बेटियां मर रही हैं!! …….

फोटो 👉 शोशल मीडिया से साभार

बेटियाँ मर रही हैं..

टीवी पर ऐड आता है सिर्फ़ एक कैप्सूल 72 घंटे के अंदर अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा???

बिना दिमाग की लड़कियां फ़ॉर्म में.. हर हफ्ते नया बॉयफ्रेंड *इन गोलियाँ जिसका न कंपोजीसन पता होता है* और *न कांसेप्ट … बस निगल जाती हैं*

इन फेक गोलियों में *अरसेनिक भरा होता है* यह 72 घंटों के अन्दर सिर्फ़ बनने वाले भ्रूण को खत्म नहीं करता बल्कि *पूरा का पूरा fertility system ही क्राफ्ट कर देता है* शुरू में तो गोलियाँ खाकर सती सावित्री बन जाती हैं *लेकिन शादी के बाद पता चलता है ये बाँझ बन गईं, अब माँ नहीं बन सकती*

*तो सबको पता चल जाता है इनका भूतकाल कैसा रहा है* पर कोई बोलता नहीं *ज़िंदगी ख़ुद अभिशाप बन जाती है*

*सरकार हर वर्ष *मातृत्व सुरक्षा के नाम पर करोड़ों फूक देती है लेकिन नासमझ ढीठ और जुल्मी लड़कियाँ ख़ुद डॉक्टर बन जाती हैं* बच्चे नहीं चाहिए तो असुरक्षित योन सबंध बनाते ही क्यों हो और बना दिए तो बाद में अपने प्रजनन तंत्र को छिन्न भिन्न करने वाली गोलियां क्यों निगल रहे हैं। इससे भविष्य में इनफर्टिलिटी बाझपन और यूट्रस कैंसर व रसौली का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। 

*आज स्थिति ये है* 13-14 वर्ष की बच्चियां बैग मे i-pill लेकर घूम रही है *ये मरेंगी नहीं तो क्या होगा* यही नहीं असुरक्षित योन संबधों से एचआईवी एड्स संक्रमण का खतरा और योन जनित रोगों के फैलने की संभावना भी बहुत बढ जाती है। 

इसलिए *कभी समय निकाल कर* अपनी बेटी या बहन का बैग भी चेक कर लिया करो *हर साल लाखो बच्चियां बच्चेदानी के कैंसर से मर जाती हैं* उसका एक मात्र कारण *माता-पिता और भाई की लापरवाही!!*( साभार)

बेटी पढाओ बेटी बचाओ

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 *बेटियां चावल उछाल विदा हो जाती हैं,*

*ये भी किसी तुलसी पूजा से कम नहीं होती..बेटियाँ चावल उछाल बिना पलटे,,*

*महावर लगे कदमों से विदा हो जाती हैं,,!*

*छोड़ जाती है बुक शेल्फ में,कवर पर अपना नाम लिखी किताबें,,*

*दीवार पर टंगी खूबसूरत आइल पेंटिंग के एक कोने पर लिखा अपना नाम,,*

*खामोशी से नर्म एहसासों की निशानियां,छोड़ जाती है,बेटियाँ विदा हो जाती हैं,,!*

*रसोई में नए फैशन की क्राकरी खरीद,अपने पसंद की सलीके से बैठक सजा,अलमारियों में आउट डेटेड ड्रेस छोड़,,*

*तमाम नयी खरीदादारी सूटकेस में ले,मन आँगन की तुलसी में दबा जाती हैं,,*

*बेटियाँ विदा हो जाती हैं,,!!*

*सूने सूने कमरों में उनका स्पर्श,,*

*पूजा घर की रंगोली में* *उंगलियों की महक,,*

*बिरहन दीवारों पर बचपन की निशानियाँ,,*

*घर आँगन पनीली आँखों में भर,,*

*महावर लगे पैरों से दहलीज़ लांघ जाती है,,*

*बेटियाँ चावल उछाल विदा हो जाती हैं,,!*

*एल्बम में अपनी मुस्कुराती तस्वीरें,कुछ धूल लगे मैडल और कप,आँगन में गेंदे की क्यारियाँ उसकी निशानी,,*

*गुड़ियों को पहनाकर एक साड़ी पुरानी,,*

*उदास खिलौने आले में औंधे मुँह लुढ़के,,*

*घर भर में वीरानी घोल जाती हैं,,,* बेटियां चावल