मैं उत्तराखंड का सीमांत जनपद चमोली हूँ

मैं चमोली हूँ ! — 59 बरस बाद भी मय्यसर नहीं हो पाई मूलभूत सुविधाएं ! (24 फरवरी – जन्मदिन विशेष)

ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!

मैं उत्तराखंड का सीमांत जनपद चमोली हूँ। आज मेरा जन्मदिन है। मेरे मन में बहुत सारे सवाल कौंध रहें हैं। मेरे अंदर एक छटपटाहट सी है। आज मैं अपने मन की बातें आपसे साझा करना चाह रहा हूं।

चन्द्र्मोली से लेकर चमोली, ज्योत्रीमठ से लेकर कत्युरी राजवंश, नंदाराजजात से लेकर रम्माण का सलुड से राजपथ तक का सफ़र बहुत ही गौरवाविन्त कर देने वाला रहा है। आज मेरा भी जन्मदिन है। आज में 59 बरस का हो गया हूं । 24 फरवरी १९६० को पौड़ी जनपद से अलग होकर मेरा गठन हुआ था। जब में महज १० साल का था तो मैंने २० जुलाई १९७० को गौना ताल टूटने की विभीषिका झेली। जिसके दिए जख्म आज भी हरे हैं। उस त्रासदी के बाद मैंने अपना मुख्यालय चमोली कस्बे से गोपेश्वर शिप्ट कर दिया था। १४ साल की उम्र में मैंने दुनिया को जंगल बचाने हेतु पर्यावरण संरक्षण का जादुई मंत्र अंग्वाल ( चिपको आन्दोलन) दिया और देश दुनिया को गौरा देवी का परिचय दिया। लेकिन आज जब चिपको की प्रासंगिकता सबसे ज्यादा है तो गौरा देवी और चिपको की गाथा केवल लेखों, काॅलम, अखबारों तक ही सीमित होकर रह गयी। ३४ साल की उम्र में अलग राज्य आन्दोलन की अगुवाई की, जिसका सूत्रधार में ही हूँ। ३९ साल की उम्र में भूकम्प की विभीषिका झेली। जिसने मेरे भविष्य पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया।

२००० में अलग राज्य का गठन हुआ, मुझे उम्मीद थी की मेरे गैरसैंण को स्थाई राजधानी का अहोदा मिलेगा और आवाम के सपने पुरे होंगे। लेकिन जल्द ही मेरा भ्रम भी टूट गया। लोगों ने मेरे गैरसैंण को राजधानी आयोग की बोतल में कैद कर दिया। गैरसैंण के नाम पर सबसे ज्यादा मुझे छला गया, अपनी राजनीती चमकाने के लिए लोगों ने मेरे नाम की रोटियां सेंकी और जब मुकाम मिला तो मुझे ही भूल गए। 59 सालों में देश के सबसे बड़े सदन लोकसभा में मेरे जनपद का एक भी व्यक्ति सांसद बनकर नहीं जा पाया।

