आज का पंचाग आपका राशि फल, दीपावली एवं लक्ष्मी पूजन का विशेष विधान, दर्शन करें अति गोपनीय और दुर्लभतम यंत्र के जो भगवान राम का दिव्य विग्रह विराजमान होगा

यह वह यंत्र है जिसे अयोध्या में श्री राम के दिव्य विग्रह आसन के नीचे रखा जाएगा। इसे अयोध्या ले जाने से पहले तेनाली में जनता के दर्शन के लिए रखा गया है। एक बार प्रतिमा स्थापित हो जाने के बाद हम इसे नहीं देख सकते। कृपया इसे अपने विशेष लोगों के साथ साझा करें क्योंकि इससे सभी को लाभ होगा,

🚩🛕 जय श्री राम🛕🚩

⛳ *सुप्रभात🌞वन्दे मातरम्*⛳
🚩🕉️🌹🦚🐄🦚🌹🕉️🚩
कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष, *चतुर्दशी*,
स्वाति नक्षत्र, सूर्य दक्षिणायन,
हेमन्त ऋतु, युगाब्द ५१२५,
विक्रम संवत-२०८०,
रविवार, 12 नवम्बर 2023

*दीपक कभी अपना परिचय स्वयं नही देता है। दीपक का प्रकाश ही उसका परिचय है। इसी प्रकार हम स्वयं के लिए कुछ न कहें। हमारी वाणी, कर्म एवं व्यवहार ही हमारा वास्तविक परिचय है। अपना श्रेष्ठ करते रहें, शेष ईश्वर पर छोड़ दें।*
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*🚩आपका दिन मंगलमय हो🚩*
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*महालक्ष्मी पूजन, दीपावली*
*चतुर्दशी दोपहर 2:45 तक, उपरांत अमावस्या।

 ।। 🕉 ।।
🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
📜««« *आज का पञ्चांग*»»»📜
कलियुगाब्द……………………..5125
विक्रम संवत्…………………….2080
शक संवत्……………………….1945
मास……………………………कार्तिक
पक्ष……………………………….कृष्ण
तिथी…………………………..चतुर्दशी
दोप 02.41 पर्यंत पश्चात अमावस्या
रवि………………………….दक्षिणायन
सूर्योदय (इंदौर)……प्रातः 06.38.00 पर
सूर्यास्त…………..संध्या 05.44.40 पर
सूर्य राशि…………………………..तुला
चन्द्र राशि…………………………..तुला
गुरु राशि…………………………….मेष
नक्षत्र……………………………..स्वाति
रात्रि 02.42 पर्यंत पश्चात विशाखा
योग…………………………..आयुष्मान
दोप 04.18 पर्यंत पश्चात सौभग्य
करण……………………………..शकुन
दोप 02.41 पर्यंत पश्चात चतुष्पद
ऋतु………………………….(उर्ज) शरद
दिन………………………………रविवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
12 नवम्बर सन 2023 ईस्वी ।

*तिथी/पर्व/व्रत विशेष :-*
दीपावली या दीवाली अर्थात “प्रकाश का त्योहार” शरद ऋतु में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन सनातनी हिंदू त्योहार है । यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है । ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है। माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे । अयोध्यावासियों का ह्रदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए । कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी । तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं ।
दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ़ सुथरा कर सजाते हैं। बाज़ारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं। दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों ‘दीप’ अर्थात ‘दिया’ व ‘आवली’ अर्थात ‘लाइन’ या ‘श्रृंखला’ के मिश्रण से हुई है। इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है । दीपावली जिसे दिवाली भी कहते हैं ।

