आज का पंचाग, आपका राशि फल, भगवद्गीता का अति मर्मस्पर्शी गूढ़ और गोपनीय संदेश, हर स्तर पर आयुर्वेद की ही अग्नि परीक्षा क्यों?, कोरोना के पीछे का चीनी षडयंत्र!

  अनेक पंचाग और फलादेश आप को शोशल मीडिया पर मिलते होंंगे, लेकिन प्रकांड ज्योतिष मर्मज्ञ पंडित चक्रधर मैदुली जी का जो पंचाग अक्सर हम अपने समाचार पोर्टल प्रकाशित करते हैं वह उत्तराखंड के समय और लगनानुसार है और इनके फलादेश भी स्थान काल परिस्थितियों के अनुसार सत्य परक होते हैं – – संपादक

🕉️ श्री गणेशाय नमः 🕉️ जगत् जनन्यै जगदंबा भगवत्यै नम 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सभी मित्र मंडली को आज का पंचांग एवं राशिफल भेजा जा रहा है इस का लाभ उठाएंगे।*चन्द्रमा की स्तुति* :–
*दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम् नमामि शशिनं सोमम् शम्भो मुकुट भूषणम्।। हिन्दी ब्याख्या:–दधि शंख अथवा हिम के समान जिनकी दीप्ति है जिन की उत्पत्ति क्षीर समुद्र से हैं जो शिवजी के मुकुट पर अलंकार की तरह विराजमान रहते हैं मैं उन चंद्रदेव को प्रणाम करता हूं। चन्द्र गायत्री मंत्र:–🕉️ *अत्रिपुत्राय विद्महे सागरोद्भवाय धीज्ञहि तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्*।।
यथाशक्ति चंद्र गायत्री का जप करने के बाद पलाश युक्त पायस घी से दशांश हवन करें चंद्रदेव एवं भगवान शंकर आपकी समस्त मनोकामना को पूर्ण करेंगे।।।
आपका ✍️*पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री* 8449046631🙏🏽🙏🏽

✡️दैनिक पंचांग✡️
✡️विक्रम संवत 2078✡️
✡️ज्येष्ठ मासे ✡️
✡️11 प्रविष्टे गते ✡️
दिनांक ✡️:24 – 05 – 2021(सोमवार)
सूर्योदय :05.46 पूर्वाह्न
सूर्यास्त :07.01 अपराह्न
सूर्य राशि :वृषभ
चन्द्रोदय :04.52 अपराह्न से
चंद्रास्त :04.35 पूर्वाह्न तक
चन्द्र राशि :तुला
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2078
अमांत महीना :बैशाख 13
पूर्णिमांत महीना :बैशाख 27
पक्ष :शुक्ल 13
तिथि :द्वादशी 3.38 पूर्वाह्न तक, बाद में त्रयोदशी
नक्षत्र :चित्रा 9.49 पूर्वाह्न तक, बाद में स्वाति
योग :व्यातीपात 11.13 पूर्वाह्न तक, बाद में वरीयान
करण :कौलव 1:57 अपराह्न तक, बाद में तैतिल गर
राहु काल :7.30 पूर्वाह्न-से – 9.10 पूर्वाह्न तक
कुलिक काल :2.11 अपराह्न से- 3.52 अपराह्न तक
यमगण्ड :10.51 पूर्वाह्न -से 12.31 अपराह्न तक
अभिजीत मुहूर्त :11.57 पूर्वाह्न -से 12.50 अपराह्न तक
दुर्मुहूर्त :12:50 अपराह्न – से 01:43 अपराह्न, तक 03:29 अपराह्न – से 04:22 अपराह्न तक 

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✡️आज के लिए राशिफल ✡️(24-05-2021) 
✡️मेष✡️24-05-2021
लंबे समय से चल रही कानूनी समस्या का आकस्मिक निर्णय आपको आश्चर्यचकित करेगा। परिवार आपके लिए  प्रथम  है और आप उन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी भी सीमा तक जाएंगे। राजकीय सेवक के लिए बदलाव या स्थानांतरण के लिए यह अच्छा समय है। नई प्रतिबद्धताओं और दायित्वों को बाद में लिया जा सकता है। यात्रा आपके कार्यक्रम में शामिल हो सकती है, इसके लिए तैयार रहें। कार्य क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए, आप नए लोगों से मिल सकते हैं। कुछ लोगों द्वारा दिए गए नये विचार आपके काार्य में सहयोग करेंगे।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : नीला रंग
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❤️वृष ✡️24-05-2021
आपको अधिकारियों से सहायता मिलेगी। घर में भी सभी लोगों का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापारियों को आय के नए स्रोत मिलेंगे। मन-वान्छित काम पूरा होने पर आपका जीवनसाथी आपसे प्रसन्न रहेगा। आज योग और व्यायाम करने से आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आप अपना ध्यान किसी सामाजिक कार्य
में लगा सकते हैं। आपको किसी नए कार्य से फायदा होगा। कुछ लोगों को आपकी उदारता पसंद आयेगी। जो विद्यार्थी मन से विद्याध्ययन कर रहे हैं, उनकी सफलता सुनिश्चित होगी।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 1
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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❤️मिथुन ✡️24-05-2021

