आज का पंचाग आपका राशि फल, भगवान राम की नगरी अयोध्या की कहानी,

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻रविवार, १० अक्टूबर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:२०
सूर्यास्त: 🌅 ०५:५३
चन्द्रोदय: 🌝 १०:२१
चन्द्रास्त: 🌜२०:५३
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 आश्विन
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 पञ्चमी (२६:१४ तक)
नक्षत्र 👉 अनुराधा (१४:४४ तक)
योग 👉 आयुष्मान् (१५:०४ तक)
प्रथम करण 👉 बव (१५:३२ तक)
द्वितीय करण 👉 बालव (२६:१४ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कन्या
चंद्र 🌟 वृश्चिक
मंगल 🌟 कन्या (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 कन्या (अस्त, पश्चिम, वक्री)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 वृश्चिक (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४० से १२:२७
अमृत काल 👉 २८:४७ से ०६:१६
रवियोग 👉 १४:४४ से १९:५४
विजय मुहूर्त 👉 १४:०० से १४:४६
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:४० से १८:०४
निशिता मुहूर्त 👉 २३:३९ से २४:२९
राहुकाल 👉 १६:२५ से १७:५२
राहुवास 👉 उत्तर
यमगण्ड 👉 १२:०४ से १३:३१
होमाहुति 👉 बुध
दिशाशूल 👉 पश्चिम
नक्षत्र शूल 👉 पूर्व (१४:४४ से)
अग्निवास 👉 पृथ्वी
चन्द्रवास 👉 उत्तर
शिववास 👉 कैलाश पर (२६:१४ से नन्दी पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग २ – चर
३ – लाभ ४ – अमृत
५ – काल ६ – शुभ
७ – रोग ८ – उद्वेग
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ २ – अमृत
३ – चर ४ – रोग
५ – काल ६ – लाभ
७ – उद्वेग ८ – शुभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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उत्तर-पश्चिम (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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चतुर्थी तिथि क्षय, उपांगललिता व्रत (ललिता पञ्चमी), शारदीय नवरात्रि के चतुर्थ दिवस आदिशक्ति माँ दुर्गा के चतुर्थ कुष्मांड एवं पंचम स्कन्द स्वरूप का व्रत उपासना आदि, व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०७:५२ से दोपहर १२:१४ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १४:४४ तक जन्मे शिशुओ का नाम
अनुराधा नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (नू, ने) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश (नो, या, यी) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कन्या – २८:३४ से ०६:५२
तुला – ०६:५२ से ०९:१३
वृश्चिक – ०९:१३ से ११:३२
धनु – ११:३२ से १३:३६
मकर – १३:३६ से १५:१७
कुम्भ – १५:१७ से १६:४३
मीन – १६:४३ से १८:०६
मेष – १८:०६ से १९:४०
वृषभ – १९:४० से २१:३५
मिथुन – २१:३५ से २३:५०
कर्क – २३:५० से २६:११
सिंह – २६:११ से २८:३०
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पञ्चक रहित मुहूर्त
अग्नि पञ्चक – ०६:१५ से ०६:५२
शुभ मुहूर्त – ०६:५२ से ०९:१३
रज पञ्चक – ०९:१३ से ११:३२
शुभ मुहूर्त – ११:३२ से १३:३६
चोर पञ्चक – १३:३६ से १४:४४
शुभ मुहूर्त – १४:४४ से १५:१७
रोग पञ्चक – १५:१७ से १६:४३
शुभ मुहूर्त – १६:४३ से १८:०६
शुभ मुहूर्त – १८:०६ से १९:४०
रोग पञ्चक – १९:४० से २१:३५
शुभ मुहूर्त – २१:३५ से २३:५०
मृत्यु पञ्चक – २३:५० से २६:११
अग्नि पञ्चक – २६:११ से २६:१४
शुभ मुहूर्त – २६:१४ से २८:३०
रज पञ्चक – २८:३० से ३०:१६
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आपका आज का दिन अत्यन्त थकान वाला रहेगा। कार्य की भरमार रहने से शारीरिक एवं मानसिक रूप से परेशान रह सकते है। कार्य क्षेत्र से आज आशा के अनुसार लाभ होने की संभावना भीं है। आकस्मिक यात्रा की भी सम्भवना बनी रहेगी। दिनचर्या में कई बदलाव करने पड़ेंगे। आपकी सामाजिक छवि निखरेगी। संध्या के समय धन लाभ अवश्य होगा। परिजनों को आज आपकी आवश्यकता पड़ेगी परन्तु घरेलु कार्यो में टालमटोल ना करें अन्यथा वातावरण ख़राब हो सकता है। संध्या के समय उत्तम भोजन सुख मिलेगा। गृहस्थ सुख आज सामान्य से कम ही रहेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज आपके सोचे कार्य प्रारंभिक गतिरोध के बाद सफल बंनेगे। व्यवसायी लोग उचित निर्णय क्षमता का लाभ अवश्य पाएंगे। नौकरी वाले जातक भी अधिकारियों के नरम व्यवहार का लाभ उठा सकते है। महिलाएं आज प्रत्येक क्षेत्र में अधिक सक्रिय एवं सफल रहेंगी। सामाजिक आयोजनों में भागीदारी की पहल करना सम्मान बढ़ायेगा। बेरोजगारों को रोजगार एवं अविवाहितो के लिए रिश्ते की बात बनने की अधिक सम्भावना है हार ना मान प्रयास जारी रखें। धन लाभ आंशिक परंतु तुरंत होगा। दाम्पत्य में थोड़े उतार-चढ़ाव के साथ शांति बनी रहेगी। सेहत सामान्य रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज भी परिस्थितियों में उतार चढ़ाव लगा रहेगा इसलिए प्रत्येक कार्य को देख भाल कर ही करें। स्वभाव में जल्दबाजी रहने के कारण आपके कुछ निर्णय गलत साबित हो सकते है फिर भी प्रयास जारी रखें आशानुकूल ना सही कुछ लाभ अवश्य होगा। खर्च पर नियंत्रण ना रहने से आय व्यय का संतुलन बिगड़ सकता है संताने आज अधिक जिद्दी व्यवहार करेंगी गुस्सा ना करें। पूर्व नियोजित नए कार्य एवं धन सम्बंधित सरकारी कार्य आज ना करें। मध्यान के आस-पास सेहत प्रतिकूल बनेगी पेट अथवा वायु सम्बंधित व्याधि एवं शक्ति हीनता अनुभव कर सकते है। परिवार में शांति रखने के लिए आवश्यकताओ की पूर्ति समय पर करें।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आपका आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। व्यवसायिक एवं पारिवारिक उलझने कम होने से आज आपकी योजना सफल बनेगी। परिजनों का व्यवहार भी आपके अनुकूल रहेगा सहयोग की उम्मीद भी रख सकते है। लेकिन आज यथार्थ पर ज्यादा ध्यान रखें स्वप्न लोक की सैर ना करें। कार्य व्यवसाय स्थल पर लोगो की सहानुभूति मिलेगी। धन लाभ आशानुकूल नहीं फिर भी कार्य चलने लायक अवश्य होगा। प्रेम प्रसंगों में कई दिन से चल रही कड़वाहट ख़त्म होगी। कार्यो की थकान मिटाने के लिए मनोरंजन के अवसर तलाशेंगे इन पर खर्च भी करेंगे।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज भी दिन का अधिकांश समय आपकी आशाओं के विपरीत रहने वाला है। घर बाहर विरोध का सामना करना पड़ सकता है। लोग आपकी बातों में नुक्स निकालने के लिए आतुर रहेंगे। परिजनों का रूखा व्यवहार मानसिक रूप से आहत करेगा। सरकारी नतीजे भी विपक्ष में होंगे। प्रतिस्पर्धी आपकी दशा देखकर प्रसन्न रहेंगे परन्तु आज के दिन धैर्य धारण करें शीघ्र ही समय अनुकूल बनेगा। धार्मिक एवं सामाजिक कार्यो में सम्मिलित होने के अवसर मिलेंगे लेकिन बेमन से भाग लेंगे। घर में किसी बाहरी व्यक्ति की दखल होने से वातावरण अशान्त रहेगा। धन सम्बंधित व्यवहार देखभाल कर करें।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज भी दिन आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा परन्तु आकस्मिक खर्च आज अधिक रहने से परेशानी भी होगी। व्यापारी एवं नौकरी पेशा वर्ग आज अधूरे कार्य पूर्ण करने के कारण जल्दी जुट जाएंगे। लाभ की संभावना भी यथावत बनी रहेगी धन लाभ थोड़े थोड़े अंतराल पर होता रहेगा। अनैतिक कार्यो से भी लाभ होने की संभावना है परंतु सावधानी भी अपेक्षित है। धार्मिक कार्य क्रमो के प्रसंग अचानक बनेंगे धार्मिक क्षेत्र की यात्रा भी कर सकते है। स्त्री वर्ग आज आप पर हावी रहेंगी फिर भी असहजता नहीं मानेंगे। घर में शांति बनी रहेगी।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज प्रातः काल में किसी आवश्यक कार्य में विलम्ब होने अथवा बिगड़ने के कारण दिन के पहले भाग में क्रोध से भरे रहेंगे फिर भी व्यवहार में नरमी रखें अन्यथा अन्य लाभों से भी हाथ धो बैठेंगे। परिवार के बुजुर्गो की सलाह आज बहुत काम आने वाली है इसलिए सम्बन्ध ना बिगड़े इसका ध्यान रखें। नौकरी पेशा जातक सामान्य रूप से कार्यो में सक्रिय रहेंगे दफ्तर के कार्य से यात्रा करनी पड़ सकती है। संध्या के समय आलस्य थकान रहने से एकान्त वास पसंद करेंगे। परिजन कुछ मतभेद के बाद भी सहयोग को तत्पर रहेंगे। धन आगम मध्यम रहेगा। ठंडी वस्तुओ का प्रयोग ना करें।