आज का पंचाग आपका राशि फल, श्रावण मास का प्रथम सोमवार, धामी मंत्रिमंडल में अनिल नौटियाल और भरतसिंह चौधरी को मिलेगा स्थान!, जब सनातन और शास्त्रों में जातियाँ नहीं तो संविधान में क्यों!

🕉श्री हरिहरौ विजयतेतराम🕉  

🌄सुप्रभातम🌄

🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

🌻सोमवार, २२ जुलाई २०२४🌻

सूर्योदय: 🌄 ०५:४१, सूर्यास्त: 🌅 ०७:१४

चन्द्रोदय: 🌝 २०:२२, चन्द्रास्त: 🌜०६:०५

अयन 🌖 दक्षिणायणे (उत्तरगोलीय)

ऋतु: ⛈️ वर्षा 

शक सम्वत: 👉 १९४६ (क्रोधी)

विक्रम सम्वत: 👉 २०८१ (पिंगल)

मास 👉 श्रावण, पक्ष 👉 कृष्ण 

तिथि 👉 प्रतिपदा (१३:११ से द्वितीया)

नक्षत्र 👉 श्रवण (२२:२१ से धनिष्ठा)

योग 👉 प्रीति (१७:५८ से आयुष्मान)

प्रथम करण 👉 कौलव (१३:११ तक)

द्वितीय करण 👉 तैतिल (२३:४८ तक)

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॥ गोचर ग्रहा: ॥ 

🌖🌗🌖🌗

सूर्य 🌟 कर्क, चंद्र 🌟 मकर 

मंगल 🌟 वृष (उदित, पूर्व, मार्गी)

बुध 🌟 सिंह (उदित, पूर्व, वक्री)

गुरु 🌟 वृष (उदय, पूर्व, मार्गी)

शुक्र 🌟 कर्क (अस्त, पश्चिम, मार्गी)

शनि 🌟 कुम्भ (उदित, पूर्व, वक्री)

राहु 🌟 मीन, केतु 🌟 कन्या  

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शुभाशुभ मुहूर्त विचार

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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५६ से १२:५१

अमृत काल 👉 १२:४६ से १४:१४

सर्वार्थसिद्धि योग 👉 ०५:३० से २२:२१

विजय मुहूर्त 👉 १४:४१ से १५:३६

गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:१५ से १९:३६

सायाह्न सन्ध्या 👉 १९:१७ से २०:१८

निशिता मुहूर्त 👉 २४:०३ से २४:४४

राहुकाल 👉 ०७:१३ से ०८:५६

राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम

यमगण्ड 👉 १०:४० से १२:२३

होमाहुति 👉 चन्द्र (२२:२१ से मंगल)

दिशाशूल 👉 पूर्व

अग्निवास 👉 पृथ्वी

चन्द्रवास 👉 दक्षिण

शिववास 👉 गौरी के साथ (१३:११ से सभा में)

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☄चौघड़िया विचार☄

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॥ दिन का चौघड़िया ॥ 

१ – अमृत २ – काल

३ – शुभ ४ – रोग

५ – उद्वेग ६ – चर

७ – लाभ ८ – अमृत

॥रात्रि का चौघड़िया॥ 

१ – चर २ – रोग

३ – काल ४ – लाभ

५ – उद्वेग ६ – शुभ

७ – अमृत ८ – चर

नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 

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शुभ यात्रा दिशा

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दक्षिण-पूर्व (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)

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तिथि विशेष

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श्रावण कृष्ण पक्ष आरम्भ, श्रावण प्रथम सोमवार व्रत, अशून्यशयन व्रत, रोटक व्रत आरम्भ, विवाह मुहूर्त कर्क-वृश्चिक ल० (प्रातः ०५:५० से सांय ०४:५० तक) मीन-मिथुन ल० (रात्रि १०:२१ से अंतरात्रि ०५:३८ तक), गृहप्रवेश मुहूर्त+ वाहन क्रय-विक्रय मुहूर्त+देवप्रतिष्ठा मुहूर्त प्रातः ०९:११ से १०:५१ तक आदि।

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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 

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आज २२:२१ तक जन्मे शिशुओ का नाम                     

