आज का पंचाग एवं राशि फल, कुशोत्पाटनी आमावास्या आज, आश्चर्यजनक है ३५ हजार करोड़ की अधिपति पद्मविभूषण सुधा कृष्णमूर्ति की सरलता, थाईलैंड में रामायण ही रामायण

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉🌄सुप्रभातम

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻गुरुवार, १४ सितम्बर २०२३🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:१५

सूर्यास्त: 🌅 ०६:३१

चन्द्रोदय: 🌝 ०६:०१

चन्द्रास्त: 🌜१८:१६

अयन 🌖 दक्षिणायणे (उत्तरगोलीय)

ऋतु: 🏔️ शरद 

शक सम्वत: 👉 १९४५ (शोभकृत)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८० (नल)

मास 👉 भाद्रपद 

पक्ष 👉 कृष्ण 

तिथि 👉 अमावस्या (पूर्ण रात्रि)

नक्षत्र 👉 पूर्वाफाल्गुनी (०४:५४ से उत्तराफाल्गुनी)

योग 👉 साध्य (०३:०० से शुभ)

प्रथम करण 👉 चतुष्पाद (१८:०० तक)

द्वितीय करण 👉 नाग (पूर्ण रात्रि)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

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सूर्य 🌟 सिंह 

चंद्र 🌟 सिंह 

मंगल 🌟 कन्या (उदित, पश्चिम, मार्गी)

बुध 🌟 सिंह (उदित, पूर्व, वक्री)

गुरु 🌟 मेष (उदित, पश्चिम, वक्री)

शुक्र 🌟 कर्क (उदित, पश्चिम, मार्गी)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

राहु 🌟 मेष 

केतु 🌟 तुला 

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४७ से १२:३७

अमृत काल 👉 २१:४४ से २३:३१

विजय मुहूर्त 👉 १४:१६ से १५:०६

गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:२४ से १८:४७

सायाह्न सन्ध्या 👉 १८:२४ से १९:३४

निशिता मुहूर्त 👉 २३:४९ से ००:३६

ब्रह्म मुहूर्त 👉 ०४:२८ से ०५:१४

राहुकाल 👉 १३:४५ से १५:१८

राहुवास 👉 दक्षिण

यमगण्ड 👉 ०६:०० से ०७:३३

होमाहुति 👉 केतु (०४:५४ से सूर्य)

दिशाशूल 👉 दक्षिण

नक्षत्र शूल 👉 उत्तर (०४:५४ से)

अग्निवास 👉 पृथ्वी

चन्द्र वास 👉 पूर्व

शिववास 👉 गौरी के साथ

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – शुभ २ – रोग

३ – उद्वेग ४ – चर

५ – लाभ ६ – अमृत

७ – काल ८ – शुभ

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – अमृत २ – चर

३ – रोग ४ – काल

५ – लाभ ६ – उद्वेग

७ – शुभ ८ – अमृत

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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पूर्व-उत्तर (दही का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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पितृ कार्ये कुशोत्पाटिनी (पिठोरी) अमावस्या, नक्तव्रत पूर्ण, लोहागर्ल, भूमि-भवन क्रय-विक्रय मुहूर्त प्रातः ०६:०० से रात्रि ०८:०० तक यात्रा आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज ०४:५४ तक जन्मे शिशुओ का नाम पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (मो, टा, टी, टू) नामक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (टे) नामक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

