आज का पंचाग आपका राशि फल, भगवान विश्वकर्मा दिवस आज, मां वाराही का मंदिर जहां दिन भर भूत प्रेत और जिन्नात बजाते हैं उपस्थिति,  १०८ का रहस्य एवं महात्म्य, रुद्राक्ष की उत्पत्ति प्रकार एवम् लाभ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिवस आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी के साथ ही देश भर से बधाई एवं शुभकामनाएं

हिन्दू घर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता हैं।मान्यता हैं कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था।विश्वकर्मा हस्तलिपि कलाकार थे। जिन्होंने हमें सभी कलाओं का ज्ञान दिया। श्री विश्वकर्मा दिवस की जै विश्वकर्मा . जै विगयान …………*🚩🔱❄«ॐ»«ॐ»«ॐ»❄🔱🚩*

🌞🛕🛕 *जय रामजी की*🛕🛕

🌺 *जय श्री राधेकृष्णा*🌺

🔔 *बम महाँकाल बाबा*🔔

🏹 *जय माँ जगदम्ब भवानी*🏹

*🐀🐘जय श्री गणेश🐘🐀*

※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※

दिनांक :-17-सितम्बर-2023

वार :-रविवार

तिथी :-02द्बितीया:-11:09

पक्ष:-शुक्लपक्ष

माह:-भाद्रपद

नक्षत्र:-हस्त:-10:02

योग:-ब्रह्म:-28:28

करण:-कोलव:-11:09

चन्द्रमा:-कन्या 23:08/तुला

सुर्योदय:-06:21

सुर्यास्त:-18:31

दिशा शुल…..पश्चिम

निवारण उपाय:-जौं का सेवन

ऋतु :-शरद ऋतु

गुलीक काल:-15:25से 16:56

‌राहू काल:-16:56से18:28

अभीजित….11:57से12:46

विक्रम सम्वंत ………2080

शक सम्वंत …………1945

युगाब्द ………………5125

सम्वंत सर नाम:-पिंगल

🌞चोघङिया दिन🌞

चंचल:-07:47से09:18तक

लाभ:-09:18से10:50तक

अमृत:-10:50से12:21तक

शुभ:-13:53से15:25तक

🌗चोघङिया रात🌓

शुभ:-18:28से19:56तक

अमृत:-19:56से21:25तक

चंचल:-21:25से22:53तक

लाभ :-01:50से03:18तक

शुभ :-04:47से06:15तक

🌲आज के विशेष योग🌲

वर्ष का 179वाँ दिन, वराह जयंती

विश्वकर्मा पूजा (बंगाल), अमृतसिद्बियोग 06:21 से 10:02, सूर्य कन्या में 13:31, संक्रांति पुण्यकाल 13:31, मेला रूणिचा रामदेव प्रारम्भ (9दिन जैसलमेर), तैलाधर तपस्या,

🌺 👉वास्तु टिप्स 👈🌺

घर में पंचमुखी हनुमान जी की ऐसी तस्वीर लगाएं , जिसमे वह दक्षिण दिशा की ओर देख रहे हो

*👍🏻सुविचार👌🏻*

तूफान में ताश का घर नही बनता,रोने से बिगड़ा, मुकद्दर नही बनता,

*💊💉आरोग्य उपाय🌿🍃*

बाल झड़ने की समस्या :-

1. नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा।

2. चाय पत्ती के उबले पानी से बाल धोएं। बाल कम गिरेंगे।

3. बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। लाभ होगा।

*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*

🐏 *राशि फलादेश मेष :-*

*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*

विवाद को बढ़ावा न दें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा। आत्मसम्मान बना रहेगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। प्रसन्नता में वृद्धि होगी।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*

*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*

रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। समय की अनुकूलता का लाभ लें। प्रमाद न कर प्रयास भरपूर करें। यात्रा लाभदायक रहेगी। नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय हो सकता है। कोई बड़ा लाभ होने के योग हैं। जोखिम न लें। घर-बाहर वातावरण सुखद रहेगा।

👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*

*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*

जोखिम व जमानत के कार्य टालें। विवेक से कार्य करें। लेन-देन में सावधानी रखें। विवाद को बढ़ावा न दें। मानसिक ऊहापोह बनी रहेगी। फालतू खर्च होगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। कुसंगति से बचें। कारोबार ठीक चलेगा। नौकरी में अपेक्षाएं बढ़ सकती हैं।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*