शीघ्रता में कोई काम न करें। धन स्थिति की चिंता करनी होगी। आपका अपव्यय हो सकता है। सेवा और व्यवसाय में किसी बात को लेकर उलझनें बढ़ सकती हैं। पैसों के मामलों में सावधानी रखनी होगी। स्वास्थ को लेकर अनदेखी न करें। कार्यालय या कार्ययोजना कक्ष पर तनावपूर्ण स्थिति बन सकती है। आज आप मित्रों और परिवार की आवश्यकताओं में फंस सकते हैं। पेट संबंधित व्याधि होने के योग बन रहे हैं।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : गुलाबी रंग
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❤️कर्क ✡️24-05-2021
किसी बड़ी योजना और विचारों के कारण आपका ध्यान आकर्षित हो कर सकता है। बेरोजगारों को  के सुनहरे अवसर मिलेंगे। किसी बड़ी परेशानी से छुटकारा मिल सकता है। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। आज आपका आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा। किसी मित्र के सहयोग से नौकरी के अवसर मिल सकते हैं। मित्रों से मुलाकात होगी। शारीरिक और मानसिक आरोग्य अच्छा रहेगा। पारिवारिक संबंध मधुर रहेंगे।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 2
भाग्यशाली रंग : हल्का लाल
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🙏🏽सिंह ✡️24-05-2021
आज आप  कठिन समय बीमारी के संघर्ष से निकलने में सफल होंगे। आत्म-शक्ति को इकट्ठा कर अन्दर की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करने के लिए समय उत्तम है। व्यावसायिक एवं व्यापारिक सन्दर्भ में पिछली भूल चूक से सावधान रहें और अनुभवी जनों की सहायता से निर्णय लेना शुभ रहेगा। आर्थिक स्थिति कुछ सीमा तक सामान्य रहेगी। आज जीवन साथी के साथ मनोरंजन स्थलों का आनन्द लिया जा सकता है। प्रेम विषयों में स्थिति यथावत बनी रहेगी। मित्र इस समय में आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 4
भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग
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🕉️कन्या✡️24-05-2021
आज आपका मन प्रसन्न रहेगा। सरकारी कार्य में किसी बड़े व्यक्ति से सहयोग मिलेगा। परिवार वालों के साथ क्रय विक्रय करने की योजना बनायेंगे। आर्थिक पक्ष मजबूत बना रहेगा। कई दिनों से अधूरी पड़ी इच्छा आज पूरी होगी। आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। दोस्त आपसे किसी मामले में सलाह लेंगे। आप उनकी सहायता करने में सफल होंगे। थोड़ी मेहनत से आज किसी बड़े धन लाभ का अवसर प्राप्त होगा। आज बच्चों के प्रति आपका स्वभाव कोमल बना रहेगा। माता-पिता का आशीर्वाद लें, पारिवारिक रिश्ते शक्तिशाली होंगे।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 5
भाग्यशाली रंग : लाल रंग
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✡️तुला ✡️24-05-2021
नौकरी और व्यवसाय में लाभ की संभावना बन रही है। आपके लिए दिन अच्छा रहेगा। विशेष लाभ व उन्नति के लिए आज आपको कुछ अधिक ही कोशिशें करनी पड़ सकती है, लेकिन आप सफल भी हो सकते हैं। आपके किए हुए काम भाग्य की सहायता से पूरे हो सकते हैं। अपने लाभ की चिंता जरूर करें। दूसरों को खिन्न किए बिना चतुराई से काम करें। महिला मित्र पर व्यय अधिक हो सकता है। प्रेमिका या जीवनसाथी पर रोष न करें। किसी पर अपनी भावनाएं जबरदस्ती न बोलें
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : भूरा रंग
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❤️वृश्चिक ✡️24-05-2021
वृश्चिक राशि को व्यवसाय में लाभ का अवसर मिलेगा। परिवार के साथ सामाजिक गतिविधियों व सहभागिता में अधिक मानसिक दाब पैदा कर सकती है। व्यापार में नई योजनाओं का शुभारंभ हो सकता है। यह समय पैसे और वित्त संबंधी मामलों के लिए अनुकूल है। आर्थिक लाभ हो सकता है। ज्ञान के प्रति जागरूक रहेंगे। किसी अभाव अभाव ग्ररस्त की सहायता करने से आपको लाभ होगा। आज आप कोई बात मन में न रखें। बात कह देने से आपको ही लाभ होगा।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 8
भाग्यशाली रंग : हरा रंग
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🙏🏽धनु ✡️
24-05-2021