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज के दिन व्यवस्थाओं में सुधार आने से आय की संभावनाएं बढ़ेंगी। व्यवहार में भी शालीनता रहने से सभी लोग आपसे प्रसन्न रहेंगे। आज आप कार्यो को आत्मविश्वास से करेंगे जिससे सफलता निश्चित रहेगी परन्तु ध्यान रहे अतिआत्मविश्वास के कारण हास्य के पात्र भी बन सकते है। परिवार की महिलाओं का व्यवहार थोड़ा असमंजस में डाल सकता है फिर भी स्थित नियंत्रण में ही रहेगी। स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। दिन भर व्यस्तता के बाद भी आप मानसिक रूप से प्रसन्न रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर अधिक बोलने से अवश्य बचे मान हानि हो सकती है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज आप प्रातः काल से ही यात्रा की योजना बनाएंगे परन्तु अंतिम समय में किसी कार्य के आने से विघ्न आ सकते है। मन इच्छित कार्य ना होने से दिन भर क्षुब्ध रहेंगे। घर एव बाहर आपका व्यवहार विपरीत रहने के कारण विवाद हो सकता है। आज आप अपने आगे किसी की नहीं चलने देंगे। सहकर्मी आपसे परेशान रह सकते है परन्तु जाहिर नहीं करेंगे। लोगो की भावनाओं को ध्यान में रख व्यवहार करें शांति बनी रहेगी। आज किसी गुप्त रोग होने से नई परेशानी खड़ी हो सकती है। धन सम्बंधित मामलो को लेकर चिंता बढ़ेगी। गृहस्थ जीवन में नीरसता बढ़ने से बाहर का।वातावरण ज्यादा पसंद आएगा।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आपकी आज की दिनचर्या भी थोड़ी संघर्ष वाली रहेगी। स्वभाव से व्यवहारिक रहेंगे लेकिन आज परिश्रम अधिक करने पर भी अल्प लाभ होने से मन दुःख होगा। सरकारी कार्यो में भी किसी की सहायता की आवश्यकता पड़ेगी। उधार लिया धन अथवा अन्य वस्तु आज वापस करना लाभदायक रहेगा। फिर भी घर के सदस्य आपसी सम्बन्धो को अधिक महत्त्व देंगे रिश्तों में भावुकता अधिक रहेगी। नौकरी पेशा जातक व्यवहार शून्यता के कारण अपमानित हो सकते है सतर्क रहें। धन लाभ आशा के विपरीत रहने से कार्यो में बाधा आएगी। खर्च बराबर रहेंगे। शेयर सम्बंधित कार्यो में धन अटक सकता है। घर में मौन रहें।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन लाभ की संभावनाएं बनते बनते बिगड़ सकती है आलस्य की प्रवृति इसका कारण बनेगी। परन्तु फिर भी कार्य क्षेत्र पर सम्मानजनक स्थित बनी रहेगी। प्रतिस्पर्धी भी आपकी कार्य शैली से प्रभावित रहेंगे। जिस कार्य में हाथ डालेंगे सफलता सुनिश्चित रहेगी लेकिन धन लाभ को लेकर स्थिति गंभीर रहेगी धन सम्बंधित कार्यो के प्रति लापरवाह भी रहेंगे जिसका लाभ कोई अन्य व्यक्ति उठा सकता है। सेहत भी लगभग सामान्य बनी रहेगी परन्तु फिर भीं कार्यो के प्रति अधिक गंभीर नहीं रहेंगे। पारिवारिक वातावरण बीच बीच में उग्र बन सकता है। शांति बनाए रखें।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज आपका पारिवारिक जीवन उत्तम रहेगा व्यवसाय में भी आकस्मिक लाभ होने से उत्साहित रहेंगे। पारिवारिकजन किसी महत्त्वपूर्ण कार्य को लेकर इकट्ठे होंगे फिर भी आगे से अपनी राय ना देकर मौन होकर अन्य लोगो की बात सुने शांति बनी रहेगी। कार्य क्षेत्र का वातावरण इसके उलट रहेगा वर्चस्व को लेकर किसी से तू-तू मैं-मै होने की संभावना है परंतु फिर भी धन के दृष्टिकोण से दिन लाभदायक रहेगा। उधारी की वसूली होने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनेगी परिवार में खर्च भी लगे रहेंगे। भविष्य की योजनाओं पर भी धन खर्च कर सकते है।
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〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏

 
*अयोध्या की कहानी। 
जब बाबर दिल्ली की गद्दी पर  
आसीन हुआ उस समय जन्म भूमि सिद्ध महात्मा श्यामनन्द जी महाराज के अधिकार क्षेत्र में थी महात्मा श्यामनन्द की ख्याति सुनकर ख्वाजा कजल अब्बास  
मूसा आशिकान अयोध्या आये  महात्मा जी के शिष्य बनकर  
ख्वाजा कजल अब्बास मूसा ने योग और सिद्धियाँ प्राप्त  
कर ली और उनका नाम  
भी महात्मा श्यामनन्द के  
ख्यातिप्राप्त शिष्यों में लिया जाने लगा…!