*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*

लंबी दूरी की यात्रा सफल रहेगी। नए काम हाथ में आएंगे। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। नए लोगों से संपर्क लाभदायी रहेगा। जोखिम न उठाएं।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*

*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*

आर्थिक नीति में सुधार होगा। कार्यस्थल पर परिवर्तन की संभावना है। कारोबार अच्छा चलेगा। रिश्तेदारों तथा मित्रों का सहयोग करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ सकता है। स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें। जोखिम न उठाएं।

👩🏻‍🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*

*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*

तंत्र-मंत्र में रुचि जागृत होगी। किसी विशेष व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति लाभदायक बनेगी। नए कार्य मिल सकते हैं। आय में वृद्धि होगी। पारिवारिक सहयोग मिलता रहेगा। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि चिंता देगी।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*

*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*

चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि हो सकती है। लापरवाही से बचें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। समय नेष्ट है। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। तनाव रहेगा। पुराना रोग उभर सकता है। व्यापार की गति धीमी रह सकती है। नौकरी में कार्यभार रहेगा। विवाद न करें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*

*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*

कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। काफी समय से लंबित कार्य पूर्ण होने के योग हैं। भरपूर प्रयास करें। भाग्य का साथ रहेगा। प्रेम-प्रसंग सुदृढ़ होंगे। पार्टनरों से मतभेद दूर होंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। आशंका का निवारण होगा।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*

*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*

भूमि व भवन आदि की खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। कारोबार से बड़ा लाभ हो सकता है। रोजगार में वृद्धि होगी। पारिवारिक सहयोग से काम बनते चले जाएंगे। जीवन सुखमय गुजरेगा। किसी अपने ही व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। विवाद की स्थिति को टालें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*

*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*

रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक व स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। संगीत व चित्रकारी आदि में रुचि जागृत होगी। जीवनसाथी के सहयोग से प्रसन्नता में वृद्धि होगी । व्यापार – व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। नौकरी में नया कार्य कर पाएंगे।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*

*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*

मेहनत अधिक होगी। थकान व कमजोरी रह सकती है। स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें। शोक समाचार की प्राप्ति की संभावना है, धैर्य रखें। विवाद को बढ़ावा न दें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। यात्रा में अनावश्यक जोखिम न लें। आय बनी रहेगी।

🐡 *राशि फलादेश मीन :-*

*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*

मेहनत का फल मिलेगा। नौकरी में जवाबदारी बढ़ सकती है। उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। सहकर्मी साथ देंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रसन्नता रहेगी।

*🎊🎉🎁  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जन्मदिन की बधाई एवं शुभकामनाएं कामना है कि आप सौ वर्ष जियें और योगी आदित्यनाथ के प्रधानमंत्री बनने तक आप प्रधानमंत्री के रूप में ही भारत का नेतृत्व करें तदुपरांत आप भारत के राष्ट्रपति बनें। इसी के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक देश भर में भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित होंगे सेवा पखवाड़ा के विभिन्न कार्यक्रम। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके जन्मदिन पर विशेष बधाई एवं शुभकामनाएं दीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देशभर से बधाई एवं शुभकामनायें मिल रही है। ब्रेकिंग उत्तराखंड डाट काम न्यूज संस्थान की ओर से भी बधाई एवं शुभकामनाएं 

सनातन ने कहा “यत् पिंडे तत् ब्रहमांडे” अर्थात् जैसी संरचना एक प्रमाणु की है वैसी ही संरचना परम अणु यानी ब्रहमांड है। यानी पिंड और ब्रह्मांड की संरचना का सूत्र एक ही है।

सृष्टि का निर्माण 5 तत्वों से हुआ है, वैज्ञानिक छठा तत्व बता दें

सनातन ने कहा नौ ग्रह, वैज्ञानिक मना कर दें🌹

सनातन ने शिव नेत्र की बात की, जिसमे सब समा जाता है

वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल माना, जिसमे पूरी गैलेक्सी समा जाएं🌹

सनातन यानी शाश्वत यानी ना आदि ना अंत।

यही जीने का एकमात्र मंत्र है जो आपको जीवन का श्रेष्ठ उद्देश्य लक्ष्य और मोक्ष प्रदान करेगा
✍️हरीश मैखुरी
breakinguttarakhand.com

 