सिंह – ०३:५९ से ०६:१८

कन्या – ०६:१८ से ०८:३६

तुला – ०८:३६ से १०:५७

वृश्चिक – १०:५७ से १३:१६

धनु – १३:१६ से १५:२०

मकर – १५:२० से १७:०१

कुम्भ – १७:०१ से १८:२७

मीन – १८:२७ से १९:५०

मेष – १९:५० से २१:२४

वृषभ – २१:२४ से २३:१९

मिथुन – २३:१९ से ०१:३४

कर्क – ०१:३४ से ०३:५६

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पञ्चक रहित मुहूर्त

चोर पञ्चक – ०६:०० से ०६:१८

शुभ मुहूर्त – ०६:१८ से ०८:३६

रोग पञ्चक – ०८:३६ से १०:५७

शुभ मुहूर्त – १०:५७ से १३:१६

मृत्यु पञ्चक – १३:१६ से १५:२०

अग्नि पञ्चक – १५:२० से १७:०१

शुभ मुहूर्त – १७:०१ से १८:२७

रज पञ्चक – १८:२७ से १९:५०

अग्नि पञ्चक – १९:५० से २१:२४

शुभ मुहूर्त – २१:२४ से २३:१९

रज पञ्चक – २३:१९ से ०१:३४

शुभ मुहूर्त – ०१:३४ से ०३:५६

चोर पञ्चक – ०३:५६ से ०४:५४

शुभ मुहूर्त – ०४:५४ से ०६:०१

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आज का राशिफल

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन अधिक भाग-दौड़ वाला रहेगा। आज आपको कोई नापसंद कार्य भी मजबूरी में करना पड़ेगा। आर्थिक रूप से दिन सामान्य से उत्तम रहेगा लेकिन आकस्मिक खर्च भी साथ मे लगे रहने से बचत नही कर पाएंगे। आज आप जिस किसी से भी कोई वादा करेंगे उसे अवश्य पूरा करेंगे। मध्यान तक परिश्रम का फल ना मिलने से निराशा रहेगी परन्तु संध्या के समय धन की आमद होने लगेगी व्यवसाय में आज विस्तार ना करें निवेश भी सोच समझ कर ही करें। नौकरी पेशा जातक कार्यभार बढ़ने से थकान अनुभव करेंगे। घर मे मांगलिक आयोजन हो सकता है। कुछ मतभेद के बाद भी शांति बनी रहेगी।

 

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन का अधिकांश भाग भी आपके लिए कलहकारी रहेगा। आर्थिक स्थिति भी गड़बड़ाने से क्रोध अधिक आएगा। संबंधों के प्रति लापरवाह रहेंगे जिससे घर मे अशांति के प्रसंग ज्यादा बढ़ेंगे। महिलाओ के अन्य पारिवारिक सदस्यों के साथ आज आपके विचार मेल नही खाएंगे। व्यवसायी वर्ग मध्यान बाद तक व्यापार को लेकर परेशान रहेंगे इसके बाद स्थिति में सुधार आएगा परन्तु आपकी छोटि मानसिकता आज ओरो को परेशान करेगी। सेहत का भी ध्यान रखें असंयमित दिनचर्या हानि पहुचायेगी।

 

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन आपके लिए धन लाभ कराने वाला रहेगा। आज आपको जिस कार्य मे हानि की संभावना रहेगी उससे भी अकस्मात धन लाभ प्राप्त करेंगे। परिवार की महिलाये अथवा महिला मित्र आज आपके जीवन मे कुछ विशेष भूमिका निभाएंगी। धन लाभ आवश्यकता के समय होने से ज्यादा झंझट में नही पड़ना पड़ेगा। आज आप अपनी व्यवहार कुशलता का परिचय हर क्षेत्र पर देंगे लेकिन परिवार में किसी ना किसी का रूठना मनाना लगा रहेगा फिर भी माहौल नियंत्रण में ही रहेगा। विशेष कर आज व्यसनों से दूर रहें धन के साथ ही मान एवं शारीरिक हानि हो सकती है।

 

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज के दिन कुछ कार्यो को लेकर आप असमंजस की स्थिति में रहेंगे। अन्य लोगो के हस्तक्षेप देने पर भ्रमित होने की संभावना है। मनमानी रवैये के चलते भी हानि हो सकती है इसलिए महत्त्वपूर्ण कार्य अनुभवी व्यक्ति से सलाह लेकर ही करें। कार्य व्यवसाय में आज कुछ विशेष सफलता नही मिलेगी। परिवार में आज किसी सदस्य की इच्छा पूर्ति ना होने पर वातावरण खराब होगा। नए कार्य की योजना बना रहे है तो आज अवश्य आरम्भ करें। नौकरी पेशा जातक काम मे ऊबन अनुभव करेंगे। मनोरंजन के अवसर नही मिलने से निराशा बढ़ेगी।