२००६ में जनपद में आई भारी बारिश ने मेरे कई गांवो को भूस्खलन की जद में ला दिया। जिस कारण से विगत 13
सालों में 130 से अधिक गांव मौत के मुहाने पर आ चुकें हैं। 13 सालों से इन गांवों के विस्थापन की फाइलें तंत्र के मेजों की रोनक बढ़ा रही है। २ अक्तूबर २००९ को मेरी ५०० साल पुरानी मुखोटा नृत्य- रम्माण को यूनेस्को ने विश्व सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया। इससे पहले २००५ में मेरी फूलों की घाटी और नंदा देवी पार्क को भी विश्व धरोहर घोषित किया जा चूका है। मार्च २०१२ में बंड पट्टी में शराब के खिलाप प्रसिद कंडाली आन्दोलन की सफलता ने मेरा नाम क्रांति शहर मेरठ तक उंचा किया। जून २०१३ में आई हिमालयी आपदा ने मुझे झकझोर कर रख दिया। जबकि 2018 में थराली के सोल घाटी, ढाढरबगड देवाल के कुलिंग व बुराकोट और घाट के मोखमल्ला व कुंडी गाँव में बारिश नें तबाही मचाई। आपदा ने मेरी गोविन्दघाट और पिंडर घाटी का भूगोल ही बदल कर रख दिया था। इन घाटियों में स्थितियाँ अभी सुखद नहीं कही जा सकती। बरसात में लोगो को जान हथेली पर रखकर लकडियों के सहारे नदियों को पार करना यहां मजबूरी बन गई है। लोगों की जिंदगी बल्लियों के संग झूले को विवश है। मेरे तीन संगम केवल आस्था के प्रतीक भर हैं। लेकिन इनको संवारने की योजनाएँ कागजों तक ही सीमित है। २०१४ के भादो के महीने आयोजित हिमालयी महाकुम्भ नंदादेवी राजजात यात्रा में मेरे यहाँ लाखो श्रदालु यात्रा में पहुंचे। सभी लोगों के अथक प्रयासों से उक्त जात निर्विवाद सम्पन्न हुई। इस आयोजन से मेरा हर गांव नंदामय हो गया था। २०१५ और 2016 में गैरसैण में विधानसभा सत्र और बजट सत्र ने गैरसैण राजधानी को लेकर नई उम्मीद जगाई थी। स्थाई राजधानी को लेकर मेरी उमीदों को मानो पंख लग गए थे। लेकिन जब राजनीतिक दलों की सच्चाई मालूम चली तो बहुत दुख हुआ। ये राजधानी के नाम पर केवल राजनीतिक रोटियां सेक रहें है। 26 जनवरी २०१६ को गणतंत्र दिवस की परेड में मेरे रम्माण की प्रस्तुती ने मुझे झुमने को मजबूर कर दिया। मेरे मुख्यालय गोपेश्वर में स्थापित पशुपालन विभाग के निदेशालय के यहाँ से देहरादून स्थानांतरित हो जाने से यहां की रौनक ही चली गयी है। वहीं मंडल में स्थापित जड़ी बूटी शोध संस्थान को खुद संजीवनी की तलाश है। भूकंप की दृष्टि से जोन पांच / अति संवेदनशील श्रेणी में होने के बाबजूद भी मुझे जलविधुत परियोजनाओं के नाम पर खुर्द-बुर्द किया जा रहा है जो भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है। मेरे यहां निर्माणाधीन दर्जनो जलविधुत परियोजनाओं को लेकर पर्यावरण के जानकारों का मौनव्रत भी समझ से परे है। मेरे दशोली गढ के कोट कंडारा गांव की होनहार बिटिया दिव्या रावत मशरूम मिशन के जरिये पूरे देश में मेरा नाम भी रोशन कर रही है। मुझे ऐसी बेटियो पर नाज है। मुझ पर प्रकृति ने अपना पूरा खजाना लुटाया- बद्रीनाथ, फूलों की घाटी, औली, हेमकुंड, चिनाप फूलों की घाटी, सहित कई अनगिनत उपहार दियें हैं। लेकिन निति नियंताओं ने सदैव मेरी उपेक्षा की है। मेरे देवाल ब्लाक के हरमल, चोटिंग, तोरती, झलिया, रामपुर, बलाण, पिनाऊ गांव, घाट ब्लाक के कनोल, जोशीमठ ब्लाक के द्रोणागिरी सहित दर्जनों गांव में 59 साल बाद भी न तो बिजली पहुँच पाई न ही सडक और न ही दूरसंचार। इन दिनों सड़क की मांग को लेकर मेरे घाट ब्लाक के कनोल के ग्रामीण जिला मुख्यालय गोपेश्वर में आंदोलन कर रहे हैं।
मेरे इन गांव के लोग डिजिटल युग में अँधेरे में जीवन यापन कर रहें है। अधिकांश गांव के लोग प्राकृतिक स्रोतों से ही पेयजल ढोह रहें है। मेरे पास हस्तशिल्प कला, तीर्थाटन, पर्यटन से लेकर साहसिक खेलों में असीमित संभावनाएँ है जिनसे रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सकता था किंतु इन 59 बरसों मे इस ओर कोई कयावद नहीं की गयी। जिस कारण रोजगार के लिए यहाँ से पलायन बेहद तेजी से हुआ और आज मेरे जनपद के कई गाँव पलायन की वजह से खाली हो गये हैं।

मेरे जनपद में सबसे दयनीय स्थिति शिक्षा की है शिक्षको के अभाव में नौनिहालों को आखर का ज्ञान मिल रहा है। परीक्षायें होने वाली है लेकिन विषयों को पढ़ाने वाले अध्यापक नहीं।डिजिटल और बुलेट ट्रेन के युग में मेरे गांव के लोग २० से लेकर 25 किमी पैदल अपनी रोजमर्रा की वस्तुओं को पीठ में लेकर अपने गांव तक पहुँचते हैं। मेरे ६०० से अधिक गांवो में से अधिकांश गांवो में सडक नहीं पहुची है। कई गांवो की सड़कों की फाइलें वन अधिनियम की मकडजाल में फंसी हुई है। तो कई सड़के तंत्र की लापरवाई से फाइलों में कैद है और जो बन भी रही हैं वो भ्रष्टाचार के चुंगल में है। ऐसे में मेरे इन गांवो तक सडक कब तक पहुंचेगी किसी को नहीं मालूम। सबसे ज्यादा दुखदाई स्थिति स्वास्थ्य की है। भगवान के भरोसे ही जनपद की स्वास्थय सेवाएं है। मेरे सभी अस्पताल पर्ची काटने के रेफर सेंटर बने हुये है। जबकि मैंने सूबे को एक नहीं बल्कि दो दो स्वास्थ्य महानिदेशक दियें हैं। विकास की गाड़ी यहां इतनी तेज गति से जाती है कि ऊर्गम घाटी के लिए स्वीकृत आपातकालीन एम्बुलेंस को मेरे मुख्यालय गोपेश्वर से अपने गंतव्य ऊर्गम तक 90 किमी की दूरी नापनें में 18 महीने लग गये थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां विकास का पहिया कितनी तेजी से घूमता है।