*दीपावली से जुड़ी 10 प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं…*
1. लक्ष्मी अवतरण – कार्तिक मास की अमावस्या तिथि‍ को मां लक्ष्मी समुद्र मंथन द्वारा धरती पर प्रकट हुई थीं। दीपावली के त्योहार को मनाने का सबसे खास कारण यही है। इस पर्व को मां लक्ष्मी के स्वागत के रूप में मनाते हैं और हर घर को सजाया संवारा जाता है ताकि‍ मां का आगमन हो।
2. भगवान विष्णु द्वारा लक्ष्मी जी को बचाना – इस घटना का उल्लेख हमारे शास्त्रों में मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से माता लक्ष्मी को मुक्त करवाया था।
3. भगवान राम की विजय – रामायण के अनुसार इस दिन जब भगवान राम, सीताजी और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापिस लौटे थे। उनके स्वागत में पूरी अयोध्या को दीप जलाकर रौशन किया गया था।
4 नरकासुर वध – भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16000 स्त्र‍ियों को इसी दिन मुक्त करवाया था। इसी खुशी में दीपावली का त्यौहार दो दिन तक मनाया गया और इसे विजय पर्व के नाम से जाना गया।
5 पांडवों की वापसी – महाभारत के अनुसार जब कौरव और पांडव के बीच होने वाले चौसर के खेल में पांडव हार गए, तो उन्हें 12 वर्ष का अज्ञात वास दिया गया था। पांचों पांडव अपना 12 साल का वनवास समाप्त कर इसी दिन वापस लौटे थे। उनके लौटने की खुशी में दीप जलाकर खुशी के साथ दीपावली मनाई गई थी।
6. विक्रमादित्य का राजतिलक – राजा विक्रमादित्य के राजतिलक का प्रसंग भी इसी दिन से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य का राजतिलक इस दिन किया गया था, जिससे दि‍वाली का महत्व और खुशियों दुगुनी हो गईं।

☸ शुभ अंक………………………3
🔯 शुभ रंग…………………….नीला

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 11.48 से 12.32 तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल :-*
संध्या 04.17 से 05.40 तक ।

*महालक्ष्मी पुजन मुहूर्त विचार :-*
चौघड़िया अनुसार सम्पूर्ण दिवस |

अमावस्या तिथि दोप. 02.41 के पश्चात लगेगी अतः व्यापारी वर्ग के लिए सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त :
दोप. 01.32 से 02.54 तक शुभ |
सायं 05.39 से 07.16 तक शुभ |

*स्थिर लग्न :*
दीपावली पूजा वृष लग्न में ही करना चाहिए। इससे आर्थिक समृद्धि के साथ शांति और आनंद की प्राप्ति होती है :
वृष – संध्या 05:56 से 07:55 तक
सिंह – रात्रि 12:25 से 02:36 तक (महानिशा)

🌞 *उदय लग्न मुहूर्त :-*
*तुला*
04:47:35 07:01:38
*वृश्चिक*
07:01:38 09:18:23
*धनु*
09:18:23 11:24:00
*मकर*
11:24:00 13:11:07
*कुम्भ*
13:11:07 14:44:40
*मीन*
14:44:40 16:15:52
*मेष*
16:15:52 17:56:36
*वृषभ*
17:56:36 19:55:15
*मिथुन*
19:55:15 22:08:57
*कर्क*
22:08:57 24:25:07
*सिंह*
24:25:07 26:36:56
*कन्या*
26:36:56 28:47:35

🚦 *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो दलिया, घी या पान का सेवनकर यात्रा प्रारंभ करें ।

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 08.02 से 09.25 तक चंचल
प्रात: 09.25 से 10.47 तक लाभ
प्रात: 10.47 से 12.09 तक अमृत
दोप. 01.32 से 02.54 तक शुभ
सायं 05.39 से 07.16 तक शुभ
संध्या 07.16 से 08.54 तक अमृत
रात्रि 08.54 से 10.32 तक चंचल ।

💮 *आज का मंत्रः*
।॥ ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः ॥

॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम: ॥

*महालक्ष्मी गायत्री मंत्र :-*
॥ ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ॥

 *संस्कृत सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (तृतीयोऽध्यायः – कर्मयोगः) -*
आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा।
कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च॥३-३९॥
अर्थात :
और हे अर्जुन! ज्ञानियों के नित्य वैरी इस अग्नि के समान कभी न पूर्ण होने वाले काम द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढँका हुआ है॥39॥