कठिन समस्याओं का समाधान होगा। व्यवसायिक रूप से आज का दिन अच्छा रहेगा। नौकरी करने वाले जातकों को कोई शुभ समाचार मिल सकता है। अपने विचारों को दूसरों के सम्मुख सकारात्मक रूप में प्रस्तुत कर पायेंगे। परीक्षा या प्रतियोगिता के माध्यम से नौकरी की खोज करने वाले या अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक लोगों को अपने प्रयासों में सफलता मिलेगी। व्यवसाय विस्तार की योजना बनेगी। आप अपने समर्पण और कड़ी मेहनत से दूसरों से आगे रहेंगे। पारिवारिक जीवन सामंजस्यपूर्ण होगा।
भाग्यशाली दिशा : दक्षिण
भाग्यशाली संख्या : 7
भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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🙏🏽मकर ✡️24-05-2021
आपकी धन की चिंता दूर होगी। सहयोगी के साथ संबंध अच्छे होंगे। आपका कोई आवश्यक कार्य आज पूरा होगा। आज आपको संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। आज अपरिचित लोगों पर भरोसा करने से आपको बचना चाहिए। आपको अपनी योजनाओं के प्रति गोपनीयता बनाये रखने की आवश्यकता है। दोस्तों के साथ आपके संबंध अच्छे रहेंगे। आप किसी सामाजिक कार्य के सहयोगी बन सकते हैं। न्याय के विद्यार्थियों के लिए दिन सामान्य रहने वाला है। आपको अभी और परिश्रम करने की जरूरत है। शिव जी को प्रणाम करें, आपके साथ सब अच्छा होगा।
भाग्यशाली दिशा : पूर्व
भाग्यशाली संख्या : 3
भाग्यशाली रंग : पीला रंग
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✡️कुंभ ✡️24-05-2021

धनाभाव दूर होगा लेकिन आय व्यय बराबर रहेगा। कार्यालय में अधिकारियों से सहयोग मिलेगा। कार्यक्षेत्र में आप पूरे लगन कार्य पूरा कर लेंगे। आर्थिक समृद्धि हो सकती है। अचानक धन लाभ हो सकता है। अच्छे लोगों की संगति से सफलता मिलेगी। संतान से कोई अच्छी सूचना मिलने के योग हैं। प्रयास से समस्याएं सुलझा लेंगे। आज आप किसी आवश्यक निर्णय हेतु धैर्य रखेंगे तो प्रसन्न होंगे।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर
भाग्यशाली संख्या : 9
भाग्यशाली रंग : सफेद रंग
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✡️मीन ✡️24-05-2021
आज संतान संबंधी कार्य होंगे। व्यवसाय या सेवा के सहकर्मियों की ओर से सहयोग कम मिलेगा। आपकी बुद्धिमता योग्यता के बल पर आप आगे बढ़ पाएंगे। प्रतियोगिता के क्षेत्र में भी आपको अच्छी सफलता प्राप्त होगी। आप दूसरों के सामने अपने आप को सही रूप से व्यक्त कर पाएंगे। कला एवं संगीत के प्रति रुचि रहेगी। आज पुराने मित्र से मिलने उसके घर जा सकते हैं। कार्यालय वातावरण अनुकूल रहेगा। कोई व्यक्ति गुप्त रूप से आपकी सहायता कर सकता है।
भाग्यशाली दिशा : उत्तर पश्चिम
भाग्यशाली संख्या : 6
भाग्यशाली रंग : हल्का नीला
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आपका अपना *पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड* फोन नंबर :- 8449046631,9149003677✡️✡️✡️✡️

आयुर्वेद को हर जगह अग्नि परीक्षा के लिए कहा जाता है। लेकिन एलोपैथी को सौ त्रु्टि क्षमा।” ये एक तत्थ्य है, या सिर्फ भ्रम… कहना कठिन है*
कोरोना वायरस के संक्रमण में… पहले हाईड्रॉक्सिक्लोरोक्विन को अचूक माना… दुनियां में भगदड़ मची उसको लेने की। फिर उसका नाम हटा लिया, कहा कि वो प्रभावी नहीं। सैनिटाइजर को हर समय जेब में रखने के परामर्श के बाद उसके अधिक उपयोग के दुष्प्रभाव भी चुपके से बता दिए गए। 
फिर बारी आई प्लाज़्मा थैरेपी की। पूरा माहौल बनाया, रिसर्च रिपोर्ट्स आईं, लोग फिर उसमें जी जान से जुट गए। लेने, अरेंज और मैनेज करने और प्लाज़्मा डोनेट करने में भी। और फिर बहुत सफाई से हाथ झाड़ लिया, ये कहते हुए… कि भाई ये इफेक्टिव नहीं है।
स्टेरॉयड थैरेपी तो क्या कमाल थी भाई साहब। कोई और विकल्प ही नहीं था। कई अवतार मार्केट में पैदा हुए। कालाबाज़ारी हो गई, बेचारी जनता ने भाग दौड़ करते हुए, मुंहमांगे पैसे दे कर किसी तरह उनका इंतज़ाम किया। अब कहा गया कि ब्लैक फंगस तो स्टेरॉयड के मनमाने प्रयोग का नतीजा है।
रेमडेसीवीर इंजेक्शन तो ‘जीवनरक्षक’ अलंकार के साथ मार्केट में अवतरित हुआ। इसको ले कर जो मानसिक, शारीरिक और आर्थिक फ्रंट पर युद्ध लड़े जाते उनकी महिमा तो मीडिया में लगभग हर दिन गायी जाती। लेकिन अरबों-खरबों बेचने के बाद अब उसको भी ‘अप्रभावी’ कह कर चुपचाप साइड में बैठा दिया।
*दूसरी तरफ 600 रुपये के मासिक खर्च वाले कबसुर, अमृत, कोरोनिल, 20 रुपए के काढ़े और 10 रुपए की अमृतधारा को हर दिन कठघरे में जा कर अपने सच्चे और काम की वस्तु होने का प्रमाण देना पड़ता है।*
क्लीनिकल रिसर्च ही अगर आधार है तो फिर इतने यू टर्न क्यों? टेस्ट अगर जनता पर ही करने हैं तो फिर हिमालयन जड़ी बूटी वाला सड़क पर बेचने वाला क्या बुरा है!
जनता का फॉर्मूला शायद बहुत सीधा है: *”महंगा है, अंग्रेज़ी नाम है… तो असर ज़रूर करेगा। साइड इफ़ेक्ट? वो तो हर चीज़ में होते हैं।”*
*आयुर्वेद: आपको अभी पीआर के फ्रंट पर बहुत सीखना है। अपना eco system तैयार करो। नहीं तो, किसी दिन संजीवनी बूटी आई तो उसको भी लोग नकार देंगे। *