ये सुनकर  
जलालशाह नाम का एक फकीर भी  
महात्मा श्यामनन्द के पास आया और उनका शिष्य बनकर  
सिद्धियाँ प्राप्त करने लगा।  
जलालशाह एक कट्टर मुसलमान था, और उसको एक  
ही सनक थी,  
हर जगह इस्लाम का आधिपत्य साबित करना । अत:  
जलालशाह ने अपने काफिर गुरू की पीठ  
में छुरा घोंपकर  
ख्वाजा कजल अब्बास मूसा के साथ मिलकर ये विचार  
किया की यदि इस मदिर को तोड़ कर मस्जिद  
बनवा दी जाये तो इस्लाम का परचम हिन्दुस्थान में  
स्थायी हो जायेगा। धीरे धीरे  
जलालशाह और  
ख्वाजा कजल अब्बास मूसा इस साजिश को अंजाम देने  
की तैयारियों में जुट गए ।
सर्वप्रथम जलालशाह और ख्वाजा बाबर के  
विश्वासपात्र बने और दोनों ने अयोध्या को खुर्द  
मक्का बनाने के लिए जन्मभूमि के आसपास  
की जमीनों में  
बलपूर्वक मृत मुसलमानों को दफन करना शुरू किया॥ और  
मीरबाँकी खां के माध्यम से बाबर  
को उकसाकर मंदिर के  
विध्वंस का कार्यक्रम बनाया। बाबा श्यामनन्द  
जी अपने मुस्लिम शिष्यों की करतूत देख  
के बहुत दुखी हुए  
और अपने निर्णय पर उन्हें बहुत पछतावा हुआ।
दुखी मन से  
बाबा श्यामनन्द जी ने  
रामलला की मूर्तियाँ सरयू में  
प्रवाहित किया और खुद हिमालय की और  
तपस्या करने  
चले गए। मंदिर के पुजारियों ने मंदिर के अन्य सामान  
आदि हटा लिए और वे स्वयं मंदिर के द्वार पर  
रामलला की रक्षा के लिए खड़े हो गए। जलालशाह  
की आज्ञा के अनुसार उन चारो पुजारियों के सर काट  
लिए गए. जिस समय मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाने  
की घोषणा हुई उस समय  
भीटी के राजा महताब सिंह  
बद्री नारायण की यात्रा करने के लिए  
निकले  
थे,अयोध्या पहुचने पर रास्ते में उन्हें ये खबर  
मिली तो उन्होंने अपनी यात्रा स्थगित कर  
दी और  
अपनी छोटी सेना में रामभक्तों को शामिल  
कर १ लाख  
चौहत्तर हजार लोगो के साथ बाबर की सेना के ४  
लाख  
५० हजार सैनिकों से लोहा लेने निकल पड़े।
रामभक्तों ने सौगंध ले रक्खी थी रक्त  
की आखिरी बूंद तक  
लड़ेंगे जब तक प्राण है तब तक मंदिर नहीं गिरने  
देंगे।  
रामभक्त वीरता के साथ लड़े ७० दिनों तक घोर संग्राम  
होता रहा और अंत में राजा महताब सिंह समेत  
सभी १  
लाख ७४ हजार रामभक्त मारे गए। श्रीराम  
जन्मभूमि रामभक्तों के रक्त से लाल हो गयी। इस  
भीषण  
कत्ले आम के बाद मीरबांकी ने  
तोप लगा के मंदिर गिरवा दिया । मंदिर के मसाले से  
ही मस्जिद का निर्माण हुआ  
पानी की जगह मरे हुए  
हिन्दुओं का रक्त इस्तेमाल किया गया नीव में  
लखौरी इंटों के साथ ।
इतिहासकार कनिंघम अपने लखनऊ गजेटियर के 66वें अंक के  
पृष्ठ 3 पर लिखता है की एक लाख चौहतर हजार  
हिंदुओं  
की लाशें गिर जाने के पश्चात  
मीरबाँकी अपने मंदिर  
ध्वस्त करने के अभियान मे सफल हुआ और उसके बाद  
जन्मभूमि के चारो और तोप लगवाकर मंदिर को ध्वस्त कर  
दिया गया..  