 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन परिस्थितियों ने सुधार आने लगेगा आज कार्य क्षेत्र पर व्यवस्था बदलने के बाद ही आर्थिक स्थिति बेहतर बन सकेगी। सहकर्मी सहयोग करने में आनाकानी करेंगे जिससे कुछ समय के लिए कार्यो में अवरोध रहेगा लेकिन शीघ्र ही अन्य विकल्प भी मिल जायेंगे। मध्यान के बाद जिस भी काम मे निवेश करेंगे उसमे दुगना धन मिलने की संभावना रहेगी लेकिन धन की आमद में थोड़ा विलम्ब हो सकता है। व्यवसाय के अतिरिक्त भी आय होने की संभावना है। पारिवारिक वातावरण में थोड़ा विरोधाभास रहेगा परन्तु महत्त्वपूर्ण विषयो में सभी एकजुट हो जाएंगे। सेहत में सुधार आएगा।

 

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आपको अकस्मात हानि का सामना करना पड़ेगा। जिस भी कार्य को आरम्भ करेंगे उस मे किसी अन्य के कारण विलम्ब होगा। व्यवसायी वर्ग को धन लाभ की आशा दिन के आरम्भ से ही लगी रहेगी परन्तु आज सीमित साधनों से ही काम चलाना पड़ेगा। दिन के आरंभ में बौद्विक परिश्रम भी अधिक करना पड़ेगा इसका लाभ सम्मान के रूप में अवश्य मिलेगा। आर्थिक विषय संबंधित अधिकांश कार्यो में केवल आश्वासन से ही काम चलाना पड़ेगा। सेहत का भी आज ध्यान रखें पेट खराब होने से अन्य शारीरिक अंगों में शिथिलता आएगी। पारिवारिक वातावरण तालमेल की कमी के कारण बिखर सकता है।

 

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन घर-परिवार एवं सार्वजनिक क्षेत्र पर आपकी सम्मानजनक स्थिति बनेगी। आज आप किसी भी कार्य मे ज्यादा तामझाम करना पसंद नही करेंगे। जिस कार्य मे आसानी रहे उसे प्राथमिकता देंगे। सरकार संबंधित कागजी कार्य थोड़ी भागदौड़ से पूर्ण हो सकेंगे। व्यवसाय में ले देकर काम चलाने की प्रवृति शुरू में हानि लेकिन बाद में लाभदायक सिद्ध होगी। आज किसी के मनमाने व्यवहार के कारण तीखी बहस भी हो सकती है जिसमे विजय आपकी ही होगी। महिलाये आज मौन रहने का प्रयास करें इससे कई समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जायेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज दिन के आरम्भ से ही आप महत्त्वपूर्ण कार्यो के सहज सफल होने से उत्साहित रहेंगे। परिवार के सदस्य से शुभ समाचार मिलने पर उत्साह में और वृद्धि होगी। नौकरी व्यवसाय में धन के साथ सम्मान की प्राप्ति भी होगी। अधिकारी वर्ग आपसे महत्त्वपूर्ण विषयों को लेकर परामर्श करेंगे। व्यापारी वर्ग को कुछ दिनों से अटके कार्य आज पूर्ण होने से तसल्ली मिलेगी। लेकिन परिवार में आज आर्थिक अथवा अथवा किसी अन्य वजह से खींच-तान होने की संभावना है। धन की अपेक्षा संबंधों को अधिक महत्त्व दे अन्यथा वैर-विरोध का सामना करना पड़ेगा। मध्यान के बाद का समय पूरे दिन की अपेक्षा ज्यादा सुखदायी रहेगा। मौज-शौक एवं संतानो पर खर्च होगा। 