वैसे तो अनेक शोधों और समाचारों से जग जाहिर हो गया कि कोरोना चीन का ‘जैविक वैपन’ ही है। कोरोना से दुनियां कंगाल हो गयी जबकि इस बीच चीन मालामाल हो गया है चीन में सब सामान्य ही नहीं है अपितु चीन की आर्थिकी इस बीच पहले से कई गुना समृद्ध हुई है। चीन ने भारत के पड़ोसी देशों को वैक्सीन देकर भी अपना प्रभाव बनाने की कोशिश की है। लेकिन भारत में उल्टा हो रहा था जहां भारत सरकार चीन और कोरोना मोर्चे पर एक साथ जूझ रही थी वहीं भारत में ‘टूलकिट’ जैसी देश विरोधी शाजिस का भी मीडिया में खुलासा हुआ है। इंडिया न्यूज ने 23 मई 2021 को अपने अर्ध सत्य कार्यक्रम में इसे विस्तार से दिखाया भी है। ‘टूलकिट’ की पुष्टि में शोशियल मीडिया पर एक व्यंग तैर रहा है – – – – जिसे सम्यक विचारार्थ प्रस्तुत किया जा रहा है। 

कोरोना की सबसे बड़ी दवाई तो टूलकिट है भाई !!!

टूलकिट के सामने आते ही , केवल सामने आते ही दवाइयों का अभाव समाप्त हो गया , कालाबाजारी समाप्त हो गयी , रेमडिसिविर की माँग समाप्त हो गयी ; यही नहीं , WHO को भी ज्ञान प्राप्त हो गया और WHO ने रेमडिसिविर को कोरोना के इलाज से ही हटा दिया । … उल्लेखनीय है कि रेमडिसिविर पहले भी कोरोना की दवाई नहीं थी , फिर ऐसा क्या किया गया कि रेमडिसिविर की लाखों , करोड़ों डोज मुँहमाँगी कीमत पर बिकी और इसी रेमडिसिविर के कारण अनेकानेक लोग मृत्यु को प्राप्त हुए ।

टूलकिट के सामने आते ही , केवल सामने आते ही पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी दूर हो गयी । अब ऑक्सीजन की कोई पूछ ही नहीं रही ।

टूलकिट के सामने आते ही , केवल सामने आते ही देश में लगभग 50% ICU बेड खाली हो गये । अभी दस दिन पहले देश में ऐसे 10,000 से अधिक बेड की कमी थी ।

टूलकिट के सामने आते ही , केवल सामने आते ही गंगा में लाशें बहनी बंद हो गयीं ; जलती चिता की चर्चा पर विराम लग गया ; श्मशान से हो रही पत्रकारिता खो गयी ; कोरोना से हुई मौत का दिन-रात का प्रसारण बन्द हो गया ; मौत पर अनवरत चल रही राजनीति शांत हो गयी ।

टूलकिट के सामने आते ही , केवल सामने आते ही देश की लगभग सभी मीडिया-संस्थानों की रुचियाँ बदल गयीं , उनके लक्ष्य बदल गये ; वैक्सीन पर ज्ञान देने वाले मर गये ; लगातार नकारात्मक संदेश देने वाले छिप गये ; सारे आमी , वामी , कामी बिल में चले गये ।

एक बात तो स्पष्ट है कि जब तक टूलकिट सामने न था , संकट चरम पर था ; टूलकिट के सामने आते ही संकट नियंत्रण में है ।

अब टूलकिट या तो भगवान है या टूलकिट वाले हैं –
“ मौत के सौदागर “

Random_Musings_On_Bhagwat_Gita: As Now Days

कंप्यूटर और नेटवर्क के जरिये आज की दुनियां जैसे चलती है इसका निर्माण करीब सौ साल पहले शुरू हुआ था। अगर कभी ब्लैकबेर्री के सरकारों को कूट भाषा में रखी जानकारी ना देने, एप्पल-फेसबुक जैसी कंपनियों के जानकारी बेचने, आधार कार्ड और निजता-गोपनीयता के अधिकारों की बहस सुनी देखी हो तो आप डाटा एन्क्रिप्शन (Data encryption) के बारे में सुन चुके हैं। आपको पता है कि व्हाट्स-एप्प और दुसरे ऐसे सन्देश भेजने के माध्यमों में भी आपके भेजे सन्देश को किसी तरीके से कूट-भाषा में बदलते हैं, ताकि बीच में ही हैकर उसे चुरा ना सकें। अप्रासंगिक हो चले रूस सहित, चीन-अमेरिका जैसे कई देशों की सरकारें ऐसे कूट को तोड़ने समझने के लिए कंपनियों पर दबाव बनाये रखती है।