🍃 *आरोग्यं सलाह :-*
*घुटनो का दर्द दूर करने के लिए उपचार-*

*3. जैतून का तेल -*
घुटनो के दर्द को दूर करने के लिए आप जैतून के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जैतून के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है जो घुटने के दर्द के इलाज में अद्भुत काम करता है।
इसके लिए आप जैतून के तेल को अपने हाथ में लीजिए तथा इसे अपने घूटने पर मसाज कीजिए। आप इसे 30 मिनट तक ऐसे ही लगाएं रखें और फिर इसे पानी से धो लीजिए। आप इसे दिन में तीन से चार बार लगा सकते हैं।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
पार्टनर से मतभेद समाप्त होगा। नौकरी में अधिकारी का सहयोग तथा विश्वास मिलेगा। पारिवारिक व्यस्तता रहेगी। आकस्मिक व्यय से तनाव रहेगा। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। विवेक से कार्य करें। स्थानीय धर्मस्थल की परिवार के साथ यात्रा होगी।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
लेनदारी वसूल होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। शत्रु भय रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में ग्राहकी अच्छी रहेगी। नौकरी में कार्य व्यवहार, ईमानदारी की प्रशंसा होगी। मशक्कत करने से लाभ होगा। चिंता होगी। शत्रु पराजित होंगे।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
कारोबारी नए अनुबंध होंगे। नई योजना बनेगी। मान-सम्मान मिलेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्त्री कष्ट संभव। कलह से बचें। कार्य में सफलता, शत्रु पराजित होंगे। विवेक से कार्य बनेंगे। पेट रोग से पीड़ित होने की संभावना। वस्त्राभूषण की प्राप्ति के योग।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
यात्रा सफल रहेगी। विवाद न करें। लेन-देन में सावधानी रखें। कानूनी बाधा दूर होगी। देव दर्शन होंगे। राज्य से लाभ होने की संभावना। मातृपक्ष की चिंता। वाहन-मशीनरी का प्रयोग सावधानी से करें। धनागम की संभावना। मित्र मिलेंगे। विवाद न करें।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। झंझटों में न पड़ें। आगे बढ़ने के मार्ग मिलने की संभावना। शत्रु पराजित होंगे। लाभ होगा। स्वास्थ्य ठीक होगा। अनजाना भय सताएगा। राज्य से लाभ। शत्रु शांत होंगे।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
बेचैनी रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। नेत्र पीड़ा की संभावना। धनलाभ एवं बुद्धि लाभ होगा। शत्रु से परेशान होंगे। अपमान होने की संभावना। कष्ट की संभावना। धनहानि। कष्ट-पीड़ा। शारीरिक पीड़ा होगी।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। भागदौड़ रहेगी। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। धनागम सुस्त रहेगा। कार्य के प्रति अनमनापन रहेगा। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। कुछ लाभ की संभावना। चिंताएं कुछ कम होंगी।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
लेन-देन में सावधानी रखें। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। शत्रु पर विजय, हर्ष के समाचार मिलने की संभावना। कुसंग से हानि। धनागम सुखद रहेगा। प्रेमिका मिलेगी। कुछ आय होगी। माता को कष्ट रहेगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
भय, पीड़ा व भ्रम की स्थिति बन सकती है। व्यर्थ भागदौड़ होगी। भय-पीड़ा, मानसिक कष्ट की संभावना। लाभ तथा पराक्रम ठीक रहेगा। दु:समाचार प्राप्त होंगे। हानि तथा भय की संभावना, पराक्रम से सफलता, कलहकारी वातावरण बनेगा। भयकारक दिन रहेगा।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। घर-बाहर अशांति रह सकती है। प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा के योग बनेंगे। कुछ कष्ट होने की संभावना। लाभ के योग बनेंगे। स्त्री वर्ग को कष्ट। कुसंग से कष्ट। कलहकारक दिन रहेगा। अपनी तरफ से बात को बढ़ावा न दें।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। पुराने मित्र व संबंधी मिलेंगे। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। आय में वृद्धि होगी। विरोध की संभावना, धनहानि, गृहस्‍थी में कलह, रोग से घिरने की संभावना, कुछ कार्यसिद्धि की संभावना। चिंताएं जन्म लेंगी। स्त्री पीड़ा, कुछ लाभ की आशा करें।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
रोजगार में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। परिवार की चिंता रहेगी। लाभ होगा। अस्वस्थता का अनुभव करेंगे। चिंता से मुक्ति नहीं मिलेगी। शत्रु दबे रहेंगे। कलह-अपमान से बचें। संभावित यात्रा होगी। सावधानी बरतना होगी।

