ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाईन पर पुनः निर्माण कार्य शुरू¡

लाॅकडाउन की वजह से ठप्प पड़ी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल का लाइन का काम पुनः सुचारू हो गया है। लॉकडाउन के चलते पिछले एक महीने से सभी परियोजनाओं का काम रुका हुआ था। केंद्र की गाइड लाइन के बाद इन परियोजनों का काम दुबारा शुरू हो गया। फिलहाल इस परियोजना में अभी मौजूदा मजदूरों से ही काम लिया जा रहा है। लॉकडाउन खुलने के बाद दूसरे क्षेत्रों से भी मजदूर बुलाए जा सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस ड्रीम परियोजना के अंतर्गत 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन को कुल 16 पुलों एवं 17 सुरंगों से होकर गुजरना है। 
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच कुल 12 रेलवे स्टेशन बन रहे हैं। सबसे बड़ा स्टेशन 13 लाइन का देवनगरी ऋषिकेश में होगा, जबकि सबसे छोटा तीन लाइन का स्टेशन सौड़ देवप्रयाग में होगा। कर्णप्रयाग तक रेल पहुंचने से राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। चारधाम यात्रा भी सरल एवं सुगम होगी, इससे यात्रियों की संख्या में खासी वृद्धि होने की संभावना है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का पहला स्टेशन देवनगरी ऋषिकेश बनकर तैयार भी हो गया। योगनगरी ऋषिकेश और वीरभद्र स्टेशन के बीच बिछाई गई रेल लाइन को कमिश्नर रेल सेफ्टी की तरफ से संचालन के लिए अनुमति मिल चुकी है। 22 मार्च को जब देशभर मे लॉकडाउन लगा तो परियोजना का काम बंद कर दिया गया था। जिसके चलते कई श्रमिक अपने राज्य लौट गए। हालांकि कई श्रमिक लॉकडाउन के दौरान कार्यस्थल के पास ही रह रहे हैं। परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए रेल विकास निगम ने शासन से अनुमति मांगी थी। अनुमति मिलने के बाद परियोजना का काम शुरू हो गया है। ऋषिकेश, टिहरी, शिवपुरी, मलेथा और पौड़ी जिसे से सटे इलाकों में परियोजना का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है।  इस परियोजना के लिए सतपाल महाराज जब रेल राज्य मंत्री थे तो उन्होंने बड़ा जोर लगाया और गौचर में इसकी आधारशिला भी रखवाई थी। 
इधर राज्य सरकार ने भी ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन पर यथा समय कार्य करने के लिए कृतसंकल्प दिखती है मुख्यमंत्री खुद दो बार इसकी बैठक ले चुके हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने प्रदेश को आर्थिक संकट से उबारने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के साथ-साथ कुछ उद्योगों को भी सशर्त मंजूरी मिल गई है। इससे कार्य और आर्थिकी दौनों में कुछ सुधार की उम्मीद जगी है।