सोशल मीडिया, ईमेल सन्देश जैसी संवाद-संचार की जो प्रणाली है वो विश्व युद्ध के दौर बननी शुरू हुई थी। सेनाएं अपने गुप्त सन्देश भेजती और शत्रुओं गुप्त सूचनाओं को पढ़ने की भी कोशिश करती। ब्रिटेन में उसी दौर में कंप्यूटर का विकास हुआ, क्रिप्टोग्राफी जैसे विषय पढ़े-सीखे जाने लगे और उसी से धीरे धीरे आज की हमारी कंप्यूटर की दुनियां बनी। इन सबके निर्माण के पीछे एलन टूरिंग (Alan Turing) नाम के ब्रिटिश वैज्ञानिक का बहुत बड़ा योगदान था। विज्ञान और गणित से जुड़े विषय कठिन और उबाऊ होंगे, कुछ क्रिप्टोलोजी गुप्त रखने की ही विद्या है, इन वजहों से ऐसे विषय पर भारत में फ़िल्में नहीं बनती। इनपर अंग्रेजी फिल्म बनना भी मुश्किल ही होगा क्योंकि एलन टूरिंग समलैंगिक भी थे।

इसी एलन टूरिंग पर लिखी एंड्रू होद्जस (Andrew Hodges) की किताब पर आधारित अमेरिकी फिल्म “द इमीटेशन गेम”, 2014 में आई थी। इसे कई ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया, एक ऑस्कर के अलावा दुसरे भी पुरस्कार मिले। व्यावसायिक रूप से भी ये काफी हिट फिल्म थी। इसकी कहानी सन 1951 में एक गणितज्ञ के घर शुरू होती है जहाँ कुछ पुलिसकर्मी पूछ-ताछ के लिए आये होते हैं। उसके घर चोरी की कोशिश हुई होती है और पूछ-ताछ में पता चलता है कि दस साल पहले, ये गणितज्ञ, ब्लेचली पार्क में काम करता था। अब ये अपनी पूरी जीवन गाथा सुना रहा होता है।

बोर्डिंग स्कूल में दुसरे छात्र (1927 में) एलन को परेशान करते होते हैं और उसकी दोस्ती वहीँ क्रिस्टोफर से हो जाती है। वो क्रिप्टोग्राफी में एलन की रूचि जगा देता है, और एलन को पसंद आने लगता है। क्रिस्टोफर की अचानक टी.बी. से मौत हो जाती है। जब 1939 में ब्रिटेन जर्मनी से युद्ध की घोषणा करता है तो एलन कमांडर एलेस्टर डेनिसटन (Alastair Denniston) के निर्देशन में ब्लेचली पार्क में चल रही क्रिप्टोग्राफी की टीम के काम में शामिल हो जाता है। हूघ एलेग्जेंडर, जॉन केयर्नक्रॉस, पीटर हिल्टन, कैथ फरमन और चार्ल्स रिचर्ड्स जैसों की ये टीम उस कोड को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे जिस से नाज़ी अपनी एनिग्मा मशीन के सन्देश भेजते थे।

एलन का किरदार हाल में ही शर्लाक होम्स का किरदार निभाने वाले बेनेडिक्ट ने निभाया है। जिसके साथ काम करना मुश्किल हो, जो खुद को महान किस्म का और बाकी सबको तुच्छ माने, ऐसे एलन का किरदार भी इस फिल्म की ख़ास बात है। कमांडर एलेस्टर डेनिसटन जब कोड तोड़ने वाली मशीन के लिए फण्ड देने से मन करता है तो एलेन प्रधानमंत्री चर्चिल को चिट्ठी लिख देता है और इस तरह एनिग्मा का कोड तोड़ने वाली टीम का काम चर्चिल, एलेन को दे देते हैं। अख़बारों में मुश्किल क्रॉसवर्ड के जरिये वो नए लोगों की टीम जुटाना शुरू करता है। यहाँ कैंब्रिज की एक ग्रेजुएट लड़की, जोन क्लार्क उसे मिलती है, जो उसके हर टेस्ट में पास कर जाती है। पुरुष सत्तात्मक, ब्रिटिश इसाई समाज की इस लड़की के माँ-बाप नहीं चाहते थे कि लड़की पुरुषों के साथ काम करे, लोग क्या कहेंगे जैसे कई सवाल थे। आखिर एलन ये इंतजाम करता है कि लड़की, महिला क्लर्कों वाले हिस्से में ऑफिस में बैठे और काम कर सके।

ऐसी ही तरह तरह की मुश्किलों, फण्ड की कमी और डेनिसटन के एनिग्मा मशीन का कूट तोड़ने वाली मशीन बनाने की योजना को ध्वस्त करने की कोशिशों के बीच समाज से कटा सा एलन, जोन क्लार्क के साथ मशीन बनाने में जुटा होता है। इसी बीच उसे समझ में आने लगता है कि वो समलैंगिक है। इसी वजह से स्कूल के दौर में उसे क्रिस्टोफर पसंद था, अब भी उसकी शारीरिक रूचि जोन क्लार्क में कम ही थी। वो एक साथी क्रैनक्रॉस को अपने समलैंगिक होने के बारे में बताता है। इसाई मजहब और स्थानीय कानूनों में प्रतिबंधित इस भयावह जुर्म के बारे में क्रैनक्रॉस उसे चुप्पी साध लेने कहा है। एक दिन उसे सूझता है कि जिन संदेशों में उसे पता है कि क्या लिखा गया, उनके जरिये क्या वो एनिग्मा का कोड तोड़ सकता है ? अब एलेन कामयाब होने लगता है।