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज के दिन परिस्थितियां आपकी आशा के अनुकूल रहेंगी। लेकिन महिलाये आज जो भी विचारेंगी फल उसके विपरीत ही मिलेगा। आध्यात्म के प्रति आस्था बढ़ने पर भी धन कमाने को ज्यादा महत्त्व देंगे। आपकी मनोवृति सुखोपभोग की अधिक रहेगी जिस वजह से कार्य क्षेत्र पर पूर्ण ध्यान नही दे पाएंगे फिर भी आज धन लाभ के अवसर मिलते रहेंगे। जिस भी कार्य को करने का मन बनाएंगे उनके निर्णय आरंभिक व्यवधान के बाद आपके ही पक्ष में रहेंगे। सरकारी कार्यो भी आज किसी के सहयोग मिलने से आगे बढ़ेंगे। सार्वजनिक कार्यो में अरुचि रहेगी। लंबी धार्मिक तीर्थ स्थानों की यात्रा के प्रसंग बन सकते है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज के दिन आपको विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। दिन के आरम्भ में स्वास्थ्य ठीक रहेगा लेकिन मध्यान तक कुछ ना कुछ विकार आने से कार्य प्रभावित होंगे वाहन अथवा उपकरणों से सावधानी बरतें दुर्घटना का भय है। दिन के आरंभ में किसी से बंधी आशा टूटने से मन दुखी होगा। आर्थिक कारणों से मध्यान तक का समय संघर्ष वाला रहेगा इसके बाद कही से आकस्मिक धन लाभ होने से थोड़ी राहत मिलेगी। आज यात्रा पर्यटन की योजना भी बनेगी। कार्य क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा अधिक रहने से लाभ में कमी आएगी। महिलाये आज परिजनों के ऊपर अधिक आश्रित रहेंगी। संतानो के विषय मे नई चिंता बनेगी।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज आप जिस भी कार्य को करने की योजना बनाएंगे उसमें सफल अवश्य होंगे। आज आपको आस-पास का वातावरण भी उत्साह बढ़ाने वाला मिलेगा। कार्य व्यवसाय में आरंभिक मंदी के बाद मध्यान पश्चात लाभजनक स्थिति बनेगी। निवेश भी निसंकोच होकर कर सकते है लाभ ही होगा। कुछ दिनों से जिस वस्तु की कामना कर रहे थे आज उसकी प्राप्ति होने से मन प्रफुल्लित रहेगा। धन लाभ के साथ साथ खर्च में भी बढ़ोतरी होगी फिर भी आर्थिक संतुलन बना रहेगा। आज कोई निकटस्थ व्यक्ति घर अथवा कार्य क्षेत्र पर आपके भेदों को सार्वजनिक कर सकता है सतर्क रहें।

 

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज के दिन आपको पूर्व में की गई मेहनत का फल धन लाभ के रूप में मिलेगा। दिनचार्य भी सुव्यवस्थित रहने से किसी भी कार्य को लेकर ज्यादा मशक्कत नही करनी पड़ेगी। अधिकांश कार्यो में सहज सफलता मिल जाएगी। लेकिन धन संबंधित कार्य देखभाल कर ही करें। प्रतिस्पर्धी स्वतः ही अपनी हार मान लेंगे जिससे लाभ के अवसर बढ़ेंगे। सेहत भी अनुकूल रहने से हर प्रकार की परिस्थितियों में काम कर लेंगे। जो लोग अबतक आपके विपरीत चल रहे थे वो भी आपका सहयोग एवं प्रशंशा करेंगे फिर भी आकस्मिक वाद-विवाद के प्रसंग बनेंगे इससे बच कर रहें। घर मे थोड़ी उग्रता रहने पर भी प्रेम बना रहेगा।

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*कुशोत्पाटिनी अमावस्या आज*

भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को कुशोत्पतिनी अमावस्या, भाद्रपद अमावस्या व पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पुरोहित वर्ष भर कर्मकाण्ड कराने के लिए, नदी, घाटियों से कुशा नामक घास उखाड़ कर घर लाते है। कुशा घास को उत्तराखंड में कांस कहते है। कुशा का वैज्ञानिक नाम एराग्रोस्टिस सिनोसुरोइड्स कहते है।

धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में इस्तेमाल की जाने वाली घास यदि इस दिन एकत्रित की जाए तो वह वर्ष भर तक पुण्य फलदायी होती है। बिना कुशा घास के कोई भी धार्मिक पूजा निष्फल मानी जाती है। इसलिए कुशा घास का उपयोग हिन्दू पूजा पद्धति में प्रमुखता से किया जाता है। इस दिन तोड़ी गई कोई भी कुशा वर्ष भर पवित्र रहती हैं।

*कुशोत्पाटिनी अमावस्या का महत्व -*

ज्योतिष शास्त्र और मनुष्य जीवन में मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि सही व शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य कभी निष्फल नहीं होता, उसके सफल होने की पूर्ण संभावना होती है। ऐसे कई विशेष मुहूर्त होते हैं जैसे गुरुपुष्य, रविपुष्य, सर्वार्थसिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग आदि। शास्त्रानुसार हमारे हिन्दू कर्मकांडों में ‘पावित्री का विशेष महत्व बताया गया है। बिना पावित्रीधारण किए कोई कर्मकांड पूर्ण नहीं माना जाता है। 