मां वाराही का मंदिर जहां दिन भर भूत प्रेत और जिन्नात बजाते हैं उपस्थिति

अद्भुत शहर है काशी। यहां जो चाहो वो मिलता है। बस आपको समझना ये है कि आपको जो चाहिए वो मिलेगा कहां। मान, मर्यादा और रौब दाब वाली प्रतिष्ठा किसको नहीं चाहिए। सबके अंदर इसे पाने की जिजिविषा होती है। अगर आपके मन में भी इन सबको पाने की इच्छा बलवती है तो काशी आ जाइए। और लगाइए मां वाराही देवी के दरबार में हाजिरी और पाइए वो सब जिसे पाने की आस में आप अब तक यहां वहां भटकते रहे हैं। अगर आप तमाम तरह की मुसीबतों से जूझ रहे हैं, बीमारियों से ग्रस्त हैं और कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है तो फिर मां वाराही देवी की चौखट पर माथा टेकिये और फिर देखिए अपनी जिंदगी में होने वाले चमत्कार। अगर आप किसी कम्पनी, शहर, सूबे या मुल्क के प्रशासनिक अफसर हैं तो फिर आपकी हाजिरी तो यहां लगनी ही चाहिए क्योंकि माता वाराही देवलोक की प्रशासनिक देवी हैं। माता के दरबार में आपकी हाजिरी सब कुछ आपके कंट्रोल में कर देंगी।

काशी में उनका मंदिर गंगा किनारे मान मंदिर घाट के पास डी 16/84 में स्थित है। कहते हैं कि मां वाराही इतनी उग्र हैं कि वो अपने दरबार में किसी दर्शनार्थी को बहुत देर तक टिकने नहीं देतीं। माता का ताप वहां किसी को रूकने की इजाजत नहीं देता। या यूं कहिए कि इस ताप की वजह से वहां कोई रूक नहीं पाता। मां वाराही का मंदिर हर रोज अल सुबह चार बजे खुलता है और सुबह ही साढे़ नौ बजे बंद हो जाता है। उसके बाद पूरे दिन उसका पट बंद रहता है। यहां आप विग्रह का सामने से दर्शन नहीं कर सकते। माता मंदिर के नीचे तलघर में बने गर्भगृह में विराजती हैं। वहां पुजारी के अलावा किसी और को जाने की अनुमति नहीं है। ऊपर बने एक मोखे से आप सिर्फ उनके चरण और एक तरफ के मुख का ही दर्शन कर सकते हैं। मां के उग्र रूप का दर्शन कर पाना किसी के लिए भी असंभव है। इसकी वजह उनके मुख से निकलने वाली तीव्र आभा है।

मां वाराही देवी मंदिर के महंत श्री कृष्णकांत दुबे बताते हैं कि माता का विग्रह अत्यंत प्राचीन और स्वयंभू है। मंदिर कब और कैसे बना या इसे किसने बनवाया इसका कोई लेखा जोखा नहीं है। कहते हैं कि माता सती का जब दांत काशी में गिरा तो उससे माता वाराही उत्पन्न हुईं। इसलिए इन्हें शक्तिपीठ की मान्यता भी है। दैवीय व्यवस्था में मां वाराही क्षेत्रपालिका के रूप काशी की रक्षा करती हैं। इस शहर को आफत बलाओं और पैशाचिक बाधाओं से बचाती हैं। कहते हैं कि जब मां दुर्गा का असुरों से युध्द चल रहा था तब मां वाराही ही उनकी सेनापति थीं।

एक कथा ये भी है कि जब देवाधिदेव महादेव काशीराज दिवोदास से इस नगरी को पाने के लिए तमाम कोशिशें कर रहे थे तब एक बार उन्होंने चौंसठ योगिनियों को भी काशी भेजा था लेकिन वो सबकी सब काशी के सौन्दर्य को देख इतनी सम्मोहित हुईं कि वो फिर यहीं की हो कर रह गयीं। कहते हैं कि मां वाराही भी उनमें से ही एक थीं। काशी खंड में इस कथा का उल्लेख है। बहरहाल मत्स्य पुराण में भी मां वाराही की दैवीय शक्ति का उल्लेख है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को माता वाराही का विशेष श्रृंगार किया जाता है। उस दिन रात में एक बजे ही मंदिर का पट खुल जाता है। नवरात्र में भी सप्तमी के दिन भी इनके दर्शन की मान्यता है।