एलेन को ये भी समझ आ जाता है कि अगर उसने एनिग्मा का हर कोड सन्देश तोड़ा तो जर्मन समझ जायेंगे कि उनका कोड तोड़ लिया गया है और मशीन बदल देंगे। इसी बीच उसे ये भी समझ आता है कि जिस साथी क्रैनक्रॉस को वो अपना दोस्त मान रहा था वो सोवियत जासूस है। वो क्रैनक्रॉस की पोल खोलना चाहता है लेकिन क्रैनक्रॉस कहता है कि सोवियत भी तो उन्हीं जर्मनों को हराने में लगे हैं, वो तो साथी हैं ! ऊपर से एलेन का समलैंगिक होने का राज भी उसके पास था। उस वक्त तो एलेन चुप लगा जाता है मगर जब एम.आई. सिक्स वाले जोन क्लार्क को धमकाते हैं तो वो राज उगल देता है। लड़की को बचाने के लिए वो उसे अपना समलैंगिक होना भी बता देता है और ब्लेचली पार्क के काम से दूर भी हो जाने कहता है।

युद्ध ख़त्म होने पर क्रिप्टोग्राफर्स का सारा काम नष्ट कर दिया जाता है और राज राज ही रहे इसलिए वो कभी एक दुसरे से भविष्य में ना मिलें ये सुनिश्चित किया जाता है। एलेन पर 1950 के दशक में समलैंगिकता के कारण मुकदमा हुआ और उसे जेल के बदले नपुंसक होने की सजा दी गई। रासायनिक तरीकों से उसका बंध्याकरण कर दिया गया। अंत में गिरती शारीरिक और मानसिक अवस्था में उस से जोन क्लार्क मिलने आती है, वो उसे तसल्ली देती है कि उसके काम से लाखों लोगों की जिन्दगी बचायी जा सकी है।

कुछ लोगों ने विज्ञान और गणित से जुड़ी होने की वजह से, कुछ ने अच्छी स्क्रिप्ट के लिए और कई लड़कियों ने बेनेडिक्ट के लिए ये फिल्म देखी होती है। इसकी कहानी से हम आपको भगवद्गीता के दुसरे अध्याय में तीसरे श्लोक पर ले चलते हैं :

क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप।।2.3।।

मोटे तौर पर यहाँ श्री कृष्ण समझा रहे हैं अर्जुन कायर मत बनो। यह तुम्हारे लिये अशोभनीय है। यहाँ अर्जुन के एक दुसरे नाम पार्थ का इस्तेमाल, बैकग्राउंड रिफरेन्स जैसा है। युद्ध शुरू होने से पहले कुंती की दुविधा थी युद्ध में कुशल होने पर भी, क्या मेरे बेटे लड़कर अपना हक़ लेंगे ? ये याद दिलाया जा रहा होता है तुम पृथानन्दन हो, माँ की इच्छाओं को पूरा करना तुम्हारा धर्म है। क्लीव जो शब्द यहाँ इस्तेमाल हुआ है वो ज्यादातर नपुंसक के अर्थ में बताया जाता है।

क्लीव का एक अर्थ क्रॉस ड्रेसर जैसा भी होगा, जो कि होता तो कुछ और है, लेकिन खुद को दिखाना कुछ और चाहता है। ये फिल्म के एलेन जैसा चरित्र है जो लड़की से प्यार दर्शा के उस से कोड तुड़वाना चाहता है, जबकि असल में उसे लड़की से प्यार-व्यार कुछ नहीं। सोवियत एजेंट की पोल खोले, या उसे भी अपना साथी माने, उसके लिए ये भी एक दुविधा है। ये अर्जुन की शुरूआती दुविधा है :

येषामर्थे काङ्क्षितं नो राज्यं भोगाः सुखानि च।
त इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणांस्त्यक्त्वा धनानि च।।1.33।।
आचार्याः पितरः पुत्रास्तथैव च पितामहाः।
मातुलाः श्चशुराः पौत्राः श्यालाः सम्बन्धिनस्तथा।।1.34।।

अर्जुन व्यथित हो रहा था कि जिनके लिये सब सुख-सुविधाएँ जुटाई जाती हैं, वही सब तो ऐसी राज-पाट जैसी कामना त्याग कर युद्ध में खड़े हैं। उनमें कोई गुरु, कोई चाचा-मामा, भतीजे-पोते तो कोई दुसरे रिश्ते-नाते के लोग ही तो हैं। यहाँ अर्जुन की समस्या ये कतई नहीं है कि वो किसी को मारे कैसे। बिलकुल वैसे ही जैसे एलेन की समस्या ये नहीं कि सोवियत जासूस को मरने दे या नहीं। उसके किये से लोग मर ही रहे हैं। उसकी दिक्कत है कि अपनी पहचान वाले, अपने साथी को पकड़वाए या नहीं। जब लड़की की बात आती है तो ज्यादा प्रिय कौन है ये भी फ़ौरन तय हो जाता है।

