149 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंद फेंकने वाला बिट्टू और कोई नहीं अपना कमलेश नागरकोटी है।

आस्ट्रेलिया को हराकर विश्वविजेता बनी भारतीय टीम को खुशी मनाते देख बिट्टू की दादी और उनके चाचा की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। यह बिट्टू कोई और नहीं अपना कमलेश नगरकोटी है, जिसने फाइनल में आस्ट्रेलिया के कप्तान समेत दो खिलाड़ियों को पवेलियन की राह दिखाकर भारत की जीत का मार्ग प्रशस्त किया।

149 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले अपने इस लाल की कामयाबी पर घरवालों को उसका बचपन याद गया। कैसे वह घर के उबड़-खाबड़ आंगन में लकड़ी का बल्ला और कपड़े की गेंद से हर समय क्रिकेट खेलता रहता था और कई बार तो उसे डांट भी पड़ती थी।

अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप में तेज रफ्तार गेंदबाजी से बल्लेबाजों को पसीना छुड़ाने वाले कमलेश बागेश्वर के भरसीला गांव के रहने वाले हैं। राजस्थान की ओर से क्रिकेट खेलते हुए कमलेश ने अंडर-19 विश्वकप टीम में जगह बनाई और अपनी तेज गेंदबाजी और प्रदर्शन की बदौलत आईपीएल में भी उनकी बोली करोड़ों में छूटी और वह केकेआर टीम का हिस्सा बने।

इस बीच भारतीय टीम के 217 के लक्ष्य छूते ही घर पर मौजूद लोगों के साथ पूरा गांव खुशी से झूम उठा। घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया और मिठाई खाने और खिलाने का सिलसिला शुरू हो गया।

कमलेश की दादी रमुली देवी अपने छोटे बेटे पूरन सिंह नगरकोटी और बहू कमला नगरकोटी के साथ गांव में रहती हैं। शनिवार को जब भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर जीत हासिल की तो कई लोग बधाई देने उनके घर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सभी से कहा कि मेरे पोते ने गांव का नाम रोशन कर दिया। (साभार – Samay Uttaranchal frends)