मेरे मुख्यालय गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में स्थापित १२ वीं शताब्दी का ऐतिहासिक त्रिशूल स्तभ भी खतरे में है क्योंकि उस पर लगातार जंक लग रहा है। मेरे हिस्से औली, आली जैसे मखमली बुग्याल आयें हैं जो स्कीइंग के लिए ऐशगाह से कम नहीं है लेकिन दुःखद तस्वीर ये है कि 59 सालों में हम प्रीति डिमरी और वंदना पंवार को छोड़कर कोई भी स्कीइंग खिलाड़ी तैयार नहीं कर पाये। हाँ जरूर संतोष इस बात का है कि इन 59 सालों में कोठियालसैण में इंजीनियरिंग काॅलेज और गोपेश्वर में नर्सिंग काॅलेज की सौगात मुझे मिली।

कुल मिलकर यदि मेरे 59 सालों का आंकलन किया जाय तो साफ़ पता चलता है की मेरी हर किसी ने उपेक्षा की है। और आज भी मुझे बुनियादी सुविधायें मय्यसर नहीं हो पाई है। 59 साल पहले मेरे साथ अस्तिव में आये मेरे सीमांत भाई उत्तरकाशी और पिथौरागढ जनपद की भी तस्वीर और कहानी भी हुबहु कुछ इसी तरह है। जाने कब बदलेगी हमारी तस्वीरें।

ग्राउंड जीरो से संजय चौहान

*चमोली जिले को जन्मदिन की बधाई, *
*24 फरवरी 1960 को आज ही के दिन सीमांत जिला चमोली का गठन हुआ था*
*चमोली जनपद से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी*

*चमोली जनपद के गठन कब हुआ?*
उत्तर – 24 फरवरी 1960
*जोशीमठ किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*औली किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*अली बुग्याल किस जनपद में है?
उत्तर – चमोली
*वेदनी बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
* क्वारी पास बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*नन्द कानन बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
* गुरसों बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*लक्ष्मीवन बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*कैला बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*जलिसेरा बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*घसतौली बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*पाण्डुसेरा बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*प्रसिद्ध फूलों की घाटी/ बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*रुद्रनाथ बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*रताकोण बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*मनणी बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*चौमासी बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
* बागची बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*रूपकुंड बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*कल्पनाथ बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
* औली बुग्याल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*नंदा देवी पर्वत शिखर किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
* आदिबद्री किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*योगध्यान बद्री किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*पांडुकेश्वर स्थल किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*बद्रीनाथ किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*वृद्धबद्री किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*नृसिंह बद्री किस जनपद में है?*
उत्तर – जोशीमठ, चमोली
*अणि मठ किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*कर्णप्रयाग किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*थराली, नारायण बगड़ किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
* नन्द केसरी किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*अलकनंदा और पिंडर नदी का संगम कहाँ होता है?*
उत्तर – कर्णप्रयाग, चमोली
*अलकनंदा और नंदाकिनी नदी का संगम कहाँ होता है?*
उत्तर – नंदप्रयाग, चमोली
*अलकनंदा और घौलीगंगा नदी का संगम कहाँ होता है?*
उत्तर – विष्णुप्रयाग, चमोली
*पिंडर नदी की मुख्य सहायक नदी है?*
उत्तर – कैला नदी, चमोली
*गोविंद मन्दिर समूह (सिमली) किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*चांदपुरगढ़ी किस जनपद में है?*
उत्तर – सिमली के निकट, चमोली में
*बधाण गढ़ी देवी मंदिर किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*नागनाथ मंदिर (पोखरी) किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*नंदा राजजात किस जनपद से सम्बंधित है?*
उत्तर – चमोली
*नंदा देवी(कुरूड़) किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*भद्रा पर्वत जिससे भद्रा गाड़ निकलती है, किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*त्रिशूल पर्वत किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*क्योर गधेरा किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*कुलसारी किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*पात्रणचौणी किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली
*मोलगाड किस जनपद में है?*
उत्तर – चमोली

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