महंत दुबे जी बताते हैं कि माता वाराही से जो भी भक्त दिल से जुड़ेगा वो तमाम तरह की आध्याात्मिक शक्तियों और विद्याओं से हमेशा पूर्ण रहेगा। लेकिन मां से इन सबको पाने की एक शर्त है कि आप शिद्दत से मां को पुकारें और यहां नियमित रूप दर्शन के लिए आते रहें। उनका कहना है कि मां को एकाध दिन या कभी कभी आने वाले भक्त प्रिय नहीं हैं। वो अपने नेमी भक्तों को बहुत चाहती हैं। यदि कभी किसी नेमी ने दर्शन करना छोड़ दिया तो फिर मां उसे ऐसा खींचती हैं कि उसे सिर के बल चल कर यहां आना ही पड़ता है। इस संदर्भ में श्री दुबे जी ने हमें एक रहस्यमय कथा सुनायी। एक बार किसी एक भक्त ने यहां यह कह कर आना छोड़ दिया कि, जा मैय्या अब इहां ई जीवन में कभ्भो न आइब। मां का क्रोध जाग्रत हो गया। अचानक एक रात उस व्यक्ति के दोनों पैरों का पंजा पलट गया। उसे ख्वाब में मां का आदेश हुआ कि अब उल्टे पैर चल कर यहां आ। सुबह उसे अपनी गल्ती का अहसास हुआ। वो उल्टे पंजे से ही चल कर किसी तरह रेंगते हुए आने लगा और फिर छह महीने तक लगातार दर्शन करने और रो रो कर प्रायश्चित करने के बाद धीरे धीरे उसके पैर अपने आप सीधे हो गये।

कहते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में महंथ द्वारा पूजा अर्चना कर मंदिर का पट बंद कर दिये जाने के बाद इस मंदिर में तमाम ग्रह नक्षत्र मां की पूजा अर्चना के लिए यहां आते हैं। इसी तरह संध्याकाल में भूत, प्रेत, पिशाच, जिन्नात, यक्ष और यक्षिणी यहां लोटपोट लगाते हैं। उस वक्त अगर किसी ने मंदिर में भूल से भी प्रवेश कर लिया तो फिर वो यहां से जिंदा बच कर नहीं जा सकता। इस संदर्भ में महंत श्री कृष्णकांत दुबे बताते हैं कि एक बार उनका बेटा कैसे यहां आ कर फंस गया और फिर बाद में मां ने ही भूत, प्रेत, पिशाच, जिन्नात, यक्ष और यक्षिणियों से उसकी रक्षा की। उनका कहना था कि मंदिर में हाजिरी लगाने वाले  भूत, प्रेत, पिशाच, जिन्नात, यक्ष और यक्षिणियों को अपनी पूजा अर्चना में खलल बर्दाश्त नहीं है। वो फिर उस बाधक शख्स को जान से मार देते हैं। वो यहां किसी और को नहीं जानते। वो सिर्फ मां वाराही के पुजारी और महंत को पहचानते हैं। इसके अलावा वो किसी भी दूसरे शख्स को भले ही वो महंत का पुत्र, पुत्री या पत्नी ही क्यों न हो उसे फिर नहीं बख्शते। लेकिन पिता के निधन के बाद जब यही पुत्र महंत की गद्दी पर बैठेगा और वो पूजा अर्चना के विधि विधान को पूरा करेगा तभी उसे वो सारे आध्यात्मिक अधिकार हासिल हो जाएंगे जो उसके पिता को प्राप्त था।

इस मंदिर में सुबह होने वाली आरती और पुष्पाजंलि एकदम सम्मोहित करने वाली होती है। मां की आरती अथर्ववेद में होती है। पुष्पाजंलि सामवेद और यजुर्वेद में होती है। मां की स्तुति राग भैरवी और सामवेद में गाकर की जाती है। मां की पूजा में पढ़े जाने वाले मंत्रों में चारों वेदों का समावेश है। एक तरह से यहां घनपाठ के जरिए ही पूजा अर्चना की जाती है। कहते हैं कि यहां के पुजारी न तो किसी से राग रागिनियां सीखते हैं और न ही उन्हें इसकी कोई शिक्षा दी जाती है लेकिन एक बार पूजा शुरू होने के बाद चमत्कारिक रूप से उनके कंठ से सारे श्लोक राग में ही उतरने लगते हैं।