श्रवण नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (खी, खू, खे, खो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (ग) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है।

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उदय-लग्न मुहूर्त

कर्क – २९:०७ से ०७:२९

सिंह – ०७:२९ से ०९:४८

कन्या – ०९:४८ से १२:०६

तुला – १२:०६ से १४:२६

वृश्चिक – १४:२६ से १६:४६

धनु – १६:४६ से १८:४९

मकर – १८:४९ से २०:३०

कुम्भ – २०:३० से २१:५६

मीन – २१:५६ से २३:२०

मेष – २३:२० से २४:५४

वृषभ – २४:५४+ से २६:४८+

मिथुन – २६:४८+ से २९:०३+

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पञ्चक रहित मुहूर्त

रोग पञ्चक – ०५:३० से ०७:२९

शुभ मुहूर्त – ०७:२९ से ०९:४८

मृत्यु पञ्चक – ०९:४८ से १२:०६

अग्नि पञ्चक – १२:०६ से १३:११

शुभ मुहूर्त – १३:११ से १४:२६

रज पञ्चक – १४:२६ से १६:४६

शुभ मुहूर्त – १६:४६ से १८:४९

चोर पञ्चक – १८:४९ से २०:३०

शुभ मुहूर्त – २०:३० से २१:५६

रोग पञ्चक – २१:५६ से २२:२१

शुभ मुहूर्त – २२:२१ से २३:२०

शुभ मुहूर्त – २३:२० से २४:५४+

रोग पञ्चक – २४:५४+ से २६:४८+

शुभ मुहूर्त – २६:४८+ से २९:०३+

मृत्यु पञ्चक – २९:०३+ से २९:३०+

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आज का राशिफल

🐐🐂💏💮🐅👩

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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन आपके लिए शुभ रहेगा। आज कार्यो को काफी सोच विचारने के बाद ही करेंगे। कार्य क्षेत्र पर निर्णय लेने में थोड़ी परेशानी भी रह सकती है फिर भी सोची गयी योजनाएं अवश्य फलीभूत होंगी। धन लाभ थोड़े इन्तजार के बाद होगा। शारीरिक स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। घर में पूजा पाठ का आयोजन करवा सकते है। नए कार्यो की शुरुआत फिलहाल टालें। सुख के साधनों में वृद्धि होगी। विरोधी परास्त होंगे। परिवार में शांति रहेगी।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज के दिन आप में परोपकार की भावना अधिक रहेगी। अपने कार्यो को छोड़ दुसरो के कार्य करने के कारण परेशानी होगी परन्तु मानसिक संतोष भी रहेगा। दो पक्षो के विवाद के बीच व्यर्थ में फंस सकते है किसी की मध्यस्थता आज भूल कर भी ना करें। परिश्रम वाले कार्यो को करने में शारीरिक रूप से अक्षम रहेंगे। अर्थ एवं परिवारिक कारणों से चिंता रहेगी। किसी से मदद लेना चाहेंगे उसमे भी निराशा ही मिलेगी। लोग आपकी मदद करने की जगह आपकी बातों को हास्य में लेंगे।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज के दिन कार्यो में निरंतर मिल रही असफलता के कारण नकारात्मक विचार मन को परेशान करेंगे। शारीरिक रूप से भी शिथिल रहेंगे। व्यवसाय सम्बंधित आयोजन अधूरे रहने से कार्य क्षेत्र पर आपकी आलोचना भी हो सकती है। व्यवहारिकता की कमी के कारण लाभदायक सम्बन्ध टूट सकते है। नौकरी पेशा जातक काम से मन चुरायेंगे इसलिए अधिकारियो का कोप भाजन बनना पडेगा। संध्या के समय किसी स्त्री के सहयोग से धन लाभ की सम्भवना है। परिजनों से सम्बन्ध ठीक नहीं रहेंगे।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज दिन का पूर्वार्द्ध पहले की भांति शांति से व्यतीत करेंगे परन्तु इसके बाद का समय थोड़ा कष्टदायक रहने वाला है सभी महत्त्वपूर्ण कार्य आलस्य छोड़ जल्दी निपटाने का प्रयास करें। इस अवधि में धन लाभ भी होगा। मध्यान के बाद स्थिति बदलने से आकस्मिक खर्च बढ़ेंगे संकलित पूँजी खर्च हो सकती है। व्यापार में निवेश एवं धन की उधारी के व्यवहार सोच समझ कर ही करें। परिवार में किसी महिला के रूठने पर खुशामद करनी पड़ सकती है। 