इसी प्रकार हैमिल्टन नाम का एक अंग्रेज  
बाराबंकी गजेटियर में लिखता है की ”  
जलालशाह ने  
हिन्दुओं के खून का गारा बना के  
लखौरी ईटों की नीव  
मस्जिद बनवाने के लिए  
दी गयी थी।  
उस समय अयोध्या से ६ मील  
की दूरी पर सनेथू नाम  
का एक गाँव के पंडित देवीदीन पाण्डेय ने  
वहां के आस  
पास के गांवों सराय सिसिंडा राजेपुर आदि के सूर्यवंशीय  
क्षत्रियों को एकत्रित किया॥ देवीदीन  
पाण्डेय ने  
सूर्यवंशीय क्षत्रियों से कहा भाइयों आप लोग मुझे  
अपना राजपुरोहित मानते हैं ..अप के पूर्वज  
श्री राम थे  
और हमारे पूर्वज महर्षि भरद्वाज जी। आज  
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम  
की जन्मभूमि को मुसलमान  
आक्रान्ता कब्रों से पाट रहे हैं और खोद रहे हैं इस  
परिस्थिति में हमारा मूकदर्शक बन कर जीवित रहने  
की बजाय जन्मभूमि की रक्षार्थ युद्ध  
करते करते  
वीरगति पाना ज्यादा उत्तम होगा॥
देवीदीन पाण्डेय  
की आज्ञा से दो दिन के भीतर ९०  
हजार क्षत्रिय इकठ्ठा हो गए दूर दूर के गांवों से लोग  
समूहों में इकठ्ठा हो कर देवीदीन  
पाण्डेय के नेतृत्व में  
जन्मभूमि पर  
जबरदस्त धावा बोल दिया । शाही सेना से लगातार ५  
दिनों तक युद्ध हुआ । छठे दिन  
मीरबाँकी का सामना देवीदीन  
पाण्डेय से हुआ उसी समय  
धोखे से उसके अंगरक्षक ने एक  
लखौरी ईंट से पाण्डेय  
जी की खोपड़ी पर वार कर  
दिया। देवीदीन पाण्डेय का सर  
बुरी तरह फट  
गया मगर उस वीर ने अपने पगड़ी से  
खोपड़ी से बाँधा और  
तलवार से उस कायर अंगरक्षक का सर काट दिया।  
इसी बीच  
मीरबाँकी ने छिपकर  
गोली चलायी जो पहले  
ही से घायल देवीदीन पाण्डेय  
जी को लगी और  
वो जन्मभूमि की रक्षा में वीर  
गति को प्राप्त  
हुए..जन्मभूमि फिर से 90 हजार हिन्दुओं के रक्त से लाल  
हो गयी। देवीदीन पाण्डेय के  
वंशज सनेथू ग्राम के ईश्वरी पांडे का पुरवा नामक  
जगह  
पर अब भी विद्यमान हैं॥  
पाण्डेय जी की मृत्यु के १५ दिन बाद  
हंसवर के महाराज  
रणविजय सिंह ने सिर्फ २५ हजार सैनिकों के साथ  
मीरबाँकी की विशाल और  
शस्त्रों से सुसज्जित सेना से  
रामलला को मुक्त कराने के लिए आक्रमण किया । 10  
दिन तक युद्ध चला और महाराज जन्मभूमि के रक्षार्थ  
वीरगति को प्राप्त हो गए। जन्मभूमि में 25 हजार  
हिन्दुओं का रक्त फिर बहा।  
रानी जयराज कुमारी हंसवर के  
स्वर्गीय महाराज  
रणविजय सिंह की पत्नी थी।
जन्मभूमि की रक्षा में  
महाराज के वीरगति प्राप्त करने के बाद  
महारानी ने  
उनके कार्य को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया और  तीन  
हजार नारियों की सेना लेकर उन्होंने जन्मभूमि पर आक्रमण कर दिया और हुमायूं के समय तक उन्होंने छापामार युद्ध जारी रखा। रानी के गुरु  
स्वामी महेश्वरानंद जी ने  
रामभक्तों को इकठ्ठा करके सेना का प्रबंध करके जयराज  कुमारी की सहायता की। साथ  
ही स्वामी महेश्वरानंद  जी ने  
सन्यासियों की सेना बनायीं इसमें उन्होंने  
२४ हजार सन्यासियों को इकठ्ठा किया और रानी जयराज  कुमारी के साथ , हुमायूँ के समय में कुल १० हमले जन्मभूमि के उद्धार के लिए किये। १०वें हमले में  शाही सेना को काफी नुकसान हुआ और  जन्मभूमि पर रानी जयराज कुमारी का अधिकार हो गया। लेकिन लगभग एक महीने बाद हुमायूँ ने पूरी ताकत से  
शाही सेना फिर भेजी ,इस युद्ध में स्वामी महेश्वरानंद और रानी कुमारी जयराज  
कुमारी लड़ते हुए अपनी बची हुई  
सेना के साथ मारे गए और जन्मभूमि पर  
पुनः मुगलों का अधिकार हो गया। श्रीराम  
जन्मभूमि एक बार फिर कुल 24 हजार सन्यासियों और 3 हजार वीर नारियों के रक्त से लाल  हो गयी। रानी जयराज कुमारी और  
स्वामी महेश्वरानंद जी के बाद यद्ध का नेतृत्व  