महंत श्री दुबे बताते हैं कि वाराही देवी का दर्शन करने के लिए सूदूर दक्षिण भारत के तमाम प्रशासनिक अधिकारी यहां आते हैं। वो अपने ऑफिस का चार्ज लेने के पहले वहां से काशी आते हैं और माता वाराही के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। वो कहते हैं कि पिछले दिनों टीवी पर धारावाहिक गणेश पुराण में माता वाराही के महात्म्य को दिखाये जाने के बाद से उत्तर भारत के अफसर भी हाजिरी देने लगे हैं।

वैसे वाराही माता भारत में पूजित अष्ट मातृका में से एक हैं। अष्ट मातृका आठ देवियों का एक मंडल है। इस सृष्टि में हर वस्तु, पदार्थ और जीव को क्रियाशील करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। सब जानते हैं कि ब्रह्माण्ड की धुरी बने शिव को भी क्रियाशील होने के लिए आदिशक्ति की आवश्यकता पड़ी थी। शिव की ऊर्जा आदिशक्ति ही हैं। इसी तरह मां वाराही भी भगवान विष्णु के वाराह अवतार की शक्ति हैं। वाराह अवतार को क्रियाशील करने वाली ऊर्जा या शक्ति मां वाराही ही हैं। वाराही माता की पूजा अर्चना सनातन धर्म के तीनों मतों के लोग करते हैं। इनकी पूजा मुख्यतः रात्रि में तान्त्रिक क्रियाओं के साथ की जाती है। बौद्ध धर्म में पूजित मरीची तथा वज्रवराही भी वस्तुतः माता वाराही ही हैं। वाराही देवी मां दुर्गा का तामसी और सात्विक गुणधारी रूप हैं। इनका शीश जंगली शूकर का है।

काशी में वाराही देवी का मंदिर कैंट रेलवे स्टेशन से करीब नौ किलोमीटर दूर मानमंदिर घाट के पास है। मंदिर के संकरी गली में और गंगा घाट के किनारे होने के कारण वहां गोदौलिया से पैदल ही जाना पड़ता है।साभार- काशी रहस्य

108 का रहस्य…

ऊं का जप करते समय 108 प्रकार की विशेष भेदक ध्वनी तरंगे उत्पन्न होती है जो किसी भी प्रकार के शारीरिक व मानसिक घातक रोगों के कारण का समूल विनाश व शारीरिक व मानसिक विकास का मूल कारण है। बौद्धिक विकास व स्मरण शक्ति के विकास में अत्यन्त प्रबल कारण है…108 यह अद्भुत व चमत्कारी अंक बहुत समय काल से हमारे ऋषि – मुनियों के नाम के साथ प्रयोग होता रहा है।  

संख्या 108 का रहस्य –

अ→1 … आ→2 … इ→3 … ई→4 … उ→5 … ऊ→6. … ए→7 … ऐ→8 ओ→9 … औ→10 … ऋ→11 … लृ→12 अं→13 … अ:→14.. ऋॄ →15… लॄ →16 क→1 … ख→2 … ग→3 … घ→4 …ङ→5 … च→6 … छ→7 … ज→8 …

झ→9 … ञ→10 … ट→11 … ठ→12 … ड→13 … ढ→14 … ण→15… त→16…थ→17 … द→18 … ध→19 … न→20 …प→21 … फ→22 … ब→23 … भ→24 … म→25 … य→26 … र→27 … ल→28 … व→29 … श→30 … ष→31 … स→32 …ह→33 … क्ष→34 … त्र→35 …ज्ञ→36 … ड़ … ढ़ … ओ अहं = ब्रह्म ब्रह्म = ब+र+ह+म =23+27+33+25=108

1. यह मात्रिकाएँ (18 स्वर +36 व्यंजन=54) नाभि से आरम्भ होकर ओष्टों तक आती है, इनका एक बार चढ़ाव, दूसरी बार उतार होता है, दोनों बार में वे 108 की संख्या बन जाती हैं। इस प्रकार 108 मंत्र जप से नाभि चक्र से लेकर जिव्हाग्र तक की 108 सूक्ष्म तन्मात्राओं का प्रस्फुरण हो जाता है। अधिक जितना हो सके उतना उत्तम है पर नित्य कम से कम 108 मंत्रों का जप तो करना ही चाहिए ।