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज के दिन आप स्वार्थ सिद्धि के कारण आपसी मनमुटाव भुलाकर नए सिरे से कार्य करेंगे। परन्तु अधिकारियो से कार्य निकालना आसान नहीं रहेगा। कार्य क्षेत्र अथवा घर पर किसी अन्य व्यक्ति के कारण हंगामा खड़ा हो सकता है फिर भी पारिवारिक सदस्यों के एकजुट होने से समस्या का समाधान निकाल लेंगे। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन परिश्रम वाला रहेगा परिश्रम के बाद ही निर्वाह योग्य आय बना पाएंगे। विरोधी चाह कर भी आपका बुरा नहीं कर पाएंगे। लंबी दूरी की यात्रा की योजना बनेगी भविष्य की योजनाओं पर खर्च होगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज के दिन आप तन मन से एकदम चुस्त रहेंगे। मानसिक प्रसन्नता रहने से कार्यो को बेहतर ढंग से कर पाएंगे अपने आस-पास का वातावरण विनोदी स्वभाव से हास्यमय बनाएंगे लेकिन ध्यान रहे आपकी हास्य भरी बातें किसी के दिल को चुभ भी सकती है। कार्य क्षेत्र से आशा के अनुसार लाभ नही होने पर भी परेशांन नहीं होंगे। अधिकारी वर्ग आज आपको कोई महत्त्वपूर्ण कार्य सौप सकते है जिसपर आप खरे उतरेंगे। परिवार में भी आप सक्रीय रहेंगे परिजनों की।परेशानियों को गंभीर लेकर तुरंत समाधान करेंगे।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज के दिन की शुरुआत में किसी से विवाद हो सकता है जिस के कारण मध्यान तक मन अशांत रहेगा। कार्य व्यवसाय में भी दिन उदासीन रहेगा परिश्रम का उचित फल नहीं मिलेगा। हाथ आये अनुबंध भी निरस्त हो सकते है। नौकरी पेशा जातक अधिक कार्य भार के कारण थकान अनुभव करेंगे। परिवार में किसी के स्वास्थ्य खराब होने अथवा महत्त्वपूर्ण कार्य निकलने से दिनचर्या में परिवर्तन करना पड़ेगा। आकस्मिक खर्च भी परेशान करेंगे। संतान आपकी अवहेलना करेगी।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन धन लाभ के अवसर मिलेंगे। कार्यो में गति आने एवं घर एवं कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था में सुधार होगा। भविष्य के प्रति निश्चिन्त रहेंगे। पारिवारिक सदस्य आपको पूरा सहयोग करेंगे। बीच-बीच में किसी पुराने विवाद के कारण अशांति बनेगी फिर भी स्थिति नियंत्रण में रहेगी। व्यवसाय में समय से पहले महत्त्वपूर्ण कार्य पूर्ण होने से धन की आमद सुनिश्चित होगी। बड़े बुजुर्ग आपकी प्रगति से प्रसन्न रहेंगे। आज अतिआत्मविश्वास की भावना भी रहेगी जिससे सम्मान हानि भी हो सकती है।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज आप आस-पास बन रहे वातावरण से क्षुब्ध होकर एकांतवास करना पसंद करेंगे। परन्तु सांसारिक मोह अधिक रहने के कारण ज्यादा समय एक निर्णय पर नहीं टिक पाएंगे। समाज एवं परिवार में एक समय अपने आप को अलग थलग पाएंगे। क्रोध भी अधिक रहेगा फिर भी थोड़ा संयम विवेक रहने से किसी को परेशान नहीं करेंगे। संतान आपकी भावनाओं की कद्र करेगी परन्तु अहम् के कारण किसी का सहयोग नहीं लेंगे।