‘पावित्री कुशा से बनी अंगूठी अथवा स्वर्ण से बनी अंगूठी को कहा जाता है। ‘पावित्री बनाने के लिए कुशा को उखाड़ा जाता है। यह कार्य केवल अमावस्या को ही संपन्न किया जाता है। अमावस्या को उखाड़ा गया कुशा एक माह तक पवित्र व शुद्ध माना गया है। शास्त्रानुसार तीर्थ स्नान, संध्योपासन, पूजन, जप, होम, पितृकर्म, तर्पण आदि में पावित्री धारण करना आवश्यक है।

*’पावित्री धारण के नियम -*

– स्वर्ण से बनी ‘पावित्री (अंगूठी) कुशा की पावित्री’ से अधिक शुद्ध मानी जाती है। 

– ‘पावित्री’ पहनकर भोजन करने से उसका त्याग करना आवश्यक होता है। 

– दो कुशों से बनी ‘पावित्री’ को दाहिने हाथ की अनामिका के मूल में धारण किया जाता है।

– तीन कुशों से बनी ‘पावित्री’ को बाएं हाथ की अनामिका के मूल में धारण किया जाता है।

*कुशोत्पाटन (कुशा उखाड़ने) के नियम-*

– प्रत्येक मास की अमावस्या को उखाड़ा गया कुश एक माह तक शुद्ध व उपयोगी रहता है।

– भाद्रपद मास की अमावस्या जिसे कुशोत्पाटनी अमावस्या कहा जाता है, इस दिन उखाड़ा गया कुश एक वर्ष तक पवित्र व उपयोगी होता है, इसीलिए ‘कुशोत्पाटिनी’ अमावस्या का विशेष महत्व होता है।

– कुश को सदैव ‘हुं फट्’ बीज मंत्र के उच्चारण के साथ एक बार में उखाड़ना चाहिए। जिस कुशा का अग्रभाग कटा हो, जो मार्ग में हो, जो अशुद्ध स्थान में हो ऐसे कुश को नहीं उखाड़ना चाहिए।

– कुशा को उखाड़ते समय श्वेत वस्त्र धारण करके पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर कुशा उखाड़ना चाहिए। 

– कुशा सदैव प्रात:काल ही उखाड़ना चाहिए।

*कुशोत्पाटनी अमावस्या तिथि*

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इस वर्ष 14 सितंबर 2023, दिन गुरुवार, भाद्रपद मास की ‘कुशोत्पाटनी अमावस्या’ है। जो साधक साधना एवं कर्मकांड के लिए कुशोत्पाटन करना चाहते हैं वे इस दिन उपर्युक्त विधि से कुशोत्पाटन कर सकते हैं।

  राम के दादा परदादा का नाम क्या था? ( सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था हमारे पक्ष से )

नहीं पता है तो जानिये-
1 – ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 – मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 – कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 – विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 – वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 – इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 – कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 – विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 – बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..

🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹

1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।

17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।

यह जानकारी महीनों के परिश्रम केबाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है ।
तीन को भेज कर धर्म लाभ कमाये ।।

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आम लोगों के साथ जमीन पर बैठ कर, पोंगल त्योहार मनाती *इस महिला की पारिवारिक संपत्ति 35,000 करोड़ है* ये *पद्म विभूषण हैं* इनके *दामाद ऋषि सुनक, इंग्लैंड के प्रधानमंत्री हैं*

*आपको बता दें कि* ये सुधा कृष्णमूर्ति हैं इंफोसिस के संथापक नारायण मूर्ति की पत्नी *!!!!!!*

शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम.. जरूर पढ़ें

1. गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं

2. देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं

3. शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं

4. विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं

5. दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें

6. मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें

7. तुलसी पत्र चबाकर न खाएं

8. द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें

9. दर्शन करके बापस लौटते समय घंटा न बजाएं

10. एक हाथ से आरती नहीं लेना चाहिए

11. ब्राह्मण को बिना आसन बिठाना नहीं चाहिए

12. स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है

13. बिना दक्षिणा ज्योतिषी से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए

14. घर में पूजा करने अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें

15. तुलसी पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न हो

16. गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना है

17. स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल नहीं फोडना है

18. रजस्वला स्त्री का मंदिर प्रवेश वर्जित है

19. परिवार में सूतक हो तो पूजा प्रतिमा स्पर्श न करें

20. शिव जी की पूरी परिक्रमा नहीं किया जाता

21. शिव लिंग से बहते जल को लांघना नहीं चाहिए

22. एक हाथ से प्रणाम न करें

23. दूसरे के दीपक में अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए

24. चरणामृत लेते समय दायें हाथ के नीचे एक नैपकीन रखें ताकि एक बूंद भी नीचे न गिरे

25. चरणामृत पीकर हाथों को शिर या शिखा पर न पोछें बल्कि आंखों पर लगायें शिखा पर गायत्री का निवास होता है उसे अपवित्र न करें

26. देवताओं को लोभान या लोभान की अगरबत्ती का धूप न करें

27. स्त्री द्वारा हनुमानजी शनिदेव को स्पर्श वर्जित है

28. कंवारी कन्याओं से पैर पडवाना पाप है

29. मंदिर परिसर में स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग दें

30. मंदिर में भीड़ होने पर लाईन पर लगे हुए भगवन्नामोच्चारण करते रहें एवं अपने क्रम से ही अग्रसर होते रहें

31. शराबी का भैरव के अलावा अन्य मंदिर प्रवेश वर्जित है

32. मंदिर में प्रवेश के समय पहले दाहिना पैर और निकास के समय बाया पांव रखना चाहिए

33. घंटी को इतनी जोर से न बजायें कि उससे कर्कश ध्वनि उत्पन्न हो

34. हो सके तो मंदिर जाने के लिए एक जोड़ी वस्त्र अलग ही रखें

35. मंदिर अगर ज्यादा दूर नहीं है तो बिना जूते चप्पल के ही पैदल जाना चाहिए

36. मंदिर में भगवान के दर्शन खुले नेत्रों से करें और मंदिर से खड़े खड़े वापिस नहीं हों,दो मिनट बैठकर भगवान के रूप माधुर्य का दर्शन लाभ लें

37. आरती लेने अथवा दीपक का स्पर्श करने के बाद हस्तप्रक्षालन अवश्य करें

इन सभी बताई गई बातें हमारे ऋषि मुनियों से परंपरागत रूप से प्राप्त हुई है…

जय सनातन धर्म, जय श्रीराम, जय गोविंदा ✨🙏🕉️💖

लेख बडा है तो भी आपको समय निकाल कर पढना चाहिए क्योंकि ज्ञान की कोई सीमा नही होती इसलिए इसे अवश्य पढिए
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मेरे सभी मित्र थोडा समय देकर इस अनमोल लेख को अवश्य पढे
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राम कथा के दर्शन थाई लैंड से
भारत के बाहर थाईलेंड में आज भी संवैधानिक रूप में राम राज्य है l वहां भगवान राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सम्राट “भूमिबल अतुल्य तेज ” राज्य कर रहे हैं , जिन्हें नौवां राम कहा जाता है l*

*भगवान राम का संक्षिप्त इतिहास*
वाल्मीकि रामायण एक धार्मिक ग्रन्थ होने के साथ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ भी है , क्योंकि महर्षि वाल्मीकि राम के समकालीन थे, रामायण के बालकाण्ड के सर्ग, 70 / 71 और 73 में राम और उनके तीनों भाइयों के विवाह का वर्णन है, जिसका सारांश है।

मिथिला के राजा सीरध्वज थे, जिन्हें लोग विदेह भी कहते थे उनकी पत्नी का नाम सुनेत्रा ( सुनयना ) था, जिनकी पुत्री सीता जी थीं, जिनका विवाह राम से हुआ था l राजा जनक के कुशध्वज नामके भाई थे l इनकी राजधानी सांकाश्य नगर थी जो इक्षुमती नदी के किनारे थी l इन्होंने अपनी बेटी उर्मिला लक्षमण से, मांडवी भरत से, और श्रुतिकीति का विवाह शत्रुघ्न से करा दी थी l केशव दास रचित ”रामचन्द्रिका“ पृष्ठ 354 (प्रकाशन संवत 1715) के अनुसार, राम और सीता के पुत्र लव और कुश, लक्ष्मण और उर्मिला के पुत्र अंगद और चन्द्रकेतु , भरत और मांडवी के पुत्र पुष्कर और तक्ष, शत्रुघ्न और श्रुतिकीर्ति के पुत्र सुबाहु और शत्रुघात हुए थे l