स्वामी बलरामचारी जी ने अपने  हाथ में ले लिया। स्वामी बलरामचारी जी ने गांव गांव  
में घूम कर  रामभक्त हिन्दू युवकों और सन्यासियों की एक सुदृढ़ सेना तैयार करने का प्रयास किया और जन्मभूमि के उद्धारार्थ २० बार आक्रमण किये. इन २० हमलों में काम से काम १५ बार स्वामी बलरामचारी ने जन्मभूमि पर  
अपना अधिकार कर लिया मगर ये अधिकार अल्प समय के लिए रहता था थोड़े दिन बाद  
बड़ी शाही फ़ौज आती थी और जन्मभूमि पुनः मुगलों के  अधीन हो जाती थी..जन्मभूमि में लाखों हिन्दू  बलिदान होते  रहे।  
उस समय का मुग़ल शासक अकबर था।
शाही सेना हर दिन के इन युद्धों से कमजोर हो रही थी..  अतः अकबर ने  
बीरबल और टोडरमल के कहने पर खस  
की टाट से उस  चबूतरे पर ३ फीट का एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया. लगातार युद्ध करते रहने के कारण स्वामी बलरामचारी का स्वास्थ्य  
गिरता चला गया था और प्रयाग कुम्भ के अवसर पर  त्रिवेणी तट पर स्वामी बलरामचारी की मृत्यु  
हो गयी ..इस प्रकार बार-बार के आक्रमणों और हिन्दू जनमानस के  रोष एवं हिन्दुस्थान पर  
मुगलों की ढीली होती पकड़ से बचने का एक राजनैतिक प्रयास की अकबर की इस कूटनीति से कुछ दिनों के लिए जन्मभूमि में रक्त  
नहीं बहा। यही क्रम शाहजहाँ के समय  
भी चलता रहा। फिर औरंगजेब के हाथ सत्ता आई वो कट्टर मुसलमान था और  
उसने समस्त भारत से काफिरों के सम्पूर्ण सफाये का संकल्प लिया था। उसने लगभग 10 बार अयोध्या मे मंदिरों को तोड़ने का अभियान चलकर यहाँ के सभी प्रमुख मंदिरों की मूर्तियों को तोड़ डाला। औरंगजेब के हाथ सत्ता आई वो कट्टर मुसलमान था और उसने समस्त भारत से काफिरों के सम्पूर्ण सफाये का संकल्प लिया था। उसने लगभग 10 बार अयोध्या मे मंदिरों को तोड़ने का अभियान चलकर यहाँ के  
सभी प्रमुख मंदिरों की मूर्तियों को तोड़  
डाला। औरंगजेब के समय में समर्थ गुरु श्री रामदास जी महाराज जी के शिष्य श्री वैष्णवदास जी ने जन्मभूमि के उद्धारार्थ 30 बार आक्रमण किये। इन आक्रमणों मे अयोध्या के आस पास के गांवों के सूर्यवंशीय क्षत्रियों ने  
पूर्ण सहयोग दिया जिनमे सराय के ठाकुर सरदार गजराज सिंह और राजेपुर के कुँवर गोपाल सिंह तथा सिसिण्डा के ठाकुर जगदंबा सिंह प्रमुख थे। ये सारे वीर ये जानते हुए भी की उनकी सेना और हथियार बादशाही सेना के सामने कुछ भी नहीं है अपने जीवन के  
आखिरी समय तक शाही सेना से लोहा लेते रहे। लम्बे समय तक चले इन युद्धों में रामलला को मुक्त कराने के लिए हजारों हिन्दू वीरों ने अपना बलिदान दिया और अयोध्या की धरती पर उनका रक्त बहता रहा। ठाकुर गजराज सिंह और उनके साथी क्षत्रियों के वंशज आज भी सराय मे मौजूद हैं। आज भी फैजाबाद जिले के आस पास के  
सूर्यवंशीय क्षत्रिय सिर पर पगड़ी नहीं बांधते,जूता नहीं पहनते, छता नहीं लगाते, उन्होने अपने पूर्वजों के सामने ये प्रतिज्ञा ली थी की जब  
तक श्री राम जन्मभूमि का उद्धार नहीं कर लेंगे तब तक जूता नहीं पहनेंगे,छाता नहीं लगाएंगे,  
पगड़ी नहीं पहनेंगे। 1640 ईस्वी में औरंगजेब ने मन्दिर  को ध्वस्त करने के लिए जबांज खाँ के नेतृत्व में एक जबरजस्त सेना भेज दी थी, बाबा वैष्णव दास के साथ साधुओं की एक सेना थी जो हर विद्या मे निपुण थी इसे चिमटाधारी साधुओं की सेना भी कहते थे। जब जन्मभूमि पर जबांज खाँ ने आक्रमण किया तो हिंदुओं के  
साथ चिमटाधारी साधुओं की सेना की सेना मिल गयी और उर्वशी कुंड नामक जगह पर  
जाबाज़ खाँ की सेना से सात दिनों तक भीषण युद्ध किया ।  चिमटाधारी साधुओं के चिमटे के मार से मुगलों की सेना भाग खड़ी हुई। इस  
प्रकार चबूतरे पर स्थित मंदिर की रक्षा हो गयी । जाबाज़ खाँ की पराजित सेना को देखकर औरंगजेब बहुत क्रोधित हुआ और उसने जाबाज़ खाँ को हटाकर एक अन्य सिपहसालार सैय्यद हसन अली को 50 हजार सैनिकों की सेना और तोपखाने के साथ  अयोध्या की ओर  