यही आपको यहाँ तक की भगवद्गीता में भी दिखेगा। धर्म की ओर खड़े लोगों वाली ही अपने-पराये की ये अर्जुन के लिए ये समस्या है। पहले ही श्लोक में धृतराष्ट्र बिलकुल स्पष्ट हैं। उनके लिए अपने और पराये का भेद साफ़ है :

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।।

यहाँ जब धृतराष्ट्र पूछते हैं तो वो बिलकुल स्पष्ट फर्क कर रहे हैं कि मेरे (मामकाः) और पांडु के पुत्रों (पाण्डवाश्चैव) ने क्या किया ? धार्मिक लोगों के लिए ये समस्या रहती है आपका अधिकार छीनने के लिए आये लोगों को स्पष्ट पता है कि अपना कौन है पराया कौन है। आप “वसुधैव कुटुम्बकम्” जपते सब तो अपने ही हैं के पशोपश में ना रहें, सही-गलत में ही नहीं, एक सही और दुसरे सही के बीच बेहतर कौन है उसका चुनाव कर सकें, भगवद्गीता ये भी सिखाती है।

बाकी ये जो हमने धोखे से पढ़ा डाला वो नर्सरी लेवल का है। पीएचडी के लिए आपको खुद ढूंढ कर पढ़ना पड़ेगा ये तो याद ही होगा ?
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कई बार लोग जो हाथ जोड़ने का सा इशारा किसी सोशल मीडिया के संवाद में एक दुसरे को भेजते हैं, उसका अलग अलग जगह अलग अलग मतलब होता है | पूर्वी यानि जापानी से लेकर भारत तक की संस्कृति में जहाँ इसे हाथ जोड़ने, प्रणाम करने के से अर्थ में लिया जाता है वहीँ कुछ पश्चिमी सभ्यताओं में इसे “हाई फाइव” भी समझा जाता है | लाइक का जो “अंगूठा दिखाने वाला” बटन हम लोग दबाते हैं उसे भी भारतीय परम्पराओं में कुछ और ही समझा जायेगा | शब्दों में तो हिंदी की चोटी जो सबसे ऊँचा बिंदु हो, वो बांग्ला में जाते जाते पाँव की चप्पल हो जायेगी | भारत के अन्दर भी इशारों में उल्टा हो जाता है, उत्तर का ना का इशारा, दक्षिण में हाँ जैसा लग सकता है |

ऐसे ही एक ना को हाँ मानकर काम करने वाले जीव पर बनी फिल्म “गुरु” 2007 में आई थी | मणिरत्नम की बनाई, रहमान का संगीत, अभिषेक बच्चन, माधवन, ऐश्वर्या, विद्या बालन, मिथुन चक्रवर्ती जैसे नामी गिरामी लोगों से भरी ये फिल्म कथित रूप से धीरू भाई अम्बानी पर आधारित थी | मोटे तौर पर इसकी कहानी सबको पता है | ये 1950 के दशक में कहीं गुजरात में शुरू होती है जहाँ गुरुकांत देसाई नाम का एक बच्चा है | उसके पिता हेडमास्टर थे और उसे हमेशा सपने देखने से मना करते रहते | आम भारतीय के जैसा वो नौकरी को रोजगार का पर्यायवाची मानते, सपने कभी पूरे नहीं होते का अखंड जाप करते रहते | गुरुकांत देसाई उर्फ़ गुरु ऐसे ही मना किये जाने को उकसाना मानता था |

मसालों के निर्यात के व्यापार में नौकरी करने वो तुर्की भी जाता है और प्रमोशन मिलते ही कहता है अगर कोई और पहचान सकता है कि मैं काम में अच्छा हूँ, तो मैं अपना ही काम क्यों ना करूँ ? दुसरे की नौकरी क्यों ? वापस आकर वो सुजाता से शादी करता है और साले जिग्नेश को भी साथ लिए बम्बई चला जाता है | यहाँ वो कपड़ो के व्यापार में काम करता है | धीरे धीरे शक्ति कारपोरेशन नाम की कंपनी भी खड़ी कर लेता है | शुरूआती संघर्ष के दिनों में वो मानिक “नानाजी” दासगुप्ता नाम के एक समाचार पत्र चलाने वाले वामपंथी पत्रकार के भी संपर्क में आता है | नए शहर में पिता की तरह नानाजी गुरुभाई की देखरेख करते हैं, वो भी उनके परिवार को अपने परिवार सा मानता है |

नानाजी की पोती मीनू से गुरु की बड़ी दोस्ती रहती है | बाद में इस लड़की को कुछ गंभीर बीमारियाँ हो जाती हैं, वो अपंग हो जाती है | उधर गुरुकांत का व्यापार बढ़ता रहता है और वो नैतिक-अनैतिक का बहुत ज्यादा लिहाज भी नहीं रखता | जैसे जैसे नानाजी को उसके चोरी से मशीन लाने, शेयर से हेरा फेरी जैसी चीज़ों का पता चलता है तो वही अख़बार में उसके बारे में छपने के आदेश देते हैं | अख़बार से मीडिया से इस जंग के दौरान ही गुरुकांत को दिल का दौरा पड़ता है | तबतक उसपर जांच भी बिठा दी जाती है, और उसपर उनतीस मामले दायर हो जाते हैं | सरकारी जांच आयोग के सामने अपना पक्ष रखने बीमारी में गुरुकांत खुद पहुँचता है | अंततः उसपर से सत्ताईस मामले वापस लिए जाते हैं |

फिल्म के अंतिम दृश्यों में गुरुकांत अपने शेयरहोल्डर के समुदाय के सामने स्टेडियम में भाषण दे रहा होता है | वो लोगों की याद दिलाता है कि बरसों पहले उन्होंने सबके मना करने पर भी एक सपना देखा था, वो फिर से लोगों से पूछता है, देखें एक और सपना ?