आर्थिक कारणों से महत्त्वपूर्ण यात्रा अथवा अन्य व्यवहार प्रभावित रहेंगे। 

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज का दिन आप आनंद से बितायेंगे। किसी मनोकामना अथवा बनाई योजना में सफलता मिलने की ख़ुशी दिन भर रहेगी। सेहत थोड़ी असामान्य रह सकती है स्वसन क्रिया सम्बंधित परेशानी बनेगी। कार्य क्षेत्र से आशा से अधिक लाभ कमा सकेंगे। यात्रा पर जाने का विचार होगा जिसमे थकान भी रहेगी परन्तु उत्साह के आगे अनुभव नहीं होगी। आस पड़ोसियों से ईर्ष्या युक्त सम्बन्ध रहेंगे। आप किसी से भी मदद लेने में सफल रहेंगे परन्तु किसी की मदद करने में आनाकानी कर सकते है। परिजन आपकी बात मानेंगे।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज के दिन सभी कार्यो में आशा के विपरीत फल रहेगा। विशेष कर धन सम्बंधित कार्य अनुभवी व्यक्ति की सलाह के बाद ही करें। कार्य क्षेत्र पर गलत निर्णय लेने से धन के साथ मान हानि भी हो सकती है। पारिवारिक वातावरण भी कुछ ऐसा ही रहेगा। कार्य क्षेत्र की खींज घर में निकालने से वातावरण अशान्त बनेगा। पत्नी अथवा संतान से तकरार हो सकती है। बड़े बुजुर्ग अथवा अधिकारी भी आपसे नाराज रहेंगे। अनैतिक साधनो से धन कमाने की योजना में लाभ हो होगा परन्तु जोखिम भी अधिक रहेगा।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज आपका ध्यान कार्य क्षेत्र पर कम ही रहेगा फलस्वरूप लाभ की आशा भी छोड़नी पड़ेगी। परन्तु फिर भी आज आकस्मिक रूप से धन की आमद होने से आप स्वयं भी आश्चर्य चकित रह जाएगे। भोग विलास की प्रवृति में अधिक समय देंगे। सामाजिक कार्यो की अनदेखी करने से व्यवहारों में कमी आएगी। गृहस्थ सुख उत्तम बना रहेगा। रिश्तेदारी में उपहारों का आदान प्रदान होगा। अविवाहित अथवा बेरोजगारों के लिए परिस्थिति सहायक बनेगी। यात्रा में चोटादि का भय है सतर्क रहें।

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️🙏राधे राधे

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट मे जनपद चमोली से कर्णप्रयाग विधानसभा से तीसरी बार निर्वाचित विधायक अनुभवी व विकास की सोच के साथ आगे बढने का विचार रखने वाले विधायक अनिल नौटियाल जी को मंत्रिमंडल मे स्थान मिलने की संभावना बहुत बढ़ गयी है। जनता की भावना भी सीमांत क्षेत्र से जुड़ी हुई। समझा जाता है कि पहाड़ों पर धामी का ध्यान बढ़ गया है और वे बदरीनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए अनिल नौटियाल तथा केदारनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए वरिष्ठ विधायक भरतसिंह चौधरी को मंत्रिमंडल में ले सकते हैं। क्योंकि धामी कैबिनेट में अभी तक चमोली और रूद्रप्रयाग से कोई मंत्री नहीं है। और दोनों जनपद घोर उपेक्षा और राजनीतिक रूप से तिरस्कृत हैं। ✍️हरीश मैखुरी 