भेजा और साथ मे ये आदेश दिया की अबकी बार जन्मभूमि को बर्बाद करके वापस आना है,यह समय सन् 1680 का था । बाबा वैष्णव दास ने सिक्खों के गुरु गुरुगोविंद सिंह से युद्ध मे सहयोग के लिए पत्र के माध्यम संदेश भेजा । पत्र पाकर गुरु गुरुगोविंद सिंह सेना समेत तत्काल अयोध्या आ गए और ब्रहमकुंड पर  
अपना डेरा डाला । ब्रहमकुंड वही जगह  
जहां आजकल गुरुगोविंद सिंह की स्मृति मे  
सिक्खों का गुरुद्वारा बना हुआ है। बाबा वैष्णव दास  एवं सिक्खों के गुरुगोविंद सिंह रामलला की रक्षा हेतु एकसाथ रणभूमि में कूद पड़े ।इन वीरों कें सुनियोजित हमलों से मुगलो की सेना के पाँव उखड़ गये सैय्यद हसन अली भी युद्ध मे मारा गया। औरंगजेब हिंदुओं की इस प्रतिक्रिया से स्तब्ध रह गया था और इस युद्ध के बाद  
4 साल तक उसने अयोध्या पर हमला करने  
की हिम्मत नहीं की। औरंगजेब ने सन् 1664 मे  
एक बार फिर  श्री राम जन्मभूमि पर आक्रमण किया । इस भीषण हमले में शाही फौज ने लगभग  10 हजार से ज्यादा हिंदुओं की हत्या कर  दी नागरिकों तक को नहीं छोड़ा। जन्मभूमि हिन्दुओं के रक्त से लाल हो गयी। जन्मभूमि के अंदर नवकोण के एक कंदर्प कूप नाम  
का कुआं था, सभी मारे गए हिंदुओं  
की लाशें मुगलों ने उसमे फेककर चारों ओर चहारदीवारी उठा कर उसे घेर दिया।  
आज भी कंदर्पकूप “गज शहीदा” के  
नाम से प्रसिद्ध है,और जन्मभूमि के पूर्वी द्वार पर स्थित है।  शाही सेना ने जन्मभूमि का चबूतरा खोद डाला बहुत दिनो तक वह चबूतरा गड्ढे के रूप मे वहाँ स्थित था। औरंगजेब के क्रूर  
अत्याचारो की मारी हिन्दू जनता अब उस  
गड्ढे पर  ही श्री रामनवमी के दिन भक्तिभाव से अक्षत,पुष्प और जल चढाती रहती थी. नबाब  
सहादत अली के समय 1763 ईस्वी में जन्मभूमि के रक्षार्थ अमेठी के राजा गुरुदत्त सिंह और पिपरपुर के राजकुमार सिंह के नेतृत्व मे बाबरी ढांचे पर पुनः पाँच आक्रमण किये गये जिसमें हर बार हिन्दुओं की लाशें अयोध्या में गिरती रहीं। लखनऊ गजेटियर मे कर्नल हंट लिखता है की  
“ लगातार हिंदुओं के हमले से ऊबकर नबाब ने हिंदुओं और  मुसलमानो को एक साथ नमाज पढ़ने और भजन करने की इजाजत दे दी पर सच्चा मुसलमान  होने के नाते उसने  
काफिरों को जमीन नहीं सौंपी। “लखनऊ गजेटियर पृष्ठ 62” नासिरुद्दीन हैदर के समय मे  
मकरही के राजा के नेतृत्व में जन्मभूमि को पुनः अपने रूप मे लाने के लिए  हिंदुओं के तीन आक्रमण हुये जिसमें बड़ी संख्या में हिन्दू  
मारे गये। परन्तु तीसरे आक्रमण में डटकर  
नबाबी सेना का सामना हुआ 8वें दिन हिंदुओं  
की शक्ति क्षीण होने लगी ,जन्मभूमि के मैदान मे हिन्दुओं और मुसलमानो की लाशों का ढेर लग गया । इस संग्राम मे भीती,हंसवर,,मकर  
ही,खजुरहट,दीयरा अमेठी के राजा गुरुदत्त सिंह आदि सम्मलित थे। हारती हुई  हिन्दू  
सेना के साथ वीर चिमटाधारी साधुओं की सेना आ मिली और इस युद्ध मे शाही सेना के चिथड़े उड गये और उसे  रौंदते हुए हिंदुओं ने जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया। लेकिन हर बार की तरह कुछ दिनो के बाद विशाल शाही सेना ने पुनः जन्मभूमि पर अधिकार कर लिया और  
हजारों हिन्दुओं को मार डाला गया। जन्मभूमि में  हिन्दुओं का रक्त प्रवाहित होने लगा। नावाब  
वाजिदअली शाह के समय के समय मे पुनः हिंदुओं ने  जन्मभूमि के उद्धारार्थ आक्रमण किया । फैजाबाद  गजेटियर में कनिंघम ने लिखा  “इस संग्राम मे बहुत ही भयंकर खूनखराबा हुआ। दो दिन और रात होने वाले इस भयंकर युद्ध में सैकड़ों हिन्दुओं के मारे जाने के बावजूद हिन्दुओं नें राम जन्मभूमि पर  
कब्जा कर लिया। क्रुद्ध हिंदुओं की भीड़  
