✍️हरीश मैखुरी
उत्तराखंड में जो कार्य सरकार को आरंभ करना चाहिए था वह कार्य उत्तराम्ननाय ज्योतिष पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य अनंत श्री विभूषित स्वामी श्री अवि मुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज 1008 की उत्तराखंड ने कर दिया है। वे यहां के चार धामों की शीतकालीन पूजा स्थलों की तीर्थ यात्रा आज से प्रारंभ हो रही है। इसके अन्तर्गत शंकराचार्य जी महाराज आज बड़कोट में 11:30 बजे प्रवेश करेंगे। यहां पर स्थानीय लोगों के द्वारा उनका नागरिक अभिनंदन एवं स्वागत किया जाएगा। इसके बाद स्वामी श्री महाराज यमुना जी के शीतकालीन पूजा स्थल खरसाली की ओर प्रस्थान करेंगे। 4:00 बजे श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देंगे तथा शाम को शीतकालीन पूजा में शामिल होंगे।
समझा जा रहा है कि ज्योतिषपीठाधीश्वर द्वारा इस ऐतिहासिक शीतकालीन तीर्थ यात्रा को आरंभ करने से उत्तराखंड के शीतकालीन पूजा स्थलों से भी देश-विदेश के लोग अवगत होंगे वहीं यहां के स्थानीय लोगों को होटल वालों को गाड़ी वालों को भी इस शीतकालीन यात्रा कार्यक्रम से निश्चित रूप से लाभ होगा शंकराचार्य की इस पहल को यदि सरकार भी समर्थन दे और शीतकालीन गद्य स्थलों पर आधारभूत सुविधाएं जुटाना में सहायता करें तो निश्चित रूप से इस यात्रा के लाभ से श्रद्धालुओं को एक नई ऊर्जा की प्राप्ति होगी वह उत्तराखंड में भी शीतकालीन मौसम का आनंद ले सकेंगे वहीं यह यात्रा उत्तराखंड की आर्थिक में एक महत्वपूर्ण योगदान देगी बता दें कि चार धामों की शीतकालीन पड़ाव शीतकालीन गद्दी स्थल चमोली जनपद में पांडुकेश्वर रूद्रप्रयाग जनपद में उखीमठ तथा उत्तरकाशी जनपद में खरसाली तथा मुखवा में हैं।
अपडेट – निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज की उत्तराखंड स्थित चार धामों की *शीतकालीन चारधाम तीर्थ यात्रा* हरिद्वार के चण्डी घाट पर गंगा पूजन के साथ प्रारंभ हो गई । बुधवार को तय कार्यक्रम के तहत *ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य जी महाराज* के पावन सान्निध्य में तीर्थ यात्रियों का दल यात्रा के लिए अपने पहले पड़ाव खरसाली पहुंचा। इससे पहले बड़कोट नगर क्षेत्र में स्थानीय लोगों जनप्रतिनिधियों एवं तीर्थ पुरोहितो द्वारा उनका नागरिक अभिनंदन किया गया।
बड़कोट में नागरिक अभिनंदन के अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य जी ने कहा कि देश दुनिया में लोगों के बीच में यह भ्रम की स्थिति है कि उत्तराखंड स्थित चारों धामों के कपाट बंद होने के बाद पूजाएं भी बंद हो जाती हैं । यह संदेश देने के लिए कि चारों धामों की पूजाएं निरंतर चलती रहती हैं, इसी उद्देश्य के लिए उनके चार धामों की शीतकालीन पूजा स्थलों की यात्रा की जा रही है।
विश्वभर में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व होना चाहिए । सनातन धर्म के अनुसार ही बातों को आगे किया जाना चाहिए । सनातन धर्म के अनुसार आगे आने का आह्वान किया। ऋषि मुनि साधु संतो ने ही इस तीर्थ यात्रा को आगे बढ़ाया । शंकराचार्यो, ऋषियो मुनियों ने जो संस्कृति शुरू की है उसको हम आगे बढ़ा रहे हैं। सनातन धर्मबलंबियो से आग्रह करते हैं कि वह किस प्रकार के साथी शीतकाल में भी धर्मों की यात्रा करें ।
आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा ढाई हजार वर्ष पूर्व स्थापित परंपराओं का निर्वहन करते हुए ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य शीतकालीन पूजा स्थलों की तीर्थ यात्रा कर रहे हैं। आदिगुरु शंकराचार्य परंपरा के इतिहास में यह पहला अवसर है कि जब ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य द्वारा उत्तराखंड स्थित चार धामों के पूजा स्थलों की तीर्थ यात्रा की जा रही है ।
खरसाली मंदिर परिसर में शंकराचार्य जी द्वारा यमुना जी की आरती एवम पूजन किया गया। काशी की दिव्य और भव्य आरती भी आयोजित की गई ।