*भगवान राम के समय ही राज्यों बँटवारा*
पश्चिम में लव को लवपुर (लाहौर ), पूर्व में कुश को कुशावती, तक्ष को तक्षशिला, अंगद को अंगद नगर, चन्द्रकेतु को चंद्रावतीl कुश ने अपना राज्य पूर्व की तरफ फैलाया और एक नाग वंशी कन्या से विवाह किया था l थाईलैंड के राजा उसी कुश के वंशज हैंl इस वंश को “चक्री वंश कहा जाता है l चूँकि राम को विष्णु का अवतार माना जाता है, और विष्णु का आयुध चक्र है इसी लिए थाईलेंड के लॉग चक्री वंश के हर राजा को “राम” की उपाधि देकर नाम के साथ संख्या दे देते हैं l जैसे अभी राम (9 th ) राजा हैं जिनका नाम “भूमिबल अतुल्य तेज ” है।

*थाईलैंड की अयोध्या*
लोग थाईलैंड की राजधानी को अंग्रेजी में बैंगकॉक ( Bangkok ) कहते हैं, क्योंकि इसका सरकारी नाम इतना बड़ा है , की इसे विश्व का सबसे बडा नाम माना जाता है , इसका नाम संस्कृत शब्दों से मिल कर बना है, देवनागरी लिपि में पूरा नाम इस प्रकार है “क्रुंग देव महानगर अमर रत्न कोसिन्द्र महिन्द्रायुध्या महा तिलक भव नवरत्न रजधानी पुरी रम्य उत्तम राज निवेशन महास्थान अमर विमान अवतार स्थित शक्रदत्तिय विष्णु कर्म प्रसिद्धि ”

थाई भाषा में इस पूरे नाम में कुल 163 अक्षरों का प्रयोग किया गया हैl इस नाम की एक और विशेषता ह l इसे बोला नहीं बल्कि गा कर कहा जाता हैl कुछ लोग आसानी के लिए इसे “महेंद्र अयोध्या ” भी कहते है l अर्थात इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या l थाई लैंड के जितने भी राम ( राजा ) हुए हैं सभी इसी अयोध्या में रहते आये हैं l

*असली राम राज्य थाईलैंड में है*
बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने राजा को राम का वंशज होने से विष्णु का अवतार मानते हैं, इसलिए, थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है l वहां के राजा को भगवान श्रीराम का वंशज माना जाता है, थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना 1932 में हुई।

भगवान राम के वंशजों की यह स्थिति है कि उन्हें निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता है वे पूजनीय हैं। थाई शाही परिवार के सदस्यों के सम्मुख थाई जनता उनके सम्मानार्थ सीधे खड़ी नहीं हो सकती है बल्कि उन्हें झुक कर खडे़ होना पड़ता है. उनकी तीन पुत्रियों में से एक हिन्दू धर्म की मर्मज्ञ मानी जाती हैं।

*थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है*
यद्यपि थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के लोग बहुसंख्यक हैं, फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है l जिसे थाई भाषा में ”राम कियेन” कहते हैं l जिसका अर्थ राम कीर्ति होता है, जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है l इस ग्रन्थ की मूल प्रति सन 1767 में नष्ट हो गयी थी, जिससे चक्री राजा प्रथम राम (1736–1809), ने अपनी स्मरण शक्ति से फिर से लिख लिया था l थाईलैंड में रामायण को राष्ट्रिय ग्रन्थ घोषित करना इसलिए संभव हुआ, क्योंकि वहां भारत की तरह दोगले हिन्दू नहीं है, जो नाम के हिन्दू हैं, हिन्दुओं के दुश्मन यही लोग हैं l

थाई लैंड में राम कियेन पर आधारित नाटक और कठपुतलियों का प्रदर्शन देखना धार्मिक कार्य माना जाता है l राम कियेन के मुख्य पात्रों के नाम इस प्रकार हैं-
1. राम (राम)
2. लक (लक्ष्मण)
3. पाली (बाली)
4. सुक्रीप (सुग्रीव)
5. ओन्कोट (अंगद)
6. खोम्पून ( जाम्बवन्त )
7. बिपेक ( विभीषण )
8. तोतस कन (दशकण्ठ) रावण
9. सदायु ( जटायु )
10. सुपन मच्छा (शूर्पणखा)
11. मारित ( मारीच )
12. इन्द्रचित (इंद्रजीत) मेघनाद