2. मनुष्य शरीर की ऊँचाई

= यज्ञोपवीत(जनेउ) की परिधि

= (4 अँगुलियों) का 27 गुणा होती है।

= 4 × 27 = 108

3. नक्षत्रों की कुल संख्या = 27

प्रत्येक नक्षत्र के चरण = 4

जप की विशिष्ट संख्या = 108

अर्थात ॐ मंत्र जप कम से कम 108 बार करना चाहिये ।

4. एक अद्भुत अनुपातिक रहस्य

पृथ्वी से सूर्य की दूरी/ सूर्य का व्यास= 108

पृथ्वी से चन्द्र की दूरी/ चन्द्र का व्यास= 108

अर्थात मन्त्र जप 108 से कम नहीं करना चाहिये।

5. हिंसात्मक पापों की संख्या 36 मानी गई है जो मन, वचन व कर्म ३ प्रकार से होते है। अर्थात 36×3=108 अत: पाप कर्म संस्कार निवृत्ति हेतु किये गये मंत्र जप को कम से कम 108 अवश्य ही करना चाहिये।

6. सामान्यत: 24 घंटे में एक व्यक्ति 21600 बार सांस लेता है। दिन-रात के 24 घंटों में से 12 घंटे सोने व गृहस्थ कर्त्तव्य में व्यतीत हो जाते हैं और शेष 12 घंटों में व्यक्ति जो सांस लेता है वह है 10800 बार। इस समय में ईश्वर का ध्यान करना चाहिए । शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को हर सांस पर ईश्वर का ध्यान करना चाहिये । इसीलिए 10800 की इसी संख्या के आधार पर जप के लिये 108 की संख्या निर्धारित करते हैं।

7. एक वर्ष में सूर्य 21600 कलाएं बदलता है। सूर्य वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता है। छःमाह उत्तरायण में रहता है और छः माह दक्षिणायन में। अत: सूर्य छः माह की एक स्थिति

में 108000 बार कलाएं बदलता है।

8. ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों के नाम – मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अत: ग्रहों की संख्या 9 में राशियों की संख्या 12 से गुणा करें तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है।

9. 108 में तीन अंक हैं, 1+0+8. इनमें एक “1″ ईश्वर का प्रतीक है। ईश्वर का एक सत्ता है अर्थात ईश्वर 1 है और मन भी एक है, शून्य “0″ प्रकृति को दर्शाता है। आठ “8″ जीवात्मा को दर्शाता है क्योकि योग के अष्टांग नियमों से ही जीव प्रभु से मिल सकता है । जो व्यक्ति अष्टांग योग द्वारा प्रकृति के आठो मूल से विरक्त हो कर ईश्वर का साक्षात्कार कर लेता है उसे सिद्ध पुरुष कहते हैं। जीव “8″ को परमपिता परमात्मा से मिलने के लिए प्रकृति “0″ का सहारा लेना पड़ता है। ईश्वर और जीव के बीच में प्रकृति है। आत्मा जब प्रकृति को शून्य समझता है तभी ईश्वर “1″ का साक्षात्कार कर सकता है। प्रकृति “0″ में क्षणिक सुख है और परमात्मा में अनंत और असीम। जब तक जीव प्रकृति “0″ को जो कि जड़ है उसका त्याग नहीं करेगा , अर्थात शून्य नही करेगा, मोह माया को नहीं त्यागेगा तब तक जीव “8″ ईश्वर “1″ से नहीं मिल पायेगा पूर्णता (1+8=9) को नहीं प्राप्त कर पायेगा । 9 पूर्णता का सूचक है।

10.

1- ईश्वर और मन

2- द्वैत, दुनिया, संसार

3- गुण प्रकृति (माया)

4- अवस्था भेद (वर्ण)

5- इन्द्रियाँ

6- विकार

7- सप्तऋषि, सप्तसोपान

8- आष्टांग योग

9- नवधा भक्ति (पूर्णता)

11. वैदिक विचार धारा में मनुस्मृति के अनुसार

अहंकार के गुण = 2

बुद्धि के गुण = 3

मन के गुण = 4

आकाश के गुण = 5

रुद्राक्ष की उत्पत्ति, प्रकार एवम् लाभ

त्रिपुरस्य वधे काले रुद्रस्याक्ष्णोऽपतंस्तु ये । अश्रुणो बिन्दवस्ते तु रुद्राक्षा अभवन् भुवि ॥