अलग अलग परिस्थियों से अकेले लड़कर आगे आते, गुजरात के किसी गाँव से देश की सबसे बड़ी कम्पनी बनाते इस नायक को देखकर आपको लगेगा कि इस फिल्म के खलनायक कहीं बाहर नहीं हैं | ये खुद ही नायक और खुद ही अपना खलनायक है | अपनी हरकतों से अपना उत्थान करता है, खुद ही अपने पतन का इंतजाम करता है, खुद ही गिरता, खुद ही संभलता रहता है | इसके लिए भगवद्गीता के छठे अध्याय में कहा गया है :

उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः।।6.5।।
बन्धुरात्माऽऽत्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः।
अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत्।।6.6।।

इन श्लोकों में कहा गया है कि खुद ही अपना उद्धार कीजिये पतन नहीं, क्योंकि व्यक्ति आप ही अपना मित्र है और आप ही अपना शत्रु है। जिसने स्वयं को जीत लिया है उसके लिये आत्म ही बन्धु है और जिसने अपनेआप को नहीं जीता है उसके लिए वो खुद ही दुश्मन की तरह अपनी हार का इंतजाम किये जाता है। गुरु भाई जब लालच के बदले पूरे व्यापारी समुदाय को लेकर आगे बढ़ रहा था, तो छोटे व्यापारी से बड़ा और साधारण से कंपनी का मालिक होते भी उसे देर नहीं लगती | खुद ही तरह तरह के अपराधों में लिप्त होकर अपना नुकसान भी करता है | फिर सुधर कर वही आदमी ठीक भी होता है, बाहर किसी का होना, ना होना, गौण है |

हम-आप फिल्म की घटनाओं के पात्र नहीं है, बाहर हैं, इसलिए फिल्म में जो लोग गुरु भाई को सलाह दे रहे होते हैं वो उल्टी ही हरकत करते लगते हैं | असल जिन्दगी में कोई जान पहचान वाला अगर गुरुकान्त जैसा करे तो शायद हम-आप भी वही सलाह देंगे | ये भगवद्गीता में बताये साक्षी-भाव जैसा है, घटनाओं को साक्षी की तरह देखने पर आप उसमें लिप्त नहीं होते | इसका उल्टा कभी कभी आप किताबों, फिल्म, टीवी प्रोग्राम में उसके किसी पात्र को स्वयं मानकर, उसकी ख़ुशी के नाटक में खुश, उसके दुःख की कल्पना में दुखी भी होते हैं | वास्तविक जीवन में इशारों को उल्टा कर के समझाने वाले जब कहें कि भगवद्गीता समझने-सीखने के लिए घर-बार छोड़कर सन्यासी, या भयावह अभ्यास से कोई योगी हो जाना चाहिए तो वो अधूरा सच बता रहे होते हैं | उनकी समझने के बदले सीधा भगवद्गीता के श्लोक याद रखने चाहिए | आत्मसंयम योग नाम के छठे अध्याय के बिलकुल पहले श्लोक में कहा है :

अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः।
स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः।।6.1।।

इस श्लोक के साथ एक ख़ास बात है कि ये “श्री भगवान उवाच” के ठीक बाद है, यानि अगर-मगर, किन्तु-परन्तु की कोई गुंजाईश नहीं है | इसमें कहा गया है कि सिर्फ अग्नि को त्यागने वाला संन्यासी नहीं होता ना ही केवल क्रियाओंका त्याग करनेवाला योगी होता है। जिसने कर्म फल छोड़कर कर्तव्य समझ कर कर्म किया वही संन्यासी, वही योगी है | जिसने ऊपर ऊपर से इन्द्रियों को रोक रखा हो और मन पहले सा ही चंचल हो, उसे भगवद्गीता सीधा ही पाखंडी बताती है | भगवद्गीता में ही ये भी लिखा है कि लोग आपको देखकर सीख लें, ऐसा भी हो सकता है | इसलिए अब जब हमें दिख गया है कि लोग (एक दो ही सही) खुद पढ़ने लगे हैं तो हमने इस बार कई श्लोकों को लिखा नहीं, सिर्फ उनका सार लिखा है |

बाकी भगवद्गीता उठा कर खुद ही पढ़िए, क्योंकि ये जो हमने धोखे से नर्सरी लेवल का पढ़ा डाला वो अब हम जरा रोक रहे हैं। जबतक हम और पढ़ें तबतक पीएचडी के लिए आपको खुद ढूंढ कर पढ़ना पड़ेगा ये तो याद ही होगा ?

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✍🏻आनन्द कुमार जी की पोस्टों से संग्रहीय