☯ *आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।*

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

जितनी शिद्दत से टीवी वाले दीवाली के बाद का डरे हुए जानवर दिखाते हैं। उतनी शिद्दत से ईद के बाद मरे हुए जानवर क्यों नहीं दिखाते हैं? 🙄

3000ई.पू.
एक भयानक खतरा विश्व की सभ्यताओं पर मंडराया। 
हिंदमहासागर में एक एस्टेरॉयड गिरा जिससे उठी एक विकराल सुनामी जिसका विवरण संसार की हर सभ्यता, हर धर्म की पुस्तक में दर्ज है। 
इसे कहा गया- ‘The Great Flood’ अर्थात ‘जल प्रलय’। 
हिमयुग की तरह विनाश का यह दौर भी गुजर गया। 
महान मत्स्य गण, नागों, देवों और सप्तऋषियों जिन्हें सुमेरु सभ्यता में ‘अबगल ‘ कहा गया, के निर्देशन में विश्व का सबसे बड़ा बचावकार्य संपन्न हुआ।
भारत में इस अभियान के नेतृत्वकर्ता  राजर्षि सत्यव्रत को नया मनु चुना जाना था लेकिन उनकी मृत्यु के बाद  उनके स्थान पर विवस्वान के पुत्र वैवस्वत श्राद्धदेव को नया ‘मनु’ चुना गया। 
इन्हीं ‘श्राद्धदेव’ को सुमेरी परंपरा में ‘जियसद्दू’ और पदनाम ‘मनु’ को सेमेटिक परंपरा में ‘(म)नुह’ कहा गया। 
अस्तु! 
जलप्रलय बीत चुकी थी परंतु प्रलय के बाद अव्यवस्थाएं व अराजकता आनी ही थी और आईं भी। 
प्रलय संकट के कारण अभी तक सहयोग कर रहे कबीले संसाधनों के लिए अब आपस में लड़ने लगे। 
पृथु ने ‘कृषिक्रान्ति’ द्वारा कुछ व्यवस्था बनाई लेकिन वह व्यवस्था अस्थाई सिद्ध हुई और दिति व दनु के पुत्र ‘दैत्यों’ व ‘दानवों’ की अदिति के पुत्र ‘आदित्यों’ से पुनः ठन गई। 
परंतु दैत्यों व दानवों ने एक भूल कर दी। 
वे ‘असुरों’ से जा मिले और भार्गव उशना को अपना पुरोहित बना लिया। 
सारे अंगिरा बृहस्पति के नेतृत्व में आदित्यों के साथ हो गए क्योंकि उशना अर्थात शुक्राचार्य से बृहस्पति की प्रतिद्वंद्विता थी। 
हार-जीत चलती रही लेकिन देवगण व आर्य थकने लगे क्योंकि समुद्र पर दैत्यों के नेतृत्व में असुरों का अधिकार था और स्थल के संसाधन प्रलय के कारण सीमित हो गए थे। इसके अलावा शुक्राचार्य के औषधि व रसायनशास्त्र के ज्ञान के कारण देवों की असुरों की तुलना में अधिक संख्यागत क्षति हो रही थी।
विष्णु पद पर सुशोभित ‘अजित’ ने #समुद्रमंथन का सुझाव दिया। 
लक्ष्य था ‘अमृत’ की खोज अर्थात आयु की बढ़ाने वाला ‘#आयुर्विज्ञान’ और समुद्र के अन्वेषण द्वारा संसाधनों की खोज। 
‘कच्छप’ टोटम वाले गणों की सुरक्षा में #मंदराचल को केंद्र बनाया गया और #वासुकि के नेतृत्व में ‘नागों’ को देवों व असुरों के बीच संपर्क व समन्वय का सूत्र बनाया गया। 
कई वर्षों व महीनों के सामुद्रिक अन्वेषण अर्थात Oceanic exploration और सैकड़ों जानलेवा घटनाओं के पश्चात कई उप्लब्दियां अर्जित की गईं।