रुद्राक्ष की उत्पत्ति पुराणों और ग्रंथो में कहा गया है, कि त्रिपुर नामक दैत्य था उसने समस्त देवलोक में आतंक मचा रखा था । एक दिन समस्त देवताओ ने भगवान रुद्र अर्थात शंकर के पास जाकर त्रिपुर के आतंक से देवलोक की रक्षा करने की प्रार्थना की। तब भगवान शंकर ने देवताओं की रक्षा के लिए दिव्य और ज्वलंत महाघोर रूपी अघोर अस्त्र का चिंतन किया। इस चिंतन के समय भगवान रुद्र के नेत्रों से आंसुओं की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं, जिससे रुद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई।

जब रुद्राक्ष का फल सूख जाता है, तो उसके ऊपर का कवच उतार के इसके अंदर से गुठली प्राप्त होती है, यही असल रूप में रुद्राक्ष है | इस गुठली के ऊपर एक से चौदह तक धारियां बनी रहती हैं, इन्हें ही इनका मुख कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथानुसार 21 मुख तक के रुद्राक्ष होने के प्रमाण हैं, परंतु वर्तमान में 14 मुखी के पश्चात सभी रुद्राक्ष अप्राप्य हैं।

“हूं नमः इति प्रत्येकमष्टोत्तरशतं जप्ता शिवाम्भसा प्रक्षाल्य धारणीयम् ।”

“हूं नमः” इस मंत्र से प्रत्येक रुद्राक्ष को पुष्प से स्पर्श करते हुए 108 बार जप करें। फिर शिवलिंग के साथ रखकर अभिषेक करके धारण करें।

“ विना मन्त्रेण यो धत्ते रुद्राक्षं भुवि मानवाः ।

स याति नरकं घोरं यावदिन्द्राश्चतुर्द्दश ॥

बिना मंत्र जप के रुद्राक्ष धारण करना पाप कहा गया

अरुद्राक्षधरो भूत्वा यद्यत् कर्म्म च वैदिकम् ।

करोति जपहोमादि तत् सर्व्वं निष्फलं भवेत् ॥ “

अर्थ-बिना रुद्राक्ष धारण किए जो भी जप तप किया जाता है वह व्यर्थ हो जाता है-

“रुद्राक्षधारणादेव नरो देवत्वमाप्नुयात् ॥”

अर्थ- रुद्राक्ष पहनने से मनुष्य देव स्वरूप हो जाता है

रुद्राक्ष के प्रकार :-

एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव है वह ब्रह्महत्या को दूर करता है तथा अग्नि स्तंभन और अमरता प्राप्त होती है –

एकवक्त्रः शिवः साक्षात् ब्रह्महत्यां व्यपोहति । अवध्यत्वं प्रतिश्रोतो वह्निस्तम्भं करोति च ॥

इसके देवता भगवान शंकर, ग्रह- सूर्य और राशि सिंह है।

मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।

2 मुखी रुद्राक्ष हरगौरी कहा गया है इसे आत्‍मविश्‍वास और मन की शांति के लिए धारण किया जाता है।

इसके देवता भगवान अर्धनारिश्वर, ग्रह- चंद्रमा एवं राशि कर्क है।

मंत्र- ।। ॐ नम: ।।

3 मुखी रुद्राक्ष- इसे मन की शुद्धि और स्‍वस्‍थ जीवन के लिए पहना जाता है।

इसके देवता अग्नि देव, ग्रह- मंगल एवं राशि मेष और वृश्चिक है।

मंत्र- ।। ॐ क्‍लीं नम: ।।

4 मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा जी के समान कहां गया है वह नर हत्या को दूर करता है–

चतुर्व्वक्त्रस्तु धाता स्यात् नरहत्यां व्यपोहति ।

चार मुखी रुद्राक्ष से मानसिक क्षमता, एकाग्रता और रचनात्‍मकता के लिए धारण किया जाता है।

इसके देवता ब्रह्म देव, ग्रह- बुध एवं राशि मिथुन और कन्‍या है।

मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।

पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे ज्यादा पेड़ पर लगते हैं और उनकी सुंदरता और असली होना ज्यादा प्रमाणित है।

पंचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि नाम के कहे गए हैं ।

इनके धारण करने से अगम्यागमन अभक्ष्य भक्षण जैसे पापों से भी व्यक्ति मुक्त हो सकता है-

