इसे राजनीति नहीं निर्मम कूटनीति कहते हैं, ऐसा एक निर्मोह कूटनीतिज्ञ ही कर सकता है

एक ओर पूरा विपक्ष अपमानित हो रहा है कि हमको नहीं बुलाया, इकबाल अंसारी को बुला लिया… दूसरी ओर इकबाल अंसारी अपमानित हो रहा है कि जिनके खिलाफ वो पुश्तों से लड़ रहा है, उन्हीं के विजय कार्यक्रम में उसे लहंगा उठा कर नाचना पड़ रहा है।

इसे राजनीति नहीं, निर्मम कूटनीति कहते हैं, ऐसा करने वाले को निर्मोही कूटनीतिज्ञ कहा जाता है। बिना मोह और लालच के समर्पित भाव से ही ये मंदिर निर्माण कार्यक्रम संभव है भी। 

● जिसने कभी विधानसभा का दरवाजा तक नहीं देखा और वो जब विधानसभा गया तो सीधे मुख्यमंत्री बन कर…

● जिसने कभी संसद की चौखट तक नहीं देखी लेकिन जब संसद भवन गया तो सीधे प्रधानमंत्री बन कर…

● जिसने मामूली कारसेवक बन कर अयोध्या में कार सेवा की, लेकिन फिर उस अयोध्या को पलट कर नहीं देखा और अब अयोध्या गया है, तो सीधे अपना अभीष्ट पूरा करने…

कभी देखा है इससे पहले इतना हठी और समर्पित व्यक्ति ?

मोदी को जितना कर सकते हों, स्नेह- सम्मान कीजिये… मोदी से जी भर कर घृणा कीजिये, लेकिन उससे भी ज्यादा उससे डरा कीजिये।
पिछले तीन माह में उसकी आँखों में सुलगती हुई ज्वाला और छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह बढ़ी हुई दाढ़ी आने वाले तूफान का संकेत है, चाहो तो लिख कर रख लीजिये।

मोदी के वस्त्र विन्यास के भी अपने अर्थ होते हैं, मोदी के हाथ हिलाने का भी एक अर्थ होता है… यह हठी व्यक्ति निर्विकार भाव से किसी की ओर देखता भी नहीं है। (साभार)