सदियों से यह पत्थर इसी खेत में पड़ा रहता था जो भी आता श्रद्धालु जो भी आता हे भगवान के दर्शन करता और उसके बाद इस पत्थर को हाथों में ऊपर की ओर उठाता जितना ऊपर यह पत्थर उठता था उतनी ही मनोकामना पूर्ण होने की संभावना बनती थी, सोशल मीडिया पर भी  इसको लेकर  तरह-तरह की चर्चाएं और भारी आक्रोश व्याप्त है। मामले में जिला प्रशासन का कहना है कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है और इसकी जांच की जा रही है जो भी दोषी होंगे उनको बख्शा नहीं जाएगा

 

क्या किसी सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने तत्वों की ओर इशारा करता है??

 

क्या  किसी भाई ने भाईचारा का परिचय दिया ?

 

जिसने भी ये अक्षम्य व निन्दनीय कुकृत्य जानबूझकर किया है उसे भगवान भोले शंकर ज़रूर इसका दण्ड देंगे।

 

बैजनाथ मन्दिर में कई वर्षों से पड़ा एक गोलाकार भारी पत्थर जो सभी को एक प्रेरणा व संदेश देता था कि मिलकर-जुलकर प्रयास करने पर भारी से भारी बोझ को आसानी से उठाया जा सकता है और लक्ष्य प्राप्ति में निश्चित सफलता मिलती है, 5 अगस्त 2020 को ये टूटा हुआ मिला।

इसके पीछे जिसका भी हाथ हो उनको सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि हमारी सांस्कृतिक विरासत को हाथ लगाने से पहले अराजक तत्वों को 100 बार सोचना पड़े।