चमोली- स्थापना के 58 साल , लेकिन अब भी विकास का इन्तजार

संदीप

उत्तराखंड का चमोली ,पिथौरागढ और उत्तरकाशी  जिला शनिवार को 58 साल के  हो गये । लेकिन 58वीं बर्षगांठ मना रहे ये सीमान्त जिले आज भी विकास के नाम पर पिछड़े हुए हैं I एक जिला उत्तरकाशी विकास की शून्यता इतनी कि लोग इस क्षेत्र को ही पिछड़ा घोषित करने की मांग को लेकर आन्दोलनरत हैं I दूसरा चमोली जिला जिसकी भी विकास की राहें सूनी-सूनी पड़ी हैं I
विकास के नाम पर चमोली जिला एक अत्यंत पिछड़ा हुआ जिला है I  कई विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल और पर्यटन क्षेत्र होने के बावजूद भी विकास के नाम पर शून्यता वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है I आज भी कहीं गाँव सडक, अस्पताल, शिक्षा  और बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकताओं राह देख रहे हैं , लेकिन  विकास की अनदेखी होते देख लोग पलायन के लिए मजबूर हैं I
तत्कालीन यूपी सरकार और अब कि उत्तराखंड सरकार में यहाँ के कई नेताओं ने इस क्षेत्र का नेतृत्व किया,  लेकिन विकास पहले से घटता चला गया I यहाँ के कई चुनिन्दा निदेशालय जो पहले थे , यहाँ से विस्थापित कर दिये गए I  रेशम निदेशालय, S.S.B. प्रसिक्षण सेंटर, A.N.M. प्रशिक्षण सेंटर, पशुपालन निदेशालय, भेड़ प्रजनन केन्द्र, कस्तूरी मृग प्रजनन केन्द्र मत्स्य निदेशालय सभी उपेक्षा के शिकार होने से यहाँ से बदल दिए गये I  विश्व प्रसिद्ध औली, जड़ी बूटी निदेशालय, राज्य का पहला विधि विवि० भी इसी तरह उपेक्षित होते होते समाप्ति की कगार पर पहुच गया है ।

गौरतलब है कि साल 1960 में पिथौरागढ, उत्तरकाशी और चमोली जिले का गठन हुआ था। तीनों जिलों की सीमाऐं चीन से लगती है। इन जिलों में रहने वाले लोगों को सरकार बेहतर सुविधाऐ दे सके और  विकास की गति तेज हो, इसी उद्देश्य को लेकर इन सीमान्त जिलों का गठन 1960 में आज के ही दिन हुआ था।

जिस मूलभूत जरुरत और सीमान्त क्षेत्र मे रहने वाले लोगों की आकाक्षाओं और अपेक्षा में खरा उतर सके इसलिए इस सीमान्त जिले का गठन हुआ है जिला बनने का सही लाभ लोगों को तब मिलेगा जब दूर.दराज में रहने वाले लोगों को सरकार की योजनाओं का सही समय पर लाभ मिल पायेगा।

जिले के विकास के लिये सभी लोगों को एक साथ खडा होना होगा। सरकार किसी भी दल की आये लेकिन जिले के विकास के लिये सभी लोगों को अपने दलीय मतभेद भुलाकर एक साथ खडे होकर जिले के विकास के लिए सोचना होगा और विकास के लिये हर वर्ग के लोगों को अपना योगदान देना होगा।

पहले स्थापना दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता था I लेकिन वक्त के साथ लोग आज के दिन को  ही भूल गये I

आखिर कब तक यह सीमान्त जिला विकास की राह देखता रहेगा और कब तक इसकी अनदेखी यूं ही होती रहेगी ?