पञ्चवक्त्रः स्वयं रुद्रः कालाग्निर्नाम नामतः । अगम्यागमनाच्चैव अभक्षस्य च भक्षणात् । मुच्यते सर्व्वपापेभ्यः पञ्चवक्त्रस्य धारणात् ॥

इसके देवता भगवान कालाग्नि रुद्र, ग्रह- बृहस्‍पति एवं राशि धनु व मीन है।

मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।

छह मुखी रुद्राक्ष- इसे ज्ञान, बुद्धि, संचार कौशल और आत्‍मविश्‍वास के लिए पहना जाता है।

इसके देवता भगवान कार्तिकेय, ग्रह- शुक्र एवं राशि तुला और वृषभ है।

मंत्र : ।। ॐ ह्रीं हूं नम:।।

सात मुखी रुद्राक्ष- इसे आर्थिक और करियर में विकास के लिए धारण किया जाता है।

इसकी देवी माता महालक्ष्‍मी, ग्रह- शनि एवं राशि मकर और कुंभ है।

मंत्र- ।। ॐ हूं नम:।।

आठ मुखी रुद्राक्ष- इसे करियर में आ रही बाधाओं और मुसीबतों को दूर करने के लिए धारण किया जाता है।

विनायकोऽष्टवक्त्रः स्यात् सर्व्वानृतविनाशकृत् ।

इसके देवता भगवान गणेश, ग्रह- राहु है।

मंत्र- ।। ॐ हूं नम:।।

9 मुखी रुद्राक्ष साक्षात भैरव है वह शिव के साथ व्यक्ति को सायुज्यता प्रदान करता है–

भैरवो नववक्त्रः स्यात् शिवसायुज्यदायकः ॥

ग्रह- केतु है।मंत्र- ।। ॐ ह्रीं हूं नम:।।

10 मुखी रुद्राक्ष एवं विष्णु स्वरुप है भूत प्रेत पिशाच आदि को दूर हटाता है-

दशवक्त्रः स्वयं विष्णुर्भूतप्रेतपिशाचहा ।

इसे नकारात्‍मक शक्‍तियों, नज़र दोष एवं वास्‍तु और कानूनी मामलों से रक्षा के लिए धारण किया है। इसके देवता भगवान विष्‍णु जी हैं।

मंत्र- ।। ॐ ह्रीं नम: ।।

*सनातन धर्म संस्कृति के लोगों ध्यान दो…*

०१. बच्चों का विवाह समय पर करो।
०२. गांव और कृर्षि से जुड़ें रहो।
०३. बच्चों का मार्गदर्शन स्वयं करें।
०४. रिश्ते नाते बनाएं रखें और संगठित रहो।
०५. व्यर्थ के दिखावे और खर्चों से बचें।
०६. स्वयं नशे से दूर रहो और बच्चों को भी दूर रखो।
०७. जो भारत में रह कर भारतीय परम्परा और त्योहार नहीं मनाते उनका आर्थिक का बहिष्कार ही उनका उपचार है।
०८. मातृभाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करें।
०९. बच्चों को सैद्धांतिक एवं प्रयोगात्मक शिक्षा दें।
१०. बच्चों को नियमित जीवन जीने की शिक्षा दें।
११. संयमित जीवन जीएं ।
१२. प्राकृति से मित्रता करें।
१३. व्यर्थ का अहंकार ना करें।
१४. बच्चे तीन या चार ही अच्छे।
१५. बड़े बुजुर्गों को सम्मान दें।
१६. घर के आस-पास और छत पर बागवानी करें।
१७. गाड़ी चलाते समय धैर्य और संयम बरतें।
१८. भोजन करते समय भोजन पर ही ध्यान दें।

*नए भारत का वैश्विक संकल्प…*
*सनातन वैदिक धर्म…विश्व धर्म*
*अखंड हिंदु राष्ट्र भारत*…..
*विश्व गुरु भारत*

अपने मन में एक लक्ष्य लिए 

मंज़िल अपनी प्रत्यक्ष लिए

हम तोड़ रहे हैं जंजीरें

हम बदल रहे हैं तस्वीरें

ये नवयुग है, नव भारत है

खुद लिखेंगे अपनी तकदीरें

हम निकल पड़े हैं प्रण करके

अपना तन-मन अर्पण करके

जिद है एक सूर्य उगाना है

अम्बर से ऊँचा जाना है

एक भारत नया बनाना है

एक भारत नया बनाना है

*धर्मो रक्षति रक्षितः…*🚩✍️हरीश मैखुरी