विभिन्न द्वीपों व समुद्रतटों पर जलप्रलय के पश्चात शेष बची सभ्यताओं से संपर्क स्थापित हुआ और उनके माध्यम से विभिन्न अश्वों, हाथियों, गायों, कीमती पत्थर आदि ‘रत्नों’ के स्रोत पता किये गए।  
अंततः धन्वंतरि के नेतृत्व में जीवन को आरोग्यपूर्ण बनाने वाली औषधियों अर्थात अमृत विद्या के साथ यह महाअभियान पूर्ण हुआ। 
अमृत प्राप्ति के बाद हमेशा की तरह देवगण व असुर आपस में झगड़ पड़े लेकिन आर्यों अर्थात वर्तमाना हिंदुओं ने इस महाअभियान को अपनी जातीय स्मृति में ‘समुद्र मंथन’ के नाम से और भगवान धन्वंतरि के नेतृत्व में ‘अमृत विद्या व #आयुर्वेद’ के प्राकट्य को #धनतेरस के रूप में सहेज लिया। 
‘धन्वंतरि’ को न केवल अवतार का दर्जा दिया गया बल्कि इंद्र व विष्णु की तरह उसे भी एक पद बना दिया गया। अंतिम उल्लेखनीय धन्वंतरि काशिराज प्रतर्दन के पुत्र थे जिन्होंने आयुर्वेद को और विकसित किया जिसके लिए उन्हें ‘धन्वंतरि’ की पदवी दी गई। 
आज आवश्यकता है कि मेडिकल कॉलेजों में ‘हिप्पोक्रेट’ के नाम की शपथ के स्थान पर भगवान धन्वंतरि की शपथ की परंपरा लागू की जाए। 
—-
Note:- यह आलेख ‘#इंदु_से_सिंधु_तक’ में वर्णित कुछ अध्यायों का संक्षिप्त रूप है जो पुस्तक में पीछे 20 पन्नों पर दिए गए  निम्नलिखित प्रमाणों पर आधारित है
1-प्रलयकाल का कालनिर्धारण 3000 ई.पू. अमेरिका की लास अल्मास स्थित सामुद्रिक पुरातत्व अन्वेषण संस्थान के निदेशक के शोध पर आधारित है जो 2007 में प्रकाशित हुआ था। 
2-जलप्रलय के अन्य प्रमाण सुमेरी सभ्यता के अभिलेखों से जुटाए गए हैं जो कीलाक्षर वाली मिट्टी की टेबलेट्स व चित्रांकनों में वर्णित है। 
3-केवल हिंदू सभ्यता जलप्रलय को दैवी प्रकोप न मानकर एक भौगोलिक आपदा के रूप में वर्णित करती है।
देवेन्द्र सिकरवारजी द्वारा
💥पूरब से *प्रतिष्ठा*, पश्चिम से *प्रारब्ध*, उत्तर से *उन्नति*, दक्षिण से *दायित्व*, ईशान से *एश्वर्य*, नैऋत्य से *नैतिकता*, आग्नेय से *आकर्षण*, वायव्य से *वैभव*, आकाश से *आमदनी* एवं पाताल से *पूँजी*.. दसों दिशाओं से सुख, शांति, समृद्धि एवं सफलता आपको प्राप्त हो🌹
पिता हैं तो
रोज *धनतेरस*
*संगिनी* साथ है तो
रोज *रूपचौदस*
*बच्चे* साथ है तो
रोज *दीपावाली*
*परिवार* साथ मे है तो 
रोज *अन्नकूट*
*भाई-बहन* मे प्यार हो तो
रोज *भाई दूज*
और *दोस्त,सखा,मित्र* साथ है तो हर दिन *त्यौहार* 😊😊
बारह दिवसीय दीपोत्सव की आपको सपरिवार *दीपोत्सव* के पावन पर्व की अनन्त शुभकामनाए.💐
*भगवान श्रीमन् नारायण जी से प्रार्थना करता हूँ कि आप व आपका परिवार सदैव सुख और समृद्धि से परिपूर्ण रहे…!*
✍️ *डाॅ0 हरीश मैखुरी**माता-पिता* साथ है