*थाईलैंड में हिन्दू देवी देवता*
थाईलैंड में बौद्ध बहुसंख्यक और हिन्दू अल्प संख्यक हैं l वहां कभी सम्प्रदायवादी दंगे नहीं हुए l थाई लैंड में बौद्ध भी जिन हिन्दू देवताओं की पूजा करते है, उनके नाम इस प्रकार हैं
1. ईसुअन (ईश्वन) ईश्वर शिव
2. नाराइ (नारायण) विष्णु
3. फ्रॉम (ब्रह्म) ब्रह्मा
4. इन ( इंद्र )
5. आथित (आदित्य) सूर्य
6 . पाय ( पवन ) वायु

*थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़*
गरुड़ एक बड़े आकार का पक्षी है, जो लगभग लुप्त हो गया है l अंगरेजी में इसे ब्राह्मणी पक्षी (The Brahminy Kite ) कहा जाता है, इसका वैज्ञानिक नाम “Haliastur Indus” है l फ्रैंच पक्षी विशेषज्ञ मथुरिन जैक्स ब्रिसन ने इसे सन 1760 में पहली बार देखा था, और इसका नाम Falco Indus रख दिया था, इसने दक्षिण भारत के पाण्डिचेरी शहर के पहाड़ों में गरुड़ देखा था l इस से सिद्ध होता है कि गरुड़ काल्पनिक पक्षी नहीं है l इसीलिए भारतीय पौराणिक ग्रंथों में गरुड़ को विष्णु का वाहन माना गया है l चूँकि राम विष्णु के अवतार हैं, और थाईलैंड के राजा राम के वंशज है, और बौद्ध होने पर भी हिन्दू धर्म पर अटूट आस्था रखते हैं, इसलिए उन्होंने ”गरुड़” को राष्ट्रीय चिन्ह घोषित किया है l यहां तक कि थाई संसद के सामने गरुड़ बना हुआ है।

*सुवर्णभूमि हवाई अड्डा*
हम इसे हिन्दुओं की कमजोरी समझें या दुर्भाग्य, क्योंकि हिन्दू बहुल देश होने पर भी देश के कई शहरों के नाम मुस्लिम हमलावरों या बादशाहों के नामों पर हैं l यहाँ ताकि राजधानी दिल्ली के मुख्य मार्गों के नाम तक मुग़ल शाशकों के नाम पर हैं l जैसे हुमायूँ रोड, अकबर रोड, औरंगजेब रोड इत्यादि, इसके विपरीत थाईलैंड की राजधानी के हवाई अड्डे का नाम सुवर्ण भूमि हैl यह आकार के मुताबिक दुनिया का दूसरे नंबर का एयर पोर्ट है l इसका क्षेत्रफल 563,000 स्क्वेअर मीटर है। इसके स्वागत हाल के अंदर समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ हैl पौराणिक कथा के अनुसार देवोँ और ससुरों ने अमृत निकालने के लिए समुद्र का मंथन किया था l इसके लिए रस्सी के लिए वासुकि नाग, मथानी के लिए मेरु पर्वत का प्रयोग किया था l नाग के फन की तरफ असुर और पुंछ की तरफ देवता थेl मथानी को स्थिर रखने के लिए कच्छप के रूप में विष्णु थेl जो भी व्यक्ति इस ऐयर पोर्ट के हॉल जाता है वह यह दृश्य देख कर मन्त्र मुग्ध हो जाता है।

इस लेख का उदेश्य लोगों को यह बताना है कि असली सेकुलरज्म क्या होता है, यह थाईलैंड से सीखो l अपनी संस्कृति की उपेक्षा कर के कोई भी समाज अधिक दिनों तक जीवित नहीं रह सकती।
आजकल सेकुलर गिरोह के मरीच सनातन संस्कृति की उपेक्षा और उपहास एक सोची समझी साजिश के तहत कर रहे हैं और अपनी संस्कृति से अनजान नवीन पीढ़ी अन्धो की तरह उनका अनुकरण कर रही है।