ने कब्रें तोड़ फोड़ कर बर्बाद कर डाली मस्जिदों को मिसमार करने लगे और पूरी ताकत से मुसलमानों को मार-मार कर  
अयोध्या से खदेड़ना शुरू किया।मगर हिन्दू भीड़ ने  मुसलमान स्त्रियों और बच्चों को कोई  
हानि नहीं पहुचाई। अयोध्या मे प्रलय मचा हुआ था ।  इतिहासकार कनिंघम लिखता है की ये  
अयोध्या का सबसे बड़ा हिन्दू मुस्लिम बलवा था।  हिंदुओं ने अपना सपना पूरा किया और औरंगजेब  द्वारा विध्वंस किए गए चबूतरे को फिर वापस  बनाया । चबूतरे पर तीन फीट  
ऊँची खस की टाट से एक  छोटा सा मंदिर बनवा लिया ॥जिसमे  
पुनः रामलला की स्थापना की गयी।  
कुछ  जेहादी मुल्लाओं को ये बात स्वीकार  
नहीं हुई और  कालांतर में जन्मभूमि फिर हिन्दुओं के हाथों से निकल  
गयी। सन 1857 की क्रांति मे बहादुर  
शाह जफर के समय  में बाबा रामचरण दास ने एक मौलवी आमिर अली के साथ  
जन्मभूमि के उद्धार का प्रयास किया पर 18 मार्च सन 1858 को कुबेर टीला स्थित एक  
इमली के पेड़ मे दोनों को एक साथ अंग्रेज़ो ने फांसी पर लटका दिया । 
जब अंग्रेज़ो ने ये देखा कि ये पेड़ भी देशभक्तों एवं  रामभक्तों के लिए एक स्मारक के रूप मे विकसित  हो रहा है तब उन्होने इस पेड़ को कटवा कर इस  आखिरी निशानी को भी मिटा दिया…  इस प्रकार अंग्रेज़ो की कुटिल नीति के  
कारण  रामजन्मभूमि के उद्धार का यह एकमात्र प्रयास विफल हो गया … अन्तिम बलिदान …  
३० अक्टूबर १९९० को हजारों रामभक्तों ने वोट-बैंक के  लालची मुलायम सिंह यादव के  
द्वारा खड़ी की गईं अनेक  बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश किया और  विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया। लेकिन  
२ नवम्बर १९९० को मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव  ने  कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें  सैकड़ों रामभक्तों ने अपने जीवन  की आहुतियां दीं। सरकार ने  
मृतकों की असली संख्या छिपायी परन्तु  
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सरयू तट  
रामभक्तों की लाशों से पट गया था। ४ अप्रैल १९९१  को कारसेवकों के हत्यारे, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने  
इस्तीफा दिया।  लाखों राम भक्त ६ दिसम्बर को कारसेवा हेतु  अयोध्या पहुंचे और राम जन्मस्थान पर बाबर के  
सेनापति द्वार बनाए गए अपमान के प्रतीक  
मस्जिदनुमा ढांचे को ध्वस्त कर दिया। परन्तु हिन्दू  समाज के अन्दर व्याप्त घोर संगठनहीनता एवं  नपुंसकता के कारण आज भी हिन्दुओं के सबसे बड़े  आराध्य  
भगवान श्रीराम एक फटे हुए तम्बू में विराजमान हैं।  जिस जन्मभूमि के उद्धार के लिए हमारे पूर्वजों ने  अपना रक्त पानी की तरह बहाया। आज  वही हिन्दू  
बेशर्मी से इसे “एक विवादित स्थल” कहता है।  
सदियों से हिन्दुओं के साथ रहने वाले मुसलमानों ने आज भी जन्मभूमि पर  
अपना दावा नहीं छोड़ा है। वो यहाँ किसी भी हाल में मन्दिर  नहीं बनने देना चाहते  
हैं ताकि हिन्दू हमेशा कुढ़ता रहे और उन्हें  
नीचा दिखाया जा सके।  जिस कौम ने अपने  
ही भाईयों की भावना को नहीं समझा वो सोचते  हैं  हिन्दू उनकी भावनाओं को समझे। आज तक  किसी भी मुस्लिम संगठन ने जन्मभूमि के  उद्धार के लिए  
आवाज नहीं उठायी, प्रदर्शन नहीं किया और सरकार  पर दबाव नहीं बनाया आज भी वे  
बाबरी-विध्वंस  की तारीख 6 दिसम्बर को काला दिन मानते  हैं। 
 यह भी हमारी पीढ़ी का सौभाग्य है कि राम मंदिर न्यास ट्रस्ट, विश्व हिन्दू परिषद आदि अनेक संगठनों व देश के लाखों कार्यकर्ता श्रीराम जन्मभूमि का उद्धार कर वहाँ मन्दिर बनाने के लिए प्रयासरत हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों भगवान राम मंदिर का भूमि पूजन हो गया  यह मंदिर ऐसा बनाया जा रहा है कि आने वाले एक हजार वर्षों 🙏🏻🚩(सभार शोशल मीडिया)