विश्व हिंदी दिवस : शुद्ध हिन्दी में वार्ता करें लेखन करें शोशल मीडिया पर लिखें तब तो हिंदी बढ़ेगी और एक दिन विश्व भाषा बनेगी

✍️हरीश मैखुरी

शुद्ध हिन्दी में वार्ता करें लेखन करें सामाजिक पटल (शोशल मीडिया) पर भी शुद्ध हिन्दी लिखें तब तो हिंदी बढ़ेगी। सुप्रभात संदेश शुभ संध्या संदेश हिन्दी में लिखें तिथि वार समय मुहूर्त लग्न सब हिन्दी में लिखें। उर्दूमय या आंग्ल शब्दों का प्रयोग नहीं करें उनके स्थान पर शुद्ध हिंदी संस्कृत के शब्द सागर से मोती चुनकर पिरोयें आपकी हिन्दी वर्तनी भी उच्च स्तरीय होती चली जायेगी। नयी पीढ़ी भी आंग्ल या उर्दू में मिमियाने की जगह एक गरिमामय भाषा वैज्ञानिक भाषा अपनाएगी। इसका हर अक्षर बीज मंत्र है और हर शब्द भावमय है हर वाक्य जीवन का गढ़ संदेश देता है हर पन्ने पर सुफल जीवन का अंकन है और हर पुस्तक अमरत्व का संदेश है यही अक्षर अर्थात जिसका कभी क्षरण नहीं होता और हर शब्द ब्रह्म है। यही शब्द ब्रह्म की उत्पत्ति और अनन्त ब्रहमांड का नाद है।

14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने का निर्णय लिया था, वर्ष 1950 में हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। और 1953 से हर वर्ष इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हिंदी भाषा का प्रथम समाचार पत्र था ‘उदंत मार्तंड’ है । हिंदी फिजी की आधिकारिक भाषा है ‘फिजी हिंदी’ है वहीं, हिंदी अमेरिका में सबसे अधिक बोली जाने वाली भारतीय भाषा है। इसके साथ ही, नेपाल में 80 लाख, दक्षिण अफ्रीका में 8.90 लाख, मॉरीशस में 6.85 लाख और यमन में 2.32 लाख लोग हिंदी बोलते हैं। हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता है ।
वर्ष १९१८ में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने का प्रस्ताव रखा गया तब इसे वृहद जनमानस की भाषा भी कहा गया था। वर्ष १९४९ में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितम्बर 1949 को गहन विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग १७ के अध्याय की धारा ३४३(१) में इस प्रकार वर्णित है: संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
यह निर्णय १४ सितम्बर को लिया गया, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। जब राजभाषा के रूप में इसे चुना गया और इसके प्रयोग की बात आयी तब कुछ सैक्युलरों ने अंग्रेजी भाषा को भी साथ साथ प्रयोग का दबाव बनाया फलस्वरूप आज अंग्रेजी हिन्दी पर भी भारी पड़ रही है। हिन्दी दिवस की अनेकानेक शुभकामनायें14 सितम्बर : राष्ट्रभाषा दिवस।

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। सरकारी कार्य हिंदी भाषा में ही होगा। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अंग्रेज षड्यंत्रकारी धूर्त मैकाले ने कहा था : ‘मैं यहाँ (भारत) की शिक्षा-पद्धति में ऐसे कुछ संस्कार डाल जाता हूँ कि आनेवाले वर्षों में भारतवासी अपनी ही संस्कृति से घृणा करेंगे… मंदिर में जाना उन्हें अच्छा नहीं लगेगा… माता-पिता को प्रणाम करने में संकोच करेंगे… वे शरीर से तो भारतीय होंगे लेकिन मस्तिष्क से हमारे ही दास होंगे..!

अंग्रेजी भाषा के मूल शब्द लगभग 10,000 हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या 2,50,000 से भी अधिक है। संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है। अर्थात् हिंदी संसार की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। लेकिन हमारे पिछले नेतृत्व की उपेक्षा के कारण हम इसे अभी तक हम इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बना पाएं।

हिंदी संसार की सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से एक है। वह सही अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है । हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं एक एक स्वर को बोलने के पृथक अक्षर और उसकी मात्रायें हैं हृस्व दीर्घ और प्लुत स्वरों का अदभुत विन्यास है जो अरबी कबीलों की उर्दू और व्यापारिक भाषा अंग्रेजी भाषा में कदापि नहीं है।

हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है। हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्द-रचना-सामर्थ्य अपनी सुदीर्घ परम्परा से मिली है।

आज षड्यंत्रकारी मैकाले के कारण ही हम अंग्रेजी के दास बन गये हैं अंग्रेजी के बिना हमारा कार्य चल ही नहीं सकता ऐसा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और जी 20 सम्मेलन में भी हिन्दी में बोल कर विश्व समुदाय को अपना संदेश कुशलता से अभिव्यक्त किया है। हमें भी हिंदी भाषा का महत्व समझकर उपयोग करना चाहिए।

मदन मोहन मालवीयजी ने 1898 में श्री एंटोनी मैकडोनेल के सम्मुख हिंदी भाषा की प्रमुखता को बताते हुए, न्यायालयों में हिन्दी भाषा को प्रवेश दिलाया। लोकमान्य तिलकजी ने हिन्दी भाषा को अत्यधिक प्रोत्साहित किया। वे कहते थे : ‘‘ अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए बच्चों को सात-आठ वर्ष तक अंग्रेजी पढ़नी पड़ती है । जीवन के ये आठ वर्ष कम नहीं होते। इस समूचे लेख में उर्दू या आंग्ल के शब्द नहीं हैं तब भी पूरा समझ में आ जायेगा। इसलिए कवि कहते हैं… 

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।। 

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटे न हिय को सूल

हमें समझना होगा कि अंग्रेजी दासता का प्रतीक है *इंडिया* शब्द 

विश्व गुरु होने का प्रतीक है “भारत वर्ष” जैसा महा वाक्य 

यदि सभी लोग हिन्दी बोलते लिखते रहे तो एक न एक दिन हिन्दी विश्व भाषा बनेगी। क्योंकि हिन्दी केवल मात्र भाषा नहीं अपितु सभी भाषाओं की मातृ भाषा है। यह एकमात्र वैज्ञानिक भाषा है। 

इन दिनों कुछ मीडिया कर्मी और हिन्दी के कथित लेखक अपने लेखन में बलात् उर्दू शब्दों को ठूंसते हैं। मुम्बई चलचित्र भी अपने अधि संख्य संवादों में षड्यंत्र पूर्वक उर्दू डालता है। हिन्दी को उर्दूमय बनाने के षड्यंत्र को भी समझना आवश्यक है ताकि भविष्य की पीढ़ी शुद्ध हिन्दी सीखने के अधिकार से वंचित ना रहे यह हमारा दायित्व है।