सनातन धर्म संस्कृति में जाति व्यवस्था नहीं है

#मनुष्य शब्द मनु की संतति के संदर्भ में प्रयुक्त होता है इसी कारण वे मानव या मनुष्य कहलाए। स्वायंभुव मनु को आदि पुरूष भी कहा जाता है, आदि का अर्थ होता है प्रारंभ। अन्य भाषाओं के मनुष्य-वाची शब्द मैन, मनुज, मानव, आदि सभी मनु शब्द से ही उत्प्रेरित हैं। इसीलिए जो अपने को मनु की परम्परा का नहीं मानते यानी विधर्मी हैं उनके लिए मनुष्य शब्द का प्रयोग उचित होगा या कोई अन्य शब्द ये विचारणीय हो सकता है।
#धर्म शब्द की उत्पत्ति ‘धृ’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ है सत्य को हृदय में धारण करना। #ऋग्वेद में हृदय में धारित सर्वकालिक सार्वभौम सत्य को धर्म कहा गया है ‘दया धर्मस्य मूलम्’ अर्थात् संसार के समस्त प्राणियों के लिए हृदय में दया और करूणा ही #धर्म है।
कुछ लोगों द्वारा धर्म शब्द के संदर्भ में लिखा जाता है जाति धर्म का खोल ओढ़ने से वैमनस्यता बढ़ती है।
धर्म के स्थान पर #मजहब शब्द लिखें तो तब उसकाअर्थ सही बैठता। वैमनस्यता ‘धर्म’ नहीं ‘मजहब’ सिखाता है ‘मजहब नहीं सिखाता है आपस में बैर रखना’ यह गीत केवल सरकारी विद्यालयों में गाने के लिए है लेकिन जिनकी किताब में स्पष्ट लिखा है कि गैर मजहबी #काफिर है और ‘काफिरों की हत्या जायज है’। ‘बुतपरस्ती हराम है इसलिए बुतों यानी मूर्तियों को तोड़ो आदि इत्यादि। उनके मदरसों में मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना गीत क्यों नहीं सुबह की प्रार्थना में गाया जाता है! जबकि इस गीत की सबसे अधिक आवश्यकता वहीं है। जहां मजहब के नाम पर बाकायदा संसार भर में अलकायदा हमास सिम्मी पीएफआई, लश्कर जैसे २०००से अधिक आतंकी संगठन हैं जिनका एक ही घोषित उद्देश्य है गैर मुस्लिमों की हत्या करना और आतंक फैलाना। #इदउलअजहा अर्थात् #बकरीद के दिन मजहब का वास्तविक रूप पूरी दुनियाँ देखती है जब करोड़ों प्राणियों का मजहब के नाम पर एक ही दिन गले पर छुरी चला कर तड़पा तड़पा कर मारा जाता है, उस दिन संसार के सभी इंसानों की दया करूणा भाईचारा घास चरने चली जाती है। यहाँ तक कि मेनका गांधी #पेटा और वो सभी सैक्युलर जो दिपावली पर पटाखों से कुत्तों के लिए तंग होने पर ज्ञान देते हैं बकरीद पर दुम दबा कर अपने बिल में दुबक जाते हैं। वास्तव में देखा जाय तो बकरीद गैर मुस्लिमों की हत्या के लिये प्रशिक्षण है, दया करूणा के लिए #मजहब में कोई स्थान नहीं है और #भाईचारा केवल मजहब के लोगों के संदर्भ में प्रयुक्त शब्द है गैर मुस्लिमों के लिए तो #काफिर शब्द है।
तो फिर धर्म शब्द का मजहब के स्थान पर प्रयोग जानबूझ किया या अनजाने में करें दोनों असंदर्भित होगा।

#जाति_व्यवस्था- सनातन धर्म संस्कृति में जाति व्यवस्था नहीं है, वर्ण व्यवस्था है जो स्वेच्छा से कार्यों के वरण करने के लिए तत्समय की आवश्यकता रही होगी, जैसे आज आफिस चलाने के लिए विभिन्न पदों पर कर्मचारियों की आवश्यकता होती है कुछ वैसी ही जो कि सदैव परिवर्तनीय रही है। ‘जन्मनात् जायते शूद्र: कर्मणात् द्विजम् उचयते’ इसका अर्थ होता है जन्म से सभी व्यक्ति शुद्ध चित वाले होते हैं और अपने पुरूषार्थ यानी कर्मणात् अर्थात् कार्य से दूसरे स्तरों को प्राप्त करते हैं। इसमें वर्णों के कार्यों में विभेद नहीं है, सभी कार्य समान समझे जाते रहे हैं। आप अपने जीवन में किसी भी कार्य का वरण करने के लिए अर्ह हैं, यही वर्ण व्यवस्था है।
इसके हजारों उदाहरण हैं जैसे राजा कौशिकी क्षत्रीय होते हुए भी ब्राह्मण ऋषि विश्वामित्र कहलाये। और ब्राहमण द्रोणाचार्य क्षात्रधर्म अपनाने के कारण क्षत्रीय कहलाये। बाल्मीकि, गौतम एवं व्यास जी को तो तपबल से भगवान का स्तर प्राप्त है। सनातन धर्म संस्कृति में जातियों का कोई अस्तित्व नहीं है जाति शब्द है ही नहीं।
भारत में जाति व्यवस्था मुस्लमान मुगल आक्रांताओं की देन है जब उन्होंने ने मुस्लमान नहीं बनने वाले ब्राह्मणों और क्षत्रियों को अपने हरम में पाखाना आदि गंदगी उठाने के कार्य पर लगाया, तब स्वधर्म धर्म भंग होने के कारण वे ‘भंगी’ कहा और जिन से हलाल किए हुए पशुओं का चमड़ा उतरवाया वे ‘चमार’ कहा। मुगलों से पहले भारत में ये दोनों शब्द प्रचलित ही नहीं थे। देखा जाय तो सनातन धर्म संस्कृति के वास्तविक योद्धा ‘भंगी’ और ‘चमार’ ही हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपना सनातन धर्म नहीं छोड़ा तलवार के डर से सलवार नहीं पहना। जबकि भारत के सभी कनवर्टेड मुसलमान वही जिनके पूर्वजों ने डर के मारे इस्लाम स्वीकार कर लिया था। मुसलमान आक्रमणकारियों से पहले भारत में स्वच्छता और सुचिता प्रत्येक व्यक्ति का अनिवार्य एवं पहला कार्य था, इसलिए पृथक से स्वचछकार मेहतर की व्यवस्था ही नहीं थी। सनातन धर्म संस्कृति में पशु हत्या और उसका मांस भक्षण पाप है लोग लकड़ी के खड़ाऊ या जूट के छपेले पहनते थे या नंगे पाव रहते थे शरीर पर चमड़ा पहनना या चमड़ा खाना वर्जित था इसलिए ‘चमार’ शब्द नहीं था। मांस खाने का चलन यानी पेट को पशुओं की कब्रिस्तान बनाने का कुचक्र भी मुगल मुसलमान ही भारत में लाये।
अंग्रेजों ने मुगल काल में बनी जातियों को इसलिए बढावा दिया ताकि हिन्दुओं को जातिगत आधार पर बांट कर राज कर सकें। स्वतंत्रता के बाद भी क्यों कि दंड संहिता में अधिकांश धाराएं अंग्रेजों के समय की ही हैं इसलिए संविधान में जाति व्यवस्था यथावत रखी गई है ताकि काले अंग्रेज भी बांटो और राज करो की राजनीति कर सकें। कुछ समय इंदिरा गांधी ने नारा दिया ‘जात पर न पात पर मुहर लगेगी हाथ पर’ लेकिन आज उनका पोता #राउल_विंची फिर जातिगत आधार पर गणना करने पर अड़ा है, ये होता है जातिवाद जिस पर कलम चलाने और चिंतन मनन की आवश्यकता है कि जातिवाद का जहर कैसे समाप्त हो। वैसे भी नेहरू खानदान अपनी कुटिल नीतियों से आरंभ में इस्लामीकरण और ऐंटोनियोमायनो के बाद इसाईकरण को बढ़ावा देता रहा है यह छुपी हुई बात है भी नहीं।
इसके लिए सबसे पहले संविधान से जातीय और मजहबी विसंविधान हटाने आवश्यक हैं इनके हटते ही भारत में एकता आ जायेगी। कुंभ में, सभी प्रतिष्ठित मंदिरों में, कांवड़ यात्रा में दीपावली होली दशहरा रक्षाबंधन में जातीय विभेद आज तक कहीं नहीं है। जातिगत और मजहबी भेदभाव की व्यवस्था संविधान में है शास्त्र में नहीं। संविधान के अनुसार सरकारी सिस्टम जाति प्रमाण पत्र जारी करता है पंडित नहीं। इसलिए समान नागरिक संहिता समय की आवश्यकता है। इसकी मांग करनी चाहिए। श्रीकृष्ण समर्पणमस्तु।। ✍️